१. तनाव से निपटने की क्षमता विरुद्ध अक्षमता
इस खंड में तनाव से कैसे निपटें, यह अच्छे से समझने के लिए, हमने दो चित्र दिखाए हैं । नीचे दर्शाए गए चित्र में एक व्यक्ति को चार गठरियां ढोते दिखाया गया है ।
व्यक्ति द्वारा ढोयी जा रही प्रत्येक गठरी जीवन की विभिन्न समस्याओं को दर्शाती है :
१. बेटी पढाई पर ध्यान नहीं दे रही है
२. पत्नी से झगडा
३. अस्वस्थ बेटा
४. आर्थिक समस्याएं
अवचेतन मन एक निश्चित स्तर तक ही चिंता को संभाल सकता है । यह समस्याओं की मात्रा, तीव्रता तथा कालावधि पर निर्भर करता है । जैसा कि चित्र १ अ में दर्शाया गया है, व्यक्ति अपने जीवन में वर्त्तमान समस्याओं की मात्रा अपने व्यवहार से संभालने में सक्षम है ।
१. बेटी पढाई में ध्यान नहीं दे रही है
२. पत्नी से झगडा
३. अस्वस्थ बेटा
४. आर्थिक समस्याएं
५. ऊंट की कमर तोडनेवाली गठरी – पदोन्नति न होना / मोबाईल खो जाना
जैसा कि चित्र १ आ में दर्शाया गया है कि जब अतिरिक्त समस्या जैसे पदोन्नति न होना व्यक्ति की चिंता को और अधिक बढा देती है, तब इस प्रकार के तनाव का प्रकटीकरण स्वाभाविक हो जाता है । यहां पदोन्नति न होना उस कहावत समान बन जाता है तिनके ने ऊंट की कमर ही तोड दी । इस प्रकार व्यक्ति निराशा जैसी नकारात्मक मनःस्थिति में चला जाता है । वह घटना जो कहावत के अनुसार छोटे से तिनका समान है, व्यक्ति के व्यक्तित्व अनुसार भिन्न हो सकती है । यह एक बडी घटना जैसे पदोन्नति न होना के रूप में हो सकती है अथवा मोबाईल खाने जैसी छोटी घटना भी हो सकती है । दोनों प्रकार की घटना व्यक्ति को शीर्ष बिंदु तक ले जा सकती है और इस प्रकार उसे निराशा की स्थिति में धकेल सकती है । अन्य व्यक्ति ऐसा सोच सकता है कि व्यक्ति की प्रतिक्रिया प्रसंगानुसार उचित नहीं थी । अन्य व्यक्ति इस छोटे से तिनके के पूर्व हुई घटनाओं की श्रृंखला तथा समस्याओं का बढता बोझ नहीं देख सकता, जो अंतिमतः व्यक्ति को निराशा की खाई में धकेल देता है ।
२. जीवन के तनाव से निपटने की हमारी क्षमता को कौनसे कारक प्रभावित करते हैं ?
एक व्यक्ति की चिंता से निपटने की क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि उस तनाव का सामना करने के लिए कितनी शक्ति उपलब्ध है । जब स्वभाव में अवांछित गुण (स्वभाव दोष) तथा अपूर्ण कार्य हों, तब उपलब्ध मानसिक शक्ति अल्प होती है ।
- जैसा कि हमने पहले ही बताया है कि क्रोध, भय, आलस्य, निर्णय न ले पाना, झूठ बोलना, निराशावादी होना इत्यादि स्वभाव दोष हैं । ऐसे अवांछित गुण दिनभर हमारे विचारों को व्यय कर हमारी मानसिक शक्ति को क्षीण कर देते हैं ।
- अपूर्ण कार्य अर्थात, पूर्व में हुई दुखदायी घटनाएं, जिससे व्यक्ति अभी भी भयभीत है एवं जिसके कारण तनाव भी उत्पन्न हुआ । उदाहरण के लिए, जब कोई विद्यार्थी किसी परीक्षा में अनुतीर्ण हो जाता है, तब इससे अत्यधिक चिंता तथा निराशा उत्पन्न होती है । वह स्मरण करता है कि वह कैसे अनुतीर्ण हो गया तथा इस बात से भयभीत भी होता है कि यदि वह अपने जीवन में पुनः अनुतीर्ण हो गया तो, तब उसे भूतकाल की भांति पुनः झेलना पडेगा । इसलिए उसका मन इस अपूर्ण कार्य के बोझ को झेलता ही रहेगा । अपूर्ण कार्य मन को जीवन के तनाव तथा चिंता के प्रति एक विशिष्ट ढंग से प्रतिक्रिया देने हेतु पोषित करता है । इसी उदाहरण को लेते हैं, परीक्षा में मिली असफलता के कारण आई निराशा से व्यक्ति जीवन के अन्य क्षेत्रों में असफलता के लिए भी प्रतिक्रिया स्वरूप निराश अथवा व्यसनी बन जाता है । पूर्ण किए जानेवाले कार्य की सूची लंबी होना भी तनाव का कारण बनता है और अपूर्ण कार्य में और वृद्धि हो सकती है ।
इसलिए जब अनेक स्वभाव दोष तथा कुछ अपूर्ण कार्य हों, तब अवांछित गुणों तथा अपूर्ण कार्य से उत्पन्न चिंता को निष्क्रिय करने के लिए अधिक मानसिक शक्ति का उपयोग होता है । परिणामस्वरूप, विभिन्न लोगों में समान तनाव को झेलने के लिए अलग-अलग मात्रा में शक्ति उपलब्ध होती है । इसलिए जीवन के तनाव से निपटने के लिए व्यक्ति की अक्षमता तथा दुख के कारण का जन्म मुख्यतः मूलभूत अवांछित स्वभावदोषों से एवं चिंता पूर्व की घटनाओं अथवा अपूर्ण कार्य से होता है ।
३. तनाव का कारक – स्वभाव
ध्यान देने योग्य अन्य महत्त्वपूर्ण सूत्र यह है कि कोई भी स्थिति स्वयं से तनावपूर्ण नहीं होती, यह व्यक्ति उसे कैसे देखता है, इस पर निर्भर करता है । व्यक्ति परिस्थिति को कैसे देखता है, यह उसके स्वभाव पर निर्भर करता है । उदाहरण के लिए, पार्टी में जाना, अधिकतर लोगों के लिए सुखदायक अवसर होगा; किंतु एक गंभीर व्यक्ति के लिए यह एक तनाव से भरा अवसर बन जाता है । आगे दी गई सारणी में कुछ उदाहरण दिखाए गए हैं कि कैसे स्वभावदोष किसी परिस्थिति को तनावपूर्ण बना देते हैं ।
अवांछित स्वभावदोष | परिस्थिति जो तनाव का कारण बन जाती है |
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१. आत्मविश्वास का अभाव | नौकरी के साक्षात्कार हेतु जाना, एक कठिन नौकरी की परिस्थिति |
२. भावनाशीलता | दादी द्वारा दी गर्इ अंगूठी खो देना |
३. शर्मीला | विपरीत लिंग के व्यक्ति से बात करना |
४. भावनाप्रधानता / अपेक्षा | परिवार के सदस्य अथवा घनिष्ठ मित्र से विवाद होना |
मुख्य बात यह है कि अल्प स्वभावदोष तथा अल्प अहं के कारण व्यक्ति अत्यधिक तनावदायक परिस्थितियों का भी अच्छे से सामना कर सकता है । इसके विपरीत अधिक स्वभावदोष होने पर व्यक्ति किसी भी तनाव की स्थिति में पहले ही हार मान सकता है ।