भगवान के नाम का जप करना अध्यात्म शास्त्र शोध संस्थान (एस.एस.आर.एफ.) की ओर से बताई जाने वाली साधना की नींव है । कालांतर में नामजप को चरण दर चरण संख्यात्मक और गुणात्मकरूप से बढाना महत्त्वपूर्ण है । यह आध्यात्मिक उन्नति और उच्च आध्यात्मिक अनुभूतियां होने में सहायक है ।
आइए देखते हैं उन विविध चरणों अथवा मील के पत्थरों को जिनसे साधना मार्ग का पथिक सर्वसामान्य रूप से बढता है । व्यक्ति के आध्यात्मिक स्तर के अनुसार प्रत्येक स्तर को पार करने के लिए उसे कुछ माह से लेकर दो वर्ष तक का समय लग सकता है ।
हमारे अनेक पाठकों ने इस जालस्थल को पढकर जीवन में पहली बार भगवान का नामजप करना आरंभ किया । ये पाठक सर्वसामान्य रूप से प्रतिदिन कदाचित कुछ ही मिनट जप कर पाते हैं । इस प्रयास को आरंभ करने और जारी रखने हेतु हम यही सुझाना चाहेंगे कि आरंभ में वे दिन में न्यूनतम १० मिनट का समय जप करने के लिए समय निकालें ।
इसका अगला चरण है, अपने अवकाश के समय नामजप करने का स्मरण होना । किसी की प्रतीक्षा करते समय अथवा पंक्ति में खडे रहने पर नामजप कर सकते हैं ।
अगले चरण में शारीरिक क्रियाकलाप करते समय उदा. नहाना, रसोई बनाना, चलना, बस अथवा रेल में यात्रा आदि के समय नामजप करने का प्रयास करना चाहिए । ये दैनिक क्रियाकलाप हैं, जिन की आदत रहती है और उन्हें करने के लिए सोचना नहीं पडता । इसलिए शारीरिक क्रियाकलापों के समय नामजप कर सकते हैं ।
अगले चरण में दैनिक जीवन में ऐसे क्रियाकलापों के समय नामजप कर सकते हैं जिनके लिए अधिक एकाग्रता आवश्यक नहीं है, उदा. समाचारपत्र पढना, दूरदर्शन देखना इत्यादि ।
इसके आगे का चरण है दैनिक जीवन के महत्त्वपूर्ण मानसिक क्रियाकलापों के मध्य नामजप कर पाना उदा. कार्यालयीन पत्र पढते अथवा लिखते समय । इस समय आंखें, बुद्धि और हाथ कार्यरत रहते हैं और व्यक्ति मन से नामजप कर सकता है ।
अधिक जानकारी के लिए हमारा लेख अवश्य पढें – कार्य करते समय निरंतर नामजप करना कैसे संभव है ?
एस.एस.आर.एफ. का यह सुझाव है कि, वर्तमान काल में अपने पंथ के अनुसार (भगवान का) नामजप करने के साथ ही पितृदोष से (पूर्वजों की अतृप्ति के कारण होने वाली समस्याओं से) बचने हेतु प्रत्येक व्यक्ति दिन में न्यूनतम 2 घंटे ॥ श्री गुरुदेव दत्त ॥ यह संरक्षक नामजप अवश्य करे । इसकी एस.एस.आर.एफ. अनुशंसा करता है ।