यह अध्ययन एक ऐसे व्यक्ति पर किया गया है, जिसको चिकित्सिय जांच होने के उपरान्त भी बीमारी क्या है यह पता नहीं चला; परन्तु आध्यात्मिक उपाय से ज्ञात हुआ । प्रस्तुत विवरण में, मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के, श्री. संदीप माधवन ने उल्लेख किया की – ‘२००१ में मैंने एस.एस.आर.एफ. मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के निरिक्षण में साधना का आरम्भ किया था । उसी वर्ष मैं बहुत कमजोर (निर्बल) हो गया और मेरा वजन भी बहुत कम हो गया था । पांच महीने के अंतराल में मेरा वजन कम हो गया, और वैद्यकीय जाँच पडताल करने पर भी, जैसे एक्सरे इत्यादि, मुझे मेरी बीमारी का पता नहीं चल रहा था ।
मेरी बीमारी के दूसरे अथवा चौथे महीने में मेरी छाती का एक्सरे लिया गया । जब बीमार हुए पांचवा महीना चल रहा था, तब एक एस.एस.आर.एफ. का साधक मुझे मिलने आया । वह मुझे देख कर इतना आश्चर्यचकित था की मेरा वजन इतना कम कैसे हो गया और मैं इतना कमजोर कैसे हो गया । यहां तक की बीमारी में क्या दवाएं लेनी हे वो भी अभी तक पता नहीं । उसे यह संदेह हुआ की अवश्य ही मेरी बीमारी का कारण आध्यात्मिक है । जब उसने इसका उल्लेख एस.एस.आर.एफ. के सूक्ष्म विभाग से किया तब उन्होंने कहा की यह अनिष्ट शक्तियों की पीडा के कारण है । इसके लिए मुझे एक विशेष मंत्रजाप करना होगा और वो है – ‘श्री राम जय राम जय जय राम’ ।
मैंने तुरंत ही इसका अभ्यास करना शुरू किया । थोडे ही दिनों के बाद में मैं अपनी छाती का एक्सरे करवाने गया । इस बार प्रत्यक्ष में दिखाई दिया की मुझे टी बी है । अब कम से कम इतना तो मैं आश्वस्थ था, की कुछ निदान तो मिला । जो डॉक्टर मुझे देख रहे थे वह आश्चर्यचकित थे ,की यह पहले ही हमें एक्सरे में दिखाई क्यों नहीं दिया ।
नियमित रूप से आध्यात्मिक साधना करने से आध्यात्मिक उपायों के प्रयोग से हमें इस प्रकार की अडचनों से छुटकारा व निजात मिल सकता है ।
एस.एस.आर.एफ. द्वारा टिप्पणी :
- टी. बी. एक ऐसा रोग है जो छाती के एक्स-रे के माध्यम से अत्यंत सरलता से ज्ञात होता है ।
- कभी अनिष्टकारी शक्तियां रोग के निदान में बाधा डालती हैं जिसके कारण रोग बढने की सम्भावनाएं बढ जाती हैं ।
- प्रकार की बाधाओं से रक्षा हेतु नियमित साधना तथा आध्यात्मिक उपायों का योग्य प्रयोग लाभकारी सिद्ध होता है ।