१. नामजप में मन को एकाग्र करना – प्रस्तावना
नामजप करते समय हमारी मुख्य समस्या होती है, मन में आने वाले अनावश्यक विचार । ये विचार मुख्यतः नामजप के प्रति मन की शंकाओं अथवा अंतर्मन में विद्यमान संस्कारों के कारण आते हैं । इस लेख में नामजप में मन की एकाग्रता बढाने हेतु हमने कुछ सुझाव दिए हैं । ध्यान रहे कि नामजप में एकाग्रता हमारा ध्येय (साध्य) है, साधन नहीं ।
२. नामजप में मन की एकाग्रता कैसे बढाएं ?
नामजप की गिनती करें : इसके लिए जपमाला अथवा गणकयंत्र (काऊंटर) का उपयोग कर सकते हैं । इससे मन एकाग्र होने में सहायता मिलेगी ।
जप उच्च स्वर में करें : नामजप करते समय जब मन भटकने लगे, तब जप उच्च स्वर में करना अथवा नामजप की सीडी लगाना उपयोगी होता है । अनावश्यक विचार घटने पर कुछ मात्रा में मन की एकाग्रता साध्य होती है और मन में नामजप करना संभव होने लगता है ।
नामजप की गति बढाएं : मन की एकाग्रता बढाने के लिए हम कुछ समय तक नामजप की गति बढा सकते हैं तथा एकाग्रता साध्य होने पर गति घटा सकते हैं ।
कोलाहल मुक्त स्थान पर नामजप करें : मन एकाग्र करने में हमें अडचन आ रही हो, तो किसी कोलाहल मुक्त स्थान पर अथवा प्राकृतिक स्थान में अथवा पूजाघर के सामने बैठकर नामजप कर सकते हैं; क्योंकि, ऐसे स्थानोंमें सात्त्विकता अधिक होती है ।
सोने से पूर्व तथा सोकर उठने पर नामजप करें : सोने से पूर्व तथा सोकर जागने के पश्चात मन में सांसारिक विचार अल्प होने के कारण मन नामजप में कुछ मात्रा में एकाग्र हो सकता है ।
नामजप को श्वास के साथ जोडें : ‘श्वास के साथ नामजप जोडना’, हमारे इस लेख के अनुसार जब हम श्वास लेते हैं, तब हमारे भीतर वायु के साथ वायुमंडल के विचार भी आते हैं । नामजप को श्वास के साथ जोडने से, इन विचारों का हम पर होने वाला प्रभाव घट जाता है ।
नामजप मुद्रा के साथ करें : दोनों हाथों की तर्जनी और अंगूठे के सिरे एक-दूसरे से जोडें । इसे मुद्रा कहते हैं । इससे विचार न्यून होकर नामजप में एकाग्रता आती है ।
नामजप के लिए स्वयंसूचना : स्वयंसूचना नियमित देने से नामजप में एकाग्र होने की मन की क्षमता बढती है । आप स्वयंसूचना की वाक्य रचना इस प्रकार कर सकते हैं – “जब मेरा मन निरर्थक विचारों में भटकना आरंभ करेगा, तब मुझे उसका भान तुरंत होगा और मन नामजप पर केंद्रित होगा ।”स्वयंसूचना देने की पद्धति इस प्रकार है –
१. १-२ मिनट तक नामजप करें ।
२. यह स्वयंसूचना लगातार ५बार दें ।
३. अंत में कृतज्ञता व्यक्त करें ।
यह पूरी प्रक्रिया दिन में ३-५ बार करें ।
दृष्टि स्थिर करना (त्राटक) : नामजप करते समय दृष्टि किसी वस्तु अथवा बिंदु पर बिना पलक झपकाए स्थिर करें । इससे मन को एकाग्र करने में सहायता होती है ।
आंखें मूंदकर नामजप करें : बाह्य आकर्षणों से मन में विचारों की संख्या बढती है । इसलिए आंखें बंद कर नामजप करने से मन की एकाग्रता बढती है । यदि किसी को नींद आने लगे, तो आंखें खुली रखकर नामजप करना ठीक रहेगा ।
अपने सामने उपास्य देवता का चित्र रखकर नामजप करें : जिन उपास्य देवता का नामजप करना है, उनकी प्रतिमा अथवा चित्र सामने रख सकते हैं । इससे उनके रूप पर मन केंद्रित करने में सहायता होगी ।
नामजप के देवता अथवा गुरु का स्मरण करें : इससे भाव बढाने में सहायता होगी और उनके प्रति भक्तिभाव होने के कारण नामजप अधिक एकाग्रता पूर्वक होने लगेगा । इसके अतिरिक्त भक्तिभाव बढाने हेतु प्रयत्न करने पर भी नामजप की गुणात्मकता में वृद्धि होगी ।
प्रार्थना : पुनः-पुनः आर्तभाव से प्रार्थना करें – हे परमप्रिय ईश्वर, नामजप में मन एकाग्र होने के लिए कृपया मेरी सहायता कीजिए ।
आध्यात्मिक उपाय : वर्तमान में वायुमंडल में रज-तम की मात्रा अत्यधिक है । इनके प्रभाव से हमारे शरीर में अशुद्धता बढती है, जिससे हमारे मन में अनावश्यक विचारों की संख्या बढती है । नमक-मिश्रित जल में पैर डुबोना अपने आसपास खोखे रखना अथवा अगरबत्ती जलाना जैसे आध्यात्मिक उपाय करने से नामजप में बाधक काला आवरण घट जाता है ।
नियमित अभ्यास : हम नामजप अधिक करेंगे, तो धीरे-धीरे विचारों की संख्या घटती जाएगी और एकाग्रता बढने में सहायता होगी ।
गुरुकृपा : अपने ही प्रयत्नों से अनावश्यक विचारों को पूर्णतः रोकना अथवा उनपर नियंत्रण कर पाना संभव नहीं है । विचारों को पूर्णतः रोकने हेतु अंततः गुरुकृपा ही आवश्यक होती है ।
३. सारांश – एकाग्र मन से नामजप कैसे करें
एकाग्र मन से नामजप करने पर हमें अधिक आनंद होता है । एकाग्रता से नामजप करने से अंतर्मन पर नामजप का संस्कार दृढ होता है और ईश्वर से अधिक सुरक्षा प्राप्त होती है ।
यदि एकाग्रता से नामजप करना संभव न हो, तो भी नामजप करते रहना लाभप्रद है । इसके नियमित अभ्यास से नामजप में मन की एकाग्रता अपने आप साध्य होगी । नामजप में एकाग्रता बढे, इस हेतु आप ६ माह की अवधि में नामजप में एकाग्रता बढाने का ध्येय रख सकते हैं ।