सारांश : अतिप्राचीन काल से देवदूतों की परिकल्पना ने मानवजाति को मोह लिया है । विश्व की सभी संस्कृतियों के धार्मिक, पौराणिक तथा अन्य साहित्यों में देवदूतों का उल्लेख है । उन्हें सदैव पंखोंसहित चित्रांकित किया जाता है । कई लोग देवदूतों से प्रार्थना करते हैं । देवदूतों के विविध अंगों के संदर्भ में हमने अतिंद्रिय संवेदनक्षमता अथवा छठी ज्ञानेंद्रिय द्वारा आध्यात्मिक शोध किया । आध्यात्मिक शोधपद्धतियों के माध्यम से हमें प्राप्त निरीक्षणों के आधार पर यह लेख देवदूतों के संदर्भ में विद्यमान रहस्यों को उजागर करता है और उनकी ओर देखने के दृष्टिकोण में नया परिवर्तन लाता है ।
१. प्रस्तावना
आध्यात्मिक शोधपद्धतियों के माध्यम से हमने देवदूतों के विविध अंगों का अध्ययन किया । यह लेख देवदूतोंसंबंधी अनेक प्रश्नों के उत्तर देने के साथ-साथ देवदूतों के विश्व संबंधी नई दृष्टि भी प्रदान करता है । सूक्ष्म-दृष्टि से अथवा छठवीं ज्ञानेंद्रिय से देवदूतों के दिखनेवाले विविध स्वरूपों संबंधी सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित कुछ चित्र भी हमने प्रस्तुत किए हैं ।
२. देवदूत क्या है ?
ब्रह्मांड की निर्मिति से ही देवदूतों का अस्तित्व है । वे स्वर्ग के सूक्ष्म-स्तर के कनिष्ठ भाग की शक्तियां हैं । सूक्ष्म-स्तर के सकारात्मक जीवों के पदक्रम में वे कनिष्ठ स्तर पर होते हैं । स्वर्गलोक के कनिष्ठ सूक्ष्म भाग की कनिष्ठ स्तर के देवताओं के दूतों के रूप में कार्य करना उनका प्राथमिक उद्देश्य होता है । देवताओं की संभाषण करने की भाषा, प्रकाशभाषा होती है और हम मानवों की भाषा ध्वनिभाषा होती है । अतः देवदूत किसी अपचायी विद्युत परिवर्तक (स्टेप-डाऊन ट्रान्सफॉर्मर) की भांति कनिष्ठ देवताओं का संदेश पात्र जीवोंतक उन्हें समझनेयोग्य भाषा में पहुंचाने का कार्य करते हैं । यह कार्य मुख्यतः इन जीवों के मन में विचार लाने के माध्यम से होता है । पात्र जीव, अर्थात पृथ्वी पर तथा भुवर्लोक में विद्यमान वे जीव; जिनकी कुछ साधना है अथवा जिनमें कुछ आध्यात्मिक गुण हैं । ये संदेश साधारणतः सांसारिक समस्याएं सुलझाने के संदर्भ में होते हैं । लगभग ५ प्रतिशत प्रसंगों में देवदूत स्वयं ही सांसारिक समाधान करवाते हैं । उनका कार्य मुख्यतः भूलोक से संबंधित होने से वे भूलोक से संबद्ध होते हैं । जब वे संदेशकार्य में नहीं होते, तब वे स्वर्गलोक के कनिष्ठ सूक्ष्म-स्तर में सुखप्रद अनुभवों से युक्त जीवन में मग्न रहते हैं ।
३.देवदूतों के विविध प्रकार कौन से हैं ?
देवदूतों के ३० विविध प्रकार हैं । निम्न सारणी में हमने देवदूतों के कुछ अधिक लोकप्रिय प्रकार और उनका आध्यात्मिक स्तर दिया है ।
देवदूतों के कुछ प्रकार और तदानुरूप उनका सार आध्यात्मिक स्तर
देवदूतों के प्रकार | आध्यात्मिक स्तर |
---|---|
चेरुबिम |
२९ प्रतिशत |
डोमिनियन्स |
३० प्रतिशत |
पॉवर्स |
३१ प्रतिशत |
सेराफिम |
३१ प्रतिशत |
प्रिन्सिपैपॅलिटीज |
३२ प्रतिशत |
आर्केंजल्स |
३२ प्रतिशत |
विशिष्ट देवदूतद्वारा विशिष्ट तरंग के माध्यम से कार्य करने के कारण देवदूतों के अनेक प्रकार होते हैं । उनकी तरंग से उचित मेल खानेवाले, विविध व्यक्तित्व के मनुष्योंतक संदेश पहुंचाना इससे संभव होता है ।
३.१ देवदूतों का आध्यात्मिक स्तर क्या होता है ?
अधिकतर देवदूतों का आध्यात्मिक स्तर २९-३४ प्रतिशत के मध्य में होता है । मृत्योपरांत स्वर्गलोक में स्थान प्राप्त करने के लिए मनुष्य को न्यूनतम ५० प्रतिशत समष्टि अथवा ६० प्रतिशत व्यष्टि आध्यात्मिक स्तर आवश्यक होता है । तुलनात्मक दृष्टि से आध्यात्मिक स्तर न्यून होने पर भी देवदूत स्वर्गलोक के कनिष्ठ सूक्ष्म-भाग में रहते हैं । जिस प्रकार भूलोक में मनुष्यजाति के साथ-साथ अल्प आध्यात्मिक स्तर की अनेक जीवजातियां एवं वनस्पति जगत होता है; ठीक उसीप्रकार स्वर्गलोक में उच्च आध्यात्मिक स्तर के मानवीय सूक्ष्म-देहों के तथा कनिष्ठ देवताओं के साथ-साथ देवदूत भी होते हैं ।
३.२ सूक्ष्म-ज्ञान एवं संक्षिप्त विवरण पर आधारित देवदूतों के कुछ प्रकारों का चित्रांकन
निम्न चित्रांकन पूज्य (श्रीमती) योया वालेजी के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित हैं, जो कि स्पिरिच्युअल साइंस रिसर्च फाऊंडेशन की साधिका हैं । हम जिस प्रकार स्थूल जगत को देख सकते हैं, उसी प्रकार वे आध्यात्मिक विश्व को देखने की क्षमता रखती हैं । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित ये चित्रांकन उनकी अचूकता के लिए परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी ने जांचे हैं ।
कृपया संदर्भ हेतु सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र क्या हैं ? – यह लेख देखें ।
सूचना : सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र अनिष्ट शक्तियोंद्वारा (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) प्रभावित हो सकता है । जब साधक छठवीं ज्ञानेंद्रिय द्वारा ग्रहण कर हमारे लिए सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन करते हैं, तब अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से सुरक्षित रहने के लिए सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित देवदूतों के चित्रों के चारों ओर हमने सुरक्षाचक्र बनाया है ।
३.३ देवदूतों के उपर्युक्त प्रकारों के पंख क्यों नहीं हैं ?
पारंपारिक प्रथानुसार देवदूत पंखोंसहित चित्रांकित किए जाते हैं । तथापि SSRF द्वारा किए आध्यात्मिक शोधद्वारा स्पष्ट हुआ है कि मात्र ३० प्रतिशत देवदूतों के पंख होते हैं । ७० प्रतिशत देवदूतों के पंख नहीं होते । पंख होनेवाले ३० प्रतिशत देवदूत कनिष्ठ स्तर के देवदूत होते हैं । कनिष्ठ स्तर की सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए वे मनुष्य के संपर्क में रहते हैं । उच्च स्तर के देवदूतों के पंख नहीं होते ।
वीडियो : देवदूतों के संदर्भ में प्राप्त सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित उपर्युक्त चित्रांकन SSRF के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले साधकों ने देखे तथा बनाए हैं । देवदूतोंसंबंधी प्राप्त सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन करते समय पूज्य (श्रीमती) योया वालेजी के साथ की भेंटवार्ता का नीचे सारांश दिया है ।
पूज्य (श्रीमती) योयाजी वाक् तथा श्रवण दाेष से ग्रस्त हैं, इसलिए वीडियों में उपशीर्षक हैं ।
३.४ सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकनों पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा पडनेवाला प्रभाव
अधिकतर समय अनिष्ट शक्तियां देवदूत बनकर लोगों को दिग्भ्रमित कर पंख सहित भासमान देवदूत निर्माण करती हैं । इस प्रकार अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) प्रायः अलौकिक क्षमता से युक्त लोगों को दिग्भ्रमित करने का प्रयास करती हैं । अनिष्ट शक्तियां अलौकिक क्षमता से युक्त वे लोग जो समाज का मार्गदर्शन करते हैं, उन्हें दिग्भ्रमित करती हैं; जिसके परिणामस्वरूप बिना जानेबूझे वे जिनका मार्गदर्शन कर रहे होते हैं, उन्हें दिग्भ्रमित कर देते हैं । इसीलिए ९० प्रतिशत प्रसंगों में जब अलौकिक क्षमतावाले औसत व्यक्ति देवदूत देखते हैं, वे प्रत्यक्ष में प्रायः अनिष्ट शक्ति देख रहे होते हैं । इसलिए सूक्ष्मदृष्टि से युक्त व्यक्ति को सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित उसके अपने चित्रांकन ऐसे आध्यात्मिक गुरुद्वारा जांच करवाने चाहिए, जिनका स्तर आध्यात्मिक स्तर न्यूनतम ७० प्रतिशत है ।
३.५ अभिभावक देवदूत क्या होते हैं ?
अभिभावक देवदूत जैसा कुछ नहीं होता है । कुछ पूर्वज, जिन्हें अपने परिवार से गहरा लगाव होता है, वे अपने ही परिवार के सदस्यों को सांसारिक समस्याओं में सहायता करने के लिए संपर्क करते हैं । ऐसे मृत पूर्वजों को भ्रांति से अभिभावक देवदूत समझा जाता है । २०-३० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के बीच के पूर्वज केवल सांसारिक सुखप्राप्ति के संदर्भ में सहायता कर सकते हैं । केवल वही पूर्वज, जिनका आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत से अधिक है; आध्यात्मिक प्रगति के संदर्भ में सहायता कर सकते हैं ।
३.६ क्या देवदूतों में स्त्री-पुरुष भेद होता है ?
देवदूत पुरुष अथवा स्त्री हो सकते हैं । केवल स्वर्गलोक से उच्च लोक, अर्थात महर्लोक इत्यादि के सूक्ष्म-जीव और सूक्ष्म-देह अपना आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से (समष्टि) अथवा ७० प्रतिशत से (व्यष्टि) अधिक होने से अपनी पहचान पुरुष अथवा स्त्री के रूप में नहीं देते ।
३.७ देवदूतों की देह की रचना मूलभूत सूक्ष्म घटकों के अनुसार कैसी होती है ?
दाईं ओर की सारणी में देवदूतों की देह के तीन मूलभूत सूक्ष्म घटकों का प्रतिशत में अनुपात दिया है ।
ब्रह्मांड के तीन मूलभूत सूक्ष्म-घटक, अर्थात सत्त्व, रज, तम का अर्थ क्या है ?, इस लेख का संदर्भ लें ।
४. देवदूतों के बारे में बार-बार पूछे जानेवाले अन्य कुछ प्रश्न
४.१ क्या हम देवदूतों को देख सकते हैं ?
सूक्ष्म-जीव होने के कारण सामान्य नेत्रों से देवदूत दृश्यमान नहीं होते । वे हमारे समक्ष भी नहीं आते । केवल अतिप्रगत एवं जागृत अतिंद्रिय संवेदनक्षमता अथवा छठी ज्ञानेंद्रियद्वारा ही उन्हें देख पाना संभव होता है । मनुष्य से संपर्क करने का उनका कार्य, मनुष्य के मन में विचार डालने के रूप में होता है ।
४.२ देवदूत कितने होते हैं ?
देवदूत असंख्य होते हैं ।
४.३ देवदूत ईश्वर के कितने निकट होते हैं ?
तुलनात्मक दृष्टि से देवदूतों का कनिष्ठ आध्यात्मिक स्तर (अर्थात २९-३४ प्रतिशत) ध्यान में रखते हुए, वे ईश्वर से बहुत ही दूर होते हैं । (ईश्वर के निकट होने के लिए हमारा आध्यात्मिक स्तर लगभग १०० प्रतिशत के आसपास होना चाहिए ।)
४.४ क्या हमारी सांसारिक अपेक्षाएं पूर्ण करने के लिए की गर्इ प्रार्थना का उत्तर देने की क्षमता देवदूतों में है ?
नहीं, प्रार्थनाओं का उत्तर देने की क्षमता देवदूतों में नहीं होती । अर्थात वे किसी की सहायता नहीं कर सकते अथवा अपने बल पर मनुष्य के लिए कुछ भी करवा नहीं सकते । अधिकतर वे लोगों को उनके सांसारिक प्रश्नों संबंधी उनके मन में विचार डालकर मार्गदर्शन कर सकते हैं । यह भी ५ प्रतिशत प्रसंगों में ही संभव होता है ।
४.५ हम जब देवदूतों से प्रार्थना करते हैं और वे उत्तर नहीं देते, तब हमारी प्रार्थना का उत्तर कौन देता है ?
प्रार्थना का उत्तर मृत पूर्वज अथवा अनिष्ट शक्तियां देती हैं । तथापि आदिकाल से चली आ रही उनकी मनुष्यजाति का अनुचित लाभ उठाने तथा उन पर नियंत्रण प्राप्त करने की अभिलाषा से अथवा अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए अनिष्ट शक्तियां अथवा पूर्वज उनकी छोटीसी इच्छा पूर्ण कर व्यक्तिद्वारा की गई प्रार्थना का अपलाभ उठाते हैं । इच्छा पूर्ण करने की इस प्रक्रिया में वे व्यक्ति को अपनी काली शक्ति से घेर लेते हैं । इससे उन्हें व्यक्ति पर नियंत्रण प्राप्त कर उसे कष्ट देना संभव हो जाता है ।
मेरे बिछडे हुए प्रिय व्यक्ति एवं मेरे अन्य पूर्वज मुझे कष्ट क्यों देंगे ? इस लेख का संदर्भ लें ।
४.६ क्या देवदूत अनिष्ट शक्तियों से हमारी रक्षा करते हैं ?
आध्यात्मिक स्तर न्यून होने के कारण देवदूत कनिष्ठ स्तर की अनिष्ट शक्तियों से भी नहीं लड पाते हैं, फलस्वरूप वे हमारी रक्षा भी नहीं कर पाते ।
४.७ क्या देवदूत पूजन करनेयोग्य होते हैं ?
वे हमारी आध्यात्मिक उन्नति करने हेतु सहायता के लिए की जानेवाली प्रार्थना का उत्तर नहीं दे सकते । इसलिए उनकी उपासना से लाभ नहीं होता ।
५. सारांश
- ब्रह्मांड की अच्छी सूक्ष्म-शक्तियों के पदक्रम में देवदूत कनिष्ठ स्तर पर होते हैं । स्वर्ग के सूक्ष्म-लोक के कनिष्ठ स्तर के देवताओं के संदेश पात्र मनुष्योंतक अथवा भुवर्लोक के सूक्ष्म-देहोंतक (लिंगदेह) पहुंचाने का एकमात्र कार्य देवदूतों का होता है ।
- आध्यात्मिक मार्गदर्शन करने की अथवा अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करने की क्षमता न होने से वे पूजा करनेयोग्य नहीं होते हैं ।
- अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) मनुष्य के देवदूतों के प्रति विद्यमान आकर्षण का लाभ उठाती हैं । अलौकिक क्षमता से युक्त व्यक्ति को दिग्भ्रमित करने के लिए वे देवदूतों का रूप धारण करते हैं, जिसके फलस्वरूप वे अनजाने में ही समाज को दिग्भ्रमित करते हैं ।