ब्रेड तथा रोटी से प्रक्षेपित स्पंदनों पर शोध

सार : अपने दैनिक जीवन में हमें खान-पान, वेशभूषा जैसे अनेक जीवनशैली संबंधी चुनाव करने पडते हैं । आध्यात्मिक दृष्टि से उचित जीवनशैली का चुनाव करने से उत्पन्न सात्त्विकता से मानवजाति लाभान्वित होती है तथा उस पर रज-तम (अस्थिरता एवं अज्ञान) का प्रभाव भी घटता है । आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध जीवनशैली अपनानेवाले लोगों की संख्या कलियुग में घटती जा रही है । हमारा खान-पान भी इसका अपवाद नहीं है । इस लेख में हम खमीर उठी ब्रेड (डबलरोटी) और गेहुं की बिन खमीर उठी रोटी से प्रक्षेपित स्पंदनों का अध्ययन करेंगे । इससे हमें आध्यात्मिक लाभ पहुंचानेवाले अन्नपदार्थों का महत्त्व ज्ञात होगा ।

१. ब्रेड के प्रभाव – एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य

ब्रेड सामान्य व्यक्तियों के खान-पान का एक नियमित अंग बन गया है । आजकल ब्रेड को प्रायः मैदे से बनाया जाता है, जो पाचन में कठिन तथा इसमें विटामिन का भी अभाव होता है । चूंकि सफेद ब्रेड सुपाच्य नहीं होती  इसलिए वह चिपचिपा गोला बनाती है जिसका आगे खमीरीकरण होता है । यदि यह पेट में अधिक समय तक रहे, तब व्यक्ति को अनेक रोग हो सकते हैं जैसे – पेट में भारीपन लगना, पेट में वेदना होना, कब्ज, पाचन क्षमता का ह्रास होना इत्यादि । दूसरी ओर गेहूं के  आटे  का पाचन सरल होता है तथा यह विटामिन से भरा होता है । इसलिए गेहूं से बनी रोटी शरीर का पोषण करती है । यदि गेहूं से बनी रोटी का खमीरीकरण न किया जाए तो इसका पाचन और अधिक सरल हो जाएगा ।

२. बायोफीडबैक उपकरण द्वारा किया गया विश्लेषण

यदि किसी के पास औसत से अधिक क्षमतायुक्त छठवीं ज्ञानेंद्रिय है, तो वह व्यक्ति आध्यात्मिक स्पंदन ग्रहण कर सकता है । इससे वह कोई पदार्थ आध्यात्मिक दृष्टि से उपयुक्त है अथवा नहीं इसका निर्णय कर जीवन में आध्यात्मिक दृष्टि से उचित चुनाव कर सकता है ।

आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) और पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी – बायो इमेंजिंग समान उपकरण) जैसे कुछ बायोफीडबैक उपकरण वस्तु के चारों ओर के स्पंदन ग्रहण कर उन्हें दृश्य स्वरूप में दिखा सकते हैं । इससे सामान्य व्यक्ति अपनी आंखों से वस्तु के सर्व ओर का ऑरा (प्रभामंडल) अथवा ऊर्जाक्षेत्र देख पाता है ।

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इस प्रयोग के लिए हमने खमीरीकृत सफेद ब्रेड के प्रतिदर्श  (सैंपल) के रूप में एक सामान्य बन (ब्रेड) तथा बिना खमीरीकरण किए गेहूं की रोटी के प्रतिदर्श (सैंपल) के रूप में एक चपाती ली ।

इस परीक्षण में हम पदार्थ के कारण वातावरण में होनेवाले परिवर्तन की प्रविष्टि करते हैं । वातावरण में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं, इसलिए हम पदार्थ का परीक्षण करने से पूर्व के वातावरण की मूलभूत प्रविष्टि लेते हैं । इसलिए बन तथा चपाती का परीक्षण करने से पहले पटल पर रिक्त थाली रखकर मूल निरीक्षण प्रविष्ट किए गए और इसके पश्चात थाली में पदार्थ रखने पर प्राप्त निरीक्षण पुनः प्रविष्ट किए गए ।

.१ दो प्रकार की रोटी का आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) निरीक्षण

माप बन चपाती
थाली में रखने से पूर्व ६४८.९३ मेगा हर्टज इन कंपनों का रंग नीला है, जो सकारात्मकता और सत्यता का दर्शक है । 626.19 MHz ६२६.१९ मेगा हर्टज इन कंपनों का रंग हरापन लिए नीला है, जो वातावरण में भावनाशीलता दर्शाता है । (यह उपस्थित व्यक्ति पर निर्भर करता है ।)
थाली में रखने के उपरांत ६८०.०७ मेगा हर्टज इन कंपनों का रंग गाढा नीला है और यह जैविक ऊर्जा में वृद्धि दर्शाता है । यह ऊर्जा प्रयोग से पूर्व के नीले रंग की तुलना में निम्न स्तर की है । इसका अर्थ है कि बन के कारण वातावरण का स्तर आध्यात्मिक दृष्टि से न्यून हुआ है । ५८०.९२ मेगा हर्टज इन कंपनों का रंग हरा है जो आध्यात्मिक शुद्धता तथा वेग दर्शाता है । इसका अर्थ यह हुआ कि पूर्व में वातावरण का स्तर जो आध्यात्मिक दृष्टि से न्यून हुआ था चपाती के कारण उसका आध्यात्मिक स्तर उच्च हो गया । .

२.२ दो प्रकार की रोटी का पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी) निरीक्षण

तदुपरांत हमने पीआर्इपी बायोफीडबैक यंत्र द्वारा दाेनों प्रकार की रोटी का निरीक्षण किया ।

पहले : सर्वप्रथम हमने वातावरण का मूलभूत पाठ्यांक (वेसलार्इन रीडिंग) लिया । जैसा कि आप देख सकते हैं मध्य में थाेडा पीला रंग है (यह सकारात्मकता दर्शाता है) और यह नारंगी रंग से घिरा है । नारंगी रंग तनाव अथवा नकारात्मकता दर्शाता है । हरा रंग ( सकारात्मकता दर्शाता है) फ्रेम के  बाहर की ओर है ।

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चपाती का परीक्षण : चपाती से प्रक्षेपित सात्त्विकता के कारण वातावरण में नकारात्मक नारंगी वलय अल्प हो गया । सकारात्मकता तथा आध्यात्मिक शुद्धता दर्शाता हरा रंग चपाती की थाली के चारों ओर दिखता है । उच्च स्तरीय आध्यात्मिक तत्त्व का एक पीला वलय चपाती के चारों ओर तथा  वातावरण में दिख रहा है । चूंकि चपाती से प्रक्षेपित सकारात्मक शक्ति वातावरण में विद्यमान अनिष्ट शक्ति को नष्ट कर रही है, इसलिए प्रभामंडल के मध्य में जामुनी रंग का वलय दिख रहा है ।

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बन ब्रेड का पाठ्यांक (रीडिंग) : चूंकि बन ब्रेड  वातावरण के नकारात्मक नारंगी वलयों को अवशोषित कर लेता है, इसलिए उसके चारों ओर नारंगी रंग का एक वलय दिखता है । नकारात्मक नारंगी वलयों के कारण सकारात्मकता तथा आध्यात्मिक शुद्धता दर्शाता हरा वलय दूर हाे जाता है । वातावरण में विद्यमान उच्च स्तरीय आध्यात्मिक तत्त्व का पीला वलय अल्प हो गया ।

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उपरोक्त निरीक्षण से, यह स्पष्ट हो जाता है कि बन ब्रेड वातावरण में नकारात्मक तथा तनावपूर्ण स्पंदनों को अवशोषित करती है जबकि चपाती सकारात्मक स्पंदनों को प्रक्षेपित करती है तथा वातावरण के नकारात्मक स्पंदनों को नष्ट करती है । इसलिए बन ब्रेड खाने की तुलना में चपाती खाना अधिक लाभदायक है ।

उपर्युक्त स्कैन और उसका विश्लेषण श्री. संतोष जोशी की सहायता से किया गया, जो कि भारत के मुंबई स्थित वैश्विक ऊर्जा शोधकर्ता हैं ।

SSRF इस प्रकार के विषयों के संदर्भ में वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से इस क्षेत्र के शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों से सहायता करने का अनुरोध करता है ।