१. परिचय
आध्यात्मिक शोध ने ऐसा दर्शाया है, कि विश्व की ९० प्रतिशत जनसंख्या अपने जीवन के किसी-ना-किसी कालखंड में अनिष्ट शक्ति से प्रभावित होती है । विश्व की ३० प्रतिशत जनसंख्या अनिष्ट शक्ति से आविष्ट होती है । अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित अथवा आविष्ट होने के कारण सूक्ष्म किंतु घातक दृष्टि से व्यक्ति की अक्षमता (अशक्तता) में उत्तरोतर वृद्धि होती रहती है । परंतु यह सब आध्यात्मिक स्तर (अर्थात पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि से परे)पर होने के कारण प्रभावित अथवा आविष्ट व्यक्ति अधिकतर अपनी इस स्थिति से अनभिज्ञ ही होते हैं ।
इस लेख में बुद्धि द्वारा यह निश्चित करने के लिए हम कुछ सूत्र दे रहे हैं कि व्यक्ति अनिष्ट शक्ति से प्रभावित अथवा आविष्ट है अथवा नहीं ।
२. अनिष्ट शक्ति से प्रभावित अथवा आविष्ट होने के लक्षण
- बार-बार अथवा दीर्घकाल तक अकारण शारीरिक एवं मानसिक व्याधियां होना
- पर्याप्त पारंपरिक उपचारों को अपर्याप्त अथवा कोई प्रतिसाद न देना
- पूर्णिमा तथा अमावस्या अथवा उसके आसपास के दिन स्थिति और भी बुरी हो जाना
- अकस्मात, अकारण, असामान्य व्यवहार करना और उसकी पुनरावृत्ति होना
- सात्त्विक उत्तेजक जैसे संत के संपर्क में आने पर कष्ट में वृद्धि अथवा कष्ट से राहत मिलना
- आध्यात्मिक उपचार करते रहने से राहत मिलना अथवा ठीक हो जाना । कुछ प्रकरणों में लक्षण और भी तीव्र होते प्रतीत होते हैं; किंतु वास्तव में यह अनिष्ट शक्ति तथा आध्यात्मिक उपचारों से उत्पन्न होनेवाली ईश्वरीय शक्ति के मध्य हो रहा सूक्ष्म युद्ध है ।