साधना के दृढ आधार के रूप में हमारा सुझाव है कि आपका जन्म जिस पंथ में हुआ है, उसके अनुसार आप उस विशिष्ट देवता का नामजप करें । इस संदर्भ में ‘अपनी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करें’ यह लेख देखें । किस देवता का नामजप करना चाहिए इसके संदर्भ में अधिकतर एवं प्राय: पूछे जानेवाले प्रश्नों की व्याख्या आगे दी गई है ।
१. धर्मांतरण से संबंधित
१.१ मेरा जन्म बौद्ध परिवार में हुआ था; परंतु मैंने ईसाई पंथ में धर्मांतरण किया है । मुझे किस देवता का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : यदि आपने स्वेच्छा से ईसाई पंथ में धर्मांतरण किया है, तो आपकी उसमें अधिक श्रद्धा होगी । अत: आप नए पंथ के अनुसार नामजप करें । यदि आपको आपकी ईच्छा के विरूद्ध बलपूर्वक धर्मांतरित किया गया है एवं यदि आप आपके मूल पंथ से अधिक लगाव हो तो, आप अपने पूर्व के पंथानुसार नामजप करें । यदिपूर्व में आप किसी अन्य पंथ जैसे ईसाई पंथ में स्वेच्छा से धर्मांतरित हुए थे; परंतु अब आप अपने जन्म के पंथ के साथ अधिक निकटता अनुभव करते हैं, तो आप अपने मूल पंथ के (जिसमें जन्म हुआ है) अनुसार नामजप कर सकते हैं ।
१.२. मेरा जन्म कॅथॉलिक परिवार में हुआ है, परंतु मेरी पालन-पोषण प्रोटेस्टंट समान हुई है । मैं ‘हेल मेरी’ जप करने का प्रयास कर रहा था, परंतु बार-बार ‘लॉर्ड जीसस’ का नामजप होने लगता था । क्या यह ठीक है अथवा मुझे कौनसा नामजप करना चाहिए ?
उत्तर: ‘लॉर्ड जीसस’ नामजप चालू रखें ।
१.३ यदि हमारे पूर्वजों को बलपूर्वक दूसरे पंथ में धर्मांतरित किया गया हो एवं हमारा जन्म उस परिवार में हुआ हो, तो हम क्या करें ? ऐसी परिस्थिति में हमें किस देवता का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : अध्यात्म शास्त्र बताता है कि हमें हमारे जन्म के पंथानुसार नामजप करना चाहिए ।
आपके पूर्वजों का जिस पंथ में धर्मांतरण हुआ था, उसमें यदि आपकी श्रद्धा नहीं है एवं उनके पूर्व के पंथ में आपकी अधिक श्रद्धा हो, तो आप पूर्व के पंथानुसार नामजप कर सकते हैं ।
१.४ मेरे माता एवं पिता भिन्न-भिन्न पंथों से हैं एवं वे अपने-अपने पंथ का अनुसरण करते हैं । मुझे किस भगवान का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर: अपने पिता के पंथ के अनुसार देवता का नामजप करना चाहिए । अध्यात्मशास्त्र यह बताता है कि अपने पिता के पंथ के अनुसार देवता का नामजप करने से सर्वाधिक लाभ होता है ।
२. विवाह से संबंधित
२.१ मैं विवाहित स्त्री हूं । मुझे किस देवता का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : अध्यात्मशास्त्र के अनुसार अपने पति के पंथ के अनुसार देवता का नामजप करने से विवाहित स्त्री को सर्वाधिक लाभ होता है । यदि आप हिन्दू हैं, तो आप आपके पति के कुलदेवता का नामजप कीजिए ।
२.२ मैं मेरे पति से अलग हुई हूं, परंतु हमारा विवाह-विच्छेद नहीं हुआ है, मुझे किस भगवान का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : चूंकि अभी तक आपका विवाह-विच्छेद नहीं हुआ है, इसलिए आपको विवाहित स्त्री के अनुसार (संदर्भ २.१) में बताए समान नामजप करना चाहिए ।
२.३ मैं विवाह-विच्छेदित (तलाकशुदा) स्त्री हूं, मुझे किस भगवान का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : आपके विवाह के पूर्व के पंथ के अनुसार संबंधित देवता का नामजप करें ।
२.४ मैं बचपन से ‘हेल मेरी’ यह नामजप करती थी । अब मेरा विवाह हिन्दू परिवार में हुआ है । मुझे किस भगवान का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर : यदि आप विवाह के पूर्व नियमित रूप से अधिक समयतक ‘हेल मेरी’ यह नामजप करती थीं एवं आपकी इस नाम के प्रति ही अपार श्रद्धा है, तब आप यही नामजप चालू रखें । किंतु अध्यात्मशास्त्र के अनुसार विवाह के पश्चात विवाहित स्त्री को अपने पति के पंथ के अनुसार देवता का/कुलदेवता का नामजप करना चाहिए ।
३. गोद लेने से संबंधित
३.१. गोद लिए गए बच्चे को कौनसा नामजप करना चाहिए ?
उत्तर: अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, गोद लिए गए बच्चे को उसे गोद लेनेवाले परिवार के पंथानुसार देवता का नामजप करना चाहिए ।
४. अपने पंथानुसार देवता के नामजप से संबंधित
४.१ मुझे ‘हेल मेरी’ नामजप बहुत उत्साहहीन एवं छोटा लगता है । उसके स्थान पर क्या मैं ‘हेल मेरी, होली मदर ऑफ गॉड’ नामजप कर सकता हूं ?
उत्तर : वैद्यकीयशास्त्र के समान अध्यात्म एक शास्त्र है एवं वह बहुत विशिष्ट है । शास्त्र का पालन करने से एवं मनानुसार करने के परे जाने से आध्यात्मिक उन्नति होती है । ‘अनेक से एक की ओर जाना’ यह अध्यात्म का एक मूलभूत सिद्धांत है । इस सिद्धांत के अनुसार अनेक शब्दों का जप करने की तुलना में एक शब्द का नामजप करना अधिक प्रभावशाली होता है । इसे ध्यान में रखते हुए, आप मदर मेरी से प्रार्थना करें कि वे आपको अध्यात्मशास्त्रानुसार नामजप करने की क्षमता प्रदान करने की कृपा करें । उसके उपरांत भी यदि आप यह नहीं कर पाते तो, प्रथम चरण में आप ‘हेल मेरी, होली मदर ऑफ गॉड’ नामजप कर सकते हैं ।
५. कुलदेवता से संबंधित
५.१ यदि मुझे कुलदेवता का नाम ज्ञात नहीं हो तो मुझे किस देवता का नामजप करना चाहिए ?
उत्तरः यदि आपको कुलदेवता ज्ञात नहीं हो तो, परिवार के अन्य सदस्यों से, पुरोहितों से, वैदिक ज्योतिषशास्त्र के अनुसार तैयार की गई पत्रिका से, आदि के द्वारा उसका पता लगा सकते हैं । तब तक आप ‘श्री कुलदेवतायै नम:’ यह नामजप कर सकते हैं ।
५.२ उस परिस्थिति में यदि ‘श्री कुलदेवतायै नम:’ इस व्यापक नामजप का उच्चारण करना कठिन लगता हो तो क्या करना चाहिए ? क्या हम कोई अन्य नामजप कर सकते हैं ?
उत्तर: नामजप का अभ्यास करने पर वह सहज हो जाता है । अन्य देवता का नामजप करने से अल्प लाभ होंगे ।
५.३ कुलदेवी के स्थानपर क्या मैं कुलदेव का नामजप कर सकता हूं ?
उत्तर: शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए परात्पर गुरु (९० प्रतिशत तथा उससे अधिक आध्यात्मिक स्तरवाले) द्वारा दिया गया नामजप १०० प्रतिशत, कुलदेवी का नामजप ३० प्रतिशत एवं कुलदेव का २५ प्रतिशत उपयुक्त होता है । इसलिए गुरुप्राप्ति तक कुलदेवी का नामजप करना उपयुक्त होता है । यदि आपको कुलदेवी का नाम ज्ञात नहीं है अथवा यदि आपके परिवार में कुलदेवी नहीं है, केवल कुलदेव ही है, तो आप कुलदेव का नामजप कर सकते हैं ।
६. पसंदीदा नामजप से संबंधित
६.१ मुझे श्रीकृष्ण अच्छे लगते हैं । क्या मैं कुलदेवता के स्थान पर उनका नामजप कर सकता हूं ?
उत्तर: श्रीकृष्णजी का (अपने पसंद के देवता का) नामजप करना ठीक है; परंतु शीघ्र आध्यत्मिक उन्नति के लिए कुलदेवी का अथवा अपने पंथ के अनुसार ईश्वरीय तत्त्व का नामजप करना उससे श्रेयस्कर होगा । इस संदर्भ में ‘कुलदेवता अथवा कुलदेवी के स्थान पर मुझे अपने इष्ट देवता की उपासना करना अच्छा लगता है क्या यह उचित है ‘? यह लेख पढें ।
६.२ मैं अपनी मां की पूजा करता हूं । वे मेरे लिए गुरु एवं ईश्वर के समान हैं । क्या मैं उनका नामजप कर सकता हूं ?
उत्तर : हम ईश्वरीय तत्त्व का लाभ लेने के लिए देवता का नामजप करते हैं । अपनी मां का नामजप करनेसे वह लाभ हमें नहीं मिलेगा । अध्यात्मशास्त्र के अनुसार अपने माता-पिता का अथवा भाई-बहन का नामजप करने का कोई भी उदाहरण नहीं है । साधक के माता-पिता अथवा भाई-बहन के संत/गुरु होने पर भी ऐसा नहीं करते ।
६.३ मैं हिन्दू हूं । क्या मैं ‘ॐ’ का जप कर सकता हूं ?
उत्तर: ‘ॐ’ का जप एक प्रगत जप है । क्योंकि वह तेजतत्त्व तथा ईश्वर के निर्गुण रूप से संबंधित है । नियमित रूप से दीर्घकालतक ‘ॐ’ का जप करने से साधक में तेजतत्त्व की वृद्धि होगी । यदि उस साधक की पृथ्वी एवं आप, इन कनिष्ठ स्तर के तत्त्वों की साधना पूरी न हुई हो तो वह साधक तेजतत्त्व की अधिक मात्रा सहन नहीं कर सकता । अपने जन्मानुसार पंथ के कुलदेवता की साधना पृथ्वीतत्त्व की साधना है ।
६.४ क्या मैं संतों के नाम का जप कर सकता हूं ?
उत्तर : अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, अपने जन्मानुसार पंथ के देवता का नामजप करना चाहिए । किसी संत के नाम का जप नहीं करना चाहिए ।
- शक्ति से संपन्न ७० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के संत, किसी विशिष्ट कार्य के संपादन के लिए जन्म लेते हैं, इसलिए उनमें प्रकट शक्ति होती है । इसलिए यदि हम उनका नामजप करते हैं, तो इससे किसी को कष्ट हो सकता है । इसके विपरीत, चूंकि देवताओं में निर्गुण शक्ति होती है, इसलिए उनका नामजप करने से कष्ट नहीं होता । साधक को शक्ति नहीं, अपितु आनंद एवं शांति की आवश्यकता होती है । (८० प्रतिशत एवं ९० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर के संत क्रमश: आनंद एवं शांति की अनुभूति प्रदान कर सकते हैं ।)
- उत्पत्ति, स्थिति एवं लय का नियम संतों पर भी लागू है, अत: उनकी शक्ति कुछ सैकडों वर्षों के मर्यादित काल के लिए ही कार्यरत रहती हैं । तत्पश्चात वे साधकों की पुकार को प्रतिसाद नहीं दे पाते । इसके विपरीत देवताओं का अस्तित्त्व विश्व की उत्पत्ति से लेकर लयकाल तक निरंतर रहता है ।
- अध्यात्मशास्त्र के अनुसार संतों का पूजास्थल बनाना अयोग्य है । परंतु वर्तमान समय में यह प्राय: होते हुए हम देखते हैं ।
७. अन्य पंथों के प्रति झुकाव है, इस संदर्भ में
७.१ मैं ईसाई हूं । क्या मैं ‘ॐ’ का जप कर सकता हूं ?
उत्तर : अध्यात्म शास्त्र के अनुसार हमारे जन्म के पंथानुसार विशिष्ट देवता का नामजप हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होता है । शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति की दृष्टि से उस देवता के नामजप से होनेवाला लाभ ‘ॐ’ के जप से होनेवाले लाभ से कई गुना अधिक है ।
७.२. मैं ईसाई हूं, परंतु मुझे भगवान शिव अच्छे लगते हैं । क्या मैं उनका नामजप कर सकता हूं ?
उत्तर: हां, आप ‘शिवजी’ का (अर्थात अपने पसंद के देवता का) जप कर सकते हैं, परंतु अपने जन्म के पंथानुसार विशिष्ट देवता का नामजप करना हमारी शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति के लिए अधिक उपयुक्त होता है । इस संदर्भ में ‘कुलदेवता अथवा कुलदेवी के स्थान पर मुझे अपने इष्ट देवता की उपासना करना अच्छा लगता है क्या यह उचित है ?’ यह लेख देखें ।
८. धर्म से विमुखता के संदर्भमें
८.१ मुझे नामजप में रूचि है, परंतु मेरे पंथ से मैं अपने आपको जुडा हुआ नहीं पाता हूं । अन्य कौनसा नामजप मैं कर सकता हूं ?
उत्तर: उस स्थिति में आप अन्य देवता का नामजप कर सकते हैं, जिससे आप अपने आपको जुडा अनुभव करते हैं ।
८.२. क्या मैं केवल ‘ईश्वर (गॉड)’ ऐसा जप कर सकता हूं ?
उत्तर : देवता का विशिष्ट नाम जप कर, हम वास्तव में, हम ईश्वर के उस तत्त्व से एकरूप होने का प्रयास करते हैं, जिसके वे देवता प्रतीक हैं । नाम के संदर्भ में ‘ईश्वर’ यह अत्यंत व्यापक है । इसमें सर्वज्ञ, सर्वव्यापी एवं सर्व शक्तिमान ईश्वर के सभी पहलूओं तथा तत्त्वों/विशेषताओं का समावेश होता है । अत: ‘ईश्वर’ ऐसा जप करने का अर्थ होगा ईश्वर के सभी पहलुओं को एक ही समय पर एकसाथ आत्मसात करने का प्रयास करना, जो कि अत्यंत कठिन कार्य (भगीरथ प्रयास) होगा । अत:, अध्यात्मशास्त्र कहता है कि हम उस विशिष्ट देवता का नामजप करें, जो हमारी साधना के स्तर के अनुरूप ईश्वर के उस पहलु को आत्मसात करने में हमारे लिए सहायक हो ।
८.३ क्या मैं ईश्वर के किसी नाम का जप न कर ‘दयालुता’ अथवा ‘प्रेम’ अथवा ‘निर्मलता’ अथवा ‘शांति’ इन शब्दों का जप कर सकता हूं ?
उत्तर: आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, नामजप करने का उद्देश्य विशिष्ट देवता के नाम से संबंधित उस विशिष्ट ईश्वरीय शक्ति को आत्मसात करना होता है । उपरोक्त शब्दों में कोई भी विशिष्ट ईश्वरीय तत्त्व नहीं है । अत: उनके जप से विशिष्ट देवता के नामजप से मिलनेवाली ईश्वरीय शक्ति प्राप्त नहीं होती है । इसके अतिरिक्त ईश्वर निरपेक्ष प्रेम (प्रीति) के मूर्त रूप हैं । इसलिए ‘दयालुता’ अथवा ‘प्रेम’ आदि शब्दों की तुलना में देवता के किसी भी नाम के जप से प्रीति के ईश्वरीय तत्त्व की स्तुति अधिक मात्रा में होगी ।
८.४. अभी मैं किसी भी पंथ का अनुसरण नहीं कर रहा हूं, मुझे किस देवता का नामजप करना चाहिए ?
उत्तर: आप अपने जन्म के पंथानुसार विशिष्ट देवता का नामजप कर सकते हैं ।
८.५ जब मैं अपने जन्म के पंथानुसार देवता का नामजप करता हूं, तो मुझे हृदय से अच्छा नहीं लगता । मुझे क्या करना चाहिए ?
उत्तर: यदि पूर्व की परिस्थिति अथवा अनुभवों के कारण आपके मन में जन्म के पंथ के संदर्भ में मानसिक अवरोध हो, तो आपको यह जानना चाहिए कि अध्यात्म पंथ के परे है । अपने जन्म के पंथानुसार नामजप करना आध्यात्मिक सिद्धांत का पालन करना है, ना कि उस पंथ के साथ अपने आपका तादात्म्य स्थापित करना । नामजप करने के पहले आप इसप्रकार निष्ठापूर्ण प्रार्थना करें कि इस नामजप का लाभ मुझे अनुभव होने दें, इससे आपको लाभ होगा ।
९. नास्तिकता के संबंध में
९.१ मैं नास्तिक हूं । मुझे कौन-सा नाम का जप करना चाहिए ?
उत्तर : हमारा सुझाव है कि आप अपने जन्म के पंथानुसार देवता का नामजप करें । अपने जन्म के पंथानुसार नामजप करना आध्यात्मिक सिद्धांत का अनुपालन है, ना कि उस पंथ के साथ स्वयं का तादात्म्य स्थापित करना । यदि आप यथार्थ रूप से एवं नियमितता से प्रयास करते हैं, तो आप उसे श्रद्धा के बिना ही क्यों न करते हों, आपको अपने जीवन में उसके लाभ अवश्य दिखाई देंगे । इस प्रकार की साधना के लिए नामजप के लाभ की व्यक्तिगत अनुभूति सबसे अधिक महत्व रखती है ।