आध्यात्मिक उपचार पद्धति के रूप में – गोमूत्र के लाभ

१. गोमुत्र के लाभ का परिचय

आयुर्वेद में चिकित्सा के लिए गोमूत्र  की अनुशंसा की जाती है । SSRF में, गोमूत्र (भारतीय गाय का मूत्र) का प्रयोग प्राय: आध्यात्मिक उपचार के रूप में किया जाता है और इसके आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक प्रभावों के हम साक्षी रहे हैं । इस लेख में, गोमुत्र के लाभ पर हमारे निष्कर्ष, उसके कार्य की क्रियाविधि और इसका उपयोग एक आध्यात्मिक उपचार के रूप में कैसे करें, यह जानकारी आपके साथ साझा कर रहे हैं ।

२. आध्यात्मिक गुण और आध्यात्मिक उपचार के रूप में गोमुत्र के लाभ

IOSR Journal of Pharmacy and Biological Sciences (IOSR-JPBS), द्वारा दिया गया प्रयोगशाला विश्लेषण बताता है कि गोमूत्र में नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फेट, सोडियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड, आयरन, सिलिकॉन, क्लोरीन, मैग्नीशियम, मेलसि, सार्इट्रिक, टाइट्रिक, सक्सेनिक, कैल्सियम सॉल्ट, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, मिनरल्स, लैक्टोस, एन्जाइम्स, क्रेटिनिन, हॉर्मोन्स और गोल्ड एसिड्स पाए जाते हैं ।

अतः, क्या यह रासायनिक संरचना आध्यात्मिक उपचार के लिए एक राम बाण उपाय है ? हमारा शोध दर्शाता है कि वास्तव में यह गोमूत्र की रासायनिक संरचना से परे, एक अज्ञात घटक है जो गोमूत्र को आध्यात्मिक उपचार का विशेष साधन बनाता है । हमने पाया कि गोमूत्र की रासायनिक संरचना और गोमूत्र के उपचार करने की आध्यात्मिक क्षमता में कोई संबंध नहीं है ।

यद्यपि गोमूत्र निर्जीव वस्तु है, तथापि इसमें चैतन्य को आकर्षित करने की क्षमता है, जिसके कारण उसके सत्वगुण में वृद्धि होती है और इसलिए आध्यात्मिक उपचार सुगम होता है । किसी के मन में यह प्रश्न आ सकता है कि, भारतीय गाय के मूत्र में इस प्रकार की विशेष उपचारक क्षमता कैसे है । जिस प्रकार जल का स्वाभाविक गुण स्वच्छ करना है और अग्नि का दहन करना, उसी प्रकार भारतीय गाय ही एकमात्र प्राणी है, जिसमें ब्रह्मांड में विद्यमान सभी देवताओं के तत्वों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता होती है । फलस्वरूप, गाय से प्राप्त कोई भी पदार्थ अथवा उपोत्पाद (by-products) जैसे दूध, गौमूत्र, गोबर उन तत्वों को अपने साथ वहन (inherit) करते हैं तथा सात्विक माने जाते हैं । भारतीय गाय के मूत्र में ब्रह्मांड में विद्यमान देवताओं के तत्वों को ५% तक आकर्षित करने की क्षमता होती है । इसलिए आध्यात्मिक उपचार के रूप में गोमुत्र के लाभ में बहोत महत्वपूर्ण है।

प्रतिशत के दृष्टिकोण से देखें

  • अपने पंथ के अनुसार देवता का नामजप करना, इस साधना में ब्रह्मांड के सर्व देवताओं के तत्वों को अपनी ओर आकर्षित करने की और उन्हें ३० प्रतिशत तक बढाने की क्षमता है ।
  • परंतु जब कोई व्यक्ति, धर्मानुसार अथवा कुलदेवी का नामजप करना आरंभ करता है, तब आरंभ में देवताओं के तत्वों को आकर्षित करने की क्षमता नगण्य रहती है ।
  • कोई व्यक्ति जिसका आध्यात्मिक स्तर ५०% है, जब धर्मानुसार अथवा कुलदेवता का नामजप करता है, केवल तभी वह ब्रह्मांडस्थित देवताओं  के सर्व तत्वों को ५% तक आकर्षित करने में सक्षम होता है ।

गोमुत्र के लाभ एवं उसके आध्यात्मिक गुणों के सबंध में विवरण निम्नलिखित है –

  • आध्यात्मिक उपाय के लिए उपयोग में आनेवाले निर्जीव वस्तुओं की अपेक्षा अधिक चैतन्य को आकर्षित करने की क्षमता ।
 उपचार के लिए प्रयुक्त वस्तुउपचार के लिए प्रयुक्त वस्तु चैतन्य की प्रतिशत मात्रा
 धार्मिक प्रतीक
 विभूति
 चमेली की लकडी
 पवित्र जल (तीर्थ) (जल +विभूति)
 अगरबत्ती अथवा इत्र
 रंग
 गोमूत्र
 संतों द्वारा दिया प्रसाद
 ९०% स्तर के आगे के संतों के हस्तलिखित

चैतन्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है, ईश्वरीय चेतना । यह ईश्वरीय तत्त्व की सर्वशक्तिमानता और सर्वज्ञता है । ईश्वरीय चेतना, मूल सूक्ष्म सत्त्वगुण से अधिक सूक्ष्म और शक्तिमान होती है । इसलिए जब ईश्वरीय चेतना संक्रमित की जाती है, तब सात्त्विकता में वृद्धि होती है ।

टिप्पणी : १ से १०० तक के पैमाने पर (Scale) देखा जाए, तो सामान्यतया किसी भी निर्जीव वस्तु में ईश्वरीय चेतना ० (शून्य) होती है और निर्जीव वस्तु में अधिकतम ईश्वरीय चेतना ६ होती है, जो कि संतों की समाधि में होती है । देखें लेख : संत किन्हें समझा जाए ।

  • आध्यात्मिक उपाय के उपकरण एवं उनसे संबंधित पंच महाभूत, जिनके माध्यम से वो कार्य करते हैं ।
 उपचार के लिए प्रयुक्त वस्तु  ब्रह्मांड का मूलभूत तत्त्व, जिसके माध्यम से यह कार्य होता है
 धार्मिक प्रतीक पृथ्वी
 विभूति अग्नि
 चमेली की लकडी वायु
 पवित्र जल (तीर्थ) (जल +विभूति) आप + अग्नि
 अगरबत्ती अथवा इत्र पृथ्वी
 रंग रंग के अनुसार परिवर्तित होता है
 गोमूत्र आप
 संतों द्वारा दिया प्रसाद आप
 ९०% स्तर के आगे के संतों के हस्तलिखित अग्नि

यह सभी निर्जीव वस्तुएं कुछ मात्रा में चैतन्य आकर्षित करती हैं परंतु केवल गोमूत्र में ही ऐसी क्षमता है कि ब्रह्मांड से ५% दैवी तत्व को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है । इसलिए आध्यात्मिक उपचार के रूप में गोमुत्र के लाभ में बहोत महत्वपूर्ण है।

जब कभी आध्यात्मिक स्तर के आक्रमण होते हैं, अंततः अनिष्ट शक्तियां पंचमहाभूतों में से किसी एक का प्रयोग करती हैं, जिससे भौतिक स्तर पर उनके आक्रमण की अभिव्यक्ति होती है उदाहरणस्वरूप – त्वचा पर लाल चकत्ते (skin rash) आना । जब सूक्ष्म आयाम से पृथ्वीतत्व अथवा आपतत्त्व के माध्यम से होनेवाले आक्रमण का प्रत्युत्तर देते समय यदि गोमूत्र जैसे आध्यात्मिक उपाय के साधन का उपयोग करें तो वह सबसे अच्छा होता है।यह सबसे बड़ा गोमूत्र का लाभ है l सूक्ष्म से हुए आक्रमण में कौन से पंचमहाभूतों का उपयोग किया गया है यह साधारण व्यक्ति नहीं समझ सकता और कौनसी उपायपद्धति का उपयोग करें इसके लिए परीक्षण एवं त्रुटि पद्धती (ट्रायल एंड एरर मेथड) अपनानी पड सकती है ।

  • ब्रह्मांड में गोमूत्र से संबंधित जो देवता है, वह दत्त तत्व है । दिवंगत पूर्वजों के कारण होनेवाली समस्याओं से रक्षा करना, यह दत्त तत्व के अन्य कार्यों में से एक कार्य है ।
  • प्रकट एवं अप्रकट शक्तियों के संदर्भ में, गोमूत्र में प्रकट शक्ति विशेषतः शक्ति अधिक होती है । अनिष्ट शक्तियोंद्वारा प्रकट आध्यात्मिक शक्ति का उपयोग कर सूक्ष्म आयाम से किए आक्रमणों का प्रत्युत्तर देने में गोमूत्र का लाभ सबसे अच्छा होगा ।

२.१ गोमूत्र (गोमूत्र का लाभ) का उपयोग कब करें?

सभी प्रकार के सूक्ष्म आक्रमणों के व्यापक प्रदर्शन के आधार पर SSRF का सुझाव है कि गोमूत्र का उपयोग, अगले अनुभाग में दी गर्इ पद्धति में से किसी भी एक पद्धति के साथ प्रतिदिन किया जाना चाहिए । आध्यात्मिक उपचार के रूप में प्रयोग किए जाने पर गोमूत्र का प्रभाव (गोमूत्र का लाभ) लगभग ६ घंटों तक रहता है ।

किसी समस्या का मूलभूत कारण यदि आध्यात्मिक स्वरूप का हो, जैसे अनिष्ट शक्तियों द्वारा त्वचा पर लाल चकत्ते (rashes), विशेषतः तब गोमूत्र (गोमूत्र का लाभ) का अधिकतम प्रभाव दिखता है । यदि मूल कारण विशुद्ध रूप से शारीरिक है तब गोमूत्र के प्रयोग के पश्चात केवल थोडा सकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है।

आध्यात्मिक उपाय के रूप में गोमूत्र के सेवन से संभवत: एकमात्र हानि मानिसक स्तर पर है । यह मूत्र है इस तथ्य से कोर्इ असहज अनुभव कर सकता है अथवा इसकी गंध अथवा स्वाद से भी तंग हो सकता है । तथापि, गोमूत्र  के लाभ, इसकी हानि से कहीं अधिक है ।

३. गोमूत्र (गोमूत्र का लाभ) का उपयोग कैसे करें ?

निम्नलिखित पद्धति से गोमूत्र का उपयोग (गोमूत्र का लाभ) आध्यात्मिक उपचार के रूप में किया जा सकता है ।

गोमूत्र का लाभ – प्रत्यक्ष प्रयोग :

  • शरीर के प्रभावित अंग पर गौअर्क लगाना । आध्यात्मिक उपचार के रूप में गोमूत्र की कुछ बूंदें पीने का भी सुझाव है ।

गोमूत्र का लाभ -पानी में घोलकर उपयोग करना :

  • गोमूत्र की कुछ बूंदें पानी में घोलकर घर के परिसर में छिडकने से वहां की आध्यात्मिक शुद्धी होती है । यह सबसे बड़ा गोमूत्र का लाभ है l इसके साथ थोडासा गोमूत्र पानी की बाल्टी में डालकर उससे स्नान कर सकते हैं । स्नान के पानी में गोमूत्र के कार्य की क्रियाविधि का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र नीचे दिया है । यह चित्र प्रगत छ्ठवीं इंद्रिय से युक्त स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) की साधिका, पू. श्रीमती योया वाले ने बनाया है ।

गोमूत्र का लाभ - गोमूत्र मिश्रित जल से स्नान करनेके लाभ

 ४. गोमूत्र का लाभ – आध्यात्मिक उपाय के लिए गोमूत्र की तैयारी

यह सुनिश्चित करने के लिए कि आध्यात्मिक दृष्टि से गोमूत्र सक्षम है, निम्न कुछ सूत्रों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है :-

  • गाय का प्रकार : जिस गाय से मूत्र एकत्रित करना है वह भारतीय गाय होना आवश्यक है । क्योंकि भारत की आध्यात्मिक पवित्रता और यहां का वातावरण आध्यात्मिक विकास के लिए पूरक होता है । भारत में, यह स्वाभाविक रूप से समझा जाता है कि गाय में दैवी तत्वों को आकर्षित करने की क्षमता है और इसीलिए उसके साथ श्रद्धा से व्यवहार किया जाता है । अन्य देशों में, गाय को मुख्यत: दूध प्रदान करने के साधन के रूप में देखा जाता है और जब वह क्षमता समाप्त हो जाती है तब उसकी हत्या कर दी जाती है । प्रतिकूल अथवा असात्विक पर्यावरण के साथ-साथ सदियों से हो रहे दुर्व्यवहार के कारण अन्य देशों में गाय के आध्यात्मिक सामर्थ्य को न्यूनतम कर दिया है, जिसके कारण वे इन देशों में किसी भी अन्य प्राणी से बेहतर नहीं है ।
  • गाय के साथ व्यवहार : गोमूत्र (गोमूत्र का लाभ) का आध्यात्मिक सामर्थ्य गाय के साथ, शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर कितनी अच्छी प्रकार से व्यवहार हुआ, इस पर निर्भर करता है । उदाहरणार्थ, क्या उसे सात्त्विक भोजन प्रदान किया जाता है ? क्या वह मानसिक रूप से प्रसन्न है ?
  • गोमूत्र (गोमूत्र का लाभ) का जीवनकाल : रासायनिक संरचना के दृष्टिकोण से गोमूत्र का जीवनकाल सामान्यतः छ्ह मास होता है । तथापि, इसके आध्यात्मिक उपाय के गुण लगभग ५ वर्षों तक विद्यमान रहते हैं ।