१. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अध्यात्मिक मार्गदर्शन से प्रेरणा प्राप्त होना
फरवरी २०१७ में, परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से पहली बार मेरी भेंट हुई तथा यह जीवन को बदलने वाला अनुभव था । उनके बोलते समय मैं उनसे प्रक्षेपित होनेवाली प्रबल शक्ति को अनुभव कर सकी ।
उन्होंने जिस प्रकार से मार्गदर्शन किया, उसमें वह बहुत ही सुंदर था एवं उनके शब्द गहन और आध्यात्मिक ज्ञान से भरे थे । उपरांत मुझे उनके इन शब्दों ने प्रेरणा से ओतप्रोत कर दिया वे शब्द थे, “आध्यात्मिक विश्व ही वास्तविक विश्व है, यह हम जो समझ सकते हैं उससे कहीं अधिक है । चलिए आध्यात्मिक प्रगति का लक्ष्य निश्चित करें ।”
सत्संग के समय, मुझे अनुभव हुआ कि मेरे सिर के चारों ओर सुरक्षा कवच निर्माण हुआ है, मेरे सभी विचार लुप्त हो गए तथा मुझमें भाव जागृत हुआ । उनसे मिलने के उपरांत यह अवस्था कई घंटों तक रही ।.
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के इस सत्संग एवं उनके दिव्य मार्गदर्शन के लिए मैं ईश्वर के प्रति कृतज्ञ हूं । मैं प्रार्थना करती हूं कि उनका मार्गदर्शन प्रतिदिन मुझे और अच्छा बनने तथा मेरी आध्यात्मिक यात्रा (साधना) में आगे बढने में मेरी सहयता करें ।
संपादक की टिप्पणी : जब परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी जैसे एक उच्च स्तरीय संत अथवा गुरु आध्यात्मिक मार्गदर्शन करते हैं, तब उनकी वाणी में उच्च स्तरीय चैतन्य होता है ।
ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु जो मार्गदर्शन करते हैं उसे उन्होंने स्वयं आचरण किया होता है एवं उसके परिणामों को अनुभव किया होता है । इसके साथ गुरु का आध्यात्मिक स्तर ७० प्रतिशत से अधिक होने के कारण वे वैश्विक मन में देख सकते हैं इसलिए उनकी वाणी को सुनने वालों में ईश्वर से चैतन्य का प्रवाह होता है । यह चैतन्य श्रोताओं पर सकारात्मक रूप से प्रभाव डालता है तथा उनकी वाणी से वे कुछ विशेष अनुभव कर सकते हैं । गुरु द्वारा बोले गए शब्द श्रोताओं द्वारा अंतर्मन के स्तर पर ग्रहण होते हैं ।
यह उन प्रेरणादायक वक्ताओं से विपरीत है जो मानसिक स्तर पर तो दर्शकों को प्रभावित कर सकते हैं किंतु उनकी वाणी में चैतन्य नहीं होता । परिणामस्वरूप, उनको सुनने से श्रोताओं के जीवन में स्थायी परिवर्तन नहीं हो सकते ।