विषय सूची
- १. अनुभव एवं अनुभूति की परिभाषा
- २. दैवी कणों से संबंधित साधकों की अद्वितीय अनुभूतियां
- ३. संतों की अनुभूतियां
- ३.१ पूजनीया लोला वेजिलिक के घर तार के आकार के दैवी कणों का अनोखा प्रकटीकरण
- ३.२ पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी के कारण साधकों पर दैवी कणों का वर्षाव होना
- ३.३ पूजनीया (श्रीमती) आशालता सखदेवजी के कक्ष में दैवी कण
- ३.४ पूजनीय डॉ. मुकुल गाडगीळजी के संगणक पर्दे (कंप्यूटर स्क्रीन) पर दैवी कणों का उभरना
- ३.५ पूजनीय डॉ. वसंत आठवलेजी द्वारा अनुवाद की सेवा करते समय दैवी कणों का उभरना
- ४. साधकों की अनुभूतियां
- ४.१ श्री. शॉन क्लार्क तथा श्रीमती श्वेता क्लार्क के कार पर दैवी कणों का उभरना
- ४.२ श्री. जैमे विजकार्रा के जन्मदिन के दिन आरती उतारने की धार्मिक विधि करते समय दैवी कणों का उभरना
- ४.३ श्रीमती ड्रगाना किस्लोवस्की की बहन के घर दैवी कणों का उभरना
- ४.४ श्रीमती प्राची मेहता की बेटी के सिर पर दैवी कणों का उभरना
- ४.५ दैवी कणों को पाने की अनुभूति के माध्यम से र्इश्वर मुझे संदेश दे रहे हैं कि जब हम उन्हें नमस्कार करते हैं तब वे हमारे अहं को न्यून करते हैं
- ५. दैवी कणों के संदर्भ में SSRF से संपर्क करें
१. अनुभव एवं अनुभूति की परिभाषा
स्पिरिचुअल सायन्स रिसर्च फाउंडेशन (SSRF) के अनुसार ‘अनुभव’ वह है जो पांच इंद्रियों, मन एवं बुद्धि के माध्यम से प्राप्त किया गया हो I उदाहरणार्थ, अपने प्रिय व्यंजन को खाने का अनुभव, अपने बच्चे के लिए प्रेम का अनुभव, अपनी बुद्धि द्वारा कार्यालय में समस्या को सुलझाना, आदि, ‘अनुभव’ की श्रेणी में आते हैं । पांच इंद्रियों, मन एवं बुद्धि की समझ से जो परे है, उसका अनुभव एक ‘अनुभूति’ निर्मित करती है । यदि कोई व्यक्ति पांच इंद्रियों, मन एवं बुद्धि से ऐसी घटना का अनुभव करता है जिसका कारण मानवजाति की सकल बुद्धि से परे है, वह भी अनुभूति ही है |
२. दैवी कणों से संबंधित साधकों की अद्वितीय अनुभूतियां
जुलार्इ २०१२ से, जब SSRF के शोध केंद्र में दैवी कणों का प्रकट होना प्रारंभ हुआ, SSRF के विश्वभर के साधकों के घरों में भी दैवी कण प्रकट होना प्रारंभ हो गए । दैवी कणों से संबंधित अनेक अनुभूतियां SSRF को भेजी गर्इं, जिसे हमने इस लेख में एक छोटे नमूने के रूप में प्रस्तुत किया है । ये अद्वितीय अनुभूतियां संतों की दिव्यता, साधकों की भाव-भक्ति, धार्मिक कृत्यों को करने का महत्त्व तथा र्इश्वर द्वारा विविध आध्यात्मिक मार्ग के साधकों पर किए गए दैवी कणों का वर्षाव दर्शाती है । हम आशा करते हैं कि इन अद्वितीय अनुभूतियों को पढकर पाठक आनंद तथा दैवी कणों के रूप में र्इश्वर की कृपा के वर्षाव का अनुभव कर सकेंगे ।
३. संतों की अनुभूतियां
३.१ पूजनीया लोला वेजिलिक के घर तार के आकार के दैवी कणों का अनोखा प्रकटीकरण
१० जुलार्इ २०१२ के दोपहर को मैं कक्ष स्वच्छ कर रही थी क्योंकि साधक संध्याकाल में सत्संग के लिए आनेवाले थे । मैंने फर्श tस्वच्छ करने के लिए पानी तथा गोमूत्र के साथ नया पोंछा लिया । कुछ मिनटों के उपरांत मैंने पोछे पर कुछ चमकता हुआ देखा । पोछे में असंख्य सुनहरे, चांदी के रंग के तथा पारदर्शी तार के आकार के दैवी कण थे । मैंने उनमें से कुछ को एकत्रित किया और दूसरा पोछा लेकर फर्श स्वच्छ करने लगी । कुछ मिनटों के उपरांत मैंने दूसरे पोछे पर भी तार के आकार के दैवी कण देखे । मैंने त्वरित स्कार्इप वीडियो पर पूजनीय अतुल दिग्घेजी तथा पूजनीय सिरियाक वालेजी को बुलाया तथा उन दिव्य कणों को दिखाया । चूंकि उन्हें कैमरे से देखना कठिन था, इसलिए मैंने उसके कुछ नमूने SSRF के शोधकेंद्र में भेज दिए ।
– पूजनीया लोला वेजिलिकजी, सर्बिया
३.२ पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी के कारण साधकों पर दैवी कणों का वर्षाव होना
जब पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी SSRF के आध्यात्मिक कार्यशाला में सम्मिलित हुए साधकों को अपने हाथ में उभरे दैवी कण दिखा रही थीं तब सभी साधकों के शरीर पर दैवी कण प्रकट हुए । ऐसा पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी के चैतन्य के प्रभाव के कारण हुआ, जिससे कार्यशाला का वातावरण तथा साधक प्रभावित हुए और इसलिए दैवी कण पाए गए । यह पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी का विशेष गुण है । किसी के कारण वातावरण में सकारात्मक प्रभाव को देखे जाने का यह एक अच्छा उदाहरण है ।
आध्यात्मिक कार्यशाला में सम्मिलित सभी ४० साधकों पर दैवी कण दिखे । उन्हें दैवी कणों से कृपान्वित होने की अनुभूति हुर्इ । अनेक चांदी के रंग के तथा सुनहरे दैवी कण पाए गए । आध्यात्मिक शोध दर्शाते हैं कि चांदी के रंग के दैवी कण माया से अनासक्त होने में सहायता करते हैं तथा सुनहरे कण ज्ञान शक्ति प्रदान करते हैं तथा अध्यात्म प्रसार के कार्य में वृद्धि होने हेतु सहायता करते हैं । चूंकि यह एक आध्यात्मिक कार्यशाला थी, र्इश्वर ने वैसे दैवी कणों का वर्षाव साधकों पर किया, जिससे उन्हें दोनों प्रकार के दैवी कणों की अनुभूति हो तथा इस प्रक्रिया के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक उन्नति हो ।
३.३ पूजनीया (श्रीमती) आशालता सखदेवजी के कक्ष में दैवी कण
पूजनीया (श्रीमती) आशालता सखदेवजी के कक्ष में झाडू लगाने के कचरे से मैंने अनेक दैवी कण एकत्रित किए । हमने दैवी कणों को उनके हाथ पर रखा; किंतु जब मैंने पिन की सहायता से उसे उठाने का प्रयास किया तब मुझे भान हुआ कि वे तो अनेक थे और सभी की गिनती कर पाना असंभव था । मैंने पिन की सहायता से उनकी हथेली से कणों को उठाकर एक छोटे डिब्बे में रखा । अगले तीन दिनों तक मैं प्रतिदिन उनकी हथेली में असंख्य दैवी कण देखती । एक समय में ५० से ६० कण दिखते; किंतु जब कोर्इ अलग छोर से देखता तो ५० से ६० और अतिरिक्त कण देखे जा सकते थे । प्रार्थना कर उनके हाथ को देखते हुए मुझे भान हुआ कि ये दैवी कण वास्तव में उनकी हथेली से निर्मित हो रहे थे ।
– कु. राजश्री सखदेव, गोवा, भारत.
३.४ पूजनीय डॉ. मुकुल गाडगीळजी के संगणक पर्दे (कंप्यूटर स्क्रीन) पर दैवी कणों का उभरना
सत्सेवा हेतु संगणक पर धारिकाएं पढते समय, दिन में एक अथवा दो बार दैवी कण उभरते हैं तथा चमकते हैं । ऐसा मैं एक माह से अनुभव कर रहा हूं । दैवी कण कुछ सेकंड के लिए चमकते हैं और अदृश्य हो जाते हैं । अनेक बार सुनहरे दैवी कण उभरे हैं तथा कभी-कभी नीले दैवी कण भी उभरे ।
– पूजनीय डॉ. मुकुल गाडगीळजी, गोवा, भारत.
३.५ पूजनीय डॉ. वसंत आठवलेजी द्वारा अनुवाद की सेवा करते समय दैवी कणों का उभरना
ग्रंथों का भाषांतर करते समय मैं सादे पन्ने पर लिखता हूं । कर्इ बार दो, तीन अथवा चार दैवी कण कागज पर उभर जाते । अभी तक, तीन बार कागज पर भाषांतर करते समय, जब कलम की स्याही पूर्णतः सूख गर्इ, चांदी के रंग के दैवी कण उस पर उभर आए । वे दैवी कण मेरे लिखने के पहले नहीं थे तथा जब मेरा लिखना पूर्ण हुआ तब वे उभरे ।
– पूजनीय डॉ. वसंत आठवलेजी
४. साधकों की अनुभूतियां
४.१ श्री. शॉन क्लार्क तथा श्रीमती श्वेता क्लार्क के कार पर दैवी कणों का उभरना
हमने सुना था कि विश्व भर में र्इश्वर की कृपा से दैवी कण प्रकट हो रहे थे । इसलिए हम दैवी कणों के प्रति सतर्क थे तथा उनकी खोज में थे । उस कालावधि में मैं प्रत्येक कृत्य र्इश्वर तक पहुंचने के लिए कर रहा हूं इस भाव से करने का प्रयास कर रहा था । उस दिन मैं अपनी कार धो रहा था तथा र्इश्वर ने मुझे उस समय यह भाव दिया कि मैं उनका रथ धो रहा हूं । बाहर धोने के उपरांत मैं कार भीतर से स्वच्छ करने के लिए वेक्यूम क्लीनर से साफ करने लगा I।
जब मैं आगेवाली सीट को वैक्युम क्लीनर से स्वच्छ कर रहा था तब मैंने असंख्य चमकते कण देखे । यह ध्यान में नहीं आया कि ये दैवी कण हैं इसलिए मैं और शीघ्रता से वैक्युम क्लीनर से स्वच्छ करने लगा । तब र्इश्वर ने मुझे भान करवाया कि वे कण दैवी कण हैं । मैंने त्वरित स्वच्छता रोक दी और घर के लिए चल पडा । घर की ओर की छोटी यात्रा के समय मुझे लगा कि र्इश्वर मेरे बगलवाली यात्री सीट पर बैठे हैं और मैं उनके साथ घर जा रहा हूं । मैं नामजप करता रहा । इस अनुभूति ने इतना भाव जागृत कर दिया था कि मैं कठिनार्इ से सांस ले पा रहा था ।
जब मैं घर पहुंचा तो अपनी पत्नी श्वेता को बुलाया । हम दोनों ने देखा कि आगेवाली यात्री सीट के पीठ टिकानेवाला भाग चमकते दैवी कणों से भरा पडा था । हम दोनों की आंखों में अश्रु आ गए । क्योंकि हम दोनों की दैवी कण देखने की इच्छा थी । और हमें नहीं लगता था कि हम देख पाएंगे क्योंकि हम दोनों में उतना भाव नहीं था । सीट पर ५० से अधिक दैवी कण थे । हमें यह भी ध्यान में आया कि दैवी कण विविध रंगों के थे और उनके रंग में भी परिवर्तन हो रहा था । वे सुनहरे, गुलाबी, नीले, चांदी तथा तांबे के रंग के तथा मोरपंख समान फिरोजी रंग के थे । हमें यह भी लगा कि उनमें से कुछ अलग ही आकृति के मिश्रण थे जो ऐसे आंखों से पता नहीं चल रहा था । हमें वह मोरपंख के समान लगा । यह अनुभूति दर्शाती है कि र्इश्वर कितने दयालु हैं और वे सर्वत्र हैं ।
– श्री. शॉन क्लार्क तथा श्रीमती श्वेता क्लार्क, मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया.
४.२ श्री. जैमे विजकार्रा के जन्मदिन के दिन आरती उतारने की धार्मिक विधि करते समय दैवी कणों का उभरना
पहली बार मैं किसी साधक के हिंदू तिथिनुसार आरती उतारकर जन्मदिन मनाने की धार्मिक विधि में सम्मिलित हुआ । विधि के समय मुझे उस विधि को सीखने का अवसर मिला । मुझे पता चला कि उस विधि में प्रयुक्त कुछ सामग्री ब्रह्मांड में देवताओं के सूक्ष्म- दैवी कणों को आकर्षित करते हैं । विधि होने के उपरांत एक साधक ने कहा हम सभी अपने चारों ओर देख सकते हैं कि क्या दैवी कण उभरे हैं और हम सभी अपने हाथों में देखने लगे । जब मैंने अपने दांए हाथ को देखा तब मुझे उसमें अनेक दैवी कण मिले । उस क्षण मुझे अत्यधिक आनंद, परम सुख की अनुभूति हुर्इ क्योंकि यह उसी का सूचक था । मेरे लिए यह र्इश्वर के दैवी तत्व के अस्तित्व का स्पष्ट संकेत था, जो मेरे हाथों में घनीकृत हुआ था । उस समय मेरे मन में यह भी भावजागृत हुआ कि र्इश्वर मेरे हाथों में हैं ।
– श्री. माऊरिसियो फर्नांडिस, ला पाज, बोलिविया, दक्षिणी अमरीका.
४.३ श्रीमती ड्रगाना किस्लोवस्की की बहन के घर दैवी कणों का उभरना
२६ दिसंबर २०१२ को मैं अपने पति के साथ यूरोप में सर्बिया के बेलग्रेड में रहनेवाली अपनी बहन तथा जीजाजी के घर उन्हें छुट्टी की शुभकामनाएं देने गर्इ थी । इसके साथ ही मैं उनसे विदा भी लेने गर्इ थी क्योंकि हम एक वर्ष के लिए SSRF के शोध केंद्र में रहने के लिए आनेवाले थे । उनके परिवार में छः सदस्य हैं । जब भी हम उनके घर जाते हैं प्रत्येक बार हम एक सत्संग करते हैं क्योंकि उनका अध्यात्म की ओर झुकाव है । वे दैनिक जीवन में स्वीकारने, त्याग करने जैसी साधना करते हैं तथा पारंपरिक र्इसार्इ पंथ हेतु उनमें भाव भी है तथा वे अपने पंथानुसार बतार्इ गर्इ विधियों को करते भी हैं ।
उस दिन दो घंटों के उपरांत हम निकलनेवाले थे । उसी समय खाने की मेज को ढंके श्वेत कपडे पर चमचमाते कण मुझे दिखे । वहां लगभग १०० कण थे । वे अनेक रंगों के थे – चांदी के रंग के, सुनहरे, गुलाबी, लाल जैसे, नीले तथा हरे ! पहले हमने इसके किसी और कारण से होने की संभावना की जांच की और तब हमें ज्ञात हुआ कि वे वास्तव में दैवी कण थे । कपडे पर उसे देखने के उपरांत हमने उसी मेज पर रखे समाचारपत्र पर, समाचारपत्र के नीचे, कपडे के नीचे, मेरे जीजाजी के टार्इ पर, कुर्सियों पर, छोटे बैठक कक्ष में, रसोर्इघर के मेज पर जहां मेरी भतीजी भोजन के लिए बैठी थी, कुछ समय के उपरांत मेरे जीजाजी के स्वेटर पर, भतीजे तथा पति के चेहरे पर भी दैवी कण देखे । वे ३० मिनट से अधिक समय तक उभरते दिखे ।
हम उन्हें एक छोटे आभूषण के डिब्बे जिसके सतह में काला वेलवेट था में एकत्रित करने लगे, जिससे वे दिख सके, जैसे हम SSRF के शोध केंद्र में रखते हैं । मेरी बहन ने दैवी कणों को पूजाघर में रखा तथा कृतज्ञता व्यक्त की । हमें लगा कि यह र्इश्वर के बताने की पद्धति है कि वे वहां उनके साथ हैं, उनका ध्यान रख रहे हैं और रखते रहेंगे ।
– श्रीमती ड्रगाना किस्लोवस्की, सर्बिया.
४.४ श्रीमती प्राची मेहता की बेटी के सिर पर दैवी कणों का उभरना
एक संध्या जब मैं अपनी बेटी भक्ति के केश संवार रही थी, तब अनायास ही मुझे अपने शरीर में अत्यधिक उष्णता अनुभूत हुर्इ । उसी क्षण मुझे दो सुनहरे दैवी कण अपनी बेटी के केश पर दिखे । मुझे भान हुआ कि इन दैवी कणों के कारण मुझ पर आध्यात्मिक उपचार हो रहे थे । उसके केश संवारने के उपरांत मुझे अच्छा तथा शांत लगा । र्इश्वर की कृपा से मुझे यह अनुभूति हुर्इ ।
– श्रीमती प्राची मेहता, मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया.
४.५ दैवी कणों को पाने की अनुभूति के माध्यम से र्इश्वर मुझे संदेश दे रहे हैं कि जब हम उन्हें नमस्कार करते हैं तब वे हमारे अहं को न्यून करते हैं
२२.४.२०१३ के दिन मैं आध्यात्मिक उपचार करने के लिए सवेरे शीघ्र उठा । मैं बैठकर श्रीकृष्णजी का चित्र देखकर नामजप करने की तैयारी कर रहा था । मैंने उन्हें प्रणाम किया और जैसे ही अपनी आंखें खोलीं, मैंने अपनी चटार्इ पर एक दैवी कण देखा, जहां मैं आध्यात्मिक उपचार सत्र कर रहा था । मेरा भाव जाग्रत हुआ और मैंने ध्यानपूर्वक दैवी कण को उठाया । मैंने उसका पूरा निरीक्षण किया तथा मुझे वह मोर के रंग का दिखा । मुझे अनुभव हुआ कि र्इश्वर इस अनुभूति के माध्यम से मुझे संदेश दे रहे हैं कि जब-जब हम उनकी शरण जाएंगे, हमारा अहं उतना अधिक न्यून होगा । अब मैं प्रतिदिन निरंतरता से उन्हें प्रार्थना करता हूं । र्इश्वर के चरणों में कृतज्ञ हूं ।
– श्री. घेरार्ड डे उगारटे टेराजास, ला पाज, बोलिविया, दक्षिणी अमरीका.
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दैवी कणों का प्रकटीकरण ब्रह्मांड की अद्वितीय घटना है । यदि संयोग से आपको स्वयं पर अथवा घर में दैवी कण दिखे अथवा अनुभव हो, तो कृपया हमें लॉग इन विकल्प के द्वारा संपर्क करें ।
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श्री. अभिराम राव, सतारा, भारत.
स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन के प्रिय संपादक,
मेरा नाम अभिराम राव है । मैं १८ वर्ष का हूं और कुछ समय से र्इश्वर के नामजप की साधना कर रहा हूं । २२ अप्रैल २०१३ को अनेक चांदी के रंग के कण मेरी हथेलियों में उभरे । हाथ धोने के उपरांत भी वे उभरते रहे । तब मुझे इनका चित्रीकरण करने का विचार आया । यह अनुभूति देने के लिए मैं र्इश्वर का आभारी हूं ।