१. परिचय
आध्यात्मिक आयामों के अध्ययन के समय SSRF की दृष्टि निर्जीव वस्तुओं में बिना किसी बाह्य प्रभाव के उत्पन्न होनेवाले छिद्रों की असामान्य घटना पर पडी । ऐसा मुख्यतः उन साधकों की वस्तुओं तथा परिसर में हुआ जो SSRF से जुडे हुए हैं । ऐसे अनेक प्रकरणों का आध्यात्मिक शोध द्वारा अध्ययन करनेपर यह ज्ञात हुआ कि ये छिद्र अनिष्ट शक्तियों द्वारा किसी पर आक्रमण करने अथवा वायुमंडल में काली शक्ति फैलाने हेतु किए गए हैं । काली शक्ति, एक आध्यात्मिक शक्ति है, जो अनिष्ट शक्तियों द्वारा (भूत, प्रेत, पिशाच इत्यादि) प्रयोग किया जानेवाला प्राथमिक अस्त्र है ।
आध्यात्मिक शोध से हमें यह भी ज्ञात हुआ कि केवल उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां अर्थात सूक्ष्मस्तरीय मांत्रिक ही इस प्रकार की घटना के कार्यान्वन में सक्षम हैं । यद्यपि अल्प शक्तिवाली अनिष्ट शक्तियां ही बलशाली सूक्ष्मस्तरीय मांत्रिकों के निर्देश पर छिद्र करने का कार्य वास्तव में करती हैं ।
[सूक्ष्मस्तरीय मांत्रिकों तथा अन्य प्रकार की अनिष्ट शक्तियों के संदर्भ में अधिक जानकारी खंड अनिष्ट शक्तियां में उपलब्ध है ।]
२. अनिष्ट शक्तियों तथा मानव निर्मित छिद्रों में कैसे अंतर करें ?
अनिष्ट शक्तियों तथा मानव निर्मित छिद्रों में अथवा नियमित पहनने-फटने से बने छिद्रों में कुछ कारकों के आधार पर अंतर करना संभव है । जैसे –
१. बाह्य प्रभाव की अनुपस्थिति : वस्तु का संरक्षण सुरक्षित पद्धति से किए जाने तथा कोर्इ भी बाहरी स्थूल कारक अथवा कीडे-मकोडों इत्यादि परिवर्तन का कारण ना होने पर भी छिद्रों का होना ।
२. छिद्र होने की गति : किसी भी बाह्य उद्दीपक के बिना छिद्रों का गति से अथवा अकस्मात प्रकट हो जाना अनिष्ट शक्तियों द्वारा छिद्र किए जाने की एक प्रमुख विशेषता है ।
३. छिद्रों में होनेवाले परिवर्तन : समय के साथ छिद्रों के आकार तथा माप में परिवर्तन होना ।
४. छिद्र करने की प्रक्रिया : कुछ प्रकरणों में अनिष्ट शक्तियां किसी वस्तु जैसे कपडे पर सूक्ष्म-अम्ल गिराकर उसे जलाकर छिद्र निर्माण करने की प्रक्रिया पूर्ण करती है । यह केवल अति विकसित छठवीं इंद्रिय द्वारा देखा जा सकता है ।
३. अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित छिद्रों के प्रकार
नीचे दिए गए स्लार्इड शो में अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित छिद्रों के विविध प्रकार दर्शाए गए हैं :
४. अनिष्ट शक्तियां छिद्र क्यों निर्माण करती हैं ?
अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जानेवाले किसी भी प्रकार के आक्रमण से काली शक्ति की एक सूक्ष्म सतह निर्मित होती है । यह वायुमंडल, वस्तु तथा व्यक्ति को लंबे समय तक आध्यात्मिक स्तर पर प्रदूषित करती रहती है । इसके माध्यम से अनिष्ट शक्तियां निम्न में से एक अथवा उससे अधिक उद्देश्यों की पूर्ति करने का प्रयास करती है :
- काली शक्ति प्रसारित कर समाज को कष्ट देना । अन्यों को कष्ट देना उनकी शैतानी वृत्ति का स्वाभाविक गुण है । यद्यपि अनिष्ट शक्तियां किसी भी स्थान अथवा वस्तु पर आक्रमण कर सकती हैं तथापि वे सामान्यतः सात्त्विक अथवा चैतन्य प्रक्षेपित करनेवाली वस्तुओं को अपना लक्ष्य बनाती हैं ।
- साधकों की नियमित साधना में बाधा डालना अथवा उन्हें साधना करने से रोकना । इसके लिए वे उनके द्वारा उपयोग की जानेवाली वस्तुओं अथवा कपडों पर भी आक्रमण कर सकती हैं ।
- संतों तथा उनके र्इश्वरीय कार्य का विरोध करना । अनिष्ट शक्तियां उस समय विशेष रूप से क्रूर हो जाती हैं जब उनकी शक्ति धर्म की पुनर्स्थापना हेतु कार्यरत संतों के विरुद्ध क्रियान्वित होती है ।
अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जानेवाले इस प्रकार के आक्रमण अनोखे हैं तथा ये उन व्यक्तियों को लक्ष्य करते हैं जो समाज को व्यापक स्तर पर लाभान्वित करने के लिए साधना कर विश्व को र्इश्वरीय राज्य बनाने में सहभागी होते हैं । अति दुर्लभ प्रकरणों में, उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां सामान्य व्यक्ति को भयभीत करने के आशय से उन पर आक्रमण कर सकती हैं । इसकी संभावना ०.००००१ प्रतिशत है I
यद्यपि सामान्य व्यक्ति के साथ इस घटना के होने की संभावना अत्यल्प है, तथापि जानकारी होना अच्छा होगा । यह इसी सिद्धांत के अनुसार है जैसे हम चांद अथवा मंगल ग्रह कैसा होगा यह जानने की जिज्ञासा रखते हैं; किंतु वास्तव में हममें से अधिकतर लोग वहां नहीं गए हैं ।
५. अनिष्ट शक्ति के संचारण में छिद्रों का क्या प्रभाव है ?
कोर्इ भी वस्तु जैसे कपडे अथवा छायाचित्र संबंधित शक्ति का प्रवाह ग्रहण करती है । वस्तु में प्रवाहित होनेवाली शक्ति की मात्रा तथा प्रकार सामान्यतः उसका उपयोग करनेवाले व्यक्ति की आध्यात्मिक स्थिति पर निर्भर करता है । उच्च आध्यात्मिक स्तरवाले व्यक्ति द्वारा उपयोग की जानेवाली वस्तुएं प्रायः सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति के प्रवाह को ग्रहण तथा प्रक्षेपित करती हैं । इसमें छिद्र कर अनिष्ट शक्तियां उस प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करती है । यह छिद्र एक दरार का कार्य करता है, जिसके फलस्वरूप वह वस्तु सकारात्मक शक्ति को धारण किए नहीं रख पाती । तब अनिष्ट शक्तियां इसी छिद्र का उपयोग काली शक्ति के संग्रह हेतु करती हैं तथा वह वस्तु जिनकी है और जो उसका उपयोग करते हैं उन्हें कष्ट देती है ।
अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए जानेवाले अन्य विविध प्रकार के आक्रमणों की तुलना में छिद्र करने में सर्वाधिक सूक्ष्म अनिष्ट शक्ति की आवश्यकता होती है । साथ ही एक बार छिद्र हो जाने पर उसे ठीक करना कठिन होता है । उदाहरण के लिए, कपडे के धागे यदि टूट जाएं तो उन्हें पहले की भांति नहीं जोडा जा सकता है । इसलिए अत्यधिक प्रयास आवश्यक होने पर भी अनिष्ट शक्तियां छिद्र को अपने आक्रमण का माध्यम बनाती हैं ।
६. छिद्रों के माध्यम से अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण के कारण होनेवाले कष्टों के प्रकार
यदि कोर्इ व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित छिद्रों से प्रभावित हो तो उसे निम्नलिखित स्तरों में से कोर्इ एक अथवा सभी कष्ट हो सकते हैं :
१. शारीरिक : भारीपन, वमन, पेट में वेदना, आंखाें के नीचे गहरे गड्ढे, वस्तु से दुर्गंध आना, सिर चकराना, त्वचा के रंग में असमानता, कान का सुन्न हो जाना, कान तथा सिर में तीव्र वेदना होना, शरीर का चेतनाहीन हो जाना (अकड जाना), हाथ एवं पैरों में सूर्इ चुभोने जैसी संवेदना होना इत्यादि ।
२. मानसिक : स्पष्ट विचार करने की क्षमता का ह्रास, निराशा इत्यादि ।
३. आध्यात्मिक : साधना हेतु उत्साह का अभाव, साधना को टालने का विचार करना इत्यादि ।
७. छिद्रों के प्रभाव की कालावधि कितनी होती है ?
किसी वस्तु पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित छिद्र का प्रभाव सदैव के लिए भी हो सकता है; किंतु प्रभाव की अवधि मुख्यतः छिद्र निर्मित करनेवाले सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की शक्ति पर निर्भर करती है । कुछ प्रकरणों में आध्यात्मिक उपचार द्वारा छिद्रों के प्रभाव को न्यून अथवा निष्क्रीय किया जा सकता है । अन्य प्रकरणों में प्रभावित वस्तु का उपयोग अधिक कष्ट पहुंचा सकता है, इसलिए उस वस्तु का आगे उपयोग नकिए जाने का परामर्श दिया जाता है करना ही श्रेयस्कर होगा ।
८. छिद्रों की निर्मिति का अनिष्ट शक्तियों पर क्या प्रभाव पडता है ?
उच्च स्तरीय संत जो धर्म कीपुर्नस्थापना के लिए कायर्रत हैं, उनसे संबंधित वस्तुओं पर जब अनिष्ट शक्तियां छिद्र अथवा तत्सम प्रकार के परिवर्तन करती हैं तब उन पर भी इसका दुष्प्रभाव पडता है । यही उस समय हुआ जब अनिष्ट शक्तियों ने परम पूज्य डॉ. आठवलेजी (नीचे दिखाया गया है) के छायाचित्र पर आक्रमण किया था ।
अपनी अति विकसित छठवीं इंद्रिय के माध्यम से साधिका पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी द्वारा निर्मित सूक्ष्म–ज्ञान पर आधारित चित्र नीचे दर्शाया गया है, जो आक्रमण करनेवाली सूक्ष्म अनिष्ट शक्ति का विस्तार से विवरण करता है ।
सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र में अनिष्ट शक्ति की लंबार्इ २०-२५ सें. मी. है । उसके नाखून लंबे हैं, जिससे वह किसी भी वस्तु को पकड सकती है तथा किसी को भी खरोंच सकती है । वह ३-४ फीट तक नकारात्मकता प्रक्षेपित कर सकती है । वह अनेक मायावी रूप धारण कर सकती है । उसने चित्र को बडे बल तथा क्रोध से खरोंचा और इस प्रकार वह चित्र में काली शक्ति फैला रही थी ।
उपरोक्त छायाचित्र के प्रकरण में, आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त र्इश्वरीय ज्ञान के आधार पर यह ज्ञात हुआ कि छायाचित्र द्वारा वातावण में हो रही आध्यात्मिक शुद्धता को अवरुद्ध करने के उद्देश्य से अनिष्ट शक्ति ने छायाचित्र पर आक्रमण किया था । अनिष्ट शक्ति ने अपनी सिद्धियों के माध्यम से तेजतत्त्व का प्रयोग कर छायाचित्र पर आक्रमण किया था; किंतु परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र से प्रक्षेपित होती र्इश्वरीय शक्ति के स्पर्श से अनिष्ट शक्ति का सुरक्षात्मक कवच पिघलने लगा ।
किसी के मन में यह प्रश्न भी उपस्थित हो सकता है कि स्वयं पर दुष्प्रभाव पडने पर भी अनिष्ट शक्तियां संतों तथा साधकों पर छिद्रों के माध्यम से निरंतर आक्रमण क्यों करती रहती है ? यह इसलिए होता है क्योंकि मानवजाति की आध्यात्मिक उन्नति में बाधा डालने की उनकी अत्यधिक इच्छा होती है और वे इसके लिए सर्वाधिक प्रयास करते रहते हैं । अत्यधिक अहं के कारण, वे इस परिस्थिति का प्रयोग अपनी आध्यात्मिक शक्ति के प्रदर्शन हेतु भी करते हैं । इससे हम अहं का अनिष्टकारक प्रभाव भी देख सकते हैं ।
९. अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए गए छिद्रों के दुष्प्रभवों से स्वयं की रक्षा कैसे करें ?
अनिष्ट शक्तियों के इस प्रकार के आक्रमण से सुरक्षित होने का सर्वोत्तम तथा सर्वाधिक स्थायी उपाय है, अध्यात्म के छः मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना में वृद्धि करते रहना ।
कुछ विशिष्ट आध्यात्मिक उपचार जो किए जा सकते हैं – जैसे पवित्र विभूति लगाना, वस्तु को अगरबत्ती जलाकर शुद्ध करना अथवा उच्च स्तरीय संतों द्वारा किए जानेवाले आध्यात्मिक उपचार । तथापि इन उपचारों से प्राप्त होनेवाला लाभ व्यक्ति के भाव तथा आध्यात्मिक स्तर, आक्रमण की शक्ति तथा अन्य कारकों पर निर्भर करता है ।
१०. अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए गए छिद्रों के प्रभाव से संबंधित अनुभूतियां
इस उदाहरण से हम अनिष्ट शक्तियों द्वारा किए गए छिद्रों तथा प्रभावित वस्तु (परम पूजनीय डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र) से प्रक्षेपित हो रही आध्यात्मिक सकारात्मकता के मध्य हो रहे सूक्ष्म युद्ध का अध्ययन कर सकेंगे ।
प्रकरण २
यह प्रकरण अध्ययन एक साधक के घर के लकडी के फर्श पर अपनेआप उत्पन्न हुए छिद्रों के प्रभाव का वर्णन करता है ।
यह प्रकरण अध्ययन एक व्यक्ति के पजामा में हुए छिद्र से संबंधित है ।