यह प्रकरण अध्ययन दर्शाता है कि कैसे केवल आध्यात्मिक उपचार से चकत्तों का गंभीर त्वचाविकार (रेशेस) ठीक हो गया । यह अनुभूति फिओना लिंग को हुई, जो आस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न में एक परिचारिका (नर्स) हैं । आगे वे अपना अनुभव बताती हैं ।
वर्ष २००५ में बार-बार मेरे पूरे शरीर में चकत्ते हो रहे थे । ये चकते कोडों के निशान समान लगते तथा अत्यधिक खुजलाते । इसके साथ ही मेरे मुख पर भी सूजन आने लगती और मेरे होंठ टेबल टेनिस की गेंद समान सूज जाते । किसी भी उपचार का लाभ न होने के कारण यह अत्यधिक कष्टदायक अनुभव होता । एक बार तो स्थिति इतनी बुरी हो गई कि मुझे मेलबॉर्न के एलफ्रेड अस्पताल के आपातकालीन (इमरजेंसी) कक्ष में जाना पडा । वहां उन्होंने मुझे निरीक्षण हेतु आई.सी.यू.में रखकर एंटी एलर्जिक औषधियां तथा स्टेरॉयड दिया । इन लक्षणों को समाप्त होने में ८ घंटे लगे तथा उससे मैं पूर्ण रूप से सुस्त हो गई । मैंने अपने मित्र (जो संयोग से SSRF से जुडा था)को मुझे अस्पताल से घर ले जाने के लिए बुलाया । जब उसने मेरी स्थिति देखी और मैंने उसे सब बताया । तब उसने कहा कि हो सकता है कि इस समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो । उसने कहा कि अगली बार ऐसा होने पर स्नान के समय गोमूत्र की कुछ बूंदें अपने स्नान के जल में मिला कर स्नान करें । अगली बार के लिए मेरे मित्र ने मुझे एक गोमूत्र की बोतल दे दी ।
कुछ दिनों के उपरांत पुनः वही समस्या उत्पन्न हुई । मैंने त्वरित एक चम्मच गोमूत्र बाल्टी भर पानी में डालकर स्नान किया । मैं चकित रह गई कि जैसे ही गोमूत्र का स्पर्श मेरे शरीर को हुआ उसी क्षण खुजलाहट रूक गई तथा लगभग १५ मिनट में ही चकत्ते गायब हो गए । मेरी समस्या पर इतने शीघ्र उपचार तथा राहत मिली इसके लिए कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु मेरे पास शब्द ही नहीं थे । चकत्ते समय-समय पर होते;किंतु प्रत्येक बार वह उपचार प्रभावी सिद्ध होता । आगे मुझे समझ में आया कि इस समस्या का मूल कारण अनिष्ट शक्तियां थी तथा उसका कारण आध्यात्मिक था एवं गोमूत्र उस समस्या के लिए प्रभावशाली एंटीडॉट समान था । कुछ माह के उपरांत मैंने भगवान का नामजप तथा पितृदोष (पूर्वजों के कारण होनेवाले कष्ट)के निवारण हेतु श्री गुरुदेव दत्त का नामजप निष्ठापूर्वक करना प्रारंभ किया । चकत्ते पूरी तरह चले गए तथा उसके लिए मुझे कोई औषधि नहीं लेनी पडी ।