पी.आई.पी. तकनीक के प्रयोग से भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र तथा साधकों द्वारा निर्मित चित्र का तुलनात्मक अध्ययन

प्रमुख अन्वेषक: डॉ. नंदिनी सामंत, एम.बी.बी.एस., डी.पी.एम.

शोध अध्ययन कोड: पीआईपी -०१

इस लेख को अच्छे से समझने के लिए प्रथम हमारा लेख पॉलिकॉन्ट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी (पीआईपी) तकनीक के प्रयोग से आध्यात्मिक शोध का परिचय को पढें ।

विषय सूची

१. प्रस्तावना

अपने-अपने धर्म के अनुसार साधक, धार्मिक प्रतीकों, जैसे देवताओं के चित्र उदा. शिव, श्री कृष्ण, संत, क्रॉस, चांद-तारा, ॐ, ईसा मसीह इत्यादि के चित्रों का अपनी पूजा के एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में व्यापक प्रयोग करते हैं । अनेक साधकों ने अनुभव किया है कि चित्र देखने से उन्हें एकाग्रता साधने में सहायता मिलती है । यह विशेषकर उन साधकों के साथ होता है जो साधना के प्रारंभिक चरण में होते हैं । यह लाभ अधिकतर मानसिक स्तर पर होता है ।

तथापि, आध्यात्मिक स्तर पर, अर्थात इंद्रियों, मन तथा बुद्धि से परे के स्तर पर चित्र बहुत गहन भूमिका निभाते हैं । ये चित्र वातावरण से उस देवता के तत्व चित्र में आकर्षित करने में तथा उसे पूजक की ओर प्रक्षेपित करने में एंटीना के रूप में कार्य करते हैं । चित्र जितना अधिक ईश्वरीय तत्व के वास्तविक रूप से मिलता है, उतना अधिक वह ईश्वरीय तत्व को ग्रहण तथा प्रक्षेपित कर सकता है ।

२. परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों की प्रमुख विशेषताएं

२.१ व्यावसायिक रूप से निर्मित देवताओं के चित्र

व्यावसायिक रूप से निर्मित (बाजार में मिलनेवाले) देवताओं के अधिकतर चित्र मात्र १-२ प्रतिशत ईश्वरीय शक्ति/चैतन्य को आकर्षित करने में समर्थ होते हैं । क्योंकि :

देवता के वास्तविक रूप के दर्शन करने और उसे अचूक रूप से चित्रित करने का सार्थक प्रयास किए बिना ही चित्रकार अपनी कल्पना के अनुसार चित्र बना देते हैं । अचूकता से हमारा तात्पर्य देवता के सभी सूक्ष्म भेदों (बारीकियों) को ग्रहण करने की सूक्ष्म क्षमता से है । ऐसा करने से, देवता में व्याप्त चैतन्य स्वतः ही ग्रहण हो जाता है ।

इसमें मुख्य बाधाएं हैं :

• चित्रकार में देवता के स्पंदनों को समझने/देखने के लिए आवश्यक उच्च आध्यात्मिक स्तर का अभाव, और

• आध्यात्मिक रूप से उन्नत संत के मार्गदर्शन का अभाव ।

२.२ परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र

परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं ।

• चित्रकार साधक संपूर्ण परियोजना को ईश्वर-प्राप्ति हेतु अपनी साधना के रूप में देखते हैं ।

• सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों में प्रत्येक रेखा तथा रंग की प्रत्येक छटा ध्यानावस्था में देवता के वास्तविक रूप के ज्ञान को प्राप्त करके तथा परम पूज्य डॉ. आठवले जी से उसकी पुष्टि करवाने बाद ही उन्हें अंतिम रूप दिया जाता है ।

• इस परियोजना का अन्य कार्यरत घटक है परम पूज्य डॉ. आठवले जी का संकल्प ।

• विश्व भर के साधकों को देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों द्वारा वास्तविक देवता तत्व का ३० प्रतिशत तत्त्व उपलब्ध कराने के लिए परम पूज्य डॉ. आठवलेजी ने यह परियोजना आरंभ की गयी । वर्तमान कलियुग में, यह देवता के तत्व की अधिकतम सीमा है जिसे सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों द्वारा उपलब्ध कराया जा सकता है । समाज में रहनेवाले अधिकतर लोगों का औसत आध्यात्मिक स्तर निम्न होने के कारण यह देवता के तत्व की अधिकतम सीमा है जिसे वे सह सकते हैं ।है

• देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इन सात्विक चित्रों का महत्व यह है कि :

• देवता के वास्तविक रूप से मेल खाते, सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र साधकों के लिए पूजा और अधिक सुगम बना देते हैं क्योंकि सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र स्वयं में विद्यमान देवता तत्व का बहुत बडा योगदान देते हैं । शेष सब पूजा करनेवाले साधकों की तडप, श्रद्धा तथा भक्ति पर निर्भर करता है ।

• सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इन चित्रों में उच्च देवता तत्व के गुण रहते हैं, इसलिए ये चित्र अति उत्तम आध्यात्मिक उपचार के रूप में कार्य करते हैं ।

चित्रकार साधकों ने देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र अत्यधिक प्रयास से बनाए हैं । अतः, जैसे जैसे चित्रकार साधकों का आध्यात्मिक स्तर तथा भाव बढता गया, हमारे पास देवता के तत्व को उत्तरोत्तर आकर्षित तथा प्रक्षेपित करनेवाले देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों की एक शृंखला बनती गर्इ । उदाहरण के लिए, इस परीक्षण में प्रयोग हुए भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र को २००८ में बनाया गया । यह १५ प्रतिशत शिव तत्व को आकर्षित तथा प्रक्षेपित कर सकता थाI । अब २०११ में उपलब्ध भगवान शिव का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र २८.७ प्रतिशत शिव तत्व आकर्षित तथा प्रक्षेपित कर सकता है ।

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३. कार्यप्रणाली

इस अध्ययन में हमने पीआईपी तकनीक के प्रयोग से परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र की सकारात्मकता की तुलना भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र के साथ की ।

३.१ नमूने का संग्रह

यह प्रयोग २३ सितंबर, २००८ को किया गया । साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र का आकार २ इंच (१०.१६ से.मी.) x ३ इंच (१५.२४ से.मी.) था । व्यावसायिक चित्र भी उसी आकार का था ।

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३.२ पी.आई.पी. उपकरण द्वारा चित्र लेने की पद्धति

हमने साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र को तथा व्यावसायिक चित्र को दो समान छोटे श्वेत लिफाफों में रख दिया । तदुपरांत उन दोनों लिफाफे को एक बडे लिफाफे में रखा । इस लिफाफे को पीआईपी के सेट अप टेबल पर इस प्रकार रखा गया कि लिफाफे का एक भाग पी.आई.पी कैमरे के सामने रहे । दोनों प्रकरणों में बडे श्वेत लिफाफे को एक समान रखा गया । कैमरे की सेटिंग (स्थिति) परिवर्तित किए बिना दोनों छोटे लिफाफों का चित्र पी.आई.पी कैमरे द्वारा लिया गया ।

हमने काले/श्वेत, मोनेट, पी.आई.पी. और लेंडस्केप फिल्टर के प्रयोग द्वारा व्यावसायिक चित्र तथा भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र का अध्ययन किया ।

४. निरीक्षण

४.१ काली/श्वेत फिल्टर

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काली/श्वेत फिल्टर रंग व्यावसायिक चित्र साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र
वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र हल्का नीला मध्यम अल्प
गहरा नीला अल्प अधिक
गुलाबी अल्प अधिक
वस्तु के चारों ओर का ऊर्जा क्षेत्र लाल अधिक मध्यम
पीला मध्यम मध्यम
हरा अल्प मध्यम

भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र की तुलना में, साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र ने दर्शाया कि

१. वस्तु पर के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक गहरा नीला तथा गुलाबी रंग सकारात्मकता का सूचक है

२. वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में अल्प लाल रंग नकारात्मकता का सूचक है ।

अनुमान

वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है ।

वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में नकारात्मकता अल्प है ।

४.२ मोनेट फिल्टर

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मोनेट फिल्टर रंग व्यावसायिक चित्र साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र
वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र पीला अधिक अल्प
हरा अल्प मध्यम
गुलाबी नगण्य मध्यम
नारंगी मध्यम नगण्य
वस्तु के चारों ओर का ऊर्जा क्षेत्र लाल मध्यम अल्प
हरा अधिक अधिक

भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र की तुलना में, साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र ने दर्शाया कि

१. वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक हरा तथा गुलाबी रंग सकारात्मकता का सूचक है

२. वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक हरा रंग सकारात्मकता का सूचक है

अनुमान

वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है ।

वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है ।

४.३ पी.आई.पी. फिल्टर

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पी.आई.पी. फिल्टर रंग व्यावसायिक चित्र साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र
वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र पीला अधिक अल्प
हरा नगण्य मध्यम
गुलाबी अल्प अधिक
नारंगी अल्प नगण्य
वस्तु के चारों ओर (आस पास) का ऊर्जा क्षेत्र नारंगी मध्यम अल्पतर
हरा मध्यम अधिक

भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र की तुलना में, साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र ने दर्शाया कि

१. वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक गुलाबी तथा हरा रंग सकारात्मकता का सूचक है

२. वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक हरा रंग सकारात्मकता का सूचक है

अनुमान

वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है I

वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है I

४.४ लेंडस्केप फिल्टर

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लेंडस्केप फिल्टर रंग व्यावसायिक चित्र साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र
वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र काले बिंदु/धब्बे मध्यम अनुपस्थित

भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र की तुलना में, साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र ने दर्शाया कि

१. काले बिंदुओं/धब्बों की अनुपस्थिति, जो वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में सकारात्मकता का सूचक है

अनुमान

वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र में अधिक सकारात्मकता है ।

४.५ व्यावसायिक चित्र की तुलना में साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र के सकारात्मकता/नकारात्मकता के निरीक्षण का सार

फिल्टर ऊर्जा क्षेत्र सकारात्मकता/नकारात्मकता की अवस्था
काली/श्वेत वस्तु पर अधिक सकारात्मकता
वस्तु के चारों ओर अल्प नकारात्मकता
मोनेट वस्तु पर अधिक सकारात्मकता
वस्तु के चारों ओर अधिक सकारात्मकता
पी.आई.पी. वस्तु पर अधिक सकारात्मकता
वस्तु के चारों ओर अधिक सकारात्मकता
परिदृश्य वस्तु पर अधिक सकारात्मकता

५. प्रयोग का निष्कर्ष

• वस्तु पर ऊर्जा क्षेत्र ने सभी फिल्टरों में व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र में अधिक सकारात्मकता को दर्शाया I

• वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र ने पी.आई.पी. तथा मोनेट फिल्टरों में व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र में अधिक सकारात्मकता को दर्शायाI । काली/श्वेत फिल्टर के प्रयोग से लिए गए चित्रों ने वस्तु के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र में व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र में अल्प नकारात्मकता को दर्शायाI ।

उपर्युक्त दर्शाए गए तथ्यों से, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव का सूक्ष्म-ज्ञान से निर्मित चित्र व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा अधिक सकारात्मक है ।

६. सूक्ष्म-ज्ञान विभाग से दिया गया विवरण

किसी भी घटक की कार्य पद्धति का विस्तार तथा रूप किसी भी क्षण पारिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित होता है ।

प्रश्न : परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र तथा भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र के तुलनात्मक अध्ययन में, पी.आई.पी तथा मोनेट फिल्टरों के प्रयोग से लिए गए चित्रों में व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा साधकों द्वारा निर्मित सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र के चारों ओर ऊर्जा ने अधिक सकारात्मकता को दर्शाया I तथापि, काली/श्वेत फिल्टरों द्वारा लिए गए उसी चित्र के छायाचित्र के पठन ने नकारात्मकता में कमी को दर्शाया, जबकि पूर्व की दोनों फिल्टरों समान इस बार व्यावसायिक चित्र की तुलना में अधिक सकारात्मकता को नहीं दर्शाया I इसका क्या कारण है ?

सूक्ष्म-ज्ञान विभाग : चैतन्य प्रक्षेपित करने वाली प्रत्येक वस्तु के कार्य करने की पद्धति प्रति क्षण परिवर्तित होती है । यदि वातावरण सकारात्मक कार्य के लिए अनुकूल है, तो चैतन्य उत्पन्न करने वाली वस्तु मात्र सात्विकता के अधिकतम स्तर पर कार्य कर सकती है । ऐसा इसलिए क्योंकि वातावरण से कष्टदायक स्पंदनों का विरोध नहीं होता ।

पी.आई.पी. तथा मोनेट फिल्टरों के प्रयोग से जब भगवान शिव के व्यावसायिक चित्र तथा साधकों द्वारा निर्मित चित्र के पी.आई.पी. चित्रों को लिया गया, तो सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र पर अनिष्ट शक्तियों का आक्रमण न्यूनतम था । इस कारण इन फिल्टरों के प्रयोग से लिए गए सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रों ने भगवान शिव के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इन चित्रों से सकारात्मक ऊर्जा के प्रक्षेपण को दर्शाया ।

तथापि, जब काली/श्वेत फिल्टर से चित्रों को लिया गया, तो चित्रों पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा आक्रमण होने के कारण, वहां वातावरण में उच्च मात्र में प्रतिरोधात्मक स्पंदन थे । इस कारण अनुमान नकारात्मकता के अनुपात में दिखा I चूंकि साधकों द्वारा निर्मित भगवान शिव का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र व्यावसायिक चित्र की अपेक्षा अधिक सात्विक था, इसलिए इस सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र के चारों ओर के ऊर्जा क्षेत्र पर अल्प नकारात्मकता दिखी । किसी भी घटक की कार्य पद्धति का विस्तार तथा रूप किसी भी क्षण पारिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित हो जाता है । इसी के आधार पर फिल्टरों ने निष्कर्षों को दर्शाया । तथापि, समान घटक के संदर्भ में विभिन्न फिल्टरों के निष्कर्ष भिन्न क्यों हैं, इसका कारण तो मात्र अध्यात्म शास्त्र से ही समझा जा सकता है ।

७. सीखने को मिले प्रमुख बिंदु

७.१ देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित सात्विक चित्रों का महत्व

इस अध्ययन ने दर्शाया है कि देवताओं के व्यावसायिक चित्रों की अपेक्षा संतों के मार्गदर्शन में साधकों द्वारा निर्मित देवताओं के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित सात्विक चित्र अधिक सकारात्मकता प्रक्षेपित करते हैं, अतः, व्यावसायिक रूप से उपलब्ध चित्रों की अपेक्षा सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित ऐसे चित्र पूजा के लिए अधिक लाभदायक होते हैं । इसलिए, जहां कहीं भी संभव हो हम अपने धार्मिक प्रतीकों के सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इन सात्विक चित्रों का पूजा के लिए उपयोग लेने में प्रयास कर सकते हैं ।