परिचय: यह अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस, इत्यादि) द्वारा लोगों को प्रभावित करने के अनगिनत प्रकारों का एक अन्य उदाहरण है ।
घटना: २००७ के जून माह के प्रथम सप्ताह में, हम भारत स्थित SSRF के आश्रम में तीव्र निरंतर खांसी की घटना के साक्षि बने । कला विभाग का एक युवा साधक अचानक से लगातार खांसने लगा । उसकी खांसी सूखी तथा कर्कश थी । इसने उसके शरीर को हिलाकर रख दिया तथा वह बिस्तर पर लोट रहा था । यह एक क्षण रूके बिना घंटों तक चला । खांसी का स्वर इतना अधिक था कि उसे निकट के कक्षों में भी सुना जा सकता था ।
चिकित्सीय परीक्षण : इसमें कोई भी शारीरिक कारक नहीं था । उसके चिकित्सीय परीक्षण में शारीरिक रोग के कोई भी लक्षण नहीं दिखे । खांसी-रोधी औषधियों का भी कोई लाभ नहीं हुआ । कष्ट से राहत देने के लिए उसे नींद की दवाई देने का भी कोई लाभ नहीं हुआ । उसे दी गई १० मि.ग्राम डायजेपाम (Diazepam), पीडाशामक तथा नींद लानेवाली औषधि भी असफल रही ।
आध्यात्मिक निदान : अति विकसित छठवीं इंद्रिय से युक्त SSRF के सूक्ष्म-विभाग के साधकों को ज्ञात हुआ कि यह एक अनिष्ट शक्ति के कारण हुआ है । अनिष्ट शक्ति ने दो सूक्ष्म-यंत्र उसके अनाहत-चक्र (ह्रदय के पास स्थित) में लगाए थे जो निरंतर काली शक्ति छोडकर खांसी उत्पन्न कर रहे थे ।
उपचार: उस पर आध्यात्मिक उपचार करने पर खांसी घट जाती; परंतु कुछ घंटों के उपरांत पुनः आरंभ हो जाती । ऐसा तीन दिन तक चलता रहा । आध्यात्मिक उपचार करने पर ही खांसी रूकती थी ।
टिप्पणी: आध्यात्मिक शोध दर्शाता है कि अनिष्ट शक्ति द्वारा बिठाया गया यंत्र अनैच्छिक क्रियाएं जैसे कंपकंपी, हिचकी, खांसी इत्यादि उत्पन्न करने के लिए निरंतर काली शक्ति छोड सकता है ।