अनिष्ट शक्ति से बाधित आवास अथवा वातावरण के आध्यात्मिक शुद्धीकरण के लिए हम कौन से उपाय कर सकते हैं ?

१. प्रस्तावना – वास्तु के नकारात्मक तरंगों से युक्त तथा बाधित होने का कारण

आध्यात्मिक शोध से यह उजागर हुआ है कि अखिल विश्व में प्रत्येक वास्तु में किसी न किसी प्रकार की नकारात्मक तरंगें होती हैं । ये नकारात्मक तरंगें निम्नलिखित कारणों से हो सकतीं हैं:

  • वास्तु में निवास करनेवाले व्यक्तियों के कारण
    • क्या वे साधना करते हैं ?
    • क्या उनकी साधना, साधना के : मूल भूत सिद्धांतों के नियमानुसार है ?
    • निवासियों का मानसिक स्वरूप कैसा है ?
  • वास्तु का उपयोग किस प्रयोजन के लिए होता है ?
  • वास्तु : निर्माण पद्धति, स्वच्छता, वास्तु में रखी वस्तुएं एवं उनके स्थान एवं रख-रखाव आदि ।
  • भूमि का टुकडा जिस पर घर का निर्माण किया गया है ।
  • परिवेश ।

यह समझना अतिआवश्यक है कि क्या ये नकारात्मक तरंगें भूत (राक्षस, दानव आदि) अनिष्ट शक्तियों अथवा पूर्वजों के लिंग देहों को आकर्षित करती हैं ? नीचे दी आकृति में अनिष्ट शक्तियों एवं पूर्वजों के लिंगदेहों को आकर्षित करनेवाले सभी घटक तथा उनके औसत प्रतिशत दिखाए गए हैं ।

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उदाहरणार्थ, यदि घर में रहनेवाले लोगों में अनेक स्वभावदोष हैं, जैसे – क्रोध, लोभ, व्यसन, आदि तब वे अनिष्ट शक्तियों एवं पूर्वजों के लिंग देहों को आकर्षित करेंगे । उसी प्रकार यदि परिसर का उपयोग किसी व्यसन के लिए अथवा तामसिक गीतों के लिए किया जाता है तो वह अनिष्ट शक्तियों को आकर्षित करेगा । हमारे ६० प्रतिशत पूर्वज मृत्यु के उपरांत भी भूलोक से जुडे होते हैं । इसमें से प्राय: ५० प्रतिशत पूर्वज अपने प्रिय स्थान (पैतृक निवासादि) अथवा प्रिय वस्तु के चारों ओर मंडराते रहते हैं । शेष ५० प्रतिशत पूर्वज अपने प्रिय व्यक्ति के आसपास रहते हैं । ऐसे पूर्वज जो भूलोक से जुडे हुए हैं, वे अपने वंशजों को अथवा उनके पैतृक निवास में रहनेवालों को कष्ट दे सकते हैं ।

संदर्भ लेख – मेरे पूर्वज मुझे कष्ट क्यो देंगे ?

ऐसा पाया गया है कि अधिकतर लोग कष्टदाय्क स्पंदनों से अनभिज्ञ होते हैं क्योंकि वे स्वयं ही अनिष्ट शक्तियों के दुष्प्रभाव से ग्रस्त होते हैं । इसलिए वे अनिष्ट शक्तियों, पूर्वजों अथवा अन्य अनिष्ट स्पंदनों की उपस्थिति को अनुभव नहीं कर पाते । अधिकांश लोगों के चारों ओर कष्टदायक शक्ति का आवरण (औसतन ४ सें.मी.) होता है एवं उनकी छठवीं इंद्रीय के कार्यरत न होने के कारण अनिष्ट शक्तियों की उपस्थिति के कारण उत्पन्न इन सूक्ष्म कष्टों के संदर्भ में वे संवेदनहीन हो जाते हैं ।

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इसे एक तत्सम उदाहरण से समझा जा सकता है, जैसे चिकित्सालय में चिकित्साकर्मियों को औषधियों एवं कीटाणुनाशकों की गंध से कोई कष्ट नहीं होता, वैसे ही काली शक्ति के आवरण (रज – तम) से युक्त लोग ऐसे स्थान पर अधिक अच्छा अनुभव करते हैं जहां पर रज-तम युक्त गतिविधियां होतीं हैं । जैसे आविष्ट शराबी उस समय प्रसन्न होता है जब उसके पास अधिक शराब लाई जाती है ।

२. निवास को बाधित करनेवाली अनिष्ट शक्ति एवं नकारात्मक तरंगों को कम करने के उपाय

नीचे दी गई सारणी में परिसर की आध्यात्मिक शुद्धि करने के विभिन्न उपायों का तुलनात्मक महत्त्व दिखाया गया है ।

परिवेश की आध्यात्मिक स्वच्छता करने के उपायों का तुलनात्मक महत्त्व

उपाय महत्त्व (प्रतिशत में)
परिसर में रहनेवालों की साधना ३०
परिसर में रहनेवालों का सौम्य व्यक्तित्व ३०
स्थान को शुद्ध करने की विधियां १४
संतों का आगमन १०
द्वार-खिडकियां खुली रखना
परिसर में विद्यमान दोषों अथवा त्रुटियों को दूर करना जिनके कारण स्थान में नकारात्मक तरंगे रहती हैं
शक्तियों के साथ प्रयोग न करना जैसे औजा बोर्ड का उपयोग करना
अन्य (जैसे तुलसी का सात्विक पौधा लगाना आदि) १०

टिप्पणी : किसी भी अनिष्ट शक्तियों से बाधित स्थान की आध्यात्मिक स्वच्छता करने के निम्नलिखित प्रभावकारी साधन हैं :

उपरोक्त उल्लेखित उपायों का प्रभाव उस समय अधिक होता है जब साधना करते हुए उन्हें आस्था एवं भाव से किया जाता हैं । परिसर के अध्ययन का विज्ञान एवं फेंगशुई जैसे उपाय अनिष्ट शक्तियों का विमोचन करने में सीमित मात्रा में ही योगदान दे पाते हैं । दोनों पद्धतियों द्वारा सुझाए गए निर्माण से संबंधित परिवर्तन करने की अपेक्षा आध्यात्मिक शुद्धि करने हेतु ऊपर बताई गई दोनों विधियां अधिक प्रभावी तथा अधिक लाभप्रद है । इतना करने पर भी केवल छोटी एवं न्यून शक्तिवाली अनिष्ट शक्तियां ही आध्यात्मिक शुद्धि करनेवाली विधियों से दूर होती हैं । नीचे दी गई सारणी में ओझा द्वारा अनिष्ट शक्तियों के उच्चाटन हेतु किए जानेवाले आध्यात्मिक उपाय पर किए गए आध्यात्मिक शोध के परिणाम प्रस्तुत करती है ।

भूत बाधा का प्रकार % लाभ
वास्तविक ३०
काल्पनिक ३० ३०
अन्य ४० १०

टिप्पणियां :

१. हमने भूत बाधा को तीन प्रकार से वर्गीकृत किया है;

अ. वास्तविक : इसमें बाधा वास्तव में भूतों एवं पूर्वजों की लिंग देहों द्वारा निर्मित होती है ।

आ. काल्पनिक : इससें लोग घर में भूत बाधा होने की कल्पना करते हैं अथवा भ्रमित होते हैं ।

इ. अन्य : इसमें घर भूत से बाधित प्रतीत हो सकता है जो निवास की रचना, भू:खंड का परिवेश अथवा वहां रहनेवाले लोगों के विचारों आदि से निर्मित नकारात्मक तरंगों के कारण हो सकती है ।

२. यह स्तंभ (कॉलम) भूतबाधा वास्तविक है, काल्पनिक है अथवा मात्र नकरात्मक स्पंदनों से संबंधित होने की संभावना औसत रूप से दर्शाता है ।

३. ओझा, तांत्रिक, मांत्रिक, आध्यात्मिक उपचारक, पुजारी अथवा मनोरोग विशेषज्ञ द्वारा भूतबाधा दूर करने की संभावना अल्प ही होती है ।

४. इसका अर्थ है कि ३० प्रतिशत लोग जिन्हें काल्पनिक स्तर पर लगता है कि वहां भूतबाधा है और किसी ओझा अथवा भूत उतारनेवाले द्वारा उस परिसर की शुद्धि के उपरांत उन्हें मानसिक स्तर पर लगता है कि वहां से अनिष्ट शक्तियों का उच्चाटन हो गया है । उसी प्रकार १० प्रतिशत लोगों को भी कुछ लाभ दिखाई देगा, यदि बाधा नकारात्मक तरंगों के कारण थी न कि किसी भूत के कारण ।

यह समझना आवश्यक है कि मात्र साधना जो कि, साधना के छ: मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार की जाए, से अनिष्ट शक्तियों का स्थाई रूप से उस स्थान से उच्चाटन किया जा सकता है ।