मद्यपान का व्यसन (अतिमद्यपान) तथा साधना द्वारा उसका उपचार

साधनाद्वारा मद्यपान के व्यसन का उपचार

मेरे चारों ओर व्याप्त उजाले पर मेरा ध्यान धीरे-धीरे गया और मेरे सिर में पीडा अनुभव हुई । मैंने अपनी आंखें बंद की और उन्हें फिर से खोला, मैं यह समझने का उत्सुकता से प्रयास कर रहा था कि मैं कहां हूं । वहां एक मधुशाला थी, मित्र थे और बोतलमें भरी ढेर सारी वोडका (एक प्रकार की मदिरा) थी; बस मुझेइतना ही स्मरण हो सका। अरे यह क्या, मैं तो सडक पर पडा हूं। शेष अन्य लोग कहां हैं? क्या यह मेरे घर का प्रवेशद्वार है? मुझे घर जाना होगा । यह प्रवेशद्वार खुल क्यों नहीं रहा? मैं द्वार तोडकर भीतर चला जाता हूं और जो होगा वो बाद में देखा जाएगा।

कुछ देर पश्चात…

अरे, यह मेरा घर नहीं है । मुझे आशा है कि किसी ने मुझे द्वार तोडते हुए नहीं सुना होगा ।

अरे नहीं। मेरा घर तो उस दिशा में है । मैंने ऐसे कैसे सोच लिया कि पिछला घर मेराघर था ? मुझे सोना चाहिए । मैं घर पहुंचने के लिए प्रतीक्षा नहीं कर सकता; कोई किराए का वाहन भी दिखाई नहीं दे रहा। मुझे पैदल ही जाना होगा । हे भगवान्, मेरे सिर में वेदना हो रही है ।

विंसेंट के जीवन में सदैव घटनेवाली यह एक घटना थी । मद्यपान के पश्चात शक्तिहीन और अचेत होना, ऐसी घटनाओं केकारण उसके जीवन के २० से अधिक वर्ष व्यर्थ हो गए । कई बार, जितना भी उसे याद रहता, उससे भी अधिक बार, वह अत्यधिक मद्यपान करनेके पश्चात विभिन्न स्थानों पर अचेत हो जाता था । मदिराकी मात्रा पर नियंत्रण नहीं रख पाने के कारण, वह पूर्ण रूप से अचेत होता था और प्रायः स्वयं को रात भर सुनसान सडकों पर गिरा हुआ पाता था, उसे कुछ भी याद नहीं रहता था कि वह वहां कैसे पहुंचा अथवा उसने बीच में क्या किया।

१. किशोरावस्था में मद्यपान के व्यसन की समस्या का आरंभ

 

 

यह सब तब आरंभ हुआ जब उसकी आयु १५ वर्ष थी। विंसेंट का जन्म ब्रुसेल्स में हुआ था और अपनी किशोरावस्था में वह एक हॉकी टीम के लिए खेलता था। खिलाडियों के लिए मद्यपान करना सामान्य बात थी और वे सप्ताह में २ से ३ बार मद्यपान करते थे, जिस में सप्ताह में एक से दो बार वे अत्यधिक मद्यपान करते थे। प्रारंभ में, साथियों के दबाव के कारण विंसेंट को मद्यपान करना पडा, किंतु शीघ्र ही उसे मद्यपान करने में सुख मिलने लगा। उसने बताया कि एक बार मद्यपान आरंभ कर देने पर, वह स्वयं को कभी भी १ से २ गिलास तक नहीं रोक पाता था । मदिरा सेवन की इच्छा बहुत अधिक बढ रही थी और चूंकि उसे यह पसंद था, इसलिए उसे इससे अधिक संघर्ष करने की आवश्यकता प्रतीत नहीं हुई। छात्र मदिरालयों में मदिरा पर कुछ छूट रहती है; जैसे कि आधे यूरो में, एक बीयर मिलती थी, फल स्वरूप छात्र व्यसन में लिप्त होने हेतु प्रोत्साहित होते थे, कभी-कभी तो वें एक रात में १४-१५ बीयर तक पी जाते !

 

 

यह बात विंसेंट के लिए अत्यधिक मद्यपान के विकार में वृद्धि का कारण बनी, जहां वह सदैव अपोआप को व्यसन में धुत्त हुआ पाता। वह याद करता हैं, “२००१में वियना में अध्ययन के समय, हम छात्रों के एक बडे समूह के साथ रेल से पर्वतों पर गए थे। पूरी रेल यात्रा के समय मद्यपान करने पर, मुझे मात्र इतना ही याद है कि मैं गंतव्य पर पहुंचा और वहां होटल के मदिरालय में मैंने तब तक मद्यपान करना जारी रखा जब तक दूसरों को मुझे मेरे कक्ष तक नहीं ले जाना पडा।’

२. विंसेंट के अत्यधिक मध्यपान करनेके विकार में वृद्धि होने के कारण

विंसेंट अपनी माताजी के साथ

विंसेंट के विश्व विद्यालय से स्नातक होने के उपरांत उसकी मदिरा पर निर्भरता और बढ गई। बेल्जियम में २२ वर्ष की आयु में वित्त विषय में स्नातकोत्तर अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात विंसेंट सिंगापुर चला गया जहां उसकी माताजी रहती थीं। उसके माता-पिता का विवाह-विच्छेद हो जाने के कारण उसके पिताजी बेल्जियम में थे। विंसेंट ने वित्त क्षेत्र में एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में कार्य आरंभ किया, जिसके लिए उसे बहुत यात्राएं करनी पडती थी।

 

 

अत्यधिक मद्यपान का व्यसन जारी था । सिंगापुर में वह नियमित रूप से मदिरालयों में जाने लगा था। विंसेंट याद करता है, “जब मैं सिंगापूर आया,तो मुझे वहां का रात्रि जीवन (नाईट लाइफ) आकर्षक लगा क्योंकि यहां सदैव विश्वभर के लोगों से हमारा मिलाना हो जाता था । मुझे नए मित्र बनाने और रात में विभिन्न शहरों में घूमने में भी अच्छा लगता था । बाहर जाते समय तो, मुझे पता रहता था कि मैं रात में कहां जाने की योजना बना रहा हूं। किंतु मुझे यह पता नहीं रहता कि अंत में मैं कहां रहूंगा, और जैसे-जैसे रात बढती जाती, मुझे स्वतंत्रता और रोमांच का यह अनुभव बहुत प्रिय लगता था ।”

विंसेंट स्वाभाविक रूप से संकोची था और अपने कामकाज के गंभीर रूप से उत्पन्न तनाव से बाहर निकलने तथा समाज में मिलजुल कर रहने में बाधा बन रही अपनी लज्जा को दूर करने के लिए वह एक ही समय में कई गिलास मदिरा सेवन करता जाता था। इससे उसे सहज रहने और दूसरों के साथ हंसी-मजाक से रहने में सहायता मिलती थी । किंतु इसका एक नकारात्मक पहलू भी था। विंसेंट के शब्दों में, “मैं इसीलिए मद्यपान करता था और यह सोचकर और भी अधिक मद्यपान करता रहता कि इससे मैं दूसरों के सामने और अधिक विनोदी व्यक्ति लगूंगा। किंतु मैं अधिकांशतः अत्यधिक मद्यपान कर जाता था और समय पर कभी भीरुक नहीं पाता था। परिणामस्वरूप, मेरे लिए नाइट क्लबों (मनोरंजन के स्थान जो प्रायः देर रात तक संचालित किए जातेहैं) में अचेत हो जाना सामान्य बात हो गई थी; मैं वहीं सो जाता था और किसी भी प्रयास से उठ नहीं पाता था । मुझे कभी-कभी कई घंटों तक कुछ भी स्मरण नहीं रहता और यह पता ही नहीं रहता था कि मैंने पिछली रात में क्या किया होगा ।प्रायःदूसरे दिन लोग मुझे मेरे द्वारा किए गए लज्जाजनक कृत्यों के बारे में बताते थे। अनजान लोग मेरे पास आते और मेरा अभिवादन करते, किंतु मैं उनसे हुई भेंटको कभी याद नहीं कर पाता था क्योंकि मैं वास्तव में उनसे तब मिला हुआ होता था जब मैं व्यसन की स्थिति में लिप्त हुआ होता था ।”

 

 

विंसेंट के मद्यपान का व्यसन निरंतर बढता जा रहा था । भूतकाल की ओर देखते हुए उसने बताया, “सिंगापुर में मेरे प्रारंभिक वर्षों में, एक भी सप्ताह ऐसा नहीं गया जब मैं मदिरालय और क्लबों में नहीं गया । मेरी साप्ताहिक सामाजिक दिनचर्या के अंतर्गत शुक्रवार और शनिवार की मेरी रातें क्लबों में व्यतीत होती थी; रविवार को समुद्र तट पर पार्टी होती थी, जो देर रात समाप्त होती थी, जिससे रविवार की रात मैं अत्यधिक व्यसन के प्रभाव में धुत्त रहताथा। प्रत्येक सोमवार को सवेरे मुझे बहुत भयानक अनुभव होता था । मंगलवार तक मेरा सामान्य अवस्था में आना आरम्भ होता था, बुधवार को कुछ उत्पादक कार्य करता और पुनः प्राप्त हुई उस ऊर्जा के साथ, मैं बुधवार की रात को पुनः बाहर चला जाता क्योंकि उस दिन पूरे नगर में वह रात महिलाओं के लिए होती थी (अधिक तर मदिरालयों तथा क्लबों में महिलाओं को निःशुल्क मदिरा प्राप्त हो जाती थी) । ऐसा वर्षों तक चलता रहा, यहां तक कि रात भर बाहर रहने के पश्चात दूसरे दिन योग्य प्रकार से सोचने में असमर्थ होने के कारण मैं सप्ताह का अपना पूरा कार्य केवल ३-४ दिनों में ही पूर्ण करता था। उसके उपरांत भी, जब मेरा स्वयं का व्यवसाय था, तब भी व्यसन का प्रभाव होने के कारण मैं कभी-कभी दोपहर १ बजे तक कार्यस्थल पर पहुंचता था।”

३. विंसेंट के अत्यधिक मद्यपान के विकार के कारण उसके जीवन में निर्माण होने वाली परिस्थितियों के उदाहरण

नीचे पिछले कुछ वर्षों की ऐसी कुछ घटनाओं का वर्णन है जो विंसेंट के जीवन पर अत्यधिक मद्यपान के विकार के प्रभाव को दर्शाती हैं।

 

  • मैं शंघाई में १० दिन की यात्रा पर गया, वियतनाम में ७दिन की यात्रा पर गया, जहां मेरा फोन खो गया और मैंने पाया कि मैं अनजान स्थलों पर जग गया हूं । अन्य नगरों में जहां ऐसी ही घटनाएं हुई थी, वे थे फिलीपींस में बोराके, चीन में शेन्जेन, हांगकांग और मलेशिया में कुआलालंपुर (ऐसे कुछ नाम है)। मैं और मेरे मित्र नियमित रूप से प्रत्येक ३-४ सप्ताह में अपने मन भावन स्थल जो कि जकार्ता, बैंकॉक और बाली थे, वहां पर मौज मस्ती की यात्राएं आयोजित करते थे। हम दिन भर सोते रहते थे और केवल रात में ही जागृत रहते थे। मुझे लगता था कि यही जीवन है । यद्यपि मैं अपने कार्य के समय मितव्ययी था और मैं यह हिसाब करता रहता था कि मैंने धन बचाने की आशा में कितना व्यय किया होगा, किंतु रात में मैं एक भिन्न ही व्यक्ति बन जाता, जो बिना किसी रोक-टोक के व्यय करता रहता था। जैसे-जैसे मेरी आय में वृद्धि हुइ, वैसे-वैसे मेरा मदिरा पर व्यय भी बढने लगा, इसलिए मैं अपने प्रारंभिक कार्यकारी वर्षों में बहुत ही अल्प बचत कर रहा था। आरम्भ में, मैं बीयर और वाइन पीता था, किन्तु पश्चात में, आर्थिक क्षमता बढने के साथ, मैं महंगी व्हिस्की (एक प्रकार की मदिरा) भी पीने लगा।
  • २००५ में, स्पेन में एक कार्य प्रशिक्षण यात्रा के समय, मैंने इतना अधिक मद्यपान किया कि मुझे स्मरण ही नहीं रहा कि क्या हुआ था और मैं कई बार भूमि पर गिरा (जिसमें मेरा डिजिटल कैमरा टूट गया)।
  • २००७ में अपने पिताजी की दूसरे विवाह में मैंने इतना मद्यपान कर लिया था कि रात्रि भोज के समय मैं अचेत हो गया। जब मैं चेतना में आया, तो मैं सीधे ५० लोगों के साथ रात्रि भोज करने के लिए चला गया। वहां एक बेली डांसर (कुक्ष नर्तकी) थी; मैं आत्मविश्वास से उसके निकट गया और मैंने अपने पूरे परिवार के सामने उसके साथ नृत्य किया । सामान्यतया, मैं ऐसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि मैं एक अच्छा नर्तक नहीं हूं। मुझे अनुभवहुआकि यह मैं नहीं हूं, किंतु लगा कि, मुझ में ऐसा कोई तो था जिसे ऐसा करने में सुख प्राप्त हुआ ।
  • वर्ष २००८ के आसपास, मलेशिया के समुद्र तट की यात्रा के समय, मैंने बस और नाव पर इतना अधिक मद्यपान किया कि द्वीप पर पहुंचते ही मैं वहां घंटों तक समुद्र तट पर अचेत रहा। उसी द्वीप पर ही, मैं भिन्न भिन्न स्थलोंपर भिन्न भिन्न समय पर चेतना में आ रहाथा ।
  • वर्ष २०१० में, थाईलैंड के फी फी द्वीप में बेल्जियम के एक मित्र के साथ छुट्टियां मनाते समय, हम समुद्र तट पर नृत्य कर रहे थे, तब मुझे अचानक क्रोध आया और मैंने अपना कुर्ता शर्ट फाड दिया। क्रोध का यह आवेग मेरे स्वभाव से पूर्णतया भिन्न था। तदोपरांत, मुझे पूरी तरह थकान का अनुभव हुआ और किसी बेंच पर घंटे भरके लिए आराम करना पडा ।
  • वर्ष २०११ में, बेल्जियम में एक पारिवारिक समारोह में, मैंने इतना अधिक मद्यपान किया कि मैं फ्रेंच नहीं बोल पा रहा था और परिवार के सदस्यों से अंग्रेजी में बातें करने लगा।
  • जून २०११ में, जब मैं जापान के टोक्यो में था, तब वहां रहने वाले एक मित्र के साथ अत्यधिक मद्यपान करने के पश्चात, मेरे मित्र ने मुझे रोपोंगी क्षेत्र, जहां का रात्रि जीवन व्यस्त रहता था, वहां अकेला छोड दिया। इस स्थिति से विचलित न होते हुए, मैंने स्वयं ही उस क्षेत्र में घूमना जारी रखा। दूसरे दिन मुझे अधिक कुछ स्मरण नहीं हो रहा था कि क्या हुआ था। मुझे मदिरालय में होने (वहां काम करने वाली किसी महिला से बात करने के) के कुछ क्षण स्मरण हुए, मदिरालय का स्वामी मुझसे कंपनी के लिए अत्यधिक धनराशी वसूलना चाहता था, और पश्चात धन राशी निकालने के लिए मदिरालय का सुरक्षा कर्मी मुझे बलपूर्वक एटीएम (स्वचालित टेलर मशिन ) में ले गया। मैंने अपना फोन भी खो दिया, किंतु सौभाग्य वश, अपने बटुए में रखे एक हस्तलिखित पत्रक के माध्यम से प्रातःकाल में अपने मित्र के घर पहुंच पाया।
  • एक बार, वर्ष २०१६ में हांगकांग के एक नाइट क्लब में, नृत्य करते समय, मुझे अनुभव हुआ कि कोई मेरे माध्यम से मेरे समक्ष ही मेरी एक महिला मित्र से बात कर रहा है। मैंने अपनी आंखें खोलीं और अनियंत्रित रूप से उसे मोटी कहा । इससे मैं संकट में पड गया।

  • एक बार, सिंगापुर के एक विला में आयोजित पार्टी में मैं मूर्छित अवस्था में चला गया और मुझे अनुभव हुआ कि मैं कदाचित १९ वे शतक के समुद्र में एक नाव पर सवार एक ब्रिटिश व्यक्ति हूं । मैं उत्तम अंग्रेजी उच्चारण में बात कर रहा था। यह बहुत ही सुस्पष्ट और भयंकर अनुभव था।
  • कभी-कभी उन्मत्त अवस्था में मुझे कक्ष में सूक्ष्म शक्तियों का अनुभव होता था। यद्यपि वे मुझे कोई क्षति नहीं पहुंचाती थी, किंतु मैं उनकी उपस्थिति अनुभव कर सकता था कि वो मुझे देख रही हैं।
  • इसके अतिरिक्त, मैंने अनुभव किया कि जब मैं मद्यपान नहीं करता था, तो मुझे क्रोध का आवेग अनुभव होता। इसके विपरीत, जब मैं मद्यपान करता, तो मैं विनम्र और शांत रहता था।
  • मद्यपान करने के अतिरिक्त मैं एक दिन में लगभग दस सिगरेट अथवा सिगरेट का लगभग आधा पैकेट सेवन कर लेता था । नियमित रूप से धूम्रपान करने पर भी किसी प्रकार से मेरा मन इसे अस्वीकार करने की स्थिति में रहता था; क्योंकि मैं स्वयंको धूम्रपान न करने वाला व्यक्ति मानता था। मेरा यह भी मानना था कि मैं धूम्रपान तभी छोड़ूंगा जब मुझे धूम्रपान की लत लगने लगेगी, जो कि परस्पर विरोधी बात है।

संपादक की टिप्पणी : विंसेंट के व्यसनी व्यवहार की तीव्रता को देखते हुए, आध्यात्मिक शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि इस बात की बहुत अधिक सम्भावना है कि उसके व्यसन का मूल कारण आध्यात्मिक है। इसके अतिरिक्त यह भी देखा गया कि जब तक विंसेंट मद्यपान करता रहताथा, तब तक उसके व्यसनी व्यवहार को उत्पन्न करने वाली सूक्ष्म शक्ति शांत रहती थी, और परिणाम स्वरूप उसे क्रोध कम आता था। किंतु जब वह मद्यपान नहीं करता था, तो वह शक्ति विंसेंट को चिडचिडा होने के लिए विवश करती थी और इसके फलस्वरूप विंसेंट को क्रोध का अनुभव होता था।

४.पत्नी से भावनात्मक सहयोग प्राप्त होना

विंसेंट अपनी पत्नी इसाबेला के साथ

२०१३ में विंसेंट का विवाह इसाबेला से हुआ। इसाबेला उसे अत्यधिक मद्यपान करने के विकार के साथ स्वीकार कर रही थी तथा वह बहुत देखभाल करने वाली महिला थी। यद्यपि मद्यपान के कारण अचेत होते रहना जारी था, इसाबेला उसकी सहायता करने का प्रयास करती और उसके लिए उपलब्ध रहती थी। ऐसे भी प्रसंग हुए थे, जहां उसने इसाबेल के मित्रों के सामने प्रातःकाल तक मद्यपान किया और अपना बटुआ खो दिया। अत्यधिक मद्यपान करने की कुछ घटनाएं होने के पश्चात विंसेंट के मन में एक अथवा दो दिनों के लिए विचार आता कि उसे इसका सेवन रोक देना चाहिए; किंतु शीघ्र ही, मद्यपान जारी रखने की इच्छा उस पर प्रबल हो जाती और मद्यपान करने की लत जारी रहती।

मजे की बात यह थी कि मदिरा का व्यसन उनके संबंधों में सहायक भी हुआ । ऐसा इसलिए है क्योंकि जिन दिनों विंसेंट मद्यपान नहीं करता था, वह स्वयं को अलग रखता था और प्रायः किसी न किसी बात को लेकर चिढ जाता था, किंतु जब मद्यपान करता था, तो वह इसाबेला से खुलेमन से तथा अधिक बातचीत करता था। वर्ष २०१४ में उनकी प्रथम संतान मून का जन्म हुआ।

विंसेंट अपनी पुत्री मून के साथ

वर्ष २०१५ में, भीतर से उसे कुछ प्रेरणा मिली (भीतर से किसीने कुछ सुना दिया), और उसने इसाबेला से कहा कि वह एक दिन सब कुछ छोड देगा–मदिरा, धूम्रपान तथा और भी बहुत कुछ।

५. अत्यधिक मद्यपान करने का विकार ठीक होने में विंसेंट को साधना से किस प्रकार सहायता हुई

२०१६ में, विंसेंट को अपने पूर्व जैसे जीवन में लौटने में रुचि होने लगी और दिसंबर २०१६ में, उसे SSRF.org जालस्थल का पता लगा । यहां उसने व्यसन के मूल कारण (विशेष रूप से आध्यात्मिक मूल कारण) तथा मद्यपान से अनिष्ट शक्तियां कैसे आकर्षित हो सकती है, इसके विषय में पढा । वह यह नहीं चाहता था कि मद्यपान की लत के कारण उसका जीवन अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित हो तथा वे उस पर आक्रमण करें। विंसेंट को भीतर से प्रतीत हुआ कि SSRF.org जालस्थल पर जो भी बताया गया था वह सत्य है।

विंसेंट ने व्यसन पर विजय प्राप्त करने के विषय में SSRF.org जालस्थल पर जो कुछ भी सीखा था, उसे अभ्यास में लाना आरंभ कर दिया। उसने श्री गुरुदेव दत्त का नामजप करना और नमक-पानी का उपचार करना आरंभ कर दिया । उसे अनुभव होने लगा कि उसकी मद्यपान करने की इच्छा न्यून होने लगी है। उदाहरण के लिए, उसने ध्यान दिया कि पारिवार के साथ नियमित बाहर जाने पर वह प्रायः दो गिलास बियर (मदिरा)पीता था, किंतु अब वह मात्र एक गिलास बियर से संतुष्ट हो जाता था । वह SSRF द्वारा आयोजित सत्संगों में भी ऑनलाइन सहभाग लेता था । उसने जालस्थल को उत्सुकता पूर्वक पढा और मृतपूर्वजों के कारण होने वाली समस्याओं के विषयमें जाना। तदोपरांत विंसेंट ने भारत के गोवा स्थित महर्षि अध्यात्म विश्वविध्यालय की ५ दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लेने के लिए आवेदन किया।

विंसेंट ने महर्षि अध्यात्म विश्वविध्यालय की प्रथम ५ दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला में सहभाग लिया और परात्पर गुरु (डॉ.) आठवलेजीसे भेंट की

कार्यशाला से २ से ३ सप्ताह पूर्व, उसकेद्वारा किए जा रहे आध्यात्मिक उपचारों के कारण उसकी मद्यपान करने की इच्छा लगभग समाप्त हो गई थी। महर्षि अध्यात्म विश्वविध्यालय की ५ दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला से ठीक पहले, विंसेंट और इसाबेला कुछ दिनों के लिए भारत के गोवा में एक रिसॉर्ट में रुके थे । हॉलिडे पैकेज (अवकाश में रहने घूमने की व्यवस्था)के अंतर्गत शिष्टाचार के रूप में मदिरा की एक बोतल भी भेंट की गई थी। विंसेंट ने स्वभाव वश मदिरा मंगवाई, किंतु उसने उसे मूंह में चखते ही थूक दिया। ऐसा लगा जैसे उसने मदिरा का स्वाद ही खो दिया हो। ५ दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लेने के पश्चात, उसने मदिरा को पुनः कभी हाथ नहीं लगाया। उसे मदिरा त्याग ने के पश्चात होने वाले किसी भी कष्ट प्रद लक्षणों का अनुभव नहीं हुआ और न ही उसे मद्यपान के व्यसन की पुनरावृत्ति होने का अनुभव हुआ।

संपादक की टिप्पणी : विंसेंट के व्यसन की तीव्रता को देखते हुए उसके द्वारा इतने न्यून समय में मद्यपान की लत छोडना अद्भूत लगता है। तथापि, समाज के सभी क्षेत्रों के कई व्यसनियों ने यह अनुभव किया है कि, साधना आरंभ करने के पश्चात उनके व्यसन तुरंत ठीक हो गए है। साधना से उसका तीव्र व्यसन इतना शीघ्र ठीक हो गया, यह तथ्य दर्शाता है कि इस समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक था। मूल कारण आध्यात्मिक होने के कारण आध्यात्मिक स्तर पर व्यसन का उपचार करके विंसेंट इतनी अल्पावधि में एक प्रभावी उपचार प्राप्त करने में सक्षम हुआ।

६. मद्यपान के व्यसन पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना

 

 

अपने व्यसन पर विजय प्राप्त करने में साधना से होनेवाले लाभों का अनुभव करते हुए, विंसेंट और इसाबेला दोनों ने SSRF के मार्गदर्शन में साधना करना जारी रखा। विंसेंट साधना में बहुत नियमित हैं और स्वयं में सुधार लाने तथा आध्यात्मिक प्रगति करने हेतु प्रतिबद्ध है। वह जीवन में आध्यात्मिकता को सम्मिलित करने के महत्व का समर्थक बन गया है । व्यक्तिगत स्तर पर वह मन की शांति और स्थिरता का अनुभव कर रहा है और उसने अनुभव किया है कि उसके प्रियजनों के साथ भी उसके संबंधों में अत्यधिक सुधार हुआ है।

परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी विंसेंट के परिवार से भेंट करते हुए