कष्टदायक शक्ति अथवा काली शक्ति क्या होती है ?
आज के समय में, यह दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता है कि हमारे चारों ओर (आस पास) सकारात्मक शक्ति की तुलना में काली शक्ति अधिक व्याप्त है । आइए जानते हैं इस नकारात्मक सूक्ष्म शक्ति के बारे में, जो हर किसी को प्रभावित करती है ।
१. कष्टदायक शक्ति की प्रस्तावना
क्या आपने कभी ऐसी डरावनी फिल्म देखी है, जिसमें किसी भूत बंगले में वस्तुएं अपने आप चलती हैं अथवा रक्त के धब्बे स्वतः उभर आते हैं ?
ऐसी घटनाएं वास्तविक जीवन में भी घटित हो सकती है तथा ये तो इसके केवल कुछ उदाहरण है कि किस प्रकार सूक्ष्म लोकों से आसुरी शक्तियां ऐसी घटनाएं अथवा परिस्थितियों का, जो अलौकिक अथवा असाधारण दिखाई देती है, उनका निर्माण कर भूलोक पर लोगों को भयभीत करती है । यद्यपि, इन सूक्ष्म शक्तियों द्वारा निर्मित सभी घटनाएं इतनी नाटकीय अथवा असाधारण नहीं होती । वे विविध माध्यमों से प्रतिदिन ही हमारे जीवन में घुसपैठ करती हैं, उदाहरण के लिए, वे व्यक्ति को निराशा में धकेल सकती है, व्यक्ति को व्यसनी बना सकती है, परिवार में कलह निर्माण कर सकती है तथा समाज में ऐसा चलन ला सकती है जिससे वातावरण में आध्यात्मिक अशुद्धता (तामसिकता) में वृद्धि हो सके ।
वे यह सब कैसे करती है ?
इसका उत्तर है, कष्टदायक अथवा काली शक्ति के माध्यम से । SSRF जालस्थल पर, हमने इस शब्द का प्रयोग व्यापक रूप से किया है । इस लेख में, हमने काली शक्ति की अवधारणा को तथा इसका प्रयोग कैसे होता है, इसे समझाया है ।
२. कष्टदायक अथवा काली शक्ति क्या होती है ?
काली शक्ति, शक्ति का एक वह सूक्ष्म रूप है जिसका प्रयोग आध्यात्मिक जगत में अनिष्ट शक्तियों द्वारा धरती पर रहने वाले सजीव और निर्जीव वस्तुओं अथवा सूक्ष्म जगत के किसी दूसरे जीव पर आक्रमण करने के लिए किया जाता है । अनिष्ट शक्तियां सूक्ष्म शक्तियां होती है जिनका उद्देश्य दूसरों को हानि पहुंचाना हाेता है । और काली शक्ति उनके आक्रमण का प्रमुख शस्त्र है ।
काली शक्ति तम प्रधान होती है ।
अध्यात्मशास्त्र के अनुसार, सृष्टि की रचना मूल त्रिगुणों से हुई है, सत्त्व, रज एवं तम । ये तीनों घटक स्थूल-सूक्ष्म सभी में विद्यमान होते हैं । सत्त्व गुण प्रधान होने से व्यक्ति में आध्यात्मिक ज्ञान एवं पवित्रता आती है, रजो गुण क्रिया करने हेतु सक्षम बनाता है, तथा तमोगुण अज्ञानता एवं निष्क्रियता उत्पन्न करता है । किसी भी वस्तु से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदन (सकारात्मक अथवा नकारात्मक) उसके सूक्ष्म मूल सत्त्व, रज एवं तम घटकों के अनुपात पर निर्भर करता है ।
इसका अर्थ है कि कष्टदायक शक्ति तम प्रधान अथवा आध्यात्मिक रूप से अपवित्र (तामसिक शक्ति) होती है । यह फैलने तथा सक्रिय होने हेतु रजो गुण का प्रयोग करती है । यह नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करती है ।
३. कष्टदायक शक्ति अथवा अनिष्ट शक्ति का स्रोत क्या है ?
पाताल के निचले सूक्ष्म लोकों की उच्च स्तरीय कष्टदायक शक्तियां इस सूक्ष्म काली शक्ति को प्राप्त करने हेतु विविध प्रकार के सूक्ष्म प्रयास करती है । इस शक्ति को प्राप्त करने हेतु ये बलशाली अनिष्ट शक्तियां उनके स्वयं के प्रकार का सूक्ष्म प्रयास करती है, जैसे ध्यान, राक्षसी यज्ञ, तपस्या इत्यादि ।
प्रायः शक्तिशाली अनिष्ट शक्तियां जैसे सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक अपने कार्य करवाने हेतु निम्न स्तर की अनिष्ट शक्तियों को काली शक्ति प्रदान करती है । उसी समय, न्यून स्तर की अनिष्ट शक्तियां उनकी आज्ञा मानकर मांत्रिकों को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं जिससे वे उच्च स्तर की अनिष्ट शक्तियों के काली शक्ति के संग्रह तक पहुंच सके ।
किसी भी कष्टदायक शक्ति के लिए, वह अपनी काली शक्ति का उपयोग कितनी मात्रा में कर सकती है, यह उसके सूक्ष्म बल को निर्धारित करता है । सबसे शक्तिशाली अनिष्ट शक्तियों में लगभग असीमित शक्ति होती है तथा वह उनकी काली शक्ति के अपार भंडार का उपयोग करके ऐसे कार्य भी कर सकती है जिससे समाज का बडा भाग प्रभावित हो सके । उदाहरण के लिए, पाताल के निम्न लोकों से सूक्ष्म मांत्रिक महामारी (जैसे कोरोना) तथा विस्तृत स्तर पर प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप तथा सुनामी उत्पन्न कर सकते हैं ।
धन के समान ही, शक्ति अपने आप में ना तो अच्छी होती है और ना ही बुरी । जिस प्रकार धन को ईमानदारी अथवा बेईमानी से कमाया जा सकता है और उसका प्रयोग अच्छे अथवा बुरे कार्यों में किया जाता है, ठीक उसी प्रकार सूक्ष्म शक्ति के संबंध में भी है । जिस मार्ग से इसे अर्जित और इसका उपयोग किया जाता है, उसी के आधार पर इसे उसे अच्छी अथवा बुरी होने की संज्ञा दी जाती है । जब सूक्ष्म शक्ति का उपयोग नकारात्मक उद्देश्य (अनिष्ट) के लिए किया जाता है, तो उसे काली शक्ति कहते हैं । इसे काली शक्ति इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सूक्ष्म स्तर पर काली दिखाई देती है तथा इससे होनेवाला अनुभव नकारात्मक होता है । इसका कारण यह है कि जिस नकारात्मक तरीके से इस शक्ति को प्राप्त किया जाता है तथा जिस नकारात्मक प्रयोजन से इसका उपयोग किया जाता है, इस कारण शक्ति के स्पंदन नकारात्मक हो जाते हैं ।
४. कष्टदायक शक्ति का प्रयोग किसलिए किया जाता है ?
कष्टदायक शक्तियों द्वारा काली शक्ति का उपयोग अस्तित्त्व के सूक्ष्म लोकों (आध्यात्मिक आयाम) में अथवा पृथ्वी पर किसी भी प्रक्रिया में हेर फेर करने हेतु किया जाता है । इस हेरफेर की मात्रा आक्रमण करने वाली अनिष्ट शक्तियों के बल पर निर्भर करती है ।
अनिष्ट शक्तियां काली शक्ति का प्रयोग व्यक्ति को सभी स्तरों पर प्रभावित करने के लिए भी कर सकती है ।
स्तर | वैसे कष्ट जिन्हें निर्मित अथवा जिनमें वृद्धि की जा सकती है उनके उदाहरण |
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शारीरिक | सुस्ती, निर्बलता, सिरदर्द तथा किसी भी प्रकार का रोग |
मानसिक | क्रोध, चिंता, निराशा तथा किसी भी प्रकार का मानसिक रोग जैसे व्यसन अथवा मनोविदलता (सिजोफ्रेनिया) |
आध्यात्मिक | कोई भी साधना नहीं करने की इच्छा जैसा अनुभव होना
शरीर में प्राण शक्ति में अवरोध के कारण, व्यक्ति के लिए अनेक बाधाएं उत्पन्न होती है व्यक्ति का भूतावेशित होना |
अनिष्ट शक्तियां अपनी काली शक्ति से लोगों को कैसे प्रभावित कर सकती है, आगे दिए गए चित्र इसके दो उदाहरण हैं ।
जब व्यक्ति के आस पास काली शक्ति का आवरण व्याप्त होता है, तो उसे काली शक्ति का आवरण कहते है । नीचे व्यक्ति के भीतर एवं बाहर व्याप्त काली शक्ति के आवरण का एक सचित्र वर्णन दिया गया है ।
ऐसी विविध आध्यात्मिक उपचार की पद्धतियां है जिसका प्रयोग व्यक्ति के चारों ओर छाया काला आवरण दूर करने हेतु किया जा सकता है, तथा उनका विस्तृत वर्णन हमारे आगे बताए गए लेख में किया गया है – काला आवरण कैसे दूर करें (शीघ्र प्रकाशित होगा)
इसके साथ ही, अनिष्ट शक्तियां इस काली शक्ति का प्रयोग पर्यावरण अथवा परिसर को आध्यात्मिक रूप से दूषित करने हेतु करती है । उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियां इस काली शक्ति के प्रयोग से महामारी, प्राकृतिक आपदाएं तथा बडे पैमाने (जन स्तर) पर क्षति उत्पन्न कर सकती है ।
५. कष्टदायक शक्तियों के विविध प्रकार क्या है ?
कष्टदायक शक्तियां विभिन्न प्रकार की काली शक्ति का प्रयोग कर सकती है । काली शक्ति के सामान्य रूप का प्रयोग उन समस्याओं को उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है जिनका नकारात्मक प्रभाव पडता है । उदाहरण के लिए, कष्टदायक शक्तियां रोग उत्पन्न कर सकती है अथवा इस प्रकार की काली शक्ति के माध्यम से हिंसा भडका सकती है ।
दूसरे प्रकार की कष्टदायक शक्ति वह है जो मायावी स्पंदन निर्माण करती है । इस शक्ति में ऐसी कोई वस्तु को सुखद/सुहानी अथवा लाभकारी दिखाने की क्षमता होती है जो वास्तव में वैसी नहीं होती । उदाहरण के लिए, कोला पेय तथा अधिकांश श्रृंगार प्रसाधन (कॉस्मेटिक्स) इन्हीं प्रकार के नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं । इस प्रकार की काली शक्ति पहले प्रकार की काली शक्ति की अपेक्षा अधिक खतरनाक हो सकती है क्योंकि यह वस्तुओं को लुभावना दिखाकर हानि पहुंचाती है ।
तीसरे प्रकार की कष्टदायक शक्ति वह है जो मोहिनी स्पंदन निर्माण करती है । अनिष्ट शक्तियां इस शक्ति का प्रयोग किसी व्यक्ति को आवेशित करते हुए उस व्यक्ति को अधिक मनोहर तथा आकर्षक दिखाकर कर सकती है । इसका प्रयोग व्यक्ति के मन में अत्यधिक यौन विचारों का निर्माण करके भी किया जा सकता है । उदाहरण के लिए, यह मायावी स्पंदन व्यक्ति को इतना आकर्षक बना सकते हैं कि वह उसे एक प्रसिद्ध अभिनेता/अभिनेत्री बना देता है, फलस्वरूप वह समाज को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है ।
जिस प्रकार विभिन्न प्रकार की कष्टदायक शक्ति होती है, ठीक उसी प्रकार विभिन्न प्रकार की दैवीय शक्ति होती है, जिसे हम आगे दिए हमारे लेख में समझाएंगे – सकारात्मक शक्ति क्या है ? (शीघ्र प्रकाशित होगा)
६. कष्टदायक शक्ति से सम्बंधित स्मरण रखने हेतु कुछ बिंदु
कष्टदायक शक्ति भौतिक जगत को प्रभावित करने के लिए अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला एक शक्तिशाली साधन हो सकती है । इनके प्रभावों से बचने का सर्वोत्तम उपाय है नियमित साधना करना तथा नियमित रूप से आध्यात्मिक उपचारों को करना । ऐसा करने से, व्यक्ति ईश्वर तक पहुंच सकेगा ।