सितंबर २०१० में, SSRF ने, एक अध्यात्मिक उपचार के रूप में नमक मिश्रित जल के उपचार का एक विडियो बनाया था । इस वीडियो में उपचार को दर्शाने के लिए, हमने SSRF शोधकेंद्र की साधिका, कु.नेहा डोंगरे का चयन किया था । यह वीडियो, व्यक्ति के सर्व ओर आई काली शक्ति के आवरण को न्यून करने के संदर्भ में था । सूक्ष्म काली शक्ति, एक नकारात्मक आवरण है जो स्वभावदोषोंके कारण, अनिष्ट शक्ति एवं वर्त्तमान में प्रचंड मात्रा में बढते रज-तम के कारण व्यक्ति को घेर लेती है । इस वीडियो का चित्रीकरण (शूटिंग) दो अलग दिनों में पूर्ण हुआ ।
चित्रीकरण के पूर्व दोनों रात्रि नेहा को भयानक स्वप्न दिखे । पहली रात्रि के बुरे स्वप्न में, नेहा ने स्वयं को उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्तियों से घिरे देखा । उसने स्वप्न में देखा कि वह शोधकेंद्र के गलियारे में खडी थी, और अनिष्ट शक्तियां उसके समीप आ रही थी । वह अत्यधिक भयभीत हुई और सहायता के लिए चिल्ला रही थी; किंतु कोई भी सहायता के लिए उसके आस-पास नहीं था । तत्पश्चात उसने एक साधक को कुछ दूरी पर देखा । जैसे ही उसने साधक से सहायता लेने के लिए उसे पुकारने का प्रयत्न किया, अनिष्ट शक्तियों ने उसे घेर लिया, और उसे पुकार नहीं लगाने दी । तभी वह साधक नेहा के समीप आया; किंतु नेहा के भयभीत होने तथा सहायता मांगने के लिए व्याकुल होने पर भी अनिष्ट शक्तियों ने उसे सामान्य रूप से व्यवहार करने के लिए बाध्य कर दिया । नेहा को स्मरण है कि ठीक उसी समय उस भयानक स्वप्न से बाहर आई । इस स्वप्न के भय से निकलने के लिए उसे थोडा समय अवश्य लगा । जब उसने ईश्वर से अपनी सुरक्षा के लिए आर्त्तता से प्रार्थना की, तब जाकर उसके मन का भय समाप्त हुआ ।
जिस साधक ने नेहा का साक्षात्कार लेकर इसे लेख का रूप देने हेतु सहायता की, उसे भी बाधाओं का सामना करना पडा । उसने कहा नेहा के प्रसंग का टंकलेखन करते समय, मेरे हृदय की धडकनों की गति बढ गई तथा आंखें भारी लगने लगीं और जलने लगीं । मेरे विचार भी अस्पष्ट हो गए और उस लेखन को टंकित करने में आवश्यकता से अधिक समय लगा ।
कुछ दिनों के उपरांत, हमने चित्रीकरण के दूसरे भाग का नियोजन किया । पुनः नेहा को दूसरा सपना आया । उसने एक घर देखा जहां पर साधक एकसाथ रहते थे । पहले कक्ष में सभी सत्सेवा में व्यस्त थे । नेहा उसके पास के कक्ष में थी । एकाएक साधकों को निकट के बिजली के खंभे से एक लाल रंग की ज्वाला निकलती हुई दिखाई दी । ज्वाला तीव्र गति से पहले कक्ष में घुस गयी और वहां के सभी साधकों को मार दिया । दूसरे कमरे के साधकों को इसका पता चल गया और उन्हें समझ में आ गया कि अब मृत्यु की अगली बारी उनकी है । सारे सहसाधकों को मृत देखकर नेहा पूर्णतः हताश हो गयी । वह हडबडाकर दुख में जागी । उस समय रात के १.३० बज रहे थे । नींद से जाग जाने पर भी वह उस भयकारी भावना से निकल नहीं पा रही थी । उसकी आंखें भर आर्इं और वह भगवान एवं परम पूज्य डॉ. आठवलेजी से रक्षा करने के लिए आर्तता पूर्वक प्रार्थना करने लगी । उसके उपरांत उसे ठीक लगा । सोने के लिए जाने पर उसने पुनः एक अनिष्ट शक्ति को हंसिया लेकर उसका गला काटने का प्रयास करते हुए देखा । यह उसे इतना वास्तविक अनुभव हो रहा था कि वास्तव में उसे अपने गले पर दबाव का भान हुआ । उसने पुनः भगवान एवं परम पूज्य डॉ. आठवलेजी से रक्षा हेतु आर्तता पूर्वक प्रार्थना की । उसके उपरांत ही उसके गले पर का दबाव घटा और वह सो सकी ।
SSRF की टिप्पणी : अनिष्ट शक्तियों के मनुष्य पर आक्रमण करने के अनेक कारण हैं । उनमें से एक कारण है, अध्यात्मप्रसार करनेवाले व्यक्ति को प्रयास करने से रोकना । इसके लिए बाधा निर्मिति का एक मुख्य पर्याय यह है कि कोई घटना निर्मित कर साधकों में भय उत्पन्न किया जाए, जिससे साधक साधना करने तथा अध्यात्मप्रसार करने से परावृत हो जाए ।
SSRF के आध्यात्मिक शोध केंद्र में समाज को आध्यात्मिक रूप से विकसित करने के लिए प्रचंड मात्रा में सत्सेवा की जाती है । इसलिए यहां विलक्षण मात्रा में साधकों पर सूक्ष्म-आक्रमण होते हैं । ऐसा होने पर भी साधक ईश्वर की कृपा से आध्यात्मिक प्रगति होने हेतु अपने प्रयासों में लगे रहते हैं । जीवन के प्रत्येक प्रयास में बाधाएं आएंगी ही और आध्यात्मिक उन्नति हेतु प्रयास इससे अछूता नहीं है । साधक वही है जो बाधाओं का सामना करता है, उस पर विजय प्राप्त करता है, चाहे वह सूक्ष्म हो अथवा स्थूल । जो व्यक्ति गंभीर नहीं हैं वे समस्याओं काे देखते ही हार मान लेते हैं; किंतु जो वास्तव में आध्यात्मिक उन्नति करना चाहते हैं वे समस्याओं पर विजय प्राप्त करने के मार्ग एवं साधन ढूंढ निकालते हैं और वास्तव में ईश्वर ही उनकी सहायता करने के लिए आते हैं ।