श्रीमती शौर्या मेहता एक वास्तुकार हैं और साधना के रूप में वे गोवा के आध्यात्मिक शोध केंद्र में भवन निर्माण परियोजना में सहायता करती हैं । वे उसके निर्माणकार्य के प्रबंधन में भी सहायता करती हैं । जब शोध केंद्र का निर्माणकार्य चल रहा था, तब श्रीमती शौर्या का पुत्र यदुवीर, जो उस समय एक ही वर्ष का था, को निद्रा की समस्या होने लगी । वह रात्रि में ८ से १० बार उठता । अनिद्रा (पुनः-पुनः भंग होती नींद) से ग्रस्त अपने बच्चे की देखभाल करते–करते वे थक गर्इं थीं । श्रीमती शौर्या के लिए निर्माणस्थल पर पहुंचकर दिनभर सत्सेवा करना अति कठिन हो गया था । बच्चों में अनिद्रा के समाधान हेतु प्रथम उन्होंने बाल चिकित्सा से संबंधित अनेक जालस्थलों को देखा । साथ ही अनेक अनुभवी माताओं से भी बात की । उन्होंने जो भी उपचार बताए श्रीमती शौर्या ने सब किया; किंतु कोर्इ भी प्रभावी नहीं रहा ।
इस पूरी कालावधि में वे आध्यात्मिक उपचारों को भी करने पर ध्यान दे रही थीं । कुछ आध्यात्मिक उपचार इस प्रकार थे आध्यात्मिक उपचारों के लिए विशेष रूप से बनी अगरबत्तियों को जलाना, भगवान के नामजप लिखी कागज की पट्टियों को यदुवीर के पालने के चारों ओर रखना इत्यादि । तब भी निद्रारहित रात्रि का अंत नहीं हुआ । अन्य कर्इ मांओं ने उनसे कहा कि यदुवीर के तीन वर्षों के होने तक ऐसे ही चल सकता है । समय के साथ श्रीमती शौर्या ने भी अपने बच्चे के सोने की पद्धति को स्वीकारना आरंभ कर दिया कि यह स्वाभाविक ही है और स्वयं को मानसिक रूप से इस सत्य के लिए तैयार कर लिया कि यह स्थिति अभी और कर्इ माह तक बनी रहेगी ।
अंतिमतः ७ से ८ माह के उपरांत, अच्छी नींद से वंचित श्रीमती शौर्या ने अपनी समस्या को आध्यात्मिक शोध दल की एक साधिका पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को बतार्इ । पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने तत्क्षण ही उन्हें बताया कि वे यदुवीर के सिर के चारों ओर अनिष्ट शक्ति की सूक्ष्म काली टोपी देख सकती थीं । उन्होंने परामर्श दिया कि यदुवीर के सोने से पूर्व उसके पूरे सिर में पवित्र विभूति लगा देना ।
श्रीमती शौर्या स्मरण करते हुए बताती हैं कि ‘‘उसी दिन से, मैंने यदुवीर को सुलाने से पहले उसके सिर पर पवित्र विभूति लगार्इ । यदुवीर बिना उठे पूरी रात सोता रहा । अनेक माह में पहली बार, मैं भी पूरी रात सो सकी । अनिद्रा हेतु इस आध्यात्मिक उपचार को करते रहने से, मेरा पुत्र पूरी रात बिना उठे सोने लगा । इस अनुभूति ने आध्यात्मिक उपचारों के महत्व के प्रति वास्तव में मेरी आंखें खोल दीं ।’’
SSRF की टिप्पणी :
- यदुवीर के अनिद्रा (पुनः-पुनः भंग होती निद्रा के कारण) के प्रकरण में, मूल कारण पूर्णतः आध्यात्मिक स्वरूप का था । इसका कारण मृत पूर्वज थे ।
- लगभग ८० प्रतिशत जीवन की समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक आयाम में होता है । इसलिए अनिद्रा के उपचार हेतु शारीरिक तथा मानसिक उपचारों के साथ, हमारे आध्यात्मिक उपचार खंड में दिए गए आध्यात्मिक उपचारों को सम्मिलित करना श्रेयस्कर है ।
- जो आध्यात्मिक उपचार श्रीमती शौर्या ने अपनाए, उसने ३० प्रतिशत तक सहायता की । ७० प्रतिशत उपचार में पवित्र विभूति का योगदान रहा । यह समझना महत्वपूर्ण है कि अनिद्रा उत्पन्न करनेवाले सूक्ष्म-आक्रमण की प्रकृति के आधार पर आध्यात्मिक उपचार में परिवर्तन हो सकता है । यदि अनिद्रा विकार का मूल कारण आध्यात्मिक कारणों में से है तो विविध आध्यात्मिक उपचारों को करने का प्रयास अवश्य करें, क्योंकि इससे ठीक होने की संभावना बढ जाती है । आध्यात्मिक उपचारों से निर्मित सकारात्मक आध्यात्मिक शक्ति से आपके बच्चे को केवल लाभ ही होगा ।