विषय सूची
- १. प्रस्तावना (विषयप्रवेश)- निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस)
- २. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) संबंधी कुछ विशेष निरीक्षण
- ३. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के बारे में आधुनिक विज्ञान क्या कहता है ?
- ४. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) पर आध्यात्मिक शोध
- ५. अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) यह सब क्यों करती हैं ?
- ६. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) से बाहर आने के लिए आध्यात्मिक उपाय
१. प्रस्तावना (विषयप्रवेश)- निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस)
मध्यरात्रि में नींद से अकस्मात जागने पर हिल न पाने का अनुभव कई लोगों को होता है । अपने आसपास की घटनाओं का संपूर्णभान और जागृत होते हुए भी वे तनिक भी हिल नहीं पातेहैं । किसी दृश्य अथवा अदृश्य के अस्तित्व द्वारा आवेशित होने अथवा उसके कक्ष में होने की संवेदना कई लोगों को हुई होगी । यह अत्यंत असहायपूर्ण संवेदना होती है और इसका अनुभव करने वाला व्यक्ति अत्यधिक भय से कांप उठता है । इन लक्षणों को चिकित्सकीय भाषा में ‘निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) कहा जाता है ।
२. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) संबंधी कुछ विशेष निरीक्षण
जे. एलेन चेन (Cheyne, 2001) द्वारा किए शोध से ज्ञात हुआ है कि यह अनुभव सामान्यत: निद्रावस्था में जाते समय अथवा निद्रावस्था से बाहर आते समय होता है । चेन और अन्य कुछ शोधकर्ताओं ने निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के विषय में कुछ विशेष निरीक्षण प्रस्तुत किए हैं ।
विश्व की ३-६% जनसंख्या इससे पीडित है, जिनके जीवन में यह बार-बार घटित होता है ।
प्रौढ युवाओं में से लगभग ३०% लोग जीवन में एकन एक बार निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) का अनुभव करते हैं ।
प्रौढ युवाओं में इसकी संभावना अधिक होती है ।
इसकी कालावधि कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों तक हो सकती है ।
इस स्थिति में लोगों को उनके आसपास किसी दृश्य अथवा अदृश्य अस्तित्व के होने का भान अथवा संवेदना होती है । वे भय से कांप उठते हैं और इनमें से कुछ लोगों ने कहा है कि किसी अनिष्ट शक्ति ने उनकी आत्मा को आवेशित किया था अथवा वह अनिष्ट शक्ति उन्हें दबा रही थी अथवा उनका गला घोंट रही थी ।
कुछ घटनाओं में, लोगों को दबाव अथवा दम घुटने जैसा प्रतीत होता है । इसके साथ श्वास लेने में बाधा भी आती हैं । कुछ घटनाओं में इसका रूपातंरण शीलभंग करने में अथवा यौनपीडन में होता है ।
इस अवस्था में कभी-कभी दुर्गंध भी आती है ।
निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) साधारणतः पीठ के बल सोनेवाले लोगों में पाया जाता है ।
इस अवस्था से जानेवाले लोगों में कभी-कभी भय उत्पन्न होता है कि उन्हें कुछ मानसिक व्याधि तो नहीं हुई ।
३. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के बारे में आधुनिक विज्ञान क्या कहता है ?
३.१ ‘निद्रा पक्षाघात’ (स्लीप पैरालिसिस) पर आधुनिक विज्ञान द्वारा प्रस्तुत विश्लेषणात्मक सिद्धांत
‘निद्रा पक्षाघात’ (स्लीप पैरालिसिस) पर शोध आज भी जारी है;परंतु आजतक आधुनिक विज्ञान इसकी प्रक्रिया का स्पष्ट और निश्चित आकलन नहीं कर पाया है तथापि विविध प्रकार के लक्षणों के संभावित विश्लेषण संबंधी प्रस्तुत विविध प्रकार की मान्यताएं इस प्रकार हैं :
जो लोग सदैव तनाव में रहते हैं, वे अपनी भूतकाल की भयप्रद घटनाओं को निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) द्वारा पुन: भोगते हैं ।
ये स्वप्न की भांति भ्रम ही होते हैं ।
अपने आसपास की भयप्रद घटनाओं का नियंत्रण करनेवाले और उसे प्रतिसाद देनेवाले मस्तिष्क के भाग के कार्यरत होने से ये लक्षण प्रकट होते हैं । प्रत्यक्ष भयप्रद घटना न होते हुए भी मस्तिष्कके इस भाग के कार्यरत होने से, नींद के आरईएम (रैपिड आई मूवमेण्ट) REM (Rapid Eye Movement) नामक भाग में आसपास के वातावरण में भयप्रद घटना होने की संवेदना निर्मित होती है । (नींद कीस्वप्नावस्था के भाग में जहां नेत्र गोल गति से घूमते हुए दिखाई देते हैं, उस भाग को आरईएम स्लीप कहते हैं ।)
जाग्रत और निद्रित अवस्था की प्राकृतिक लय में बाधा आने के कारण ये लक्षण दिखाई देते हैं, जिससे पैरालिसिस जैसी निद्रावस्था संबंधी कुछ अद्भुत घटनाओं से व्यक्ति जाग्रत अवस्था में आता है ।
३.२. आधुनिक विज्ञान के अनुसार निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के कारणभूत घटक
आधुनिक विज्ञानके अनुसार निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के संभाव्य कारणभूत घटक इस प्रकार हैं :
- जीवन में तनाव निर्मित करनेवाले घटक
- निद्राका अभाव
- निद्रा संबंधी दीर्घकालीन समस्याएं, जिसमें व्यक्ति को यौनपीडन संबंधी स्वप्न आते हैं
- अनुवांशिकता
३.३ आधुनिक विज्ञानके अनुसार निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) पर क्या उपाय है ?
इस अद्भुत घटनाका कोई विशिष्ट कारण अथवा स्पष्टीकरण न होने से इस पर किए जानेवाले उपचार भी पूर्णतः प्रायोगिक अवस्था में ही हैं । कुछ लोगोंके कथनानुसार फ्लुओक्जेटिन जैसी निराशा में प्रयुक्त और आरईएम (REM) प्रकार की नींद को प्रतिबंधित करनेवाली औषधियों से इस पर नियंत्रण करना संभव है । निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के साथ यदि निराशा भी होगी, तो ये औषधियां विशेषरूप से उपयुक्त होती हैं । कुछ अन्य लोगों के अनुसार औषधीय उपचार करना अनुचित है क्योंकि :
इस व्याधिसे निपटनेके लिए एक प्रभावी उपाय हो सकता है कि इसके स्वरूप को स्पष्टरूप से समझ लें और अपने ही स्तर पर स्वयं अथवा अपने साथी को नींद से जगाने का प्रभावी उपाय विकसित करें ।
कई लोग इस समस्या से पीडित हैं, मैं अकेला ही नहीं हूं; इस बात से अपने आप को आश्वस्त करना भी महत्त्वपूर्ण है ।
४. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) पर आध्यात्मिक शोध
लेख के इस भाग में उपरोक्त कुछ निरीक्षणों के संदर्भ में आध्यात्मिक विवरण दिया है । यहां पर प्रस्तुत विवरण और आंकडे SSRF के प्रगतछठवीं ज्ञानेंद्रिय युक्त साधकों द्वारा विश्वबुद्धि से प्राप्त ज्ञान पर आधारित हैं ।
शक्तिहीन होने पर किसीका अस्तित्व प्रतीत होना :
SSRF द्वारा किए शोध से ज्ञात हुआ कि इस अद्भुत घटना के मुख्य आध्यात्मिक कारणों में से एक प्रमुख कारण है, अनिष्ट शक्तियों का (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) आक्रमण । इसी कारणवश अधिकतर घटनाओं में लोगों को अनिष्ट शक्ति का अस्तित्व प्रतीत होता है अथवा अनिष्ट शक्ति प्रत्यक्ष दिखती है । यह कोई भ्रम नहीं, वरन् ऐसे प्रसंगों में प्रत्यक्ष अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) होती हैं । छठवीं ज्ञानेंद्रिय से हमें इसका आकलन होता है ।
मनुष्य में पाए जाने की संभावना :
साधना करनेवालों में और सामान्य मनुष्यों में होनेवाले आक्रमणों की बारंबारता का वर्गीकरण निम्नांकित सारणी में दिया है । इस सारणी में शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक,सभी प्रकार के निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) को अंतर्भूत किया गया है ।
निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) की बारंबारता
जीवन में केवल एक ही बार | बारंबार | |
---|---|---|
र्इश्वरप्राप्ति के लिए प्रयास करनेवाला साधक १ | ३% | ०.००१% |
साधना न करनेवाला सामान्य मनुष्य | २०% | ५% |
टिप्पणियां:
१. जो व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रतिदिन प्रामाणिकता और गंभीरता से प्रयत्न करता है, उसे साधक कहते हैं । साधक की साधना, साधना के छः मूलभूत सिद्धांतोंके अनुसार होती है । आध्यात्मिक उन्नति की तीव्र लगन के कारण साधक अपनी साधना में नियमितरूप से गुणात्मक तथा संख्यात्मक दृष्टि से वृद्धि करता है ।
ईश्वरप्राप्ति के लिए प्रयास करनेवाले साधकों को उनकी साधना के कारण ईश्वर द्वारा अधिक मात्रा में सुरक्षा प्राप्त कर पाते हैं । निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के सभी प्रसंगों में केवल १०% प्रसंग जागृत अवस्था में होते हैं, जबकि ९०% नींद में होते हैं । जीवन में एक बार हो अथवा अनेक बार, केवल ३०% लोगों को ही इसका भान होता है, जबकि ७०% लोगों में इसका कोई भान नहीं रहता । गहरी नींद में होने अथवा आक्रमण के क्षणभंगुर होने के कारण व्यक्ति को इसका अनुभव न होने की प्रबल संभावना रहती है ।
- निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) प्रौढ युवाओं में ही यह अधिक क्यों होता है ? यह अधिकतर प्रौढ युवाओं में पाया जाता है । अधिकांश जीवन शेष रहने के कारण उनका लेन-देन भी अधिक मात्रामें चुकाना शेष रहता है । भुवर्लोक अथवा पाताल की अनिष्ट शक्तियों तथा पूर्वजों के साथ चुकाने योग्य लेन-देन इस प्रकार के निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के आक्रमण में प्रकट होने की आशंका होती है । साथ ही सांसारिक वासनाएं प्रौढ युवाओं में अधिक होने के कारण, उन्हें अनिष्ट शक्तियों द्वारा उनकी वासनाएं पूरी करने के लिए लक्ष्य बनाया जाता है ।अल्प आयु अथवा वृद्ध व्यक्ति, वासनाएं पूरी करने की दृष्टि से अधिक उपयुक्त नहीं होते । वृद्ध लोगों ने उनके जीवन में उनके अधिकांश लेन-देन पूर्ण कर लिए होते हैं और वे जीवन के कष्टों एवं विपत्तियों को भोगकर परिपक्व हो चुके होते हैं ।
- निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) पीठ के बल सोने से ही यह अधिकतर क्यों होता है ?किसी एक करवट पर सोने से कुंडलिनी नामक शक्तितंत्र की दो प्रमुख नाडियों में से एक कार्यरत रहती है । पीठ के बल सोने से कुंडलिनी अल्प मात्रा में कार्यरत रहती है । परिणामस्वरूप शक्ति का प्रवाह न्यून होता है और व्यक्ति के ऐच्छिक स्नायुतंत्र का कार्य सहजता से बंद कर पाना संभव होता है । शरीर के सर्व तंत्रों तथा अवयवों एवं इंद्रियों से प्रवाहित आध्यात्मिक शक्ति को कुंडलिनी शक्तितंत्र कहते हैं और यह शक्ति उनके कार्यों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है । इसी कारणवश सभी घटनाओं में से स्लीप पैरालिसिस की ७०% घटनाएं पीठ के बल सोते समय होती हैं ।
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निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) सामान्यतः निद्रावस्था में जाते अथवा उससे बाहर आते समय यह अद्भुत घटना होती है :
आध्यात्मिक शोध के अनुसार केवल १०% घटनाएं व्यक्ति के निद्रितावस्था में जाते अथवा उससे बाहर आते समय होती हैं । ९०% प्रसंगों में यह निद्रावस्था में होने के कारण प्रभावित व्यक्ति को इसका भान नहीं होता अथवा अल्प मात्रा में होता है । SSRFने स्लीप पैरालिसिस से पीडित कुछ व्यक्तियों के नींदके प्रकारोंका अध्ययन किया । इसमें यह ज्ञात हुआ कि इनमें से कई लोगों को रात की नींद में जड होने अथवा अचेत होने समान अनुभव होता है । उन्हें जगाने के प्रयास करने पर पाया गया कि वे पत्थर की भांति हिल भी नहीं पा रहे हैं । अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) मनुष्य पर गहन निद्रावस्था में आक्रमण करने को प्रधानता देती हैं, क्योंकि उन्हें अपना उद्देश्य, उदा. उनकी लैंगिक वासनाएं पूर्ण करना, साध्य करने के लिए अल्प शक्ति व्यय करनी पडती है ।
- कालावधिआध्यात्मिक शोध द्वारा ज्ञात हुआ है कि इस आक्रमण की कालावधि औसतन ३ मिनट से ३ घंटे तक होती है ।
- निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) का कारण कैसे निश्चित करें ?अतिजाग्रत छठवीं ज्ञानेंद्रिय युक्त व्यक्ति ही यह निश्चित कर पाता है कि स्लीप पैरालिसिस का कारण शारीरिक है,मानसिक है अथवा आध्यात्मिक । फिर भी कोर्इ शारीरिक/मानसिक कारण न होने पर हम अपनी बुद्धि से अनुमान लगा सकते हैं कि पैरालिसिस का कारण आध्यात्मिक है ।
हमें आशा है कि मूल कारणों तथा उपचारों को समझने से लोगों का भय और अडचन सुलझकर उनके लिए समस्य का सामना करना संभव होगा ।
४.अ. अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के प्रकार
आध्यात्मिक शोध द्वारा ज्ञात हुआ है कि अनिष्ट शक्तियों द्वारा निर्मित निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) के आक्रमण स्थूलरूप से तीन प्रकार के होते हैं ।
४.अ.१. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) – व्यक्ति की देह पर दबाव देना :
अधिकतर प्रसंगों में जब यह घटना होती है, व्यक्ति पीठ के बल सोया होता है । यहां अनिष्ट शक्ति व्यक्ति की देह को नीचे की ओर दबाती है, जिससे व्यक्ति हिल नहीं सकता ।
दबाब कैसे डाला जाता है ?
अनिष्ट शक्तियां वायुतत्त्व से निर्मित होती हैं, जबकि मनुष्य पृथ्वी और आपतत्त्व से । ब्रह्मांड के तत्त्वों में वायुतत्त्व पदक्रम में उच्च होता है, अर्थात पृथ्वी और आपतत्त्व की तुलना में अधिक शक्तिशाली होता है । काली शक्ति, उनकी आध्यात्मिक क्षमता का कार्य होता है और प्रधान अस्त्र भी । अतः दबाव देना हो अथवा रस्सी से बांधना हो अथवा तंतुओं का जाल बुनना हो, मूलतः यह अनिष्ट शक्ति की काली शक्ति द्वारा ही किया जाता है । इस काली शक्ति में एक विषैली वायु समान मनुष्य के सभी इंद्रियों को प्रभावित करने की क्षमता होती है । मनुष्य को कष्ट देने के उद्देश्य के अनुसार अनिष्ट शक्ति व्यक्ति को प्रभावित करनेयोग्य अवयव और पद्धति का चुनाव करती है ।
इस प्रकार के आक्रमण के अन्य लक्षण :
- व्यक्ति की मानसिक (बौद्धिक) क्षमताएं कार्यक्षम रहती हैं । व्यक्ति हिलना चाहता है, परंतु हिल नहीं पाता ।
- यह अवस्था कुछ क्षणों से लेकर लगातार कुछ घंटे तक रहती है ।
- व्यक्ति के आसपास के लोग सोचते हैं कि वह गहरी नींद में सोया है । पथरा जाने से व्यक्ति के मुखमंडल अथवा शरीर पर तनाव का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता ।
- पैरालिसिस के आक्रमण से प्रभावित व्यक्ति पूर्णतः सचेत रहता है और आसपास के लोगों को सुनता भी है, परंतु अपनी सहायता के लिए किसी को बुला नहीं पाता ।
- कभी-कभी इसके साथ दुर्गंध आती है । अनिष्ट शक्ति उसकी काली शक्ति के माध्यम से ऐसा करती है । व्यक्ति इसे उसकी छठवी ज्ञानेंद्रिय अथवा अतिजाग्रत संवेदनक्षमता द्वारा अनुभव करता है । सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से हम गंध, रूचि, दृश्य, स्पर्श, ध्वनि इत्यादि का आकलन किस प्रकार से कर सकते हैं, इसके विस्तृत विवरण के लिए कृपया छठवी ज्ञानेंद्रिय संबंधी लेख पढें ।
- सामान्यत: आक्रमण पाताल के किसी भी भाग की अनिष्ट शक्ति द्वारा किया जाता है ।
- व्यक्ति की आध्यात्मिक क्षमता (शूरता), अनिष्ट शक्ति व्यक्ति को कितने समय तक कष्ट देना चाहती है और अनिष्ट शक्ति की क्षमता आदि पर आक्रमण की कालवधि निर्भर होती है ।
- कुछ प्रसंगों में लोगों को कंपन का अनुभव होता है । अनिष्ट शक्ति द्वारा व्यक्ति को पथराने का व्यर्थ अथवा अपूर्ण प्रयत्न करने के कारण कंपन का अनुभव होता है ।
- जहां आक्रमण का अंत व्यक्ति द्वारा झटका देने से होता है, वहां कारणभूत घटक मृत पूर्वजों की सूक्ष्म-देह, स्थल अथवा कुंडलिनी होते हैं ।
इस प्रकार के आक्रमण संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ।
४.अ.२ निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) – व्यक्ति की देह को बांधकर रखना
- यहां मांत्रिकों समान चौथे पाताल की उच्च अनिष्ट शक्तियां व्यक्ति की देह को उनकी काली शक्ति के धागों से बांधने के लिए उनकी अलौकिक शक्ति (सिद्धि) का उपयोग करती हैं । यहां व्यक्ति को किसी के द्वारा बांधने समान लगता है । वह कुछ हिल अथवा बोल नहीं पाता ।
- दबाब के अतिरिक्त उपर्युक्त सभी सूत्रों को अनुभव व्यक्ति को होता है ।
इस प्रकार के आक्रमण संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ।
४.अ.३ निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) – मन और बुद्धि पर नियंत्रण
- इस घटना में व्यक्ति को अनिष्ट शक्तियों द्वारा (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) पूर्णतः असहाय किया जाता है । अनिष्ट शक्तियों द्वारा शरीर, मन तथा बुद्धि; इन तीनों को निष्क्रिय किया जाता है ।
- इसमें उच्च स्तर की चौथे पाताल की मांत्रिकों समान अनिष्ट शक्तियां (अत्यधिक बलवान अनिष्ट शक्तियां) व्यक्ति के सर्व ओर जाल की भांति काली शक्ति का कवच बनाने के लिए उनकी अलौकिक सिद्धीयोंका उपयोग करती हैं ।
- पाताल में किए यज्ञ द्वारा काली शक्ति का यह कवच निर्मित किया जाता है । व्यक्ति के सर्व ओर कवच निर्माण होते ही, उसका मन और बुद्धि धीर-धीरे सुन्न होते जाते हैं और व्यक्ति हिल एवं बोल नहीं पाता ।
५. अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) यह सब क्यों करती हैं ?
व्यक्ति को आवेशित करने तथा उस पर आक्रमण करने के ४ प्रमुख कारण हैं ।
- प्रतिशोध लेना
- अपनी इच्छाओं / वासनाओं को तृप्त करनेका प्रयास करना
- दूसरों को कष्ट देकर संतुष्ट होना
- ईश्वरप्राप्ति करनेवाले साधकों को कष्ट देना
‘अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) के अस्तित्व का क्या उद्देश्य हैं ?’ इस लेख में इन सभी सूत्रों का विस्तृत विवरण किया है ।
६. निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) से बाहर आने के लिए आध्यात्मिक उपाय
६.१ निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) से बाहर आने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
पैरालिसिस का कारण आध्यात्मिक होने से इसे न्यून करना आध्यात्मिक उपायों से ही संभव होता है ।
- जब कोई अपनेआप को इस स्थिति में पाता है; तब सर्वप्रथम करने की बात है, ईश्वर की सहायता के लिए उनसे प्रार्थना करना ।
- अधिकाधिक प्रार्थना करने के साथ पैरालिसिस के आक्रमण से बाहर आनेतक जिस धर्म में जन्म हुआ है, उस देवताका नामजप आरंभ करना ।
- पैरालिसिस का आक्रमण समाप्त होने पर, इस आक्रमण से मुक्त किए जाने के लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें ।
ध्यान रहे कि बिना हडबडाए देवता के नामजप की साधना करने से हमें ईश्वरीय शक्ति प्राप्त होती है । इससे हमारी आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होकर काली शक्ति से सामना करने की क्षमता में भी वृद्धि होती है और आक्रमण की कालवधि न्यून हो जाती है ।
६.२ भविष्य में निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) पुनः न हो, इसकी निश्चिति होने के लिए हम क्या कर सकते हैं ?
प्रतिबंधक उपायों का मूल सिद्धांत है, अपने सर्व ओर ईश्वरीय सुरक्षा-कवच प्राप्त करना और सत्त्वगुण में वृद्धि करना ।
यह निम्न कृत्यों से साध्य हो सकता है :
- साधना आरंभ करना
- वर्तमान समय में उन्नत आध्यात्मिक मार्गदर्शकों (संतों) द्वारा बताया जन्मानुसार प्राप्त धर्म के देवताका नामजप नियमितरूप से करना ।
- भगवान दत्तात्रेय का नियमित नामजप पूर्वजों के कष्टों पर आध्यात्मिक औषधि समान कार्य करता है ।
- आध्यात्मिक उन्नति होने और अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) से सुरक्षा पाने के लिए अधिकाधिक प्रार्थनाएं करना ।
- विभूति और तीर्थ लगाना, घर में धूप और अगरबत्ती जलाना, नमक के पानी में पैर डुबोना आदि जैसे आध्यात्मिक उपाय करना । अगरबत्ती की सुगंध चंदन, चमेली अथवा केवडे की होनी चाहिए, क्योंकि वे अधिक सात्त्विक होती हैं ।
६.३ निद्रा पक्षाघात (स्लीप पैरालिसिस) – व्यक्ति की सहायता के लिए अन्य लोग क्या कर सकते हैं ?
किसी भी प्रसंग में आध्यात्मिक उपाय करने पर, मूलभूत सिद्धांत एक ही होता है – सत्त्वगुण बढाकर तमोगुण न्यून करना ।
यह साध्य करने के लिए हम निम्न कृत्य कर सकते है :
- सुरक्षा हेतु प्रार्थना
- व्यक्ति के पास अगरबत्तियां अथवा धूप जलाएं । अगरबत्ती प्रधानता से चन्दन, चमेली अथवा केवडे की गंध की होनी चाहिए ।
- प्रभावित व्यक्ति के माथे पर चुटकी भर विभूति लगाएं,
- प्रभावित व्यक्ति पर तीर्थ छिडकें,
- व्यक्ति के पास देवताका चित्र अथवा नामपट्टी रखें,
- देवता के नामजप की ध्वनिचक्रिका (C.D.) व्यक्ति के पास लगाकर रखें
यदि किसी के समझ में आए कि व्यक्ति पैरालिसिस की स्थिति में है, तो उसे हिलाएं । इससे उसे इस स्थिति से बाहर आने में सहायता होती है । जब व्यक्ति पथरा जाता है, तब उसके हाथ-पैरों में (शरीर के बाहरी भाग में) विद्यमान सूक्ष्म आध्यात्मिक शक्तिप्रवाह से संबंधित तंत्र कुछ समय के लिए मानो बंद हो जाता है । व्यक्ति को हिलाने से, यह तंत्र पूर्ववत हो जाता है । इससे शक्ति का प्रवाह आरंभ होकर व्यक्ति की गतिविधियां पूर्ववत होने लगती हैं ।
प्रतिबंधक उपचार पद्धतियों के लिए कृपया हमारे आध्यात्मिक उपचार, इस खंड का संदर्भ लें ।
अन्य संदर्भ
- Cheyne 2001 – The Ominous Numinous, Journal of Consciousness Studies, 8, No. 5–7, 2001
- J. A. Cheyne 2002 – Waterloo Unusual Sleep Experiences Questionnaire, A Technical Report, Department of Psychology University of Waterloo May 2002
- A webpage about Sleep Paralysis and Associated Hypnagogic and Hypnopompic Experiences
- Night of the Crusher: Science News Online Week of July 9, 2005; Vol. 168, No. 2 , p. 27
- In the dead of the night, reported by Barbara Rowlands in The Observer Sunday November 18, 2001