हाल ही में एक अफ्रीकी भूरे रंग का तोता खबरों में आया और उसका कारण है उसकी समझदारी भरी अंग्रेजी में वार्तालाप करने की आश्चर्यकारी क्षमता । उसके पास लगभग १००० शब्दों का प्रभावकारी शब्द भंडार होने की बात पता चली ।
इस आश्चर्यकारी घटना से प्रभावित होकर इस बोलनेवाले तोते के विविध विवरण तथा उसके बोलने की क्षमता पर हमने आध्यात्मिक शोध किया । यह शोध SSRF के अति विकसित अतींद्रिय क्षमता अथवा छठवीं इंद्रिय क्षमतावाले साधकों के द्वारा किया गया । इस घटना पर हुए आध्यात्मिक शोध का निष्कर्ष इस प्रकार रहा ।
१. पक्षी बात कैसे कर सकते हैं ?
सामान्यत:, पक्षियों की आधारभूत बुद्धिमानी अत्यधिक सीमित होती है (अर्थात उसकी भूख, नींद, संभोग तथा भय से संबंधित मूलभूत वृत्ति तक ही सीमित), पक्षियों के लिए बात करने तथा विस्तृत शब्द भंडार जैसी उपलब्धि प्राप्त करना असंभव है । पक्षियों के बात करने में समर्थ होने का कारण उनका अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) से प्रभावित होना अथवा आविष्ट होना हो सकता है । इसका एक अन्य कारण यह भी हो सकता है कि वह पक्षी एक अधोगति प्राप्त मनुष्य हो । इसका तात्पर्य यह है कि वह (पक्षी) पिछले जन्म में मनुष्य रहा हो ।
एक मनुष्य निम्न प्रजाति में अवक्रमित होकर तभी जन्म लेता है जब उसकी अपनी इच्छा हो अथवा उसने अत्यधिक पाप किए हों अथवा आध्यात्मिक रूप से विकसित किसी व्यक्ति द्वारा उसे श्राप मिला हो । वास्तव में आध्यात्मिक शोध बताते हैं कि ३० प्रतिशत पशु-पक्षी अधोगति प्राप्त मनुष्य हैं ।
२. आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्ति निम्न प्रजाति में जन्म लेने की इच्छा क्यों रखेंगे ?
मनुष्य जन्म में आनेवाली बाधाओं से अबाधित रहकर साधना करने की इच्छा के कारण आध्यात्मिक रूप से उन्नत व्यक्ति किसी जानवर अथवा पक्षी जाति में जन्म लेने का निर्णय लेते हैं । आध्यात्मिक रूप से विकसित व्यक्ति के लिए यह संभव होता है कि वे किसी जानवर अथवा पक्षी के रूप में रहकर भी साधना कर सकते हैं क्योंकि उनकी ९८ प्रतिशत साधना सूक्ष्म तथा आंतरिक होती है, अर्थात कोई भी स्थूल (दिखाई देनेवाले) कृत्य आवश्यक नहीं है । आध्यात्मिक रूप से विकसित व्यक्ति जब निम्न प्रजाति में जन्म लेते हैं, तब अपने अस्तित्व को कब समाप्त करना है, इसका निर्णय भी उन पर ही होता है ।
३. क्या अधोगति प्राप्त मनुष्य को इस जन्म में यह स्मरण रहता है कि पिछले जन्म में वह मनुष्य था ?
यदि व्यक्ति ने निम्न प्रजाति में अपनी इच्छा से जन्म लिया है तो उसे स्मरण रहता है । किंतु यदि किसी व्यक्ति ने किसी श्राप के कारण अथवा दंड के रूप में निम्न प्रजाति में जन्म लिया हो तो उसे अपने पिछले मानवी अस्तित्व का स्मरण नहीं रहता ।
४. यह तोता कैसे बोल पा रहा था ?
इस विशिष्ट प्रकरण में तोते की बोलने की क्षमता तथा वैशिष्ट्यपूर्ण शब्द भंडार का कारण यह है कि वह अवक्रमित मनुष्य है । उसने अपनी इच्छा से निम्न योनि में जन्म नहीं लिया । इसीलिए उसे अपना पिछला मनुष्य जन्म का स्मरण नहीं है । अपने पापों के दंड स्वरूप पृथ्वी पर निम्न प्रजाति में उसका जन्म हुआ है । वह ३० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर का आकर्षण का केंद्र बनने की तीव्र इच्छा रखनेवाला व्यक्ति था । अन्यों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का दृढ स्वभाव उसके अवगुण में परिणत हो गया, जिससे उसका अहं बढा, जो उसकी आध्यात्मिक उन्नति के लिए हानिकारक था ।
उसका उसके स्वामी के साथ कोई लेन-देन नहीं था ।
५. इतने निम्न आध्यात्मिक स्तर वाले मनुष्य से अवक्रमित होकर बने पक्षी की ऐसी अद्भुत प्रतिभा कैसे हो सकती है ?
यद्यपि उस व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर निम्न था, तथापि उसकी सारी शक्ति उसकी ध्यान आकर्षित करने की इस एक इच्छा पर केंद्रित था । इसलिए इस जन्म में तोते के रूप में उसमें यह प्रतिभा आ गई ।
वह अंग्रेजी में बात कर सकता था क्योंकि अपने पिछले जन्म में वह इस भाषा को जानता था । उसका शब्द भंडार ९५० शब्दों तक सीमित था क्योंकि यही उसकी अधिकतम क्षमता थी ।
६. इसमें पक्षी प्रशिक्षक का योगदान कितना है ?
इस प्रकरण में प्रशिक्षक का योगदान मात्र ५ प्रतिशत है । इसका अर्थ है कि वह तोता प्रशिक्षक की सहायता के बिना भी यह क्षमता प्राप्त कर सकता था ।