१. प्रस्तावना
यहां हम एक अस्वाभाविक खरोंच के चिन्हों का अद्भुत प्रकरण अध्ययन प्रस्तुत कर रहे हैं, जो अकस्मात ही एक संत के छायाचित्र पर बिना किसी तर्कसंगत कारण के उभर आएं ।
ये खरोंचें एक उच्च स्तरीय संत तथा परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के गुरु परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के छायाचित्र पर जनवरी २००६ में उभरीं ।
जैसा कि आप देख सकते हैं कि खरोंच, दाग तथा धब्बों से छायाचित्र को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया है । विकसित छठवीं इंद्रिय का प्रयोग कर हमें ज्ञात हुआ कि इस विकृतिकरण का कारण एक अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) का आक्रमण था ।
SSRF शोध दल की टिप्पणी :प्रभावित चित्र के चारों ओर एक सुरक्षात्मक चौखट बनाया गया है, जिससे कि पाठकों पर इससे प्रक्षेपित होनेवाले कष्ट का कोई प्रभाव न पडे । देवता तत्त्ववाले इस सुरक्षात्मक चौखट से प्रक्षेपित होनेवाले चैतन्य से पूरित पीले रंग की तरंगों ने छायाचित्र से प्रक्षेपित होनेवाली काली शक्ति को नष्ट कर दिया ।
छायाचित्र से प्रक्षेपित होनेवाली काली शक्ति के न्यून होने से, दर्शक अब छायाचित्र से प्रक्षेपित होनेवाले सकारात्मक स्पंदनों पर मन एकाग्र कर पाएगें । ये सकारात्मक स्पंदन दर्शक के मन तथा बुद्धि पर आए किसी भी काले आवरण को नष्ट करने में सहायक हैं ।
२. विकसित छठवीं इंद्रिय के माध्यम से किया गया सूक्ष्म निरीक्षण
पूजनीया (श्रीमती) योया वालेजी विकसित छठवीं इंद्रियवाली संत हैं । साधना के रूप में वे आध्यात्मिक आयाम में जो होता है उसे समझ सकती हैं तथा उसे देखकर चित्रित कर सकती हैं । जब हमने उन्हें ऊपर दिखाए छायाचित्र का अध्ययन करने के लिए कहा, तब छठवीं इंद्रिय के द्वारा जो उन्हें समझ में आया, वह आगे दिएनुसार है ।
पूजनीया (श्रीमती)योया वालेजी द्वारा आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति के संदर्भ में ग्रहण की जानकारी अधिक विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें ।
जैसे कि सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्र में देखा जा सकता है कि अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि)ने छायाचित्र पर आक्रमण किया था ।
और आगे अध्ययन करने पर हमें ज्ञात हुआ कि परम पूज्य भक्तराज महाराज के छायाचित्र पर आक्रमण के समय, राक्षस पांचवे पाताल के सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक के आदेशानुसार काम कर रहा था ।
३. आक्रमण के संदर्भ में ईश्वरीय ज्ञान
SSRF की एक अन्य संत पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी, जिन्हें ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होता है, को इस आक्रमण के संदर्भ में जो जानकारी प्राप्त हुई, वह आगे दी गई है । सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक द्वारा नियोजित आक्रमण की विध्वंसक प्रक्रिया को समझने में पूजनीया (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी सक्षम थीं ।
सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक ने विचारों पर मन एकाग्र कर तथा इच्छा शक्ति का प्रयोग कर छायाचित्र पर खरोंचो का एक आवरण निर्मित कर दिया । जब उसके विचार करने की प्रक्रिया बढी, तब पर्यावरण में नकारात्मक तरंगें घनीभूत होकर इच्छित स्थान में प्रकट हुईं । सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक के विचार की गति अत्यधिक होने के कारण वह अल्प कालावधि में ही कष्ट उत्पन्न करने में सक्षम था ।
अनेक खरोंचों से निकलनेवाली काली शक्ति के एकत्रित होने से गहरे रंग के धब्बे निर्मित हुए । साथ ही आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग कर पानी जैसे तथा कुछ पारदर्शी से धब्बे निर्मित हुए, जिससे साधकों को पता चले बिना ही उन पर आक्रमण किया जा सके ।
जब सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक छायाचित्र पर अनिष्ट शक्ति छोड रहा था, तब छायाचित्र से प्रक्षेपित हो रही चैतन्य की तरंगें सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की मनोदेह से टकराई । इससे उसके रज-तम कण नष्ट हो गए तथा काली शक्ति की गति घट गई ।
जब जनवरी २००६ में उसने इस छायाचित्र को नष्ट किया था, उस समय राक्षस की शक्ति ३० प्रतिशत थी । वर्ष २०१० में यह घटकर २५ प्रतिशत रह गई, जब वह समाज को हानि पहुंचाने के लिए सक्रिय था ।
४. आक्रमण की प्रभावक्षमता
अनिष्ट शक्ति के इस आक्रमण के प्रभाव की जानकारी आगे सारणी में दी गई है । आक्रमण के समय काली शक्ति का कुल प्रभाव २० प्रतिशत था ।
टिप्पणी : अनिष्ट शक्ति के आक्रमणों की पूर्ण क्षमता के प्रभाव के संदर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ।
किस पर | विस्तार | प्रभाव का प्रकार |
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परम पूज्य डॉ. आठवलेजी | ५ प्रतिशत | एकत्रित काली शक्ति के स्पंदन से निर्मित उष्मा से परम पूज्य डॉ. आठवलेजी के हथेली तथा पैरों की त्वचा छिल गर्इ । |
वातावरण पर | १५ प्रतिशत | वातावरण में कष्टपूर्ण भंवर के समान स्वर की निर्मिति हुर्इ । इस प्रकार की सूक्ष्म ध्वनि ने व्याकुलता में वृद्धि की तथा लोगों को खींचे अथवा धकेले जाने समान अनुभव हुआ । |
देखनेवालाें पर | १५ प्रतिशत | सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की विचारों पर एकाग्रता करने की क्षमता के कारण कष्टदायक तरंगों की निर्मति हुर्इ । इन तरंगों से कष्टदायक ध्वनि तरंगों की निर्मिति हुर्इ । जब देखनेवाला उस छायाचित्र के समीप जाता है, तब एक काला आवरण उसके मन तथा बुद्धि पर निर्मित होता है और वह सोचने में असमर्थ हो जाता है । |