साधना की परिभाषा
SSRF के अनुसार, पूरी निष्ठा और लगन के साथ स्वयं में दैवी गुणों को विकसित करने एवं शाश्वत आनंद की प्राप्ति हेतु प्रतिदिन नियमितरूप से किए जानेवाले प्रयास ही साधना है ।
दूसरे अर्थों में, साधना, अपने भीतर की ओर जानेवाली वह व्यक्तिगत यात्रा है, जिसमें पंचज्ञानेंद्रियों, मन एवं बुद्धि से परे जाकर उस आत्मा को (ईश्वर को) अनुभव करना है, जो प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है । ईश्वर के अनगिनत गुणों में से एक गुण है शाश्वत आनंद और इसलिए आत्मा की अनुभूति से हमें उस आनंद की अनुभूति होती है ।
साधना के माध्यम से तीव्र गति से आध्यात्मिक प्रगति हो इस हेतु यह आवश्यक है कि
- वह साधना के छ: मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार हो
- मात्रा एवं गुणवत्ता में क्रमशः वृद्धि होती रहे