१. त्वचा पर गोदना – प्रस्तावना
आजकल कई लोगों के लिए गोदने (टैटू, त्वचा पर गोदना) का व्यक्तिगत, प्रतीकात्मक, सौंदर्यात्मक, पारंपरिक अथवा सांस्कृतिक महत्व है अथवा उनके व्यक्तित्व की पहचान है । आजकल सभी आयु तथा वर्ग की महिलाओं और पुरुषों दोनों की आधुनिक जीवन शैली में गोदने को एक विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है ।
हम सभी ने कभी न कभी किसी विशेष गोदने की कलाकृति की प्रशंसा की होगी अथवा स्वयं की त्वचा पर गुदवाने का निश्चय भी किया होगा । परंतु, आध्यात्मिक स्तर पर गोदने से होने वाले हानिकारक परिणामों के प्रति हम सचेत नहीं हैं । त्वचा पर गुदवाने के उपरांत क्या होता है यह समझने के लिए, SSRF ने गोदने पर आध्यात्मिक शोध किया ।
२. गुदाई पर आध्यात्मिक शोध
साधक श्रीमती. योया वाले (अब (पू.) योया वाले) जिनकी छठवीं इंद्रिय प्रगत है, उन्होंने गोदने के आध्यात्मिक परिणामों पर शोध किया । उन्होंने सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित चित्रांकन भी बनाया । विशुद्ध-चक्र के स्थान पर गोदने से हुए परिणाम को हम सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित इस चित्रांकन से समझ सकते हैं ।
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, गोदने के हम पर हानिकारक परिणाम होते हैं । गोदने के हानिकारक परिणाम निम्नलिखित कारणों से होते हैं :
- कई लोग आधुनिक प्रचलन (फैशन) के कारण अपनी त्वचा गुदवाते हैं । इससे उस स्थान पर मोहिनी शक्ति भी आकर्षित होती है । परिणामस्वरूप बाह्य जगत से आसक्ति और भावनात्मकता बढती है अथवा मायिक भ्रम बढता है ।
- गोदने की अधिकतर कलाकृतियां सात्विक नहीं होती हैं । परिणामस्वरूप वह कष्टदायक शक्तियों को कार्यरत करती हैं ।
- गोदने की आकृतियां वातावरण में कष्टदायक शक्ति की मात्रा बढा देती है जिससे कि व्यक्ति शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर विचलित रहता है । इसके साथ ही व्यक्ति की देह के आसपास की काली शक्ति का आवरण १.५% तक बढ जाता है ।
- व्यक्ति की त्वचा पर गोदने के कारण अनिष्ट शक्तियों द्वारा व्यक्ति के देह, मन और बुद्धि पर प्रभाव डालना संभव होता है ।
- गुदाई देह की उष्णता भी बढा देती है । देह में उष्णता बढना देह में रज-तम बढने का सूचक है । (ठंडक बढना देह में सत्व गुण बढने का सूचक है )
- दूसरों को गुदी हुई आकृति दिखाते समय अहं बढता है ।
३. सारांश में – आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गोदने से संबंधित कुछ प्रायोगिक सुझाव
गोदने पर किए अध्ययन से प्राप्त कुछ समझने योग्य महत्वपूर्ण सूत्र :
- आध्यात्मिक दृष्टिकोण से त्वचा पर गुदवाने से कोई भी लाभ नहीं होता है ।
- यह शरीर पर स्थायी रूप से रहते हैं, ऐसे में व्यक्ति यदि साधना नहीं करता हो तो अनिष्ट शक्तियों से कष्ट हो सकता है ।
- यदि किसी ने पहले से ही टैटू बनाया है तो सबसे अच्छा है हम नियमित साधना कर इससे होने वाले हानिकारक परिणामों से स्वयं की रक्षा करें । साधना से हम, गोदने के समय अनुभव होने वाले कष्ट न्यून कर सकते हैं ।
- व्यक्ति जैसे-जैसे आध्यात्मिक प्रगति करता है देह से संबंधित बातों का महत्व उसके लिए न्यून हो जाता है ।