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.प्रस्तावना

आज के युग में हमें पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि से इस विश्‍व को देखना और समझना सिखाया जाता है । परिणामस्वरूप जो दिखता है, केवल वही अस्तित्व में है, ऐसी हमारी धारणा बनती है । लोग कभी-कभी ही स्पंदनों के स्तर पर अनुभव करने का प्रयास करते हैं । उदाहरणार्थ कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति आभूषण के स्थान पर प्रचलन के अनुसार खोपडी धारण करता है, यह उचित है अथवा नहीं एवं उस आभूषण से कैसे स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं, यह समझे बिना लोग उतावले होकर उस फैशन को अपना लेते हैं । हम जिस विश्‍व में रहते हैं, वहां कई रुझान (trends) और व्यवहार ऐसे हैं जिनसे अत्यधिक नकारात्मक स्पंदन प्रक्षेपित होते हैं । तब भी समाज के अधिकतर लोग उसे अपनाते हैं । अधिकतर समाज इन वस्तुओं से प्रक्षेपित होनेवाले स्पंदनों को समझने तथा अनुभव करने का प्रयास नहीं करता । इसलिए अधिकांश लोग उन नकारात्मक रुझान और व्यवहार का पालन करते हैं जिनको प्रचलित करनेवाले भी उनकी नकारात्मकता से अनभिज्ञ रहते हैं ।

आध्यात्मिक शोध से हमने यह जाना कि लेख में उल्लेखित रुझान एवं व्यवहार, उन लोगों से प्रभावित होते हैं जो अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित होते हैं । इस रुझान और व्यवहार का समाज पर, विषेशकर आध्यात्मिक स्तर पर अत्यधिक घातक प्रभाव होता है जिससे समाज की सात्त्विकता न्यून होती है । परिणामस्वरूप हम अनिष्ट शक्तियों के हाथ की कठपुतली बन जाते हैं । वास्तव में एेसा कर हम स्वयंपर पकड दृढ करने में अनिष्ट शक्तियों की सहायता करते हैं ।

क्या समाज पर होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के घातक प्रभाव से बचने का कोई मार्ग है ?

हां, है । समाज को अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित कृत्यों के विषय में जानकारी देकर, इस विश्‍वव्यापी समस्या के विषय में जागृति की आशा है । (देखें संदर्भ लेख : अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित रुझान एवं व्यवहार) जबतक व्यक्ति मन और बुद्धि से इस विषय को समझ नहीं लेता तबतक वह उस पर ध्यान देने का इच्छुक नहीं रहता और उस पर विजय प्राप्त करने का प्रयास नहीं करता, इसलिए इस विषय में जागृति करना आवश्यक है । इस लेखद्वारा हम मानवजाति को विकल्प उपलब्ध कराना चाहते हैं जिससे विश्‍व के सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक प्रवाह में परिवर्तन हो और समाज आध्यात्मिक स्तर पर (सात्त्विक) कृत्यों एवं व्यवहार को अपना सके ।

.घटनाओं को स्पंदनों के स्तर पर समझने हेतु साधना की आवश्यकता

एक बार स्टोव को छूने से यदि बालक का हाथ जल जाता है, तो उसे स्टोव से सावधान रहने हेतु कभी किसी को कहने की आवश्यकता नहीं होती; क्योंकि स्टोव को छूना पीडादायक है, यह बात वह अपने अनुभव से ही सीख जाता है ।

यही तत्त्व आध्यात्मिक स्पंदनों के विषय में भी लागू होता है । किसी भी कृत्य अथवा वस्तु से प्रक्षेपित अनिष्ट स्पंदनों के अनुभव को बुद्धि के स्तर पर समझाना अथवा समझ पाना असंभव है । यह ध्यान रहे कि आध्यात्मिक स्पंदन, बालक और स्टोव के उदाहरण जैसे दिखार्इ नहीं देते ।

आध्यात्मिक स्पंदन अनुभव करने एवं समझने हेतु, नियमित साधना अत्यावश्यक है । जब हम अध्यात्म के : मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार साधना करते हैं तो आध्यात्मिक प्रगति के साथ-साथ अन्य लाभ भी होते हैं । एक लाभ यह है कि हम सूक्ष्म-स्पंदनों को ग्रहण कर उन्हें अनुभव कर सकते हैं । सूक्ष्म-स्पंदनों को अनुभव करने में सक्षम होने पर, भौतिक स्तर पर वस्तु कितनी ही लुभावनी हो, आध्यात्मिक स्तर पर जो उपयुक्त है, प्राय: उसका ही हम चयन करते हैं ।

नियमित साधना करने से हमारी सात्त्विकता बढती है जिससे हम आध्यात्मिक दृष्टि से अशुद्ध वस्तु सहन नहीं कर पाते । यही कारण है कि आध्यात्मिक प्रगति होने पर जैसे सांप अपनी केंचुली छोडता है, साधक स्वयं में आध्यात्मिक स्तर पर परिवर्तन होने से अशुद्ध व्यवहार और संस्कार जैसे मासांहार, मद्यपान इत्यादि छोड देता है ।

SSRF ने ऐसे अनेक लेख प्रकाशित किए हैं जो साधना आरंभ करने हेतु अथवा साधना बढाने हेतु सहायक हैं :

१. आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करें : इस लेख से शीघ्र साधना आरंभ करने हेतु प्रभावी मार्ग मिलता है । स्वयं में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु नियमित साधना करना, यही उत्तम मार्ग है ।

२. आध्यात्मिक उपचार की विधियां : हमने पाठकों के लिए नमक पानी के उपाय, गत्ते के बक्से के उपाय तथा अन्य उपायों जैसी स्व-उपचार विधियों के विषय में जानकारी उपलब्ध करवाई है । ये आध्यात्मिक उपचार अत्यंत सरल, किंतु अत्यधिक प्रभावी हैं जो अनिष्ट शक्तियों के परिणामों पर विजय प्राप्त करने में सहायक होते हैं ।

३. ऑनलाईन सत्संग : साधकों की आध्यात्मिक यात्रा में दिशा दर्शन कर साधना आरंभ रखने की प्रेरणा देने हेत SSRF द्वारा स्काईप पर ऑनलाईन सत्संग लिए जाते हैं ।

४. SSRF के जालस्थल का अभ्यास करें : SSRF के जालस्थल का अध्ययन करने से जीवन एवं घटनाओं के विषय में आध्यात्मिक दृष्टिकोण सीखने को मिलते हैं । इससे आध्यात्मिक आयाम विषयक ज्ञान बढता है तथा हम जीवन पर उसके व्यापक प्रभाव को समझ सकते हैं ।

उपरोल्लेखित सूत्रों का नियमित अभ्यास करने से, कालांतर में, हम यह कर पाएंगे :

१. अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव पर विजय प्राप्त करना और आध्यात्मिक प्रगति करना ।

२. सकारात्मक एवं नकारात्मक स्पंदनों में भेद जानकर स्वयं तथा स्वजनों के लिए योग्य निर्णय लेने हेतु सक्षम बनना ।

३. शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर की बुरी आदतें स्वयं ही छूट जाना ।

४. तीव्र प्रारब्ध न्यून होना

.समाज में आवश्यक मूल परिवर्तन

. शिक्षा : पूरे विश्‍व में शैक्षिक पाठ्यक्रम में सात्त्विक, राजसिक तथा तामसिक, इन विषयों पर मार्गदर्शन का समावेश होना आवश्यक है । पूर्वकाल जैसे सत्ययुग एवं त्रेतायुग में सभी जीवन पर अध्यात्मिक आयाम के प्रभाव को समझते एवं स्वीकारते थे । गुरुकुल शिक्षा पद्धति में गुरु केवल भौतिक जीवन के विषय में ही नहीं, अपितु आध्यात्मिक प्रगति के विषय में भी शिक्षा देते थे । वे शिष्यों को अध्यात्मशास्त्र समझने में सहायता करते थे ।

२. अभिभावकों की भूमिका : अभिभावकों को अपने बच्चों के लिए सकारात्मक आदर्श बनना चाहिए; बच्चों को सात्त्विक व्यवहार एवं रुझान स्वीकारने हेतु प्रवृत्त करना चाहिए । इसो लिए अभिभावकों का यह कर्त्तव्य है कि वे रुझान एवं व्यवहार के आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाले प्रभावों को समझें, जिसके लिए उन्हें स्वयं साधना करनी होगी ।

३. समाज के नेता : समाज के नेताओं तथा नीतियां निधार्रकों को अध्यात्म का गहन अध्ययन एवं आध्यात्मिक अधिष्ठान होना आवश्यक है, अन्यथा लोगों के कल्याण हेतु राष्ट्र अथवा राज्य पर धर्माधिष्ठित राज करना कठिन होगा ।

४. विरोध करना : अपने शहर में जोंबी वॉक जैसे नकारात्मक सामाजिक रुझान एवं व्यवहार का विरोध करने से लोगों में ऐसे रुझान बंद करने के विषय में जागृति होगी ।

. सारांश

नियमित साधना करने से व्यक्ति धर्मविरोधी कृत्य एवं पाप करने से परावृत्त होता है । साधना ही आनंद का आश्‍वासन दे सकती है । साधना से कुछ खोना नहीं पडता, अपितु केवल लाभ ही होता है । साधना करना सरल है और इसमें धन व्यय नहीं करना पडता । साधना आनंद प्रदान करती है जो मनुष्य जीवन का अंतिम ध्येय है जिसे प्राप्त करने हेतु मनुष्य परिश्रम करता है भले ही उसे इसका बोध हो अथवा न हो ।

समाज सुखी एवं स्वस्थ तभी होगा जब समाज का प्रत्येक व्यक्ति सुखी और स्वस्थ होगा; इसके विपरीत होने पर परिणाम भी विपरीत ही होंगे, यह भी उतना ही सत्य है ।

साधना करने हेतु SSRF सभी का स्वागत करता है और सभी को आश्‍वस्त करता है कि वह इस जालस्थल के Login facility, ऑनलाईन सत्संग एवं साधकों के माध्यम से सहायता करने का पूरा प्रयास करेगा ।

चलिए आध्यात्मिक स्तर पर जागृत जीवन के आनंद को अनुभव करें !

कोई भी शंका हो तो हमारी Login facility पर हमें संपर्क करें ।