बताए गए नामजप वे हैं, जिनका प्रयोग मूल आध्यात्मिक कारण से उत्पन्न समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है । एक प्रकार से ये आध्यात्मिक चिकित्सा उपचार के रूप में कार्य करता है । इसलिए यह आध्यात्मिक उन्नति हेतु किए जानेवाले नामजप से भिन्न होता है ।
आइए, हम इस सिद्धांत को एक उदाहरण से समझने का प्रयास करें । जब हमें कोई रोग होता है, तब हम चिकित्सक के पास जाते हैं । चिकित्सक उस रोग का निदान कर हमें उससे संबंधित कुछ औषधियों की सूची (परची) देता है । उदाहरणार्थ :
- कीटाणु-संक्रमण होने पर, एक प्रतिजैविक (antibiotic) लेने के लिए बताया जाता है, जो रोग के कीटाणुओं को मार कर रोग दूर करता है ।
- उच्च रक्तचाप में, उच्च रक्तचापरोधी औषधि लेने के लिए बताया जाता है, जो अनेक स्तरों पर कार्य कर उच्च रक्तचाप (high blood pressure) को घटाता है ।
यहां महत्त्वपूर्ण बात यह है कि औषधियों का शोधकर्त्ता, निर्माता और रोगी की संस्कृति तथा पंथ सब भिन्न हैं; तथापि औषध सबको समानरूप से लाभ पहुंचाती है ।
इसी प्रकार, आध्यात्मिक शोध से हमें विशेष नामजप मिला, वह विशिष्ट औषधि की भांति विशेष आध्यात्मिक समस्याएं को दूर करता है । उदाहरणस्वरूप, नामजप – श्री गुरुदेव दत्त । यह विशेष नामजप अनेक आध्यात्मिक समस्याओं को दूर करता है, जैसे – वैवाहिक समस्याएं – विवाह न होना, गर्भधारण न होना इत्यादि, ये हमारे पितृदोष (मृत पूर्वजों के कारण प्रकट होनेवाले कष्ट)हैं । हमारे सूचना-जालस्थल (वेबसाइट) पर विविध शारीरिक एवं मानसिक रोगों के लिए विविध प्रकार के नामजप उपलब्ध हैं ।
इसमें महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उपर्युक्त नामजप से सभी लोगों को लाभ होता है । यह लाभ संस्कृति एवं पंथ की सीमाओं से परे, सबको समान रूप से मिलता है ।