१. अभिवादन की विधि – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य : एक परिचय
पूरे संसार में हर प्रजाति और संस्कृति में मनुष्य परस्पर अभिवादन करते हैं । इनके उद्देश्यों में भिन्नता हो सकती है और इसके कारण निम्न हो सकते हैं :
- किसी के ऊपर ध्यान देना अथवा उसकी उपस्थिति के आभारप्रदर्शन हेतु
- स्वयं की औपचारिक अथवा अनौपचारिक उपस्थिति का भान कराने हेतु
- व्यक्तियों अथवा समूहों के मध्य संबंधों के प्रकार एवं प्रगाढता दर्शाने हेतु
परंतु, अभिवादन की परंपरा एवं संस्कृति विशिष्ट होती हैं और सामाजिक स्थितियों एवं संबंधों के अनुसार परिवर्तित होती रहती हैं, ये परिवर्तन सामाजिक परिस्थितियों एवं संबंधों पर निर्भर होते हैं । अभिवादन व्यक्त, अव्यक्त एवं इनके मिश्रित रूप होते हैं । SSRF में हमने अभिवादनों के प्रचलित प्रकारों एवं हमारे ऊपर उनके आध्यात्मिक स्तर पर पडनेवाले प्रभावों पर आध्यात्मिक शोध किया । हमने जैविक प्रक्रियादर्शी (Biofeedback) उपस्कारों के माध्यम से किसी व्यक्ति के चक्रों में इन अभिवादनों के आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप होनेवाले परिवर्तनों का भी अध्ययन किया, विशेषकर निम्न परिस्थितियों में :
- किसी व्यक्ति विशेष के संपर्क में अथवा
- जब वह आंखों से आंखें मिलाकर परस्पर अभिवादन कर रहा हो या
- वार्तालाप के दौरन शारीरिक संस्पर्श (physical contact) की स्थिति में
- किसी व्यक्ति को आलिंगन अथवा अंतरंग स्पर्श करने की स्थिति में उसके व्यक्तिगत आध्यात्मिक स्तर के अनुसार (इस लेख में आगे आध्यात्मिक स्तर का विवरण दिया गया है)
२. पृष्ठभूमि
अपने शोध के परिणामों की विवेचना करने से पूर्व कुछ आध्यात्मिक सिद्धांतों जिनकी विशद विवेचना विभिन्न लेखों में हो चुकी है उनका संदर्भ देखना आवश्यक है । हम में हर व्यक्ति की आध्यात्मिक क्षमता एवं आध्यात्मिक स्तर भिन्न-भिन्न होते हैं । तदनुसार हमारे आध्यात्मिक स्तर की उच्चता अथवा निम्नता के अनुसार आध्यात्मिक आयामों पर अनिष्ट शक्तियों के लिए हम कितने सरल लक्ष्य हैं, यह निर्धारित होता है । परिणामस्वरूप, हमारे आध्यात्मिक स्थिति भी भिन्न हो सकते हैं । आध्यात्मिक स्थिति से हमारा अभिप्राय है कि कोई व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों के वशीभूत है अथवा नहीं । एक निम्न आध्यात्मिक स्तर का व्यक्ति यदि अनिष्ट शक्ति अथवा पूर्वजों से आविष्ट न भी हो तब भी उसके प्रभावित होने की आशंका बहुत अधिक होती है । हमारे शोध से यह स्पष्ट है कि वर्तमान समय में संसार के १/३ (एक तिहाई ) व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों से पीडित हैं । अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) अनुभाग में में हमने इस स्थिति का विस्तृत वर्णन किया है ।
२.१ काली शक्ति संक्रमित होना
अनिष्ट शक्ति से पीडित व्यक्ति पर काली शक्ति का आवरण होता है, जो न केवल उन्हें, अपितु उनके संपर्क में आनेवाले अन्य व्यक्तियोंको भी प्रभावित करता है । जागृत छठवीं इंद्रिय युक्त व्यक्ति अनिष्ट शक्तियों की नकारात्मकता अनुभव कर सकते हैं । जिस व्यक्ति की छठी इंद्रिय जागृत हो वह किसी भी पीडित व्यक्ति से उत्सर्जित काली शक्ति को स्पष्ट देख सकता है ।
प्रभावित करनेवाली अनिष्ट शक्ति की शक्ति के अनुसार काली शक्ति का प्रभावक्षेत्र अत्यंत विस्तृत होता है । जो व्यक्ति ऐसे पीडित व्यक्ति के शरीरिक संपर्क में आते हैं उनके भी प्रभावित होने की संभावना बढ जाती है ।
पीडित व्यक्ति की आंखों में सीधा देखने से, उसे स्पर्श करने से, उसका बनाया भोजन ग्रहण करने इत्यादि से काली शक्ति का संचार सुगम हो जाता है । प्राय: हर व्यक्ति जीवन के किसी न किसी भाग में इन अनिष्ट शक्तियों के दुष्प्रभाव से, अथवा अनिष्ट शक्तियों / पितरों के कारण पीडित रहता है ।
काली शक्ति तम प्रधान होती है और व्यक्ति के जीवन में आपदाओं का मूल कारक भी, जिस कारण जीवन में कठिनाइयां एवं आध्यात्मिक प्रगति में बाधाएं उत्पन्न होती हैं । कृपया विश्व के तीन सूक्ष्म तत्व – सत्व, रज और तम पर संदर्भ लेख पढें ।
आध्यात्मिक प्रयासों अथवा आध्यात्मिक उपचारों से काली शक्ति को न्यून किया जा सकता है परंतु, निरंतर साधना काली शक्ति के आवरण को हटाने का सबसे विश्वसनीय उपचार है ।
३. अभिवादन कैसे करें / विविध अभिवादनों पर आध्यात्मिक शोध
३.१ अभिवादन के आध्यात्मिक क्षमता वर्धक-गुण
अभिवादन की पद्धति की आध्यात्मिक उपयुक्तता का मुख्य आधार है निर्मित होनेवाली तरंगें और व्यक्तियों के बीच संपर्क का स्तर ।
- रज-तम तत्त्व से उत्सर्जित अभिवादन हमारे लिए आध्यात्मिक रूप से हानिकारक हैं, खंड ३.३ में इसका विस्तृत वर्णन है ।
- सात्विक स्पंदन से उत्सर्जित अभिवादन हमारे लिए आध्यात्मिक रूप से लाभप्रद हैं ।
- शारीरिक सम्पर्क युक्त अभिवादन दो व्यक्तियों के मध्य सूक्ष्म ऊर्जा का संचार करते हैं, क्योंकि अधिकांश व्यक्ति नियमित रूप से आध्यात्मिक विधियों का पालन नहीं करते । अत: उनके अनिष्ट एवं काली शक्ति से प्रभावित होने की आशंका रहती है तथा साथ में अन्यों को भी प्रभावित कर सकते हैं ।
- सात्विक विचारों जैसे सच्चे प्रेम, अनुराग और शुभकामनाओं से परिपूर्ण अभिवादन उनकी आध्यात्मिक सृजन-शक्ति के वर्धक होते हैं । परंतु, ऐसा केवल मानसिक स्तर पर होता है । आध्यात्मिक स्तर पर स्थित विचारों में, ‘इस व्यक्ति का आध्यात्मिक उत्थान हो अथवा ‘मैं आपकी अंतरात्मा का अभिनंदन करता हूं, ऐसी आध्यात्मिक सृजन क्षमता बढ जाती है ।
३.२ व्यक्ति विशेष के अभिवादनों के प्रभाव
समाज में विभिन्न व्यक्तियों पर अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव भिन्न-भिन्न परिणामों में परिलक्षित होते हैं । अपने अध्ययन के प्रयोजन हेतु हम उन्हें निम्न वर्गों में विभाजित कर सकते हैं ।
१. आविष्ट व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति की चेतना (चैतन्य) अनिष्ट शक्तियों के नियंत्रण में रहती है ।
२. पीडित व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति आंशिक रूप से अनिष्ट शक्तियोंद्वारा प्रभावित होते हैं परंतु ये शक्तियां उनके मनो-मस्तिष्क पर नियंत्रण नहीं कर पाती हैं, अधिकतर व्यक्ति इसी श्रेणी में आते हैं ।
३. सकारात्मक व्यक्ति : ऐसे व्यक्ति अधिकतर आध्यात्मिक सृजनता संपन्न होते हैं तथा अनिष्ट शक्तियों से अप्रभावित । आज के संसार में ऐसा होना दुर्लभ ही है और प्राय: प्रत्येक दृष्टान्त में ऐसा व्यक्ति निरंतर साधनारत होगा और उसका आध्यात्मिक स्तर भी ६० प्रतिशत के ऊपर होगा ।
४. संत : ७० प्रतिशत से ऊपर के आध्यात्मिक स्तर के व्यक्ति, जो आज के युग में अत्यंत दुर्लभ हैं ।
जब इस प्रकार के व्यक्ति परस्पर एक दूसरे का सान्निध्य प्राप्त करते हैं अथवा एक दूसरे का अभिवादन करते हैं तो विभिन्न सूक्ष्म ऊर्जाएं प्रवाहित होती हैं और व्यक्तियों के अनुसार इन ऊर्जा प्रवाहों की मात्रा अभिवादन की विधियों के ऊपर निर्भर करती है ।
उदाहरण :
- अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित: अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित कोई व्यक्ति यदि अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित किसी अन्य व्यक्ति का आलिंगन करता है तो पीडित व्यक्ति में अनिष्ट शक्तियों के प्रकटीकरण की सम्भावना बढ जाती है ।
- सकारात्मक शक्तियों से प्रभावित : उसीप्रकार यदि ६० प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर का कोई व्यक्ति अल्प मात्रा में नकारात्मक ऊर्जावाले व्यक्ति के साथ हस्तान्दोलन करता है तो दूसरेको सुखद अनुभूति होगी ।
- पीडित के साथ सन्त : यदि कोई संत किसी सामान्य स्तर पर पीडित व्यक्तिको शुभेच्छा देता है, तो ऐसे व्यक्तिको अतींद्रिय सुख एवं शांति की अनुभूति होगी ।
प्राय: हर दृष्टांत में व्यक्ति इस ऊर्जा-अंतरण को अनुभव नहीं कर सकते क्योंकि वे सूक्ष्म क्षमता अथवा छठी इंद्रिय-संपन्न नहीं होते । परंतु कदाचित आपने कई बार किसी व्यक्ति के साथ हस्तमिलाप के उपरान्त समस्त शरीर में एक शुष्कता का अनुभव किया होगा, यह उस व्यक्ति के नकारात्मक रूप से प्रभावित होने का ही द्योतक है ।
३.३. अभिवादन कैसे करें / आध्यात्मिक शोध द्वारा अनुमोदित विधियां
जब हम किसी से सम्पर्क करते हैं अथवा उसका अभिवादन करते हैं तो उस व्यक्ति से सम्बद्ध सूक्ष्म ऊर्जा से प्रभावित होने का संकट सरल होता है । निम्नांकित सारिणी में अभिवादनों के विविध प्रकार और तत्सम्बन्धी प्रभाव पर किए अनुसन्धान का निष्कर्ष उल्लिखित है ।
अभिवादन का प्रकार१ | आध्यात्मिक संकट२२ | आध्यात्मिक लाभ३ |
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नमस्कार | न्यूनतम | उच्च |
झुकना | अल्प-मध्यम | अल्प |
हस्तमिलाप | मध्यम | शून्य |
आलिंगन | मध्यम से उच्च | शून्य |
चुंबन | उच्च | शून्य |
टिप्पणियां :
१. अधिक जानकारी के लिए रेखांकित ‘अभिवादन के प्रकार पर’ क्लिक करें ।
२. आध्यात्मिक संकट से (खतरे से) हमारा अभिप्राय कष्टदायक तरंगें और परस्पर अभिवादन कर रहे दो व्यक्तियों के मध्य उनके अंतर एवं परिवेश से है ।
३. आध्यात्मिक लाभ से हमारा प्रयोजन सात्विक ऊर्जा सृजन और वातावरण में उनके प्रसार से है ।