जीवन के अनेक पहलुओं में आनेवाली समस्याओं के आभासी एवं मूल कारणों के उदाहरण यहां दिए हैं । ये सभी उदाहरण वास्तविक जीवन के प्रकरण हैं, जहां स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाउण्डेशन (SSRF) ने पाया कि समस्याओं का कारण आध्यात्मिक स्वरूप का है ।
प्रायः हम कारणों को गलत स्थान पर ढूंढते हैं और इसीलिए समस्याएं कभी दूर नहीं होतीं; क्योंकि समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक स्वरूप का होता है और केवल आध्यात्मिक संसाधनों से ही दूर हो सकता है ।
१. व्यक्ति अथवा परिवार को प्रभावित करनेवाली समस्याएं
प्रकरण अध्ययन १ : वैवाहिक समस्याएं
यदि कोई दंपति वैवाहिक समस्याओं के कारण निराश हैं और स्वयं उसे सुलझा नहीं पा रहे, तो उन्हें मानसोपचार में स्नातक किसी वैवाहिक परामर्शदाता से सहायता लेनी चाहिए ।
असंतुलित वैवाहिक जीवन का आध्यात्मिक कारण क्या है ?
पितृदोष अर्थात मृत पूर्वज वैवाहिक जीवन को असंतुलित कर सकते हैं, जिससे निराशा उत्पन्न होती है । अतः निराशा का मूल कारण है पूर्वजों के सूक्ष्म-देह द्वारा उत्पन्न समस्याएं । इसके माध्यम से पूर्वज हमारा ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जिससे हम उनके मृत्योपरांत जीवन में आनेवाली समस्याओं को सुलझाने में सहायता के रूप में आध्यात्मिक दृष्टि से कुछ करें ।
प्रकरण अध्ययन २ : छाती में वेदना (दर्द)
यदि हमारी छाती में वेदना है, तो हमें परीक्षणों की एक लंबी सूची सौंप दी जाती है, जिसमें इलेक्ट्रो-कार्डियोग्राम (ईसीजी), छाती का एक्स-रे, रक्त की जांच इत्यादि होता है । यदि इन परीक्षणों में कुछ नहीं निकलता, तो आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) कहते हैं कि यह कार्डियाक न्यूरोसिस का प्रकरण है अर्थात छाती की ऐसी वेदना जो मानसिक कारणों से उत्पन्न हुई है ।
छाती में वेदना का मूल आध्यात्मिक कारण क्या हो सकता है ?
बार-बार छाती में उठनेवाली ऐसी वेदना, जो आधुनिक चिकित्सा से दूर न हो रही हो, उसका मूल कारण सामान्यतया आध्यात्मिक विश्व में हो सकता है ।
इसका एक आध्यात्मिक कारण शरीर की आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह में बाधा भी हो सकता है । यह बाधा सामान्यतया साधना के अभाव वश हो सकती है ।
प्रकरण अध्ययन ३ : आर्थिक समस्याएं
आर्थिक समस्याओं से घिरा कोई व्यक्ति कर्मचारियों के दुर्बल प्रदर्शन के कारण व्यवसाय में हुए भारी घाटे को इसका कारण मानकर किसी परामर्शदाता से सहायता मांग सकता है ।
कर्मचारियों के दुर्बल प्रदर्शन का क्या आध्यात्मिक कारण हो सकता है ?
कारखाने के परिसर में कष्टदायी शक्तियों के कारण सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के उपरांत भी व्यवसाय में अतार्किक (unreasonable) घाटा हो सकता है ।
किसी भी भवन में एक शक्ति रहती है । भवन-निर्माण तथा फर्नीचर एवं उपकरण रखने के स्थान के कारण उसमें नकारात्मक स्पंदन उत्पन्न हो सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप कर्मचारियों की कार्यक्षमता घट सकती है एवं उनके बीच अनबन हो सकती है ।
प्रकरण अध्ययन ४ : व्यसनाधीनता
कुछ प्रकरणों में हम देखते हैं कि लोग व्यसनी बन जाते हैं – परन्तु वे व्यसनी क्यों बन जाते हैं ?- व्यसनमुक्ति केन्द्र इसे निराशा अथवा व्यक्तित्त्व सम्बन्धी समस्या से जोडकर देखता है ।
आध्यात्मिक शोध में यह पाया गया है कि व्यसन के सभी प्रकरणों में, व्यसन का मूल कारण किसी व्यसनी के लिंगदेह अथवा भूत से आवेशित होना रहा है ।
प्रकरण अध्ययन ५ : दुर्घटना में एक नन्ही बच्ची का अपने माता-पिता को खो देना
कभी कभी हम देखते हैं कि जीवन हमारे साथ अन्याय कर रहा है – एक नन्ही-सी बच्ची अनाथ हो गई क्योंकि एक दुर्घटना में उसके माता-पिता उसे छोड, चल बसे । लोग ऐसी घटनाओं के कारण जानना चाहते हैं – यह मेरे साथ ही क्यों हुआ ? – मैंने ऐसा क्या किया था, जो मुझे यह मिला ? अधिकांशतया हमारे आसपास के लोग हमें कोई उत्तर नहीं दे पाते । अधिक से अधिक हम उस नन्हीसी बच्ची की उस घटना से उबरने में सहायता कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उसे एक अच्छा अनाथाश्रम मिले ।
हमारा जीवन पथ निर्धारित करने में प्रारब्ध एक सशक्त घटक है । यह हमारे जीवन का वह भाग है, जो हमारे बस में नहीं है । यहांतक कि हमारे जीवन की सभी महत्त्वपूर्ण घटनाएं जैसे जन्म, मृत्यु, विवाह एवं बडी दुर्घटनाएं पूर्व-निर्धारित होती हैं ।
कृपया पढें हमारा लेख प्रारब्ध और क्रियमाणकर्म क्या हैं ?
२. समाज को प्रभावित करनेवाली समस्याएं
प्रकरण अध्ययन ६ : पाठशाला में हिंसा
उन समस्याओं का क्या, जिनसे पूरा समाज प्रभावित होता है, उनका क्या कारण है और उन्हें सुलझाने के लिए हम क्या करें ?
उदाहरण के लिए पाठशालाओं में हिंसा की बढती घटनाएं ! हम कह सकते हैं कि आदर और सहनशीलता के अभाववश यह हो रहा है और इसके अनेक उपायों में से एक यह भी हो सकता है कि हम बच्चों को दूसरों का सम्मान करना और उनके साथ सहनशील आचरण करना सिखाएं ।
सामाजिक स्तर पर जब धर्म का पतन होता है, तो वह हमारे बच्चों के आचरण से झलकता है ।
जगद्गुरु आदिशंकराचार्य ने धर्म को परिभाषित करते हुए कहा है, जो निम्नलिखित तीन कार्य करें :
- समाजव्यवस्था उत्तम बनाए रखना
- प्रत्येक प्राणिमात्र की सांसारिक उन्नति करना
- उनकी पारलौकिक (आध्यात्मिक आयाम की) उन्नति करना
प्रकरण अध्ययन ७ : प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता में वृद्धि
जब भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है, जैसे सुनामी अथवा नगरों को बहा ले जानेवाली बाढ, हम अनेक भौगोलिक कारणों को उसका जनक मानते हैं । भूगर्भशास्त्री अनेक वर्ष और करोडों रुपए अगली प्राकृतिक आपदा को भांपने और उसकी रोकथाम में व्यय करते हैं, परन्तु उसका कोई लाभ नहीं होता ।
आज जब हम कोई समाचार पढते/सुनते हैं, तो वह पूर्णतया मानवता पर हो रहे आक्रमणों, प्राकृतिक आपदाओं, बाढ, भूकंप और महामारियों से भरा रहता है ।
इनकी बढती संख्या का मुख्य कारण वास्तव में आध्यात्मिक आयाम में है । भौतिक घटक जैसे ग्रीन हाऊस गैसेस का सहभाग केवल ३० प्रतिशत है ।
पूरे विश्व में हो रही रज-तम घटकों की वृद्धि, हमारे घर में बढती धूल और कचरे की भांति ही है । प्राकृतिक आपदा, युद्ध और महामारी में हो रही वृद्धि इस पृथ्वी को शुद्ध करने की प्रकृति की पद्धति है ।
प्राकृतिक आपदाओं की बढती तीव्रता इस विषय पर हमारे लेख में इसका कारण विस्तृत रूप से समझाया है ।
३. सार
संक्षेप में SSRF ने यह खोजा है कि हमारे सामान्य दैनिक जीवन में आनेवाली अनेक समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक विश्व में होने की संभावनाएं अधिक हैं । ये समस्याएं एक सामान्य छाला या फुन्सी से लेकर हमारे शेष जीवन को प्रभावित करनेवाले बुरे निर्णय तक कुछ भी हो सकती है ।
अपने आगामी लेख में हम अध्यात्मिक विश्व से संबंधित विभिन्न समस्याओं के मूल कारण और उनका हम पर संभावित परिणाम इस विषय को संक्षेप में समझेंगे ।