केश पर किए आध्यात्मिक शोध यह लेखमाला अच्छे से समझ पाने के लिए हमारा सुझाव है कि आप निम्नांकित लेखों से परिचित हो जाए :
- सत्त्व, रज, तम – ब्रह्माण्ड के ३ मूलभूत सूक्ष्म घटक
- सात्विक जीवन पद्धति की संकल्पना – प्रस्तावना (दैनिक जीवन में अध्यात्म)
१. केश की देखभाल पर आध्यात्मिक शोध – प्रस्तावना
सामान्यत: व्यक्ति केश रचना व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक महत्त्वपूर्ण अंग समझा जाता है । लोग केश की देखभाल तथा केश रचना के लिए बहुत समय व्यय करते हैं । एसएसआरएफ में किए आध्यात्मिक शोध द्वारा हमें ज्ञात हुआ कि केश की देखभाल की तथा केश रचना की पद्धतियां हमें आध्यात्मिक स्तर पर प्रभावित करती हैं । इस लेखमाला में हम आपको हमारे कुछ अधिक महत्त्वपूर्ण निरीक्षण बताएंगे ।
२. केश के सन्दर्भ में आध्यात्मिक शोध
आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त निरीक्षणों से हमें ज्ञात हुआ कि केश आध्यात्मिक दृष्टि से हमारे लिए उपयुक्त हैं और उचित देखभाल तथा उपचारों से हम इनके अत्यधिक हानिप्रद अंगों से बच सकते हैं ।
२.१. केश के आध्यात्मिक लाभ
ये दो प्रकार से होते हैं :
१. शरीर में विद्यमान रिक्तियों की (छिद्रों की) सुरक्षा
शरीर में कुछ रिक्तियां (छिद्र) होती हैं – आंख, मुख, नाक इ. । ये रिक्तियां ब्रह्मांड के मूल वायुतत्त्व से बनी होती हैं ।
मूल सूक्ष्म वायुतत्त्व निर्मित होने के कारण अनिष्ट शक्तियों को (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) इन रिक्तियों पर आक्रमण करना सुलभ होता है । केश इन रिक्तियों के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सूक्ष्म आक्रमणों का प्रतिरोध करने में सहायक होते हैं । उदा :
- भौंएं और पलकें आंख की रिक्ति की रक्षा करते हैं
- नाक के केश नासिका रिक्ति तथा नासिका पटल की रक्षा में सहायक होते हैं
२. सूक्ष्म उष्णता का नियंत्रण
रिक्तियों का तापमान बाह्य वायुमंडल के कारण सहजता से प्रभावित होता है । इससे रिक्तियों में विद्यमान कोशिकाओं का सन्तुलन प्रभावित होने की आशंका होती है । इन रिक्तियों का तापमान नियन्त्रित करने में केश सहायक होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अवयवों का कार्य सुचारू रूप से चलता है ।
व्यक्ति के शरीर में निर्मित अतिरिक्त उष्णता केश के माध्यम से वायुमंडल में सूक्ष्म स्तर पर भी फेंकी जाती है । यह अतरिक्त उष्णता शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कष्ट के कारण भी निर्मित हो सकती है ।
२.२ केश हमारे लिए हानिप्रद कैसे हो सकते हैं
केश तथा नखों में शरीर के अन्य भागों की तुलना में रज और तमोगुण प्रधानरूप में होने से आध्यात्मिक स्तर पर भी केश हमारे लिए हानिप्रद हो सकते हैं । इसीलिए रज-तमप्रधान अनिष्ट शक्तियों के (भूत, प्रेत, पिशाच इ.) लिए केश के माध्यम से हम पर आक्रमण करना सरल होता है । अर्थात हम जिस प्रकार से हमारे केश की देखभाल तथा रचना करेंगे, उसी के अनुसार केश हमें प्रभावित करने वाली अनिष्ट शक्तियों के लिए सहायक हो सकते हैं अथवा आध्यात्मिक विश्व से हम पर होने वाले आक्रमणों का संकट न्यून करने में सहायक हो सकते हैं ।
इसके अतिरिक्त केश हमारी शक्ति से सम्बन्धित होने से, काला जादू, वूडू जैसे कर्मकाण्डों में हमारा अनिष्ट करने के लिए भी प्रयुक्त किए जा सकते हैं ।
३. केश की देखभाल तथा केश रचना के सन्दर्भ में उपयुक्त सूचनाएं
अगले विभाग में हम आध्यात्मिक शोध द्वारा प्राप्त केश की देखभाल के सन्दर्भ में कुछ उपयुक्त सूचनाएं बताएंगे । इनमें से कुछ सूचनाओं के सन्दर्भ में विस्तृत विवेचन हम अन्य लेखों में करेंगे ।
३.१ केश के अग्र भाग को और केश को काटने से स्त्रियों पर होने वाले प्रभाव
यह आध्यात्मिक शोध केवल स्त्रियों के लिए है । केश के अग्र पर एक सूक्ष्म रिक्ति होती है । बिना कटे केश में यह रिक्ति अत्यन्त सूक्ष्म होती है । परन्तु केश काटने पर यह रिक्ति अधिक मात्रा में खुल जाती है । अनिष्ट शक्तियां इसका अनुचित लाभ उठाकर केश में प्रविष्ट होकर हमें प्रभावित करती हैं । केश काटने से केश में तथा वायुमण्डल में रज-तम स्पन्दन बढते हैं । तथापि आध्यात्मिक दृष्टि से पुरुष एवं स्त्री में अन्तर होने के कारण स्त्रियों को बताया जाता है कि केश न काटे और पुरुषों को बताया जाता है कि केश काटें । इस विषय को अधिक विस्तार से समझने के लिए कृपया हमारे केश खुले छोडना, इस लेख का सन्दर्भ लें ।
केश काली शक्ति के सूक्ष्म केन्द्र बनाने के लिए कभी-कभी अनिष्ट शक्तियां अपने आप केश से केवल संलग्न करती हैं ।
३.२ केश रचना
केश खुले छोडने की तथा पोनीटेल बनाने की तुलना में स्त्रियों के लिए केश का अच्छा जूडा बनाना लाभप्रद है । जूडा बनाने से केश के अग्र बन्द रहने से उन पर सूक्ष्म आक्रमण होने की आशंका अत्यल्प होती है । बाईं ओर दिखाए जूडे में ईश्वरीय शक्ति भी आकर्षित होती है । इसका अधिक विस्तृत विवरण जूडे की रचनाएं और उनके लाभ इस लेख में दिया है ।
केश गूंथकर अथवा उनकी चोटी बनाकर केश रचना करना, केश खुले छोडने की तुलना में अच्छा है ।
३.३ केश की देखभाल करना
- शैम्पू तथा केश की देखभाल करने वाले अन्य रासायनिक उत्पादों का उपयोग केश के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से हानिप्रद है । बाज़ार में मिलने वाले शैम्पू आध्यात्मिक प्रभाव, इस लेख का सन्दर्भ लें ।
- पूर्णिमा तथा अमावस्या के दिन वायुमण्डल में रज-तम का प्रभाव अत्यधिक होने के कारण केश धोना उचित नहीं है ।
- प्राकृतिक रंगों की तुलना में रासायनिक पदार्थों से रंगने से केश की आध्यात्मिक अशुद्धि बढती है ।
- केश घुंगराले करने से अनिष्ट स्पन्दन निर्मित होते हैं ।
- मासिक धर्म के समय केश धोना उचित नहीं है । मासिक धर्म के समय स्त्रियों के रज-तमोगुणों में वृद्धि होती है और इसके परिणामस्वरूप सूक्ष्म आक्रमण की आशंका बढती है । केश गीले होने से यह आशंका अधिक होती है । इस कालखण्ड के उपरान्त केश धो सकते है ।
३.४ केश में होनेवाले परिवर्तन
- समय से पहले केश श्वेत होने का मूल कारण आध्यात्मिक भी हो सकता है । आध्यात्मिक कष्ट का यह एक लक्षण भी हो सकता है ।
- केश में जटा होना भी अनिष्ट शक्तियों के कष्ट का एक लक्षण हो सकता है ।
४. सारांश – केश की देखभाल के तथा केश रचनाओं के आध्यात्मिक प्रभाव
संक्षेप में, केश की देखभाल के अनेक अंग हैं, जो केश को आध्यात्मिक स्तर पर प्रभावित करते हैं । इनके आधारभूत आध्यात्मिक सिद्धान्तों को अधिकाधिक समझकर सात्त्विक पद्धति से केश की देखभाल करने से हमें आध्यात्मिक कष्ट होने की आशंका न्यून होती है । नियमित आध्यात्मिक साधना के साथ सात्त्विक जीवन पद्धति आचरण में लाना, यही आध्यात्मिक विकास का सर्वोत्कृष्ट मार्ग है । इसी से धर्माचरण करना सम्भव होता है ।