१. रोग के लक्षण रोग के आगमन से पूर्व ही दिखते हैं
शारीरिक, मनोवैज्ञानिक अथवा आध्यात्मिक कारणों से होनेवाले रोग के कष्ट तभी प्रकट होते हैं, जब उसकी उपस्थिति ३० प्रतिशत तक बढ जाती है । तदुपरांत वह शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक रूप से प्रकट होता है । नामजप के कारण, हम इन लक्षणों के आगमन से पूर्व ही, रोग से अवगत हो जाते हैं । यदि भविष्य में कष्ट होना है, अथवा वर्तमान में यदि कष्ट व्यक्त नहीं हुए हैं, तब नामजप के कारण कष्ट शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक समस्याओं के रूप में प्रकट होना आरंभ होता है । क्योंकि रोग से प्रभावित अंग नामजप की सकारात्मक तरंगों को ग्रहण करता है । जबतक समस्या का अस्तित्व (उपस्थिति) ३० प्रतिशत तक न हो, चिकित्सक भी रोग का निदान नहीं कर पाते; परंतु नामजप के कारण यदि समस्या १०-३० प्रतिशत की मात्रा में भी उपस्थित हो, तब भी उसका पता चल जाता है उदाहरणार्थ, यदि किसी को मनोरोग हो, तो पहले ही पता चल जाता है ।
२. मानसिक संतुलन के कारण भौतिक लाभ
नामजप के कारण जब मन शांत रहता है, मनुष्य तनाव से होनेवाली मनोदैहिक (psychosomatic) व्याधियों से मुक्त रहता है तथा अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेता है ।
३. रोगों के लिए विशिष्ट आध्यात्मिक उपचारी क्षमतावाले नामजप
इसके विषय में विस्तारपूर्वक सूचना हमारे स्वास्थ्य के लिए नामजप अनुभाग में उपलब्ध है ।