१. प्रस्तावना
इस लेख में हम एलोपेथी के साथ-साथ इस अध्ययन के अंतर्गत आनेवाली प्रत्येक वैकल्पिक पद्धतियों से संबंधित संकट (रिस्क) देखेंगे । यह लेख हमें किसी विशिष्ट वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का चयन करते समय उससे होनेवाले अधिकतम संकट के संदर्भ में एक दृष्टिकोण प्रदान करेगा I
२. एलोपैथी
एलोपैथी के अंतर्गत खतरा यह है कि रोगग्रस्त कोशिकाओं के साथ स्वस्थ कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं । यहांतक कि एलोपैथी में जो प्रशिक्षित नहीं हैं वे भी इस पहलू को जानते होंगेएवं कुछ तो इसे पहले ही वस्तुतः अनुभव कर चुके होंगे । उदाहरण के लिए, जब कोई कैंसर से लडने के लिए कीमोथेरेपी करवाता है, तो उसके केश झडने लगते हैं I यद्यपि, यहां उपचार को वस्तुतः रोगग्रस्त कैंसर कोशिकाओं पर निर्देशित किया जाता है, फिर भी रोगग्रस्त कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ स्वस्थ केशपुटिका (हेयर फॉलिकल्स) भी नष्ट हो जाते हैं ।
३. यूनानी औषधियां
पाठकों को स्मरण होगा कि, यह वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति शरीर के ऊर्जा प्रवाह के स्तर पर कार्य करती है । यदि औषधि उचित मात्रा में न ली जाए, तो ऊर्जा प्रवाह के वेग में असंतुलन निर्माण होने का खतरा रहता है I इस असंतुलन के कारण, शरीर की कोशिकाओं के अकस्मात विस्तारण (फैलने) एवं संकीर्णन (सिकुडने) की संभावना बन जाती है । कोशिकाओं के एक बार फैलने अथवा सिकुडने से वे नष्ट हो जाती हैं I इससे रोगों से लडने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है ।
४. एक्यूप्रेशर
सूचीदाब (एक्यूप्रेशर) चिकित्सा पद्धति के अंतर्गत यदि एक्यूप्रेशर बिंदुओं पर अत्यधिक दबाव डाला जाए, तो बिंदुओं में कष्टदायक स्पंदन सक्रिय होने की संभावना रहती है । इसके साथ ही, यदि एक्यूप्रेशर चिकित्सक अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित हो, तो उपचार करवा रहे व्यक्ति के भी अनिष्ट शक्तियों द्वारा प्रभावित होने की संभावना रहती है । अनिष्ट शक्ति उपचार करवा रहे व्यक्ति में सूक्ष्म काली शक्ति को संचारित करके अथवा उसे प्रत्यक्ष आविष्ट कर सकती है । चूंकि यह सब कुछ सूक्ष्म-स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से होता है । इसलिए ऐसा कुछ होने पर उपचार करवा रहे व्यक्ति को इसकी तनिक भी भान नहीं होता ।
५. मुद्रा
हमने इस श्रंखला के पूर्व के लेखों में देखा कि मुद्रा शरीर के रोगग्रस्त अंग में से सूक्ष्म काली शक्ति को बाहर निकाल कर कार्य करती है । हमने यह भी देखा कि किस प्रकार यह अनिष्ट शक्तियों द्वारा व्यक्ति को प्रभावित अथवा आविष्ट (possessed) करने के माध्यम के रूप में भी उपयोग में लार्इ जा सकती है I मुद्रा करने में खतरा यह है कि यदि कोई उच्च स्तर की अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित है, तो आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति उसी मुद्रा का उपयोग अपने लिए काली शक्ति को नियंत्रित करने के लिए कर सकती है I अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, यह संपूर्ण प्रक्रिया सूक्ष्म, अप्रत्यक्ष स्तर पर होती है । इन सबसे व्यक्ति पूर्ण रूप से अनभिज्ञ रहता है । जिसके कारण उसके अनिष्ट शक्तियों की काली शक्ति के संपर्क में आने की संभावना अधिक होती है । जैसे-जैसे मुद्रा का प्रयोग करनेवाले व्यक्ति का आध्यात्मिक स्तर ५० प्रतिशत से अधिक होता जाता है, यह खतरा घटता जाता है ।
६. होमियोपैथी
७. आयुर्वेद