हम कई बार जालस्थल (इंटरनेट) पर अनिष्ट शक्तियों के लिए गए चित्र देखते हैं । ये चित्र हमारे चारों ओर हो रहे अपसामान्य गतिविधियों की एक धुंधलीसी झलक प्रदान करते हैं । सत्य तो यह है कि हम लगभग हर समय अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) से जाने-अनजाने प्रभावित होते रहते हैं । कुछ प्रकरणों में उनका प्रभाव अति नाटकीय होता है, जैसे आविष्ट व्यक्ति का हिंसक रूप से व्यवहार करना अथवा रात में किसी अदृश्य जीव द्वारा यौन शोषण किए जाने का अनुभव होना । अन्य प्रकरणों में, अनिष्ट शक्तियां (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) हमारे जीवन में अति सूक्ष्म ढंग से, जैसे कि आर्थिक अथवा वैवाहिक, समस्याएं निर्मित करती हैं ।
वीडियो कैमरे पर अपसामान्य गतिविधियों को उतारने अथवा अनिष्ट शक्ति के अस्पष्ट रूप को देखने की क्षमता सागर समान सूक्ष्म-आयाम को समझने की एक बूंद के समान है । संक्षेप में, यह ऊपरी स्तर पर अनिष्ट शक्तियों की गतिविधि को समझना है । जैसे-जैसे हमारी छठवीं इंद्रिय (अतिसूक्ष्म बोध क्षमता) विकसित होती जाती है, वैसे-वैसे हम इन गतिविधियों को अधिक विस्तार से और वे क्यों घटित हो रही हैं, यह समझने लगते हैं ।
आइए हम छठवीं इंद्रिय (सूक्ष्म-बोध अथवा अतींद्रिय क्षमता)के विविध सूक्ष्म स्तरों की जांच अनिष्ट शक्तियों के इस अपसामान्य जगत के संदर्भ में करते हैं ।
- स्तर १ : इस स्तर पर, हम अपनी अतींद्रिय क्षमता के माध्यम से अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) के स्थूल प्रभाव को समझ पाने में सक्षम हो जाते हैं । यह किसी स्पष्ट कारण की अनुपस्थिति में किसी विशिष्ट समस्या जैसे वैवाहिक असामंजस्य अथवा त्वचा अथवा भित्ति (दीवार) पर उभरे खरोंच के चिन्ह इत्यादि अनिष्ट शक्तियों के कारण हैं, इसके कारण-कार्य-संबंध को समझने के स्वरूप में हो सकता है । विविध स्तरों के मध्य रहे अंतरों को समझने के उद्देश्य से इस स्तर की सूक्ष्म को समझने की क्षमता को १ इकाई मान लेते हैं । फोटोग्राफिक फिल्म में लिए गए अनिष्ट शक्तियों के विविध प्रकार के चित्र स्तर १ तथा २ के मध्य आएंगे ।
- स्तर २ : इस स्तर पर, हम अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि)के सूक्ष्म रूप के ऊपरी अथवा मोटे-मोटे विवरण को समझ पाने में सक्षम हो जाते हैं । उदाहरण के लिए हम सविस्तार देख सकते हैं कि अनिष्ट शक्तियां कैसी दिखती हैं । स्तर १ की तुलना में, इसे समझने के लिए संबंधित छठवीं इंद्रिय क्षमता १००० इकाई की आवश्यकता होगी ।
- स्तर ३ : इस स्तर पर, हम अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि)के मन के विवरण अर्थात उनकी भावनाओं और मनोभावों को समझ पाने में सक्षम हो जाते हैं । उदाहरण के लिए, इस स्तर पर हम समझ सकते हैं कि प्रभावित व्यक्ति को अनिष्ट शक्ति क्रोध से देख रही है । इसे देख पाने अथवा समझ सकने के लिए स्तर १ की तुलना में १००,००० इकाई अतिरिक्त छठवीं इंद्रिय क्षमता की आवश्यकता होगी ।
- स्तर ४ : उच्चतर स्तर पर, हम अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि)की बुद्धि के विस्तार को समझ पाने में सक्षम हो जाते हैं । जैसे उदाहरण के लिए, अनिष्ट शक्ति व्यक्ति पर विशिष्ट सूक्ष्म-शस्त्र द्वारा आक्रमण कर रही है । अपनी अतींद्रिय क्षमता के माध्यम से इतना कुछ देख पाने अथवा समझ सकने के लिए स्तर १ की तुलना में हमारी छठवीं इंद्रिय क्षमता १०,००,००० इकाई होनी चाहिए ।
- स्तर ५ : इस स्तर पर हम अनिष्ट शक्ति के किसी विशिष्ट कृत्य का कारण समझ पाने में सक्षम हो जाते हैं । इसमें छठवीं इंद्रिय क्षमता १,०००, ०००,००० इकाई होगी ।
- स्तर ६ : इस स्तर पर व्यक्ति यह समझने में सक्षम हो जाता है कि प्रभावित व्यक्ति पर आक्रमण करने हेतु उच्च स्तर की अनिष्ट शक्ति अथवा सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक ने निम्न स्तरीय अनिष्ट शक्ति को आदेश दिया है । उससे भी अधिक सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक है, जिसने उच्च स्तरीय अनिष्ट शक्ति को आदेश दिया है तथा वही इस कष्ट देनेवाली प्रक्रिया हेतु आवश्यक काली शक्ति प्रदान करता है । इस स्तर की छठवीं इंद्रिय क्षमता अनंत के समतुल्य होती है । केवल ईश्वर अथवा वे (सर्वोच्च आध्यात्मिक स्तरवाले) जो ईश्वर से एकरूप हो गए हैं, ही इस प्रकार के विवरण जान सकते हैं ।
आगे दिए गए चित्र में संवेदन-बोध के विविध स्तर तथा उस के लिए आवश्यक संबंधित छठवीं इंद्रिय क्षमता दर्शायी गई है ।
उपरोक्त चित्र से हमें भान हो गया होगा कि अनिष्ट शक्ति द्वारा किए गए आक्रमण को समझने के अनेक स्तर होते हैं । कारणीभूत घटकों के विविध स्तरों को समझने के लिए, हमें चरघातांकी (एक्सपोनेंशियल) रूप से अथवा अत्यंत तीव्रता से बढनेवाली छठवीं इंद्रिय क्षमता अथवा अतींद्रिय क्षमता की आवश्यकता होगी ।
स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले कुछ साधक जागृत छठवीं इंद्रिय क्षमतावाले हैं और उनमें संवेदन-बोध क्षमता है । उनके द्वारा प्रस्तुत अनिष्ट शक्ति तथा उसकी गतिविधियों का विवरण आगे दिया गया है ।
१. अनिष्ट शक्ति का प्रकार (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि)-क्या वे रोबोट अथवा कठपुतली समान हैं -जैसे भूत तथा उनकी संख्या (विशिष्ट आक्रमण में कितनी अनिष्ट शक्तियां सम्मिलित हैं ।)
२. सूक्ष्म-लोक जिससे आक्रमण करनेवाली अनिष्ट शक्ति संबंधित है ।
३. अनिष्ट शक्ति (भूत, प्रेत, राक्षस इत्यादि) द्वारा प्रयुक्त काली शक्ति की प्रतिशत मात्रा
४. वास्तविक आक्रमण / कष्ट का कृत्य
५. आक्रमण का उद्देश्य
६. आक्रमण की क्रिया की क्रियाविधि
अ. पंचतत्वों का उपयोग तथा उनकी मात्रा
आ. सूक्ष्म गुह्य शास्त्र, मंत्र इत्यादि का उपयोग
इ. काली शक्ति के विविध घटकों जैसे सूक्ष्म खोपडियां, अस्थियां इत्यादि का उपयोग ।
ई . वास्तविक आक्रमण तथा उसके प्रमुख वैशिष्ट्य
७. प्रभावित व्यक्ति पर आक्रमण करते समय क्या अन्य अनिष्ट शक्तियां उसमें सहभागी हुईं ।
८. सूक्ष्म-आक्रमण का स्थूल तथा सूक्ष्म प्रभाव ।
९. अनिष्ट शक्तियों की काली शक्ति में कमी आना
जब एक दूसरे से अपरिचित अनेक साधकों को किसी एक ही घटना के संदर्भ में सूक्ष्म-परीक्षण करने के लिए कहा जाता है, उपरोक्त सभी घटकों के संदर्भ में उन सबका परीक्षण एक समान ही आता है ।
जब हमें आक्रमण के विवरण की जानकारी हो जाती है, केवल तब ही हम उनके विरुद्ध प्रभावकारी उपाय कर सकते हैं जैसे यह निर्णय लेना कि युद्ध करना है अथवा भाग जाना है ।