पूर्वजों की पीढियों का प्रभाव
- पिछले तीन पीढियों के पूर्वजों का प्रभाव सर्वाधिक होता है अर्थात हमारे पडदादा-दादी, इत्यादी के समय तक ।
- सातवी पीढी तक के पूर्वज कुछ सीमा तक प्रभावित कर सकते हैं ।
- परन्तु सातवी पीढी के पहले के पूर्वज हमें प्रभावित नहीं करते । ऐसा इस कारण है कि किसी एक जीवन में पूर्वजों के साथ लेन-देन खाता पूर्णतः अथवा अधिकांशतः समाप्त हो जाता है । अतः अगले जन्म में, वर्तमान जन्म के पूर्वजों के साथ नाममात्र का लेन-देन शेष रहता है । यदि लेन-देन खाते का अधिक भाग शेष है तो हम पुनः उसी परिवार में जन्म लेते हैं ।
- ऊपर दिया गया वंशवृक्ष चित्र दर्शाता है कि हम किस प्रकार अपने पूर्वजों से प्रभावित होते है । यदि हम उसे क्षैतिज अथवा आडे रूपमें देखें तो हम अपने पूर्वजों द्वारा दूसरी पीढी तक प्रभावित हो सकते हैं ।
* कृपया ध्यान दें : घनिष्ठ मित्र, पूर्वजों की भांति हमें प्रभावित नहीं कर सकते अथवा कष्ट नहीं दे सकते । यदि उनका आध्यात्मिक स्तर अधिक है तो वे हमें सहायता कर सकते है; परन्तु हमें यह सहायता स्वीकार नहीं करनी चाहिए । ऐसा इसलिए है; क्योंकि इससे सांसारिक विषयो में उनकी आसक्ति बढेगी तथा वे भूलोक की ओर आकर्षित होंगे । यह उनकी आगे की गति में बाधक हो सकती है । इसकी अपेक्षा हमें यह प्रार्थना करनी चाहिए कि वे अपनी आगे की यात्रा की ओर ध्यान दें ।