१. परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से प्रथम बार भेंट होने की अनुभूतियां
९ मई २०१६ को, मैं ५ दिवसीय आध्यात्मिक कार्यशाला में भाग लेने हेतु आध्यात्मिक शोध केंद्र तथा आश्रम आया था । कार्यशाला के दौरान मुझे ज्ञात हुआ कि मुझे आध्यात्मिक कष्ट है । एक दिन, हमें यह शुभ समाचार प्राप्त हुआ कि परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से हमारी भेंट होगी । उस दिन प्रातः मुझे बहुत थकान अनुभव हुई तथा ऐसा लग रहा था जैसे मेरी प्राण शक्ति को खींच लिया गया हो । साथ ही मेरा पेट भी गडबड हो गया था तथा मुझे बार-बार शौचालय जाना पड रहा था । मुझे बताया गया कि इस एकाएक कष्ट का कारण यह था कि मुझे प्रभावित करनेवाली अनिष्ट शक्ति परात्पर गुरु डॉ. अाठवलेजी से भेंट के समाचार से प्रतिक्रिया दे रही थी । मैं इस सोच में था कि पेट गडबड होने से मैं सत्संग में कैसे बैठूंगा । परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के साथ होनेवाले सत्संग में पूरे समय बैठ पाने के लिए मैं निरंतर प्रार्थना कर रहा था । वास्तव में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के साथ हुए सत्संग में मुझे कोई कष्ट नहीं हुआ । केवल आनंद अनुभव हुआ एवं भाव जागृत हुआ ।
सत्संग के पश्चात, मैं अपने कक्ष में गया तथा मुझे एक बार पुनः शौचालय जाना पडा । उसके उपरांत मेरे पेट में अत्यधिक पीडा होने लगी और मुझे उलटी होने जैसा अनुभव हुआ । मेरे मस्तिष्क के भीतर बहुत शोर सुनाई दे रहा था तथा यह और वह बढता ही जा रहा था । मुझे चक्कर आने लगे तथा मुझे लगा कि मुझे त्वरित लेट जाना चाहिए । पूर्ण रूप से संभ्रमित हुआ, मैं शयनकक्ष की ओर जाते समय मुझे ठोकर लगी तथा मुझे स्मरण है कि मैं चिल्ला रहा था कि, “मैं समर्पण करता हूं, मैं समर्पण करता हूं !” किंतु शयनकक्ष में पहुंचने से पूर्व ही मैं गिर गया तथा मेरी आंखों के आगे अंधकार छा गया और मुझे लगा कि मुझे कुछ उलटी हुई है । मुझे ऐसा लगा कि मेरे शरीर से कुछ नकारात्मक एवं काला बाहर निकल गया । जब मैं फर्श पर असहाय पडा था तब मुझे मेरा आध्यात्मिक शुद्धिकरण हुआ है एेसा लग रहा था । मुझमें हिलने तथा बोलने का सामर्थ्य नहीं था । आस पास के साधक जिन्होंने मुझे सुना था वे मेरी सहायता के लिए आए । मुझे स्मरण है कि उस दिन साधकों ने मुझे जो प्रेम दिया, उसके कारण मैं कृतज्ञता से रो रहा था । मुझे बहुत भाग्यशाली अनुभव हुआ कि परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी से केवल भेंट करने पर ही मेरे भीतर की वह नकारात्मकता बाहर निकल गई ।
मैं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को कृतज्ञता से कोटि-कोटि नमन करना चाहता हूं ।