विषय सूची
१. आध्यात्मिक उन्नति क्या है ?
आध्यात्मिक उन्नति का अर्थ है स्वयं में विद्यमान आत्मा अथवा ईश्वरीय तत्व को उत्तरोतर अनुभव करना । आध्यात्मिक उन्नति, साधना का परिणाम है । यह परिभाषा अध्यात्म विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है और इसका विस्तृत विवेचन हमारे लेख आध्यात्मिक स्तर में किया गया है ।
२. शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करने हेतु वर्तमान काल का महत्त्व
जैसे कि हमने अपनी अच्छाई विरुद्ध बुराई का युद्ध लेखों में बताया है कि वर्ष १९९९ -२०२३ का समय दो युगों का संधिकाल है । इस काल में हम कलियुग के अंधकारमय युग (छोटा कलियुग) से आध्यात्मिक रूप से अच्छे युग (छोटा सत्ययुग)में जा रहे हैं । इन २३ वर्षों के संधिकाल में, अध्यात्म के छः मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किसी भी प्रकार की साधना करने से अत्यधिक लाभ होगा; क्योंकि विपरीत काल में भी साधना करनेवाले साधकों को र्इश्वर आध्यात्मिक उन्नति का फल प्रदान करते हैं ।
वास्तव में २३ वर्षों के संधिकाल में प्रत्येक वर्ष की गई साधना, अन्य काल में ५० वर्षों तक की गई साधना के समान होती है । मनुष्य के जीवनकाल में यदि ५० वर्ष को प्रौढावस्था मानें, तो इन २३ वर्षों में की गई साधना १००० वर्षों से भी अधिक वर्षों की साधना समान होगी । दूसरे प्रकार से इसे हम इस प्रकार देख सकते हैं, २० जन्मों की साधना का लाभ हम इसी एक जन्म में ले सकते हैं ।
३. आध्यात्मिक उन्नति कैसे करें ?
अपनी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ करने के उपरांत,यह महत्त्वपूर्ण है कि हम अपनी साधना निरंतर बढाते जाएं ।
जो साधक अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाना चाहते तथा आजीवन साधना करना चाहते हैं, उनके लिए नीचे दी गई सारणी में व्यावहारिक जानकारी दी गई है ।
इसका उपयोग साधक के २ वर्ष से अधिक काल के प्रयासों का मूल्यांकन करने हेतु किया जा सकता है ।
पहला माह | तीसरा माह | छठा माह | एक वर्ष | दूसरा वर्ष | |
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अध्ययन | SSRF के जालस्थल (वेबसाइट) के कुछ अंश | SSRF के जालस्थल (वेबसाइट)के अधिक अंश | जालस्थल (वेबसाइट),साधकों के लिए मार्गदर्शन, ग्रंथ(अध्यात्म की प्रस्तावना, अध्यात्म) | जालस्थल,साधकों के लिए मार्गदर्शन, अन्य ग्रंथ (शिष्य, गुरुकृपा, नामजप के लाभ इत्यादि) | |
आध्यात्मिक उपचार | प्रतिदिन नमक-पानी के उपचार, बैठकर १५ मिनट नामजप करना | इसके साथ ही, न्यास, अगरबत्ती, बैठकर ३० मिनट नामजप करना | सके साथ ही, नित्य बक्से के उपचार, नित्य वास्तुशुद्धि करना, बैठकर ६० मिनट नामजप करना | इसके साथ ही देवी-देवताओं के चित्रों द्वारा आध्यात्मिक उपचार | यथासंभव सर्व उपचार करना |
नामजप | १ घंटा प्रतिदिन अन्य गतिविधियों के समय | १ घंटा प्रतिदिन अन्य गतिविधियों के समय | प्रतिदिन ३ घंटे अथवा उससे अधिक अन्य गतिविधियों के समय | ४ घंटे/स्वयं से होनेवाला नामजप अन्य गतिविधियों के समय | ५-६ घंटे/स्वयं से होनेवाला नामजप अन्य गतिविधियों के समय |
सत्संग | कभी-कभार | साप्ताहिक | साप्ताहिक, सत्संग की तैयारी करना | साप्ताहिक अथवा और अधिक बार (अंतर्गत स्तर के सत्संग) | साप्ताहिक अथवा और अधिक बार (स्वभावदोष निर्मूलन हेतु सत्संग) |
सत्सेवा | २ घंटे प्रति सप्ताह | ५ घंटे प्रति सप्ताह | १० घंटे प्रति सप्ताह अथवा सत्सेवा का लक्ष्य पूरा करना | सत्सेवा का लक्ष्य पूरा करना | |
त्याग | व्यष्टि साधना के उपरोक्त प्रयास करने हेतु जो भी आवश्यक हो | व्यष्टि साधना के उपरोक्त प्रयास करने हेतु जो भी आवश्यक हो | साधना बढाने हेतु अपनी जीवनशैली से कुछ का त्याग | साधना बढाने हेतु अपनी जीवनशैली से अधिक का त्याग | सत्सेवा के लिए त्याग, माया की कुछ गतिविधियों से स्वयं को अलग करना, जैसे – मनोरंजन, बैठक इत्यादि |
प्रीति | थोडे प्रयास (जैसे – सत्सेवा में लगे अन्य साधकों के प्रति) | ध्यानपूर्वक प्रयास | |||
भाव | कभी-कभी प्रार्थना तथा कृतज्ञता | कभी-कभी प्रार्थना तथा कृतज्ञता एवं व्यष्टि साधना हेतु | प्रतिदिन २० ध्यानपूर्वक प्रार्थना तथा कृतज्ञता | ३० अथवा उससे अधिक, सत्सेवा तथा आध्यात्मिक उपचार के समय निरंतर प्रार्थना, कृतज्ञता व्यक्त करना, आरती | ५० अथवा उससे अधिक प्रार्थना तथा कृतज्ञता व्यक्त करना एवं भाव बढाने के अन्य प्रयास |
स्वभावदोष निर्मूलन | लेख तथा ग्रंथ (स्वभाव दोष निर्मूलन) का अध्ययन करना, अपनी त्रुटियां लिखना तथा उस पर स्वयंसूचना लेना | प्रतिदिन गलतियां (३-५) लिखना तथा (३-५) स्वयंसूचना देना | |||
अहं निर्मूलन | ग्रंथ पढना (अहं निर्मूलन के लिए साधना) |
सारणी में दिए गए चरण वर्तमान काल हेतु उपयुक्त साधना के अनुरूप हैं । अनिष्ट शक्तियोंद्वारा साधकों के लिए निर्माण की जा रही अडचनों का विचार भी इसमें सम्मिलित हैं ।
ऊपर दिए गए सारणी संबंधी प्रश्नों के उत्तर सरलता से प्राप्त करते के लिए आप प्रश्न पूछें अथवा हमारे SSRF के ऑनलाईन सत्संग की सुविधा का लाभ उठाएं । सारणी में उल्लेख किए गए शब्द जैसे – नमक-पानी, न्यास, बक्से इत्यादि की विस्तृत जानकारी आप इस पृष्ठ के ऊपर दांयी ओर दिए गए सर्चबॉक्स में वे शब्द लिखकर प्राप्त कर सकते हैं ।
४. आध्यात्मिक उन्नति कैसे करें ? – सारांश
हमारी आध्यात्मिक उन्नति अनेक आध्यात्मिक घटकों पर निर्भर करती है, जैसे – हमारा आध्यात्मिक स्तर जिससे हमने साधना आरंभ की, इस जीवन में भोगे जानेवाले प्रारब्ध की मात्रा, हम कितनी मात्रा में अनिष्ट शक्तियों से प्रभावित हैं, हममें विद्यमान आध्यात्मिक गुण, साधकत्व इत्यादि ।
यहां बताए गए साधना के चरण निष्ठापूर्वक अपनाने से हमारी साधना में आनेवाली किसी भी समस्या का सामना करने में सहायता मिलेगी तथा जीवन का मूलभूत उद्देश्य अर्थात आध्यात्मिक उन्नति करने में सहायता होगी ।