जी हां, भगवन गुरुदेव दत्त के नामजप से हमारे पूर्वजों के साथ हमारे लेन-देन समाप्त होते जाते हैं । चलिए जानते हैं कि यह प्रक्रिया किस प्रकार से कार्य करती है । इस जप से सत्वगुण उत्पन्न होता है और हमारे पूर्वजों तक पहुंचता है । यह प्रभावित व्यक्ति और उसके पूर्वजों के मध्य एक प्रकार के भुगतान के समान होता है जिसके कारण हमारे लेन देन के खाते धीरे धीरे न्यून होते जाते हैं । जप कर रहे वंशजों के कारण जैसे जैसे सत्वगुण की मात्रा बढती जाती है, वैसे-वैसे पूर्वजों की अपने वंशजों के साथ संबद्ध लेन-देन संबंधी आकांक्षाएं अल्प होती जाती हैं । अन्यथा पूर्वजों की आकांक्षाएं अल्प नहीं होती । इसके साथ ही पूर्वजों को सकारात्मक लोकों की ओर अपनी आगे की यात्रा के लिए आवश्यक आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है । यह हमारे जप की संख्या एवं गुणवत्ता पर निर्भर करता है कि हम उनकी उन्नति के लिए कितना योगदान दे पाते हैं ।