साधना से ११ वर्षों का धूम्रपान (सिगरेट पीने)का व्यसन छूटना – प्रकरण अध्ययन
सार :
यूएई.दुबई के रहनेवाले ओमप्रकाश ११ वर्षों से सिगरेट पीने के व्यसन के आदी थे, वे असंख्य प्रयत्न करने के पश्चात भी उसे नहीं छोड पाए । स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन(SSRF) द्वारा आयोजित एक कार्यशाला के माध्यम से उन्हें व्यसन का मूल आध्यात्मिक कारण तथा उसके आध्यात्मिक उपचार ज्ञात हुए । उन्होंने शीघ्र ही नामजप एवं आध्यात्मिक उपचार करने आरंभ किए और ७ दिनों के भीतर ही वे व्यसन से मुक्त हो गए । यह लेख उनके साथ २ अक्टूबर २००६ को दूरभाष पर हुए संवाद पर आधारित है ।
SSRF द्वारा प्रकाशित प्रकरण-अध्ययनों (केस स्टडीस) का मूल उद्देश्य है, उन शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के विषय में पाठकों का दिशादर्शन करना, जिनका मूल कारण आध्यात्मिक हो सकता है । यदि समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक हो, तो यह ध्यान में आया है कि सामान्यतः आध्यात्मिक उपचारों का समावेश करने से सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं । SSRF शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं के लिए इन आध्यात्मिक उपचारों के साथ ही अन्य परंपरागत उपचारों को जारी रखने का परामर्श देता है । पाठकों के लिए सुझाव है कि वे स्वविवेक से किसी भी आध्यात्मिक उपचारी पद्धति का पालन करें ।
परिचय
ओमप्रकाश (३४ वर्ष)भारतीय मूल के हैं । वे दुबई में बिजनेस डेवलेपमेंट मैनेजर हैं । यद्यपि वे बहुत अधिक धार्मिक व्यक्ति नहीं है, तथापि वेे उच्च स्तरीय ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास करते हैं । SSRF की कार्यशाला में आने से पूर्व वे ईश्वर का कोई भी नामजप अथवा धार्मिक विधि /पूजा-पाठ में सम्मिलित नहीं होते थे । किसी भी धार्मिक विधि/पूजा-पाठ में सम्मिलित होने के लिए उनकी पत्नी को उन्हें बहुत मनाना पडता था । उनके पिता भी धूम्रपान से ग्रस्त थे ।
श्री. ओमप्रकाश का साक्षात्कार
साक्षात्कार लेनेवाला : ओमप्रकाश नमस्ते, हमें यह साक्षात्कार देने के लिए धन्यवाद । आरंभ करने से पूर्व आपको धूम्रपान का व्यसन छोडने के लिए बधाई ।
ओमप्रकाश : (हंसते हुए) धन्यवाद
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आप हमें अपने धूम्रपान के व्यसन के संदर्भ में थोडा बता सकेंगे ?
ओमप्रकाश : धूम्रपान का व्यसन वर्ष १९९५ में आरंभ हुआ, जब मैं २३ वर्ष का था । दुबई आने पर मैंने लडकियों को पार्टियों में धूम्रपान करते देखा, जो भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से बहुत अलग था । मैंने स्वयं से विचार किया कि, यदि लडकियां उन्मुक्तता से सिगरेट पी सकती हैं तो मैं इसे लेने में क्यों हिचकिचाऊं ?आरंभ में यह मजा के लिए था; किंतु धीरे-धीरे यह अनियंत्रित व्यसन बन गया । पहले मैं एक दिन में २ से ३ सिगरेट पीता था जो आगे बढकर १० से १५ हो गई ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आपने व्यसन को छोडने हेतु कभी प्रयास किया?
ओमप्रकाश : अनेक बार । इसे छोडने के लिए मैंने अनेक उपाय किए, जैसे नोट के स्थान पर सिक्के रखता जिससे मैं सिगरेट का पूरा पैकेट न खरीदकर खुली सिगरेट ही खरीद सकूं अथवा सिगरेट का पैकेट न खरीदकर खुली सिगरेट ही खरीदता । किंतु इससे मैं एक दिन में अधिक से अधिक ६ से ८ सिगरेट तक पीने लगा । यद्यपि यह प्रसंग भी केवल एक सप्ताह तक चलता और आगे मैं अपने धूम्रपान की पुरानी दिनचर्या में अर्थात प्रति दिन १० से १५ सिगरेट पीने लगता ।
यदि मैं धूम्रपान पूर्णतः छोड देता तो मैं अधिकतम ७ दिनों तक उससे दूर रह पाता और बाद में मैं वापस धूम्रपान आरंभ कर देता ।
पहले जब मैं धूम्रपान करता था, तो मुझे शक्तिहीनता, तनाव तथा थकान लगती थी; किंतु जब मैं धूम्रपान छोड देता तब स्थिति और अधिक बुरी होती, मुझे तीव्र सर्दी-खांसी हो जाती । जब मैं धूम्रपान आरंभ करता तो मुझे अच्छा अनुभव होता । एक समय, मैं प्रत्येक सप्ताह मद्यपान भी करने लगा था; किंतु किसी प्रकार से मैं केवल अपनी इच्छा शक्ति के बल पर मद्यपान का व्यसन जड जमाने से पूर्व उससे दूर रहने में सक्षम हो पाया ।
साक्षात्कार लेनेवाला : तो आप धूम्रपान के व्यसन से कैसे मुक्त हो पाए ?
ओमप्रकाश : यह सब SSRF के एक प्रवचन में सम्मिलित होने के उपरांत हुआ । इसके संदर्भ में मुझे अपने एक पारिवारिक मित्र के माध्यम से पता चला जिसने मंदिर में लगे एक पोस्टर जिसमें अनिष्ट शक्ति पर शोध विषय पर १५ सितंबर २००६ को होनेवाले प्रवचन का विज्ञापन देखा था । मेरे मित्र ने मुझे उस प्रवचन में सम्मिलित होने के लिए प्रेम से समझाया । मुझे लगा कि मेरे जैसा व्यक्ति ईश्वरीय कृपा के कारण ही उस प्रवचन में जा सका । प्रवचन के समय, मुझे पता चला कि व्यसन अधिकतर भूतावेश के कारण होते हैं और इसका एक उपचार अपने जन्म के धर्मानुसार ईश्वर का नामजप करना है । मैंने इसे त्वरित करने का निर्णय लिया ।
साक्षात्कार लेनेवाला : SSRF के निर्देशों को मानने के लिए आप किस कारण से तैयार हो गए ?
ओमप्रकाश : मुझे अनुभव हुआ कि प्रवचन में मेरी उपस्थिति केवल ईश्वरीय कृपा के कारण ही संभव हुई । SSRF के प्रवचन में दिए गए वैज्ञानिक विवरण भी मुझे अच्छे लगे । इसलिए जैसे ही मैं समझा कि मेरी समस्या का कारण भूतावेश है, मैंने उपचार हेतु प्रयास करने का निर्णय लिया ।
उस दिन से मैं अपने कुलदेवता का २ माला (२ x १०८ बार)ॐ नमः शिवाय का नामजप आरंभ कर दिया । नामजप गिनने के लिए मैं अपने हाथ की उंगलियों की सहायता लेता । उसी दिन से जब भी मुझे सिगरेट पीने की इच्छा होती और मैं सिगरेट को हाथ में लेता, मुझे वह शैतान लगती और मैं त्वरित उसे नीचे फेंक देता । यह घटना पुनःपुनः होती रही । धूम्रपान से दूर रहते हुए अब लगभग १५ दिन हो गए हैं । अब तो मुझे धूम्रपान करने की इच्छा भी नहीं होती ।
उपचार का अध्यात्मशास्त्र : यदि व्यसन पूर्णतः आध्यात्मिक कारक जैसे अनिष्ट शक्ति(राक्षस, शैतान, दैत्य इत्यादि) से प्रभावित अथवा आविष्ट होने के कारण हो तो यह इतनी तीव्र गति से दूर हो सकता है । नामस्मरण द्वारा हुई सत्त्व गुण की वृद्धि दो प्रकार से कार्य करती है :
- व्यक्ति के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्मित करना ।
- अनिष्ट शक्तियों द्वारा व्यक्ति के सर्व ओर निर्मित किए काले आवरण को नष्ट करना ।
अनिष्ट शक्तियों में तमोगुण अत्यधिक होता है । इसलिए उनके द्वारा आविष्ट किए गए व्यक्ति में सत्त्व गुण की वृद्धि होने से उन्हें दम घुटता हुआ, भयभीत तथा कष्टदायक अनुभव होता है ।
संदर्भ लेख पढें : तीन सूक्ष्म-स्तरीय मूलभूत घटक सत्त्व, रज तथा तम क्या हैं ?
२२ सितंबर २००६ को हमने दिवंगत पूर्वजों के लिए वार्षिक श्राद्ध किया । मेरे पिता भी धूम्रपान करते थे । इसलिए मुझे कहा गया था कि श्राद्ध के भोजन के उपरांत अपने पिता की इच्छा को संतुष्ट करने के लिए मुझे धूम्रपान करना है । किंतु मैं सिगरेट को अपने हाथों में पकड भी नहीं सका तथा गरम कोयले के समान उसे फेंक देने का मेरा मन हुआ । मेरी पत्नी यह देखकर चकित रह गई, क्योंकि वह मेरे धूम्रपान के व्यसन से परिचित थी ।
साक्षात्कार लेनेवाला : आपने इसे १५ दिनों के विलंब से क्यों साझा किया ?
ओमप्रकाश : क्योंकि मैं निश्चित होना चाहता था कि कहीं यह मेरे पूर्व के प्रयासों के समान तो नहीं है, जब मैं ७ दिनों के उपरांत पुनः धूम्रपान आरंभ कर देता था । इस समय मैं इसे और अधिक समय देना चाहता था इसलिए मैंने यह अनुभूति SSRF के अगले प्रवचन प्रारब्ध के समय बताई ।
साक्षात्कार लेनेवाला : चूंकि आपका धूम्रपान का व्यसन छूट गया है, तो क्या आप अभी भी नामजप करते हैं ?
ओमप्रकाश : अब मैं और अधिक नामजप करता हूं । मैं गिनती तो नहीं रखता लेकिन गाडी चलाते, पैदल जाते तथा काम करते समय नामजप करता हूं । इसलिए मैं नामजप की संख्या के संदर्भ में निश्चित नहीं हूं ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आप स्वयं के किसी और पहलू में परिवर्तन देखते हैं ?
ओमप्रकाश : बिजनेस डेवलेपमेंट मैनेजर होने के कारण मैं अपने काम के कारण निरंतर तनावग्रस्त रहता था । किंतु अब मैं इसके संदर्भ में सोचता ही नहीं । मैं केवल नामजप करता हूं और इससे मेरा तनाव घट गया है । मैं थोडी शांति भी अनुभव करता हूं ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आपके परिवार ने आपमें कोई परिवर्तन देखा है ?
ओमप्रकाश : हां, उन्होंने मुझमें परिवर्तन देखा है; किंतु उन्हें विश्वास नहीं होता इसलिए वे इसे नहीं मानते ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आपने अपनी व्यसन मुक्ति के संदर्भ में परिवार के अन्य सदस्यों, मित्रों, सहकर्मचारियों को बताया है ?
ओमप्रकाश : हां, मैंने कुछ को अपना अनुभव बताया है । वे सभी कहते हैं कि तुम्हारे मुख से ईश्वर का नाम विचित्र लगता है, इसलिए वे मुझपर हंसते हैं ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या आपने किसी धूम्रपान के व्यसनी व्यक्ति अथवा मद्यपान करनेवाले को इसके संदर्भ में बताया है ?आपका क्या अनुभव रहा ?
ओमप्रकाश : हां, मैंने अपने कुछ मित्रों को जो व्यसनी हैं उनको बताने का प्रयास किया । किंतु वे सभी मुझपर हंसते हैं । मैं स्वयं में पूर्ण परिवर्तन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जिससे वे स्वयं देखेंगे कि ऐसा होता है और इसमें पूर्ण विश्वास करेंगे ।
साक्षात्कार लेनेवाला : क्या हम आपकी अनुभूति अपने जालस्थल पर प्रकाशित कर सकते हैं ?
ओमप्रकाश : अवश्य । मुझे कोई भी परेशानी नहीं है । मैं प्रार्थना करता हूं कि जो भी मेरे समान व्यसन से पीडित हों, मेरा प्रकरण अध्ययन (केस-स्टडी) पढकर उनकी सहायता हो ।
संपादक की टिप्पणी : जबसे ओमप्रकाश का साक्षात्कार हमने लिया है, हम उनके व्यसन के संदर्भ में उनसे अनुवर्त्ती प्रयास (फॉलोअप)कर रहे हैं । २ मई २००७, ओमप्रकाश ७ महिनों से सिगरेट पीना छोडकर व्यसन से मुक्त हो गए हैं । उन्हें वापस व्यसन की ओर मुडने की आवश्यकता नहीं हुई । इस कालावधि में वे कुलदेवता का नामजप निरंतर करते रहे ।