Suggested Research
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समाज पर होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से स्वयं की रक्षा हेतु आध्यात्मिक उपाय
१.प्रस्तावना आज के युग में हमें पंचज्ञानेंद्रिय, मन एवं बुद्धि से इस विश्व को देखना और समझना सिखाया जाता है । परिणामस्वरूप जो दिखता है, केवल वही अस्तित्व में है, ऐसी हमारी धारणा बनती है । लोग कभी-कभी ही स्पंदनों के स्तर पर अनुभव करने का प्रयास करते हैं । उदाहरणार्थ कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति आभूषण … समाज पर होनेवाले अनिष्ट शक्तियों के प्रभाव से स्वयं की रक्षा हेतु आध्यात्मिक उपाय को पढ़ना जारी रखें
Case Studies
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दूरदर्शन और सिनेमा के आध्यात्मिक प्रभाव
१. दूरदर्शन के प्रभाव की प्रस्तावना अधिकांश लोगों के लिए अपनी प्रति दिन की समस्यायों से बचने के लिए, मनोरंजन के लिए और साथ ही साथ और जानकारी, और अनुभव के विश्व से जुडने का दूरदर्शन एक माध्यम है। दूरदर्शन और सिनेमा की सार्वजनिक अपील को देखते हुए हमने दर्शक और उसके वातावरण पर इसके … दूरदर्शन और सिनेमा के आध्यात्मिक प्रभाव को पढ़ना जारी रखें
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गुदाई (tattoos) का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
१. त्वचा पर गोदना – प्रस्तावना आजकल कई लोगों के लिए गोदने (टैटू, त्वचा पर गोदना) का व्यक्तिगत, प्रतीकात्मक, सौंदर्यात्मक, पारंपरिक अथवा सांस्कृतिक महत्व है अथवा उनके व्यक्तित्व की पहचान है । आजकल सभी आयु तथा वर्ग की महिलाओं और पुरुषों दोनों की आधुनिक जीवन शैली में गोदने को एक विशिष्ट स्थान प्राप्त हुआ है … गुदाई (tattoos) का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को पढ़ना जारी रखें
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अंग छेदन – नाक, कान तथा अन्य अंगों के छेदन का प्रभाव
१. अंग-छेदन – एक परिचय आजकल लोगों के लिए विभिन्न अंग छिदवाकर वहां अलंकार धारण करना सामान्य सी बात है और स्त्री, पुरुष, बच्चे सभी में इसकी बढती प्रवृत्ति हम देख सकते हैं । अंग छिदवाने के विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक अथवा व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं । अंग छेदन अधिकतर सौंदर्य को निखारने की दृष्टि … अंग छेदन – नाक, कान तथा अन्य अंगों के छेदन का प्रभाव को पढ़ना जारी रखें
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गाली देने के आध्यात्मिक प्रभाव एवं ऊंचे स्वर में बोलने के स्थान पर धीरे क्यों बोलना चाहिए
इस लेख को ठीक प्रकार से समझने के लिए, हम आपको निम्न लेखों से अवगत होने का परामर्श देते हैं : १. सत्व, रज एवं तम – ब्रह्मांड के तीन मूलभूत तत्व २. सात्विक-जीवन की अवधारणा की प्रस्तावना (दैनिक जीवन में अध्यात्म) १. प्रस्तावना वह तथ्य जो मनुष्यों को सबसे अलग करता है, वह है … गाली देने के आध्यात्मिक प्रभाव एवं ऊंचे स्वर में बोलने के स्थान पर धीरे क्यों बोलना चाहिए को पढ़ना जारी रखें
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धूम्रपान करते बच्चे एवं किशोर– एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
१. प्रस्तावना व्यक्ति का बचपन तथा किशोरावस्था वे वर्ष होते हैं जिसमें उसके समग्र विकास तथा संवर्धन की नींव डाली जाती है । चूंकि इस अवस्था में उत्साह तथा ऊर्जा अत्यधिक होती है, जहां बच्चा दूसरों का निरीक्षण कर, प्रयोग कर तथा आगे बढ कर सीखता तथा उनकी नकल करता है । इसीलिए अभिभावक तथा … धूम्रपान करते बच्चे एवं किशोर– एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को पढ़ना जारी रखें
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क्या ग्रेफिटी (भित्तिचित्र) कला है अथवा बर्बरता ?
१. प्रस्तावना कला विधाओं ने सदैव हमारी जिज्ञासा को बढाया है, चूंकि यह आत्म-अभिव्यक्ति तथा रचनात्मकता का एक मार्ग है । कुछ के लिए, यह अत्यंत मौलिक तथा मूल्यवान विरासत है । कला विधाओं में विकास तथा रूपांतरण हुआ है और उसने समकालीन आधुनिक कला (मॉर्डन डे आर्ट) को मार्ग भी दे दिया है । … क्या ग्रेफिटी (भित्तिचित्र) कला है अथवा बर्बरता ? को पढ़ना जारी रखें
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सार्वजनिक चुंबन के आध्यात्मिक प्रभाव
प्रस्तावना पिछले अनेक दशकों से, मानव जाति के आध्यात्मिक स्तर के साथ साथ उसके धर्माचरण करने, नैतिक मूल्यों का पालन करने, तथा अच्छा मानवीय आचरण करनेमें तीव्र गिरावट हुई है । लोगों को अधिक स्वतंत्रता देने अथवा जीवन में अधिक विस्तृत मानसिकता के बनने की आड में, लोग अपनी कुछ इच्छाओं, स्वभाव दोषों तथा अहं को सार्वजनिक रूप … सार्वजनिक चुंबन के आध्यात्मिक प्रभाव को पढ़ना जारी रखें
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फैशन शो – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
१. प्रस्तावना फैशन शो एक ऐसा कार्यक्रम है, जहां फैशन डिजाइनर अपने आगामी वस्त्र अथवा संबंधित उपसाधनों (एसेसरीज) का प्रदर्शन आयोजित करते हैं । फैशन शो प्रत्येक ऋतु में आयोजित किया जाता है । विशेषरूप से ग्रीष्म तथा शीतकाल में । इसमें फैशन का नवीनतम प्रचलन प्रस्थापित किया जाता है । सर्वाधिक प्रभावशाली, ऐसे दो … फैशन शो – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को पढ़ना जारी रखें
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खोपडी समान आकृति का फैशन – एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
१. फैशन प्रचलन के रूप में खोपडी समान आकृतियां – प्रस्तावना आजकल खोपडी के चित्र बने परिधानों की लोकप्रियता में वृद्धि हुर्इ है । प्रति-संस्कृति के एक अमंगल प्रतीक के रूप में देखे जाने पर भी खोपडी समान आकृति के प्रिंट मुख्यधारा के एक फैशन चलन बन गए हैं और बच्चों के कपडे से लेकर … खोपडी समान आकृति का फैशन – एक आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को पढ़ना जारी रखें
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जन्मदिन कैसे मनाएं ? केक काटकर अथवा आरती उतारकर
केक काटने की अपेक्षा आरती उतारकर जन्मदिन मनाना – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य प्रमुख अन्वेषक : डॉ. नंदिनी सामंत, एम.बी.बी.एस., डी.पी.एम. इस लेख को ठीक से समझने के लिए प्रथम हमारे इलैक्ट्रोसोमैटोग्राफिक स्कैनिंग तकनीक के प्रयोग से किया गया आध्यात्मिक शोध का परिचय लेख को पढें I १. प्रस्तावना जन्मदिन मनाने की कई पद्धतियां हैं । उनमें … जन्मदिन कैसे मनाएं ? केक काटकर अथवा आरती उतारकर को पढ़ना जारी रखें
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जटाएं क्यों न होने दें – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
जीवन के सभी क्षेत्रों में जटा धारण करने का प्रचलन बढता जा रहा है । अपने व्यक्तित्व को अनोखे ढंग से प्रदर्शित करने एवं अन्य उद्देश्य से जटाएं रखी जाती हैं । किंतु इसके अनिष्ट परिणाम भी अनेक हैं ।
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टेक्नो संगीत जुलूस – आध्यात्मिक प्रभाव
इस लेख में टेक्नो जुलुस में सम्मिलित होने वाले लोगों पर तथा उस शहर के वातावरण में तामसिक संगीत तथा नृत्य से क्या दुष्प्रभाव पडते हैं तथा इनसे कैसे बचा जा सकता है, यह बताया गया है I
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हैलोवीन का वास्तविक अर्थ – आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
इस लेख में हैलोवीन उत्सव को मनाने से आध्यात्मिक आयाम में होने वाले दुष्प्रभावों का विवरण दिया गया है I इसके साथ ही इसके दुष्प्रभावों से रक्षण हेतु क्या किया जा सकता है यह भी इस लेख में बताया गया है I
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एक जलती मोमबत्ती तथा प्रज्वलित घी के दीपक के प्रभाव का इलैक्ट्रोसोमैटोग्राफिक तकनीक के प्रयोग द्वारा तुलनात्मक अध्ययन
प्रस्तुत लेख में जलती मोमबत्ती तथा घी के प्रज्वलित दीपक का साधकों के कुंडलिनी चक्रों पर हुए तुलनात्मक प्रभावों का विवरण विस्तार से दिया गया है । मोमबत्ती के दुष्प्रभाव को समझने तथा प्रयोग के समय सूक्ष्म आयाम में क्या घटा यह जानने हेतु पूरा लेख पढे ।
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जोम्बी वॉक के आध्यात्मिक दुष्प्रभाव
वर्तमान समय में धर्म का ज्ञान न होने के कारण लोग मनचाहे कृत्य करने लगे हैं और वातावरण को आध्यात्मिक रूप से अशुद्ध कर रहे हैं । यह लेख जोम्बी वॉक (भूतप्रेत/शवों की तरह चलना) पर आधारित है जिसमें इसके आध्यत्मिक स्तर पर होने वाले दुष्परिणामों को बताया गया है ।