परम पूज्य जयंत आठवलेजी का सूक्ष्म-चित्र

परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के शिष्य हैं । स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन(SSRF) की स्थापना परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के कृपाशीर्वाद से हुई । वे स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन(SSRF) के दल का मार्गदर्शन करते हैं । इस कारण SSRF जालस्थल (वेबसाईट) में प्रकाशित होनेवाली जानकारी (आध्यात्मिक शोध के माध्यम से प्राप्त)से विश्वभर के लोगों को सूक्ष्म-आयाम तथा वह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है, इसे समझने में सहायता हुई ।

नीचे हमने परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी से प्रक्षेपित होनवाली विविध तरंगों का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित एक चित्र दिखाया है । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित यह चित्र विकसित छठवीं इंद्रिय से युक्त SSRF की साधिका श्रीमती योया वाले ने बनाया है ।

 

सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी के चित्र से प्रक्षेपित होनेवाली विविध तरंगों का विवरण नीचे दिया है । यह सूक्ष्म-चित्र विस्तृत एवं जटिल है इसलिए सूक्ष्म-चित्रकार श्रीमती याया वाले को यह कैसा दिखा यह समझने के लिए इसे आंकडों के क्रमानुसार पढें ।

ईश्वरीय तत्त्व का१ वलय आज्ञा-चक्र पर निर्मित होना

१अ

ईश्वरीय तत्त्व का वलय अनाहत-चक्र पर निर्मित होना

आनंद का वलय निर्मित तथा सक्रिय होना

२अ

परमानंद का वलय निर्मित तथा सक्रिय होना

२आ

आनंद का वलय निर्मित होना

२इ

परमानंद का वलय निर्मित होना

२ई

आनंद के कण प्रक्षेपित होना

निर्गुण चैतन्य का वलय सक्रिय होना

३अ

निर्गुण चैतन्य के कण प्रक्षेपित होना

प्रीति का वलय सक्रिय होना

४अ

प्रीति का वलय प्रक्षेपित होना

४आ

प्रीति का प्रवाह प्रक्षेपित होना

४इ

प्रीति के कण प्रक्षेपित होना

गुरु तत्त्व का प्रवाह आकर्षित होना

५अ

गुरु तत्त्व का वलय निर्मित होना

५आ

गुरु तत्त्व का प्रवाह साधकों की ओर प्रक्षेपित होना

५इ

गुरु तत्त्व के ज्ञान के कण साधकों की ओर प्रक्षेपित होना

५ई

गुरु तत्त्व का वलय निर्मित तथा सक्रिय होना

गुरु तत्त्व का प्रवाह आकर्षित होना

६अ

गुरु तत्त्व का वलय सक्रिय होना

र्इश्वर के आंतरिक सान्निध्य का प्रवाह आकर्षित होना

७अ

ईश्वरीय के आंतरिक सान्निध्य का वलय निर्मित तथा सक्रिय होना(पीला वलय समाज के लाभ हेतु उपयुक्त ज्ञान प्राप्त करने के लिए आवश्यक है जबकि नीला वलय र्इश्वर के प्रति उनके व्यक्तिगत के आंतरिक सान्निध्य के लिए आवश्यक है ।

गुरु कृपा का वलय निर्मित होना

८अ

गुरु कृपा का प्रवाह प्रक्षेपित होना

र्इश्वर कृपा का प्रवाह आकर्षित होना

१०

संकल्प का वलय सक्रिय होना

टिप्पणी :

१. हमने ईश्‍वरीय तत्त्व शब्द का प्रयोग र्इश्वर से संबंधित तरंगों तथा शक्ति के संदर्भ में किया है ।