परम पूज्य भक्तराज महाराजजी परम पूज्य अनंतानंद साईशजी के शिष्य थे । वे परम पूज्य डॉ. जयंत आठवलेजी, जिनके कृपाशीर्वाद से स्पिरिच्युअल साइन्स रिसर्च फाऊंडेशन (SSRF) की स्थापना हुई है, के गुरु हैं । उनकी उपस्थिति अथवा उनके स्मरण मात्र से भी अनगिनत साधकों तथा भक्तों को विविध प्रकार की अनुभूतियां हुई हैं । SSRF के शोध केंद्र में, साधक आध्यात्मिक उपचार के साधन के रूप में अधिकतर उनके छायाचित्र का प्रयोग करते हैं । उनके छायाचित्र से व्यक्ति के चक्रों पर कैसे सकारात्मक प्रभाव होता है, इसका हमने बायोफीडबैक उपकरणों से अभिलेखन (रिकार्डिंग) भी किया है ।
नीचे हमने परम पूज्य भक्तराज महाराजजी से प्रक्षेपित होनेवाली विविध तरंगों का सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित एक चित्र दिखाया है । सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित यह चित्र विकसित छठवीं इंद्रिय से युक्त SSRF की साधिका श्रीमती योया वाले ने बनाया है ।
सूक्ष्म-ज्ञान पर आधारित परम पूज्य भक्तराज महाराजजी के चित्र से प्रक्षेपित होनेवाली विविध तरंगों का विवरण नीचे दिया है । यह सूक्ष्म-चित्र विस्तृत एवं जटिल है इसलिए सूक्ष्म-चित्रकार श्रीमती याया वाले को यह कैसा दिखा यह समझने के लिए इसे आंकडों के क्रमानुसार पढें ।
१ | ईश्वरीय तत्त्व* का प्रवाह आज्ञा-चक्र पर आकर्षित होना |
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१ अ | ईश्वरीय तत्त्व का प्रवाह अनाहत-चक्र पर आकर्षित होना |
१ आ | मुख के सर्व ओर ईश्वरीय तत्त्व का वलय निर्मित होना |
१ इ | ईश्वरीय तत्त्व का वलय अनाहत-चक्र पर निर्मित होना |
२ | गुरु तत्त्व का वलय निर्मित होना |
२ अ | गुरु तत्त्व का प्रवाह प्रक्षेपित होना |
२ आ | गुरु तत्त्व का वलय निर्मित होना |
३ | परमानंद का वलय निर्मित तथा प्रक्षेपित होना |
३ अ | परमानंद का वलय मुख के सर्व ओर निर्मित होना |
३ आ | परमानंद के कण प्रक्षेपित होना |
४ | प्रीति का वलय निर्मित तथा सक्रिय होना |
५ | भक्ति के वलय निर्मित तथा प्रक्षेपित होना |
५ अ | भक्ति का वलय मुख के सर्व ओर निर्मित होना |
५ आ | भक्ति के कण वायुमंडल में प्रसृत होना |
६ | निर्गुण चैतन्य का वलय निर्मित तथा प्रक्षेपित होना |
७ | ईश्वर के आंतरिक सान्निध्य का वलय आज्ञा-चक्र पर निर्मित होना |
८ | ईश्वरीय ज्ञान का वलय निर्मित होना |
८ अ | ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह तथा उसके कण आकर्षित होना |
८ आ | मार्गदर्शन हेतु ईश्वरीय शब्द निर्मित होना जो परम पूज्य भक्तराज महाराजजी द्वारा ग्रहण किए जाते हैं |
टिप्पणी :
* हमने ईश्वरीय तत्त्व शब्द का प्रयोग र्इश्वर से संबंधित तरंगों तथा शक्ति के संदर्भ में किया है ।