प्रकरण-अध्ययन : परिवार के मृत व्यक्तियों के स्वप्न पुनः–पुनः आना
अधिकांशतः आध्यात्मिक कारणों से बार-बार परिवार के मृत सदस्य के सपने आते हैं । परिवार के मृत सदस्य को ही अधिकतर मृत्युके उपरांत सहायता की आवश्यकता होती है । श्रीमती शौर्या मेहता, वास्तुशिल्पकार(architect) हैं, उन्हें पिछले दस वर्ष से अपनी मृत बहन के सपने आते थे । शौर्या के अनुभवों और SSRF के द्वारा किए गए निरीक्षण के आधार पर यह वृतांत दे रहे हैं ।
“बाईस वर्ष की आयु में मेरी बहन एक भयंकर सडक दुर्घटना में, दो बसों के बीच बुरी तरह से कुचली गई थी, जिसमें उसकी मृत्यु हो गई थी । उसके दाहसंस्कार के उपरांत, मैं विश्राम कर रही थी तथा आधी नींद में और आधी जागी हुई थी, मैंने देखा कि मेरी मृत बहन सूक्ष्म-रूप से घर के भीतर आई । पिछले १० वर्षों में, मैं अनेक बार उसे अपने सपने में देखा करती थी । प्रत्येक बार वही सपना होता । तब मुझे लगा कि वह आगे की यात्रा नहीं कर पा रही है और अत्यंत कष्ट में है । वे सपने बहुत ही जीवंत होते थे तथा मैं घबराकर उठ जाती थी ।’’
बहन की मृत्यु के दस वर्ष पश्चात, शौर्या के पिताजी की मृत्यु हुई । शौर्या के परिवार को पितृदोष (पितरों के लिंग देह से होनेवाले कष्टों) के बारे में पता था, मृत्युके उपरांत उनके पिताजी की आगे की यात्रा निर्विघ्न होने के लिए SSRF ने उन्हें कुछ धार्मिक विधियां बताईं । पूरे वर्ष प्रत्येक महीने ये १२ धार्मिक विधियां की गईं ।
जब अंतिम बारहवीं धार्मिक विधि कर रहे थे, तब SSRF की सूक्ष्म विभाग की साधिका (पू.) श्रीमती अंजली गाडगीळ, अपनी प्रगत छठवी इंद्रिय से, धार्मिक विधि का पिताजी की मरणोपरांत यात्रा पर क्या सूक्ष्म-परिणाम हो रहा है इसका अध्ययन कर रही थीं । उस विधि के समय, श्रीमती गाडगीळ ने देखा कि कुछ अच्छी शक्तियां, जो धार्मिक विधि के प्रभाव से उत्पन्न हुई थी, पास की एक अलमारी के एक विशेष खाने की ओर खिंची चली जा रही थी । उन्होंने वहां पर एक युवती को खडा हुआ भी देखा । श्रीमती गाडगीळ को मेरी बहन के साथ हुई दुर्घटना के बारे में नहीं पता था । उस अलमारी के खाने में मेरी बहन के छायाचित्र के कई अल्बम और पुस्तकें रखी थी । जब मैंने श्रीमती गाडगीळ जी को उसका चित्र दिखाया, तो उन्होंने बताया कि यह वही लडकी है जिसे उन्होंने अपनी छठवीं इंद्रिय से देखा था ।
जो आध्यात्मिक शोध किया गया उससे पता चला कि जो धार्मिक विधियां शौर्या के पिताजी के लिए की गईं थी उसका प्रभाव परिवार के अन्य मृत सदस्यों पर भी हुआ था और इससे शौर्या की बहन को भी लाभ हुआ ।
१२ विधियां होने के पश्चात, मैंने उसे एक ही बार सपने में देखा परंतु इस बार का सपना पहले के सपनों से अलग था । पहली बार, एक अच्छा सपना था कि मेरी बहन ने साधना आरंभ कर दी है ।
शौर्या का यह प्रकरण अध्ययन थोडा असामान्य है क्योंकि यहां कष्ट निवारण के लिए एक विशेष धार्मिक विधि की गर्इ । वैसे अधिकतर प्रसंगों में नामजप साधना ही पितृदोष का निवारण करने के लिए पर्याप्त होती है । ऐसे कष्टों के निवारण हेतु ॥ श्री गुरुदेव दत्त ॥ का नामजप एक बहुत प्रभावशाली उपाय है । कुछ विशेष धार्मिक विधियां जो कि शौर्या के परिवार द्वारा की गर्इ, पितरोंतक आध्यात्मिक सहायता शीघ्र पहुंचाने में सहयोग करती हैं ।