इस लेख में हम सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र के माध्यम से लोकप्रिय कोला पेय द्वारा आकर्षित और प्रक्षेपित किए जाने वाले सूक्ष्म स्पंदनों के बारे में समझेंगे । यह चित्र एक साधिका (पू.) श्रीमती योया वाले ने बनाया है, जिनकी दृष्टि से संबंधित छठवीं सूक्ष्म ज्ञानेंद्रिय जागृत है ।
निम्नलिखित सारणी में उपरोक्त सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र का विवरण दिया गया है ।
क्र. |
विवरण |
---|---|
१ |
कष्टदायक शक्ति का वलय कोला की तामसिक प्रकृति के कारण उत्पन्न होना |
१ अ |
परिणामस्वरूप कार्यरत कष्टदायक शक्ति का वलय बाहर की ओर प्रक्षेपित होना |
१ आ |
इसके अतिरिक्त मारक कष्टदायक शक्ति के कण उत्पन्न तथा कार्यरत होना |
१ इ |
कष्टदायक शक्ति के कंटीले सूक्ष्म कण निरंतर कार्यरत होना |
१ ई |
कष्टदायक शक्ति के कार्यरत सूक्ष्म कण प्रक्षेपित होना |
१ उ |
ऊपर की दिशा में कष्टदायक शक्ति की तरंगें प्रक्षेपित होना |
२ |
मायावी शक्ति का वलय उत्पन्न तथा कार्यरत होना |
२ अ |
मायावी तरंगें वातावरण में प्रक्षेपित होना |
२ आ |
मायावी तरंगें ऊपर की दिशा में प्रक्षेपित होना |
३ |
आकर्षण शक्ति का कंपन युक्त वलय उत्पन्न होना |
३ अ |
आकर्षण शक्ति का प्रवाह वातावरण में प्रक्षेपित होना |
३ आ |
वातावरण से कष्टदायक शक्ति आकृष्ट होना |
कोला पेय के सेवन के सूक्ष्म परिणामों के विषय में (आध्यात्मिक शोध से प्राप्त) अतिरिक्त अवलोकन यहां दे रहे हैं :
- कोला पेय रज-तम प्रधान होते हैं अत: इनका नियमित सेवन हमारी आध्यात्मिक प्रगति के लिए हानिकारक है ।
- कोला पीने से सूक्ष्म तमोगुण हमारी देह में संक्रमित होता है । इससे पृथ्वी तत्व का उपयोग कर विभिन्न स्थानों पर शरीर की कोशिकाओं में काले शक्ति के केंद्र बन जाते हैं ।
- सूक्ष्म तम प्रधान स्पंदनों की अधिकता से देह थक जाता है तथा प्राण शक्ति न्यून हो जाती है । इससे अनिष्ट शक्तियों का कष्ट होता है ।
- पेय में विद्यमान अनिष्ट शक्ति लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है । थोडी देर में यह आकर्षण समाप्त हो जाता है । इसलिए अधिक सेवन से व्यक्ति को वास्तव में अस्वस्थता अनुभव होती है ।
- परिणामतः, तुलनात्मकरूप से अल्प काल में ही व्यक्ति पर अनिष्ट शक्तियों द्वारा बडी मात्रा में आक्रमण किया जाता है ।