मीट बर्गर, अंडे से बना स्पंज केक और दाल-चावल से प्रक्षेपित स्पंदनों का बायो-फीडबैक उपकरण द्वारा किया अध्ययन

 

सार

अपने दैनिक जीवन में हमें खान-पान, वेशभूषा जैसे अनेक जीवनशैली संबंधी चुनाव करने पडते हैं । आध्यात्मिक दृष्टि से उचित जीवनशैली का चुनाव करने से उत्पन्न सात्त्विकता से मानवजाति लाभान्वित होती है तथा उस पर रज-तम (अस्थिरता एवं अज्ञान)का प्रभाव भी घटता है । आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध जीवनशैली अपनानेवाले लोगों की संख्या कलियुग में घटती जा रही है । हमारा खान-पान भी इसका अपवाद नहीं है । इस लेख में हम मीट बर्गर, अंडे से बने स्पंज केक और दाल-चावल से प्रक्षेपित स्पंदनों का अध्ययन करेंगे । इससे हमें आध्यात्मिक लाभ पहुंचानेवाले अन्नपदार्थों का महत्त्व ज्ञात होगा ।

१. मीट बर्गर, स्पंज केक और दाल-चावल के आध्यात्मिक प्रभाव

वतर्मान युग (कलियुग)में, लोग तत्काल सुख देनेवाली सभ्यता के अधीन हैं । वे तत्काल मिलनेवाली, सुविधाजनक और सरलता से प्राप्त वस्तुओं पर निर्भर हो गए हैं और खान-पान इससे भिन्न नहीं है । हम ऐसे विश्‍व में जी रहे हैं, जहां हम जो चाहते है, वह बिना किसी प्रतीक्षा के तत्काल उपलब्ध हो रहा है । यद्यपि महत्त्वपूर्ण संदेश युक्त इ-मेल भ्रमणभाष पर ही मिलने जैसी सुविधाओंतक तो यह ठीक है, परंतु खाद्यपदार्थों और स्वास्थ्य के लिए नहीं ।

आजकल बर्गर्स और स्पंज केक फास्ट-फूड के रूप में बेचे जाते हैं । ऐसे अन्नपदार्थों में कैलोरी (ऊर्जा) अधिक और पोषक तत्त्व अल्प होते हैं । इसलिए इन्हें जंक फूड भी कहा जाता है । सुविधा, मूल्य तथा स्वाद जैसे विविध कारणों से लोग जंक फूड की ओर आकर्षित होते हैं । जो लोग प्रायः अपनी खान-पान की शैली के परिणामों को नहीं समझते, उन्हें जंक फूड स्वादिष्ट लग सकता है । मोटापे को बढावा देनेवाले ऐसे पदार्थों का नियमित सेवन करने से उनका व्यसन लग सकता है । साथ ही उनके विविध दुष्प्रभावों का भी सामना करना पडता है – उदा. स्थूलता, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, आत्मविश्‍वास न्यून होना और निराशा, कार्यक्षमता में न्यूनता इत्यादि । जो बच्चे जंक फूड का नियमित सेवन करते हैं उन्हें पढाई में कनिष्ठ श्रेणी प्राप्त होती है तथा खेलकूद में भी वे पिछड जाते हैं ।

आध्यात्मिक शोध से ज्ञात हुआ है कि मांसाहार की तुलना में शाकाहार अधिक लाभदायी है । मांसाहार की तुलना में शाकाहार अधिक सात्त्विक है और उसमें रज-तम भी अल्प होता है । मीट बर्गर्स और (अंडे से बना) स्पंज केक मांसाहारी होने से रज-तम प्रधान होता है । इसलिए इनका सेवन करनेवाले को इनमें विद्यमान तमोगुण प्राप्त होता है । इसलिए ऐसे खाद्यपदार्थों से बचना ही श्रेष्ठ है । तमप्रधान आहार से तमप्रधान विचार उत्पन्न होते हैं और मन एवं बुद्धि का संतुलन नष्ट होकर मनुष्य नीतिहीन बन जाता है । सात्त्विक शाकाहार का सेवन करने से आध्यात्मिक प्रगति के लिए अनुकूल सत्त्व प्रधान स्पंदन ग्रहण किए जाते हैं ।

२. बायोफीडबैक उपकरण द्वारा किया विश्‍लेषण

यदि किसी के पास औसत से अधिक क्षमतायुक्त छठवीं ज्ञानेंद्रिय है, तो वह व्यक्ति आध्यात्मिक स्पंदन ग्रहण कर सकता है । इससे वह कोई पदार्थ आध्यात्मिक दृष्टि से उपयुक्त है अथवा नहीं इसका निर्णय कर जीवन में आध्यात्मिक दृष्टि से उचित चुनाव कर सकता है ।

आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) और पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी -बायो इमेंजिंग समान उपकरण) जैसे कुछ बायोफीडबैक उपकरण वस्तु के चारों ओर के स्पंदन ग्रहण कर उन्हें दृश्य स्वरूप में दिखा सकते हैं । इससे सामान्य व्यक्ति अपनी आंखों से वस्तु के सर्व ओर का ऑरा (प्रभामंडल) अथवा ऊर्जाक्षेत्र देख पाता है ।

अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें पीआर्इपी और उसके उपयोग संबंधी जानकारी

इस प्रयोग द्वारा हमने वैज्ञानिक बायोफीडबैक उपकरण द्वारा मीट बर्गर, (अंडे से बना) स्पंज केक और दाल-चावल द्वारा प्रक्षेपित स्पंदनों पर प्रकाश डाला है ।

२.१ आरएफआई (रेजोनेंट फील्ड इमेजिंग) द्वारा प्राप्त परिणाम

इस परीक्षण में हम पदार्थ के कारण वातावरण में होनेवाले परिवर्तन की प्रविष्टि करते हैं । वातावरण में निरंतर परिवर्तन होते रहते हैं, इसलिए हम पदार्थ का परीक्षण करने से पूर्व के वातावरण की मूलभूत प्रविष्टि लेते हैं । इसलिए मीट बर्गर, अंडे से बना केक तथा दाल-चावल का परीक्षण करने से पहले पटल पर रिक्त थाली रखकर निरीक्षण प्रविष्ट किए गए और इसके पश्‍चात थाली में पदार्थ रखने पर प्राप्त निरीक्षण पुनः प्रविष्ट किए गए ।

‘आरएफआर्इ और उसका विश्‍लेषण

 निरीक्षण किया पदार्थ

प्रविष्टि (MHz)

 विश्लेषण

१. मीट बर्गर

१ अ. प्रयोग के पूर्व

७२९.१७

इन कंपनों का रंग जामुनी है । मानसिक कार्यरतता; परंतु सामान्यतया स्वस्थ वातावरण में ।

१ आ. प्रयोग के समय

६६७.९६

इन कंपनों का रंग गाढा नीला है और स्थूल कार्यरतता में वृद्धि दर्शाता है ।  मीट बर्गर के कारण वातावरण का स्तर आध्यात्मिक दृष्टि से न्यून हुआ है ।

२. अंडे से बना केक

२ अ. प्रयोग के पूर्व

६६५.३६

इन कंपनों का रंग नीला है, जो स्पष्ट विचारों, सत्यता और सकारात्मकता का दर्शक है । यह सकारात्मक ऊर्जा है ।

२ आ. प्रयोग के समय

४८१.२६

इन कंपनों का रंग नारंगी है, जो भावनिक स्तर के स्पंदन दर्शाता है । इसका अर्थ यह हुआ कि केक के कारण वातावरण का स्तरआध्यात्मिक दृष्टि से कुछ न्यून हुआ ।

३. दाल-चावल

३ अ. प्रयोग के पूर्व

६८२.१६

इन कंपनों का रंग गाढा नीला है, जो वृद्धिंगत स्थूल कार्यरतता, परंतु साधारणतः स्वस्थ वातावरण दर्शाता है ।

३ आ. प्रयोग के समय

७०४.५३

इन कंपनों का रंग गाढा नीला है । इसका अर्थ यह है कि वातावरण के स्पंदन दाल-चावल के कारण परिवर्तित नहीं हुए और पहले जैसे ही सकारात्मक रहें ।

२.२ पीआईपी (पॉलीकाँट्रास्ट इंटरफेरेंस फोटोग्राफी)से प्राप्त परिणाम

01-HIN-empty_plate

02-HIN--burger

उपर्युक्त पीआईपी चित्र में दिखाए अनुसार बर्गर का रंग गाढा गुलाबी है, जो कष्टदायकता दर्शाता है । वातावरण का नारंगी वलय मांसाहारी बर्गर के समीप आकर उसके सर्व ओर फैल गया है । इसका अर्थ यह है कि यह पदार्थ (मांसाहारी बर्गर) अपनी ओर नकारात्मक शक्ति आकृष्ट करता है ।

भावनात्मक तनाव दर्शानेवाले केसरिया रंग का प्रभामंडल वातावरण में दिख रहा है ।

नकारात्मक नारंगी प्रभामंडल बढने के कारण गाढा हरा प्रभामंडल न्यून हुआ है ।

नारंगी वलय के कारण हरा वलय मीट बर्गर से दूर हो गया है । यह प्रभामंडल चित्र के किनारे पर दिख रहा है और जब थाली में बर्गर नहीं था, उसकी तुलना में कुछ न्यून हुआ है । मीट बर्गर के कारण वातावरण में बढे इस नकारात्मक प्रभामंडल के कारण सकारात्मक हरा प्रभामंडल दूर हो गया है ।

मीट बर्गर रखे वातावरण में पीला वलय (सकारात्मक ऊर्जा) नहीं दिख रहा है । थाली में बर्गर रखने के पहले वहां पीला वलय था । परंतु बर्गर रखने के उपरांत पीला वलय लुप्त हो गया ।

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अंडे से बने केक का रंग भी गाढा गुलाबी है,जो कष्टदायकता दर्शाता है । परंतु यह मीट बर्गर की तुलना में अल्प है ।

वातावरण का नारंगी वलय केक के समीप आकर उसके आसपास फैल गया है ।

बर्गर की तुलना में केक के आसपास का केसरिया प्रभामंडल अधिक दूर हो गया है ।

नकारात्मक नारंगी प्रभामंडल बढने से गाढे हरे रंग का प्रभामंडल अल्प होकर अधिक दूर हो गया है ।

नारंगी वलय के कारण हरा प्रभामंडल केक से दूर हट गया है ।

केक रखे वातावरण में पीले प्रभामंडल का वलय कुछ मात्रा में दिख रहा है ।

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दाल-चावल का हरा रंग संपूर्ण सकारात्मकता और आध्यात्मिक शुद्धता (सात्त्विकता) दर्शाता है ।

दाल-चावल से नारंगी वलय दूर हो गया है । सकारात्मक ऊर्जा के हरे वलय के कारण नारंगी रंग का वलय दाल-चावल को स्पर्श नहीं कर पा रहा है ।

मीट बर्गर और अंडे से बने केक की तुलना में दाल और चावल के आसपास का केसरिया प्रभामंडल न्यून हुआ है ।

गाढे हरे रंग का प्रभामंडल, जिसका अर्थ है कि दाल और चावल का सेवन करने से सकारात्मक ऊर्जा अवशोषित (ग्रहण) की जाती है ।

दाल-चावल के कारण बढे पीले प्रभामंडल के कारण किनारे पर दिखनेवाला हरा प्रभामंडल अधिक दूर हो गया है ।

दाल-चावल के वातावरण में पीला प्रभामंडल अधिक दिख रहा है । परीक्षण के लिए दाल-चावल रखने से पहले के वातावरण में विद्यमान पीला प्रभामंडल दाल-चावल रखने के उपरांत बढ गया है ।

३. निष्कर्ष

उपर्युक्त निरीक्षणों से हम समझ सकते है कि मीट बर्गर और अंडे से बने स्पंज केक नकारात्मक और तनाव के स्पंदन आकृष्ट कर वातावरण की सात्त्विकता नष्ट करते हैं । इसके विपरीत दाल-चावल सकारात्मक स्पंदनों और सात्त्विकता को आकृष्ट कर वातावरण की सात्त्विकता भी बढाते हैं ।

उपर्युक्त स्कैन और उसका विश्‍लेषण श्री.संतोष जोशी की सहायता से किया गया, जो कि भारत के मुंबई स्थित वैश्‍विक ऊर्जा शोधकर्ता हैं ।

उपर्युक्त निष्कर्ष हमारे द्वारा विविध प्रकार के खाद्यान्नों पर किए आध्यात्मिक शोध से मेल खाते हैं ।

SSRF इस प्रकार के विषयों के संदर्भ में वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य की दृष्टि से इस क्षेत्र के शोधकर्ता और विशेषज्ञों से सहायता करने का अनुरोध करता है ।