तीर्थ (पवित्र जल) का उपयोग किस प्रकार करें ?
१. SSRF द्वारा बनाई हुई अगरबत्तियों से प्राप्त हुई विभूति से अथवा चैतन्यशक्ति से पूरित तीर्थ का उपयोग कैसे किया जाए ?
तीर्थ में चैतन्य से प्राप्त हुई सकारात्मक ऊर्जा होती है, अतः इसका उपयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने में हो सकता है, जो अनिष्ट शक्तियों (भूत, प्रेत, पिशाच आदि) से रक्षण भी करती है तथा उन्हें दूर करने में सक्षम भी होती है ।
तीर्थ किस प्रकार कार्य करता है यह जानने हेतु कृपया यह लेख पढें ‘SSRF की अगरबत्ती की विभूति से तीर्थ कैसे बनाएं तथा उसका उपयोग कैसे करें ?’
SSRF द्वारा बनाई हुई अगरबत्तियों से प्राप्त विभूति से बने तीर्थ अथवा अभिमंत्रित जल से, निम्नलिखित तीन प्रकार से आध्यात्मिक उपाय किए जा सकते हैं ।
१. व्यक्ति पर, उसके चारों ओर, उसके बिछौने पर तथा घर के आस-पास तीर्थ छिडकना ।
२. शरीर के प्रभावित भागों पर छिडकना
३. नामजप से अभिमंत्रित तीर्थ को ग्रहण करना (पीना) भी एक आध्यात्मिक उपचार होता है ।
२. व्यक्ति पर, उसके चारों ओर, उसके बिछौने पर पवित्र जल छिडकना ।
एक गिलास अथवा एक कटोरी में जल लें । जल को अभिमंत्रित कर अथवा SSRF द्वारा बनाई हुई अगरबत्तियों से प्राप्त विभूति जल में डालकर, उस जल को अच्छी शक्ति से आविष्ट कर सकते हैं । इस तीर्थ को छिडकने से पूर्व प्रार्थना करें कि इस तीर्थ से अच्छी शक्ति प्रसारित हो तथा उससे अनिष्ट शक्तियों का नाश हो जाए । तदुपरांत तीर्थ का छिडकाव स्वयं पर तथा उस व्यक्ति पर करें, जो कष्टों से पीडित हो ।
बिछौने पर सोने से पूर्व तीर्थ का छिडकाव करें, जिससे प्रसारित होनेवाली अच्छी शक्ति का लाभ हो, साथ ही भूतप्रेतादि बुरी शक्ति से रक्षण हो । यह एक अच्छा उपाय है, जिससे जैसे नींद में बुरे सपने आना, निरंतर सपनों का आना तथा नींद ही न (अनिद्रा) आना, कष्टों का निवारण होता है । यह कष्ट मुख्यत: भूतप्रेतों एवं अतृप्त पूर्वजों के कारण होते हैं ।
इसी प्रकार, पवित्र जल का छिडकाव स्वयं पर, स्वयं के चारों ओर करें, उसी से एक सुरक्षा-घेरा बनाएं जो पढाई अथवा काम-काज करते समय अनिष्ट शक्तियों से हमारा रक्षण करे ।
तीर्थ अपने घर के आस-पास छिडकने से आध्यात्मिक स्वच्छता होकर वहां पवित्रता बनी रहती है ।
३. भूतों पर तीर्थ छिडकने का परिणाम
निरंतर तीर्थ छिडकने से अनिष्ट शक्तियों को बहुत कष्ट होता है; जिससे वह उस व्यक्ति को छोड जाने हेतु बाध्य हो जाते हैं एवं अंतिमतः उससे छोड जाती हैं । यहां एक वीडियो क्लिप दिया है, जिसमें SSRF की अगरबत्तियों की विभूति से बने तीर्थ का परिणाम अनिष्ट शक्तियों पर क्या होता है, यह दर्शाया गया है । यहां अनिष्ट शक्तियां प्रकट हो गई हैं; किंतु वे प्रकट न भी हों, जब उन पर तीर्थ छिडका जाता है तो उन्हें अत्यधिक कष्ट होते हैं । आध्यात्मिक उपचार करने वाले साधक जो आध्यात्मिक उपचार हेतु तीर्थ छिडक रहे हैं, का आध्यात्मिक स्तर ६० प्रतिशत से अधिक है । इससे तीर्थ की परिणामकारकता में वृद्धि होती है ।
संदर्भ हेतु देखें लेख – अनिष्ट शक्तियों की प्रकट अथवा अप्रकट अवस्था क्या होती है ?
४. तीर्थ को उपयोग कैसे किया जाए ?
शरीर के जिन अंगों में दर्द हो, उस पर इस तीर्थ को छिडकने से कष्ट की मात्रा अत्यधिक घट जाती है । ऐसा विशेषकर तब देखा गया है जब कष्ट आध्यात्मिक कारणों से अर्थात् भूत-प्रेतादि के आक्रमण के कारण हो रहा हो । कष्ट का मूल कारण आध्यात्मिक है अथवा नहीं, इसका ज्ञान मात्र विकसित छठवीं ज्ञानेंद्रिय द्वारा ही हो सकता है । बौद्धिक स्तर पर केवल इतना कह सकते हैं कि सर्वसामान्य जांच पडताल के उपरांत भी जब रोग का निश्चित निदान न हो पाए, हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि कष्ट आध्यात्मिक कारणों से हो रहा है । तीर्थ में विद्यमान चैतन्य कष्ट से पीडित अंगों के सूक्ष्मतम दुर्गुण और साथ ही उस अंग में पीडा पहुंचानेवाले अनिष्ट शक्ति को भी नष्ट करता है । नेत्रों में तीर्थ लगाने से अप्राकृतिक झपकी अथवा तंद्रा (drowsiness) दूर होती है ।
५. तीर्थ का सेवन करना
अभिमंत्रित जल के सेवन से शरीर में सूक्ष्म सत्व गुण बढता है जिससे सकारात्मकता में वृद्धि होती है । इससे शरीर में किसी भी प्रकार की न्यूनता हो, जैसे थकान, विभिन्न रोग, निद्रा-नाश, उदासी, अवसाद और जीवन की आर्थिक तथा सामाजिक समस्याएं आदि कष्टों का निवारण होता है । तीर्थ का एक चम्मच नित्य सेवन करना, एक आध्यात्मिक पेय है जो सकारात्मक शक्ति स्तर को बढाता है । इसके फलस्वरूप भूत-प्रेतादि की बुरी शक्तियों के आक्रमणों से रक्षा होती है ।