१. प्रस्तावना
सभी संस्कृतियों में स्नान एक वैश्विक क्रिया है । संपूर्ण विश्व में लोग व्यक्तिगत स्वास्थ्य, थेरेपी अथवा धार्मिक कारणों से और मनोरंजन के लिए भी अपने शरीर को स्वच्छ करते हैं । चूंकि विभिन्न स्थानों और संस्कृतियों के लोग स्नान करते हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से पूरे विश्व में स्नान की विभिन्न पद्धतियां अपनाई गई हैं । विश्व के अनेक भागों में बाथटब में स्नान करना एक सामान्य पद्धति है । आध्यात्मिक शोध के माध्यम से हमने बाथटब में स्नान करने के आध्यात्मिक प्रभावों को समझा ।
२. पृष्ठभूमि
इस लेख को समझने के लिए, हम निम्नलिखित लेख पढने का परामर्श देंगे :
- सात्त्विक जीवन की कुंजी
- ब्रह्मांड के तीन मूलभूत गुण – सत्त्व, रज, तम
३. बाथटब में स्नान करने का आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य
हमारी धारणा रहती है कि बाथटब में स्नान की पद्धति स्वच्छता रखने के साथ ही विश्राम पाने की एक हानिरहित पद्धति है; तथापि आध्यात्मिक शोध द्वारा हमें यह ज्ञात हुआ कि बाथटब में स्नान करने से वास्तव में नकारात्मक उर्जा आकर्षित होती है और स्नान करनेवाले व्यक्ति को हानि पहुंचाती है ।
इस पहलू को समझने के लिए, हमने कु. प्रियंका लोटलीकर की सहायता ली । वे SSRF के अंतर्गत साधना करती हैं और उन्हें प्रगत छठवीं इंद्रिय प्राप्त है । उन्होंने आध्यात्मिक दृष्टि से सामान्य व्यक्ति के बाथटब में स्नान करने की क्रिया का अध्ययन किया तथा आध्यात्मिक आयाम में क्या होता है, इसके परिणाम नीचे दिए सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र में प्रस्तुत किए । इस सूक्ष्म ज्ञान पर आधारित चित्र की प्रामाणिकता प.पू. डॉ. आठवले ने जांची है ।
निम्नलिखित कारणों से बाथटब में स्नान करने की क्रिया में आध्यात्मिक आयाम से नकारात्मकता अनुभव हुई :
- जब कोई व्यक्ति टब में स्नान करता है, उसके शरीर पर लगी धूल टब में एकत्र हो जाती है । धूल रज-तम प्रधान होती है, इसलिए नकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करती है । आपतत्त्व नकारात्मक एवं सकारात्मक दोनों प्रकार की तरंगें प्रभावी रूप से संजोने की क्षमता रखता है । इसलिए जब व्यक्ति स्नान करता है, तो काली शक्ति स्नान के जल में एकत्र होती है । चूंकि यह जल लंबे समय तक व्यक्ति के संपर्क में रहता है, अतः कष्टदायक तरंगें आपतत्त्व के माध्यम से व्यक्ति की देह में संक्रमित होती हैं ।
- लेटने पर तमोगुण उच्चतम स्तर पर सक्रिय होता है । इसका तात्पर्य यह है कि लेटकर बाथटब में स्नान करनेसे आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक प्रभाव बढ जाता है ।
- सामान्यतः स्नान हेतु उपयोग किए जानेवाले रसायन भी नकारात्मकता बढाते हैं ।
बाथटब में स्नान करनेवाले व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव :
- बाथटब में स्नान करेवाले व्यक्ति की ओर मायावी शक्ति एवं काली शक्ति दोनों आकर्षित होती हैं । मायावी शक्ति अनिष्ट शक्तियों द्वारा उत्पन्न की जाती है, जिससे वस्तु वास्तविकता से अधिक सुखदायी लगती हैं । इस कारण यद्यपि बाथटब में स्नान करना किसी को अच्छा लगे, वह कृत्य आध्यात्मिक दृष्टि से हानिकारक होता है । यह नकारात्मक ऊर्जा व्यक्ति को प्रभावित करती है, साथ ही आसपास के वातावरण को भी दूषित करती है ।
- नियमित रूप से बाथटब में स्नान करने से व्यक्ति के आसपास काला आवरण बढता है और उनके अनिष्ट शक्तियों द्वारा आवेशित होने की आशंका बढ जाती है ।
- टब में स्नान करने से कालांतर में शारीरिक एवं मानसिक कष्ट हो सकते हैं । मानसिक स्तर पर, व्यक्ति को विचारों में अस्थिरता तथा चिडचिडापन अनुभव हो सकता है ।
४. बाथटब में स्नान करने के आध्यात्मिक दुष्परिणामों के विषय में हम क्या कर सकते हैं ?
आदर्श रूप से हमें बाथटब में स्नान करने से बचना चाहिए । हम खडे होकर नहा सकते हैं और उससे भी श्रेष्ठ यह है कि हम पालथी मारकर बैठें और नहाएं । हम दूसरों को भी बाथटब में स्नान करने के दुष्परिणामों से अवगत करा सकते हैं ।
यदि हम ऐसी स्थिति में हैं, जहां बाथटब में स्नान करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है, तो हम निम्नलिखित सावधानियां अपना सकते हैं :
- स्नान के जल में कुछ चम्मच खडा नमक अथवा गोमूत्र की कुछ बूंदें मिलाएं ।
- हम थोडा नमक मिश्रित जल अथवा गोमूत्र युक्त जल स्नान के उपरांत अपने शरीर पर डाल सकते हैं, इससे नकारात्मक परिणाम कुछ सीमा तक न्यून होंगे ।
- नियमित रूप से तथा स्नान करते समय ईश्वर का नामजप करें । नियमित रूपसे नामजप करने से हमारे चारों ओर सुरक्षा कवच बनता है और अनिष्ट शक्तियों के आक्रमणों से हमारी रक्षा करता है ।
- बाथटब में स्नान के दुष्परिणामों से बचाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें । प्रार्थना इस प्रकार कर सकते हैं, हे भगवान, मुझे स्नान के समय किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति से बचाइए और मेरी साधना को प्रभावित मत होने दीजिए ।
५. निष्कर्ष
जहां एक ओर बाथटब में स्नान को एक सुखदायी एवं आरामदायक क्रिया माना जाता है, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक स्तर पर यह कष्टदायक स्पंदनों को बढाता है, जिसके शरीरिक एवं मानसिक दुष्परिणाम होते हैं । यदि आपके पास बाथटब में स्नान करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है, तो हम आपको यह सुझाना चाहेंगे कि आप कुछ सावधानी रखें जिससे आप बाथटब में एकत्र हुई नकारात्मक ऊर्जा से बचकर स्वयं को आध्यात्मिक दृष्टि से शुद्ध कर सकें ।