हमारा ध्येय है कि हम ईश्वर का नामजप निरंतर और एकाग्रता से कर पाएं । यह ध्यान मेें रखकर हमें हर समय किसी भी अवस्था मेें – बैठे हुए, खडे रहकर अथवा चलते हुए जप करने का प्रयास करना है ।
उदाहरण के रूप में हम लेटे हुए, टीवी देखते समय, भोजन बनाते हुए अथवा अपने कार्यालय जाते समय भी नामजप कर सकते हैं ।
बैठकर नामजप करते समय हम सुखासन में (सुलभ मुद्रा में) बैठकर नामजप करें अन्यथा असुविधा के कारण हमारा ध्यान बंट जाता है और हम एकाग्रता से होने वाले नामजप के लाभ से वंचित रह जाते हैं ।
यहां पर यह बताना उचित होगा कि पद्मासन मेें बैठकर (आलथी-पालथी लगाकर) नामजप करने से अधिकतम लाभ होता है । इसलिए कि इस शारीरिक आसन में नामजप द्वारा उत्पन्न आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार पूरे शरीर मेें होता है है । किसी अन्य आसन में, उदाहरण बिस्तर पर लेटकर जप करने से इस ऊर्जा का वातावरण मेें क्षय हो सकता है ।
प्रयोग के रूप में किसी भी सामान्य सुविधाजनक आसन में और पद्मासन मेें बैठकर नामजप करें और दोनों में क्या भेद है, यह अनुभव करने का प्रयास करें ।