विषय सूची
- १. अपनी वर्तमान अवस्था में मेरा रूपांतरण
- २. सुश्री कार्लिन ज्वेल में हुए प्रेरक परिवर्तन
- ३. अवसाद से संघर्ष करना और जादू–टोने से (तंत्र मंत्र से) प्रभावित होना
- ४. अपने घर में अनिष्ट शक्तियों की उपस्थिति अनुभव करना
- ५. शुद्धीकरण हेतु हर संभव प्रयास करने पर भी समस्या बनी रहना
- ६. विभिन्न पराशक्ति अध्ययनकर्ताओं से मिलना और दूसरे विश्व के कुछ संकेत प्राप्त होना
- ७. मृत्यु के पश्चात मेरे पूर्वजों द्वारा उनकी सहायता करने के लिए मुझे प्रेरित करना
- ८. अपने मृत पूर्वजों की सहायता करने के साधन समझने हेतु पुस्तकें पढना
- ९. सहायता न मिलना और अयोग्य सूचना से भ्रमित रहना
- १०. SSRF की खोज
- ११. SSRF के जालस्थल पर प्रकाशित ज्ञान की सत्यता प्रत्यक्ष अनुभव करना
- १२. साधना आरंभ करना, सुरक्षात्मक नामजप का जाप करना और श्राद्ध विधि करना
- १३. आध्यात्मिक शुद्धीकरण और एक पूर्ण सकारात्मक रूपांतरण
- १४. निष्कर्ष कथन
१. अपनी वर्तमान अवस्था में मेरा रूपांतरण
साधना आरम्भ करने के पश्चात से, मेरे जीवन में बहुत सुधार हुआ है !
दिसंबर २०१८ में SSRF के जालस्थल पर आने के पश्चात, मैंने जालस्थल को बहुत रुचि से पढना आरम्भ किया । मैंने धीरे-धीरे साधना बढाना आरंभ किया, और तबसे मेरा जीवन बेहतर और बेहतर होता गया । मुझे ऐसा लगता है कि जैसे अब मैं निश्चित रूप से मानसिक रूप से अधिक शांत/स्थिर हूं और मुझमें बौद्धिक रूप से अधिक स्पष्टता है । मेरी भावनाशीलता, भय और चिंता घटे हैं । मैंने मांसाहर त्याग दिया है और मैं शाकाहारी होकर आनंदित हूं । मेरा शरीर मांसाहार ग्रहण न करने से अधिक अच्छा और हल्का अनुभव करता है । मैं समयपालक और समयनिष्ठ भी बन गई हूं । इसके अतिरिक्त , मैं अपनी नौकरी से संबंधित कर्तव्यों पर अधिक एकाग्र और ध्यान केंद्रित करनेमें सक्षम हुई हूं । मेरा मानना है कि जैसे-जैसे मेरी ऊर्जा स्वच्छ और उच्चतर होती गई, मैं अपने जीवन में अच्छे लोग और परिस्थितयों को आकर्षित करने में सक्षम हो पाई । मैंने अपनी नौकरी परिवर्तित कर ली और देखा कि वहां लोग बेहतर थे, बहुत कम अथवा कोई गपशप नहीं होती थी और न ही ऐसी कोई व्यर्थ बातचीत होती थी जहां वे अपनी समस्याओं का रोना रोएं । मैं चकित थी कि मैं अपने जीवन में अच्छे लोगों के समूह को आकर्षित कर रही थी । मद्यपान करने एवं औषधि-सेवन का व्यसन छूट गया था । इन व्यसनी पदार्थों से छुटकारा पाने का यह इतना सहज और सरल मार्ग था । मैं पूर्ण रूपसे चकित थी कि मुझमें अब व्यसनकी कोई भी इच्छा शेष नहीं थी ।
मैं कई वर्षों से अपने चिकित्सक द्वारा बताए अनुसार नींद की एक गोली प्रतिदिन ले रही थी, जिसे अब मैंने एक वर्ष से नहीं लिया है । SSRF द्वारा बताए गए नमक पानी का आध्यात्मिक उपचार और नामजप करनेके पश्चात २०१९ में मुझसे तुरंत ही व्यसन छूट गया । मुझे लगा था कि मैं अपने शेष जीवन में एक प्रमाणित व्यसनी बनी रहूंगी । इससे पूर्व, मैं कभी भी बिना मद्यपान के लंबे समय तक नहीं रह सकती थी । अब मैं कार्य के पश्चात मौज-मस्ती के लिए मधुशालाओं में नहीं घूमती । मुझे अब रात का भय, निद्रा पक्षाघात अथवा बुरे स्वप्न भी अनुभव नहीं होते ।
मेरे पास बिताने के लिए बहुत कुछ है, और यह एक लंबी यात्रा रही है, इसलिए मुझे समझ नहीं आ रहा था कि कहां से आरम्भ करूं; इसलिए मैंने पिछले कुछ वर्षों की घटनाओं से आरम्भ करने का निर्णय लिया ।
२. सुश्री कार्लिन ज्वेल में हुए प्रेरक परिवर्तन
यह लेख संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को की सुश्री कार्लिन ज्वेलके प्रेरक रूपांतरणका वर्णन करता है । अपनी यात्रा को अपने शब्दों में बताते हुए, उनके अनुभव उचित साधना की दैवी (ईश्वरीय) शक्ति दर्शाते हैं । ये अनुभव यह भी समझाते हैं कि एक साथ व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पहलू पर साधना किस प्रकार कार्य करती है, उसका समाधान और विकास करती है, जिससे व्यक्ति एक अच्छे जीवन को अनुभव कर सके ।
सकारात्मकता एवं प्रसन्नता की दिशा में उनकी अद्भुत यात्रा का वर्णन आगे दिया गया है ।
३. अवसाद से संघर्ष करना और जादू–टोने से (तंत्र मंत्र से) प्रभावित होना
मेरा अत्यधिक भारी अवसाद के साथ एक लंबा संघर्ष चला । मैं ५ वर्ष से अत्यधिक अवसाद में थी । २००९-२०१३ का समय वास्तव में बुरा था । किन्तु लगभग २०१४ तक भी मुझे अच्छा अनुभव नहीं हो रहा था । इस गंभीर अवसाद के परिणामस्वरूप, मैंने उपचार तथा आंतरिक अभियांत्रिकी की यात्रा आरम्भ की । मैंने आत्म-सुधार, तंत्र-मंत्र, तत्त्वज्ञान, आकर्षण का सिद्धांत, अध्यात्म, भूतावेश, मृत्यु पश्चात जीवन आदि संबंधी अनेक पुस्तकों का अध्ययन करना आरम्भ किया । मेरे पास आत्म-संवर्धन से संबंधित अनेक विषयों की पुस्तकें थीं । मैंने अपनी लिखावटमें परिवर्तन करनेका प्रयास भी किया क्योंकि एक पुस्तक में लिखा था कि यदि आप अपनी लेखनशैली को बदलते हैं, तो इससे आपके आत्म-सम्मानमें सुधार होगा । मैं नियमित रूप से एक चिकित्सक से भी मिलने लगी । मैं यह समझना चाहती थी कि मुझे और मेरे परिवार को क्या परेशान कर रहा था । अपने पिता की ओर से, मुझे लगा कि मेरी वंशावली और बुरे पारिवारिक रहस्यों के साथ बडी मात्रा में काली शक्ति जुडी हुई है । ऐसा लगता था जैसे किसी ने परिवार पर काला जादू किया हो ।
मुझे ज्ञात था कि अज्ञात विश्व की कुछ चीजें मुझे कष्ट दे रही हैं । मैं दुर्गति एवं दुर्भाग्यसे घिरी हुई थी । ऐसा लगता था कि सदैव कोई न कोई अनदेखी चीज मुझे एक खुशहाल और सफल जीवन जीने से रोक रही है और उसमें बाधा निर्माण कर रही है । मैं इसका ठीक से पता नहीं लगा पाती थी । मैं जीवन की समस्याओं के उत्तर पाने के लिए सूचनाजाल (इन्टरनेट) और यूट्यूब पर अच्छे से खोजती और अपने जीवन को बेहतर बनाने के तरीके पता करने का प्रयास करती; क्योंकि मुझे स्वयं को परिवर्तित करने की तीव्र इच्छा थी ।
४. अपने घर में अनिष्ट शक्तियों की उपस्थिति अनुभव करना
वर्ष २०१४-२०१५ के मध्य, मैंने ध्यान करना आरम्भ किया । मुझे ज्ञात था कि यह मेरे लिए बहुत अच्छा था; क्योंकि इससे मुझे अपनी शांति में थोडी थोडी वृद्धि होती अनुभव हुर्इ । २ वर्ष से भी कम की अवधि में, एक निश्चित स्तर तक मेरी चेतना जागृत होने लगी थी । मैंने पढा था कि जब कोई व्यक्ति उपचार आरम्भ करता है और अपनी ऊर्जा शुद्ध करता है, तब उसकी सुप्त मानसिक क्षमताएं धीरे-धीरे विकसित होने लगती हैं । मैं एक मानसिकवादी हूं (यह शब्द छठी इंद्रियकी क्षमतावाले ऐसे लोगों के सम्बन्ध में प्रयोग किया जाता है, जो दूसरों की मानसिक अथवा भावनात्मक स्थिति को समझने की क्षमता रखते हैं), इसलिए मैं शीघ्र ही थका हुआ अनुभव करती । किन्तु अब चूंकि मैं आंशिक रूप से स्पष्टवादी अथवा स्थिति को अनुभव करने में सक्षम हो गई थी, मुझे वास्तविक रूप में इसका भान हुआ था कि ऊर्जा और भावनाएं किस दिशा से आ रही थीं । मैं अकस्मात अपने घर में, अपनी जागृत अवस्था में आत्माओं के अस्तित्व के प्रति जागरूक हो गई थी । मुझे अपनी आंख अथवा परिधीय दृष्टि के कोने से भूत/प्रेत दिखते और विचित्र ध्वनियां सुनाई देती । मैं लोगों को अपने बिस्तर पर खडे देखकर जाग उठती । जब मैं पुनः देखती, तो वे अदृश्य हो जाते ।
ऐसा लग रहा था कि वे सभी उस काल और युग के वस्त्र परिधान किए हुए थे, जिस समय वे जीवित थे । मेरे घर में भूतों की गतिविधि होती । यद्यपि जब मैं उन्हें नहीं देख सकती थी, तो भी मुझे भान हो जाता था कि वे आसपास है । वास्तव में यह एक अंधे व्यक्ति के समान था, जो अपना सिर घुमाता है और जानता है कि कोई अभी-अभी कक्ष में आया है, किन्तु वह अपनी आंखों से वास्तव में उन्हें देखकर स्वयं को सिद्ध नहीं कर पाता । वह जानता है कि वे वहां हैं; क्योंकि वह उनकी उपस्थिति अनुभव कर सकता है । यही सबसे अच्छा उदाहरण है, जिससे मैं यह बता सकती हूं कि मुझे कैसे ज्ञात होता था कि वे मेरे आसपास हैं । जब भी मैं किसी कब्रिस्तान के सामने से निकलती, तो ऐसा लगता जैसे कुछ लोगों की आत्माएं कब्रिस्तान से मेरे पीछे-पीछे घर आ जाती थीं ।
मैंने इन घटनाओं को समझने की खोज आरम्भ की । ये किन लोगों की आत्माएं थी तथा वे मुझसे क्या चाहते थे ?
५. शुद्धीकरण हेतु हर संभव प्रयास करने पर भी समस्या बनी रहना
अवधि में हुई थी । मुझे यह अनुभव हुआ कि जब मेरी मां ने उनके विषय में बात करना आरम्भ किया, तो वे अचानक मेरे घर में आ गए, फलस्वरूप अकस्मात अधिक मात्रा में नकारात्मक शक्ति आने का अनुभव हुआ । मैं उस समय चकित रह गई जब मेरे कार्यालय में मुझे मेरे एक चाचाजी वास्तविक रूप से दिखाई दिए । मेरा घर भूत बाधित, अन्धकारमय और अशुभ हो गया था । वातावरण कष्टप्रद हो गया था । मैं सोच रही थी कि वे मेरे घर में क्यों रहते हैं; क्योंकि मैंने उन्हें अपने बाल्यकाल से नहीं देखा था । मुझे उस दूसरे शयनकक्ष के पीछे भागनेवाली बात का स्मरण है, जिसमें उन्होंने निवास किया था । मैंने उन्हें हटाने के लिए एक झाडफूंक करनेवाले को बुलाया । फिर भी, यह समस्या वैसी ही बनी रही । ऐसा लगता कि मेरा घर अंततः आत्माओं से मुक्त हो जाएगा, किन्तु और भूत पुनः आ जाते थे । वे पुनः पुनः परिसर में लौट आते थे । एक समय था जब मैं चल रही थी, और ऐसा लग रहा था कि मेरे निकट भूमि पर कोई भूत है; यह एक लंगर के समान इतना भारी और इतना नीचे और भूमि के निकट लगा । (उपरान्तमें मैंने SSRF के एक लेखमें अनिष्ट शक्तियों के विषय में पढा, जिससे मुझे स्थितियों को समझने में सहायता मिली ।) मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इन अदृश्य घुसपैठियों से अपनेआप को कैसे बचाया जाए और अपने घर की रक्षा कैसे की जाए ।
मैं अगरबत्ती और धूप प्रज्वलित करती थी । मैंने मानसिक सुर क्षापर पुस्तकोंका भी अध्ययन किया और उनमें से कोई भी सहायक सिद्ध नहीं हुई । मैंने एक पुरोहित को अपने घर को आशीर्वाद देने हेतु बुलाया था तथा एक आध्यात्मिक उपचारक को भी बुलाया । इनमें से कोई भी व्यक्ति मेरी सहायता करने में सक्षम नहीं था । मैं निरन्तर प्रार्थना करती थी और आश्चर्य करती कि इन आत्माओं में पुनः आने की शक्ति कैसे थी । (SSRF जालस्थलके उस लेख को, जिसमें बताया गया है कि कैसे वे उच्च-स्तरीय अनिष्ट शक्तियों से पुनः शक्ति प्राप्त करती हैं, उसे पढनेके पश्चात उन परिस्थितियों का पुनः स्मरण करने पर अब यह बात मुझे समझ में आती है ।)
मैं हताश अनुभव कर रही थी; क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था, जिससे मैं इस विषम और अनिश्चित स्थिति के विषय में बात कर सकूं अथवा समझा सकूं । ऐसा एक भी मित्र अथवा सम्बन्धी नहीं था । यदि आप भूतों की बात करने लगे, तो लोग आपको पागल समझते हैं । मैं अकेली रहती थी, इसलिए मुझे अपने घर जाने में भय लगता था । मुझे अलग-थलग अनुभव होता और लगता कि मैं मानसिक रूप से टूट रही हूं ।
६. विभिन्न पराशक्ति अध्ययनकर्ताओं से मिलना और दूसरे विश्व के कुछ संकेत प्राप्त होना
एक बार, २०१८ में, सम्मोहन केंद्र (मनोचिकित्सालय) में एक वृद्ध व्यक्ति से मेरी भेंट हुई, जिसने मुझे बहुत स्पष्ट और स्वेच्छा से बताया कि उसने मुझे एक दलदल में एक मशाल पकडे हुए तथा मृतकों की आत्माओं को अन्धकार से बाहर निकालते हुए देखा है । मैंने उस व्यक्ति को पैसे नहीं दिए; क्योंकि वह मेरे लिए पूर्णरूप से अनजान व्यक्ति था । मैंने इस व्यक्ति को पूर्व में कभी नहीं देखा था और न ही उसके पश्चात अबतक ।
दूसरे पराशक्ति अध्ययनकर्ता ने मुझे बताया कि मुझे आत्माओं को ‘पार कराने’ और उन्हें आध्यात्मिक विश्व में उच्च स्तर पर जाने में सहायता करने का कार्य दिया गया है । उसने कहा कि यह मेरा कर्तव्य था । उसने कहा कि उसे एक कारागार का दृश्य दिखाई दिया जहां सूक्ष्म शरीरों को बन्दी बना गया था । उसने यह भी कहा कि मैं आध्यात्मिक विश्व में सहस्त्रों आत्माओं को उच्च लोकों में जाने में सहायता करूंगी ।
एक व्यक्ति ने मुझे बताया कि आपके पूर्वज कहते हैं कि आप कभी भी उनकी बात नहीं सुनती । मैं सोचती रही थी कि मेरे मृत पूर्वज मुझसे क्या कहना चाह रहे हैं ? वे मुझसे क्या करवाना चाहते हैं ? मैं कोई संत अथवा आध्यात्मिक अधिकारी नहीं हूं, तो मैं अस्तित्व के दूसरे लोकों में रहनेवाले किसी व्यक्ति की सहायता कैसे कर सकती हूं ? अज्ञात विश्व के लोगों को मेरी सहायता की आवश्यकता क्यों होगी ? २०१७ में, मैंने एक बार पढा था कि एक संत स्वामी विवेकानंद ने प्रार्थना की थी और ऐसी कुछ आत्माओं की सहायता की थी, जिनकी मृत्यु आत्महत्या से हुई थी । किन्तु मेरे पास ऐसा कुछ करने की शक्ति अथवा ज्ञान नहीं था । यह मेरे लिए अपरिचित क्षेत्र था, जिसके बारेमें मुझे कुछ भी ज्ञात नहीं था ।
मैं सडक के पार स्थित एक चर्च में गई; क्योंकि वहां पराशक्ति अध्ययनकर्ता बैठते हैं, जो निशुल्क परामर्श देते हैं । मैंने एवरी नामक एक लडके को मित्र बना लिया, जो मृतकों की आत्माओं के साथ संवाद करने में सक्षम था । वह कई बार मेरे घर आया और उसने वही बात दोहराई जो दूसरे सभी पराशक्ति अध्ययनकर्ताओं ने मुझसे कही थी : कि मेरे मृत पूर्वजों को मेरी सहायता की आवश्यकता है । कि वे मुझसे उनके लिए प्रार्थना करने और मर्त्यलोक में आगे जाने में उनकी सहायता करने के लिए पुकार रहे थे । मैंने उससे पूछा, ‘मैं ही क्यों ? और मेरे जीवन में अब क्यों ?’ और वह सदैव कहता, ‘क्योंकि आप संवेदनशील हैं और उनकी उपस्थिति से अवगत है । इसलिए मर्त्यलोक में आगे जाने हेतु उनकी सहायता करने के लिए वे आपसे संपर्क कर रहे हैं । वे आपके पूरे जीवन में सदैव आपके आस-पास रहे हैं, केवल आप ही उनके बारेमें अभी कुछ समय पूर्व तक अनभिज्ञ थी ।’
मैंने उससे पूछा कि क्या उन्होंने आगे जाने हेतु ‘प्रकाश’ देखा है और उसने बताया कि उन्होंने केवल ‘घनघोर अन्धकार’ दिखाई देने का वर्णन किया है । उनके लिए यात्रा के अंत में कोई प्रकाश नहीं था । जब मैंने आगे SSRF का – मृत्योपरांत जीवन : प्रकाश में जाना, यह लेख पढा, तब इन निष्कर्षों की पुष्टि हुई ।
मैं हर रात २:३० बजे उठ जाती थी । २:२९ भी नहीं, २:३२ भी नहीं, अपितु ठीक २:३० बजनेपर । मैंने कभी किसी को नहीं बताया, किन्तु एवरी ने मुझे बताया कि यह मृतकों की आत्माएं थीं, जो मुझे जगा रही थीं; क्योंकि उन्हें मेरी सहायता की आवश्यकता थी ।
७. मृत्यु के पश्चात मेरे पूर्वजों द्वारा उनकी सहायता करने के लिए मुझे प्रेरित करना
एक बार जब एवरी मेरे घर आया तो उसने मुझे बताया कि वहां मृत लोगों की आत्माएं थीं, जो मेरे स्वप्न में मुझसे संपर्क करने का प्रयास कर रही थीं । उसने कहा कि उन्हें एक राक्षस ने पकडकर बांधकर रखा था, उसने उन्हें दास बना लिया था । मैं भ्रमित अवस्था में उसे घूरती हुई वहीं खडी रही । यह अविश्वसनीय कहानी मेरी बुद्धि से परे थी, समझने के लिए बहुत कुछ था और यह सब किसी असाधारण दूरदर्शन के कार्यक्रम के समान प्रतीत हो रहा था । मैं इन चौंकानेवाले रहस्यों से स्तम्भित थी । मुझे कभी पता नहीं था कि भविष्य में मैं SSRF के जालस्थल पर लेख पढूंगी, जिसमें ठीक उसी तरहका वर्णन मिलेगा; जो मृत्योपरांत सूक्ष्म देहों के साथ घटित होता है ।
एक अन्य अवसर पर, एवरी मेरे घर आया और मेरे मृतक चचेरे भाई स्टीफन को विचित्र रूपसे पुकारना आरम्भ कर दिया । मेरे चचेरे भाई की क्रूर ढंग से युवावस्था में ही मृत्यु हो गई थी । स्टीफन का उसके माध्यम से प्रकटीकरण हुआ और वह बोलने लगा । हमने ऐसा होने की योजना नहीं बनाई थी, किन्तु अचानक एवरी ने ठीक उसी स्वर में बात की, जैसे मेरा चचेरे भाई बोल रहा हो ! उसके तौर-तरीके, भाषण और हावभाव भी स्टीफन के समान ही लग रहे थे । ‘स्टीफन’ ने कहा कि मृत्यु के पश्चात आत्माओं की सहायता करना मेरा कर्तव्य है । उसने कहा कि वह ही था जिसने मुझे भुवर्लोक/मर्त्यलोक में अटकी आत्माओं को बचाने के लिए और उन्हें उच्च सूक्ष्म लोकों की ओर आगे बढने में सहायता करने के लिए एक पुस्तक खरीदने हेतु प्रेरित किया था । उन्होंने यह भी कहा कि मेरे पूर्वजों ने ही मुझे अचानक आध्यात्मिक आयाम में रुचि लेने के लिए प्रेरित किया । यह सत्य था, क्योंकि इन घटनाओं से पूर्व मुझे आध्यात्मिक आयाम, मृत्योपरांत जीवन आदि में कभी कोई रुचि नहीं थी । अन्ततः, मुझे लगता है कि मेरे पूर्वज मुझे उन सभी पुस्तकों तक ले जाने का प्रयास कर रहे थे, जो उन्हें लगता होगा कि वे कदाचित उन्हें मृत्यु के पश्चात जीवन में आगे जाने हेतु गति देने में सहायक हो ।
८. अपने मृत पूर्वजों की सहायता करने के साधन समझने हेतु पुस्तकें पढना
मेरे पास कुछ पुस्तकें थीं, जिन्हें मैंने मृत्यु के पश्चात जीवन इस विषय के सम्बन्ध में खरीदा था । वे सभी १०० वर्ष से अधिक पुरानी पुस्तकें थीं । उनमें उसी बात की पुष्टि की गई थी, जो SSRF के जालस्थलपर बताया गया है । मुझे विश्वास नहीं है कि आज के आधुनिक समय में लेखक इतनी सत्यतावाली पुस्तक संकलित करते होंगे । सभी आधुनिक पुस्तकें प्रत्येक व्यक्ति के स्वर्ग के प्रकाश में जाने सम्बन्धी एक कहानी गढेंगी । यदि सभी स्वर्ग में जाते हैं, तो मेरे जीवन में आत्माएं कष्ट क्यों दे रही हैं ? सभी पुरानी पुस्तकों ने एक ही बात कही; कि पापकर्मों का बुरा फल भुगतना पडता है और आप उसी यथार्थ, सटीक स्थान पर जाएंगे जो आपके आध्यात्मिक स्तर के अनुसार मेल खाता हो । प्रत्येक व्यक्ति अलग हो जाता है और उसे उसके स्वयं से मेल खानेवाले अस्तित्व के लोक में भेज दिया जाता है । द्वेषपूर्ण विचार, भावनाएं और कृतियां आध्यात्मिक जगत में बुरा वातावरण निर्मित करते हैं । SSRF के जालस्थल पर इन्हीं निष्कर्षों को पढने के पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि मैं योग्य मार्ग पर हूं ।
पराशक्ति अध्ययनकर्ता ने मुझे मृत आत्माओं से बातचीत में मध्यस्थता करने के कौशल को विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करने का प्रयास किया, किन्तु मुझे लगा कि आत्मा से बातचीत में संलग्न होना संकटपूर्ण है । आपको पता नहीं होता कि आप वास्तव में किसके साथ बात कर रहे हैं । चूंकि इन विषयों पर समाजमें चर्चा नहीं होती, इसलिए मुझे नहीं पता था कि इन भुवर्लोक/मर्त्यलोकमें अटके सूक्ष्म शरीरों की सहायता के लिए क्या करना चाहिए । इनमें से कोई भी घटना आकस्मिक तथा संयोग नहीं थी ।
९. सहायता न मिलना और अयोग्य सूचना से भ्रमित रहना
इन सभी पराशक्ति अध्ययनकर्ताओं को पता था कि मेरे साथ और मेरे घर में कोई समस्या है, किन्तु उनमें से किसी के पास वास्तव में समाधान नहीं था; क्योंकि उनका आध्यात्मिक स्तर उच्च नहीं था अथवा वे श्राद्ध विधि, दत्तात्रेय देवता (मृत पूर्वजों से संबंधित देवता), भगवान श्री कृष्ण (स्थितिसे संबंधित ईश्वर के तत्त्वसे जुडे देवता) अथवा इस समस्या को दूर करने के लिए नियमित आध्यात्मिक उपचार किए जाने के विषय में नहीं जानते थे । इन बातों के बारे में मुझे आगे SSRF से पता चला । वे मेरे चारों ओर आत्माओं की तीव्र गतिविधि से चकित थे । मैंने जितनी भी पुस्तकें पढीं अथवा ऑनलाइन उपलब्ध जानकारीमें से, कोई भी मेरे लिए सहायक सिद्ध नहीं हुई । वहां बहुत सारी गलत जानकारियां हैं; क्योंकि इस विषयपर शोध अथवा विश्वास नहीं किया गया है ।
मेरा अगला विचार यह था कि कैसे मैं इन सभी भुवर्लोक/मर्त्यलोक में फंसे सूक्ष्म देहों की तरह समाप्त होने से बच सकूं ? वे सभी इस बात के लिए भ्रमित, भटके हुए और अनिश्चित लग रहे थे कि वे कहां थे और वे जिस स्थिति में थे उसमें क्यों थे । क्योंकि यदि दूसरे लोक की आत्माएं मुझसे आध्यात्मिक आयाम में सहायता मांग रही हैं, जैसे कि मैं कुछ जानती हूं, तो वे अवश्य ही निराशाजनक और दयनीय स्थिति में हैं ।
१०. SSRF की खोज
मैंने इस समस्या का समाधान करनेका निश्चय किया । मैंने सैन फ़्रांसिस्को के बौद्ध मंदिर में कुछ लोगों से भेंट की, जिन्होंने मुझे नामजप के बारे में सिखाया, और फिर शीघ्र ही २०१९ में जब मैंने भूतों के बारेमें और इनसे स्वयं की रक्षा कैसे करें, इस विषय में जानकारी देखी, तब मुझे SSRF का जालस्थल मिला । मुझे लिंक पर क्लिक करनेसे (लेख खोलनेसे) पहले ही पता था कि पूर्वजों के कष्टों पर आधारित यह लेख मुझपर लागू होंगे । कौवे मेरी मां के चारों ओर घूमते थे और उन्होंने बताया कि वे उन्हें ऐसे देखते जैसे वे पागल हों । अकस्मात, हमने कभी सीगल (सामुद्रिक चिडिया) अथवा अन्य पक्षी नहीं देखें । हमें सदैव कौवे ही दिखाई देते । कौवे सदैव मेरे पीछे-पीछे आते थे और कोई भी हस्तरेखा शास्त्री (हाथ देखने वाला) जब मेरी हथेली को पढनेके लिए मेरे हाथ को देखता था, तो उसे मेरे हाथ पर पितृदोष का चिन्ह दिखाई देता ।
११. SSRF के जालस्थल पर प्रकाशित ज्ञान की सत्यता प्रत्यक्ष अनुभव करना
SSRF के जालस्थल पर प्रकाशित जानकारी के माध्यम से, अब मुझे ज्ञात हुआ है कि निद्रा पक्षाघात, पुनः-पुनः आनेवाले ऐसे बुरे स्वप्न जिन्हें मैंने अपने पूरे जीवन अनुभव किया और आत्माओं द्वारा मुझे निद्रा में छूना, ये सभी पूर्वजोंके कष्टोंसे संबंधित बातें थीं । उस विचित्र व्यक्ति ने जो देखा था, उसका अर्थ था कि एक दिन, दत्तात्रेय देवताकी सहायता से, मैं आत्माओं को अन्धकार और कष्ट से बाहर निकालूंगी । यह बात यहां पर भी लागू थी, जब मध्यस्थने (आत्माओं से संवाद करनेवाले ने) मुझे बताया कि अपने पूर्वजों की सहायता करना मेरा कर्तव्य है । मुझे आगे ज्ञात हुआ कि अपने दिवंगत पूर्वजों के लिए श्राद्ध विधि करना वंशजों का कर्तव्य होता है ।
ये सभी घटनाएं जुडी हुई थी ।
पूर्वज उनकी सहायता करने हेतु मेरा ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे थे । मुझे नहीं ज्ञात था कि क्या करना है; क्योंकि इन विषयों के बारे में बात नहीं की जाती और व्यावहारिक रूप से भूलोकपर यह अपरिचित हैं । दिवंगत पूर्वजों द्वारा अपने वंशजों को कष्ट देने के विषय में परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी ने सही बताया है । मुझे दूसरे विश्व से कष्ट होने का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ है ।
२०१८ में, मैं अपने विस्तारित पारिवारिक सम्मलेन में गई । मेरी एक चचेरी बहन थी, गिगी, जिसके पास बहुत सारे श्वेत-श्याम छायाचित्र थे । वह चाहती थी कि मैं उसके साथ मिलकर उनकी अनुक्रमणिका एवं सूची बनाऊं । मैंने इनमें से किसी भी छायाचित्र को पहले कभी नहीं देखा था और मेरी मां तथा दादीजी के पास भी ये छायाचित्र नहीं थे । जब मैंने अपने बाएं हाथ से जो कि अधिक संवेदनशील होता है, उन छायाचित्रों को छुआ, तो बहुत बुरा अनुभव हुआ ! मैं इन छायाचित्रों को अपने घर कदापि नहीं ले जाना चाहता थी । मैंने कभी भी अपने चचेरी बहन से पुनः बात नहीं की; क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि मेरा हाथ पुनः उसी प्रकार की बुरी संवेदना अनुभव करें, और मुझे छायाचित्रों से कोई लेना-देना नहीं था । मैंने आगे SSRF का वह लेख पढा, जिसमें बताया गया है कि मृत सम्बन्धियों के छायाचित्र रखना हानिकारक होता है । इससे इस बात की पुष्टि हुई और बहुत स्पष्टता से समझ में आया कि छायाचित्रों से नकारात्मक स्पंदन क्यों प्रक्षेपित हो रहे थे ।
१२. साधना आरंभ करना, सुरक्षात्मक नामजप का जाप करना और श्राद्ध विधि करना
मैं SSRF द्वारा आयोजित सत्संगों में भाग लेने लगी । अपने सत्संग शिक्षकों के मार्गदर्शन में, मैंने ‘श्री गुरुदेव दत्त’ इस नामजप का जाप करना और अपने घर में निरंतर जप चलाए रखना आरम्भ कर दिया । मैं कार्य पर भी अपनी मेज पर लगातार नामजप चलाए रखती, और मैं इसे मेट्रोयात्रा करते समय सुनती थी । मैंने इस अवधारणा को बेहतर ढंग से समझने के लिए दिवंगत पूर्वजों के लिए श्राद्ध विधि इस विषय पर २ पुस्तकें क्रय की । इससे मुझे बहुत सहायता प्राप्त हुई ।
मुझे मेरे सत्संग शिक्षकों ने चावल और तिल पकाकर एक साधारण श्राद्ध विधि करनेके लिए बताया था । तीन भिन्न-भिन्न अवसरों पर, मैंने पितृपक्ष (मृत पूर्वजोंकी आत्माओंके लिए पखवाडा) की अवधि में भोजन बनाया और उसे बाहर रखा । मैंने थाली के सामने प्रार्थना की और उसे अपनी बालकनी पर रख दिया । मेरा मानना है कि जब मैंने खाना बाहर रखा था, तब मेरे पूर्वज दूसरी बारमें आए थे; क्योंकि मैं थाली से निकलनेवाली प्रबल शक्ति को अनुभव कर पा रही थी ।
मैं पितृपक्ष के समय अधिक से अधिक प्रयास करना चाहती थी, इसलिए मैं सर्वपितृ अमावस्या जो २०१९ में २८ सितम्बर को थी, के दिन एक आश्रम में गई । वहां पितृपक्ष का अंतिम दिन होनेके कारण हमारे पूर्वजों को प्रसन्न करनेके लिए विभिन्न प्रकार की लकडियों, चावल और तिलके साथ एक अग्नि अनुष्ठान (हवन) किया गया था । ऐसा अनुभव हुआ कि अग्नि अनुष्ठान (हवन) के समय दिवंगत पूर्वज उपस्थित थे । मैंने मंदिर के पुजारियों से मेरे लिए भी एक औपचारिक श्राद्ध विधि करवाई थी । उस समय मैं प्रातः कार्य पर जानेके लिए एक खचाखच भरी मेट्रो ट्रेन में थी, जब मुझे ज्ञात हो गया कि पुजारी वास्तव में कब अनुष्ठान कर रहा था । जब मैं सभी यात्रियों के साथ वहां खडी थी, मुझे अपने ऊपर सकारात्मक शक्ति की तेज लहर अनुभव हो रही थी । शक्ति की लहरें मेरे शरीर से टकराईं, और मुझे आश्चर्य हुआ कि यह कितना प्रबल अनुभव हुआ था । ऐसा लगा जैसे मेरे अपने अस्तित्त्व का एक भाग वास्तव में मेरे पास लौट रहा था और जैसे चुराई हुई ऊर्जा पुनः प्राप्त हो रही थी । मुझे विश्वास है कि मेरे प्रभामंडल का विस्तार हुआ (जिसका अर्थ है कि मेरी प्रभामंडल सकारात्मक रूपसे प्रभावित हुआ था), और अनुष्ठान से उत्पन्न शक्तिशाली ऊर्जा मुझे कई दिनों तक अनुभव हुई ।
१३. आध्यात्मिक शुद्धीकरण और एक पूर्ण सकारात्मक रूपांतरण
ये सभी विचित्र घटनाएं मुझमें भय उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त थीं और मैं वर्तमान समय में औसत व्यक्ति के समान संसारिक आसक्तियों में नहीं फंसने का मार्ग खोजने के लिए अडिग थी । मैंने मुझे कष्ट देनेवाली उन आत्माओं के समान नहीं मरने का संकल्प लिया । मैं प्रायः सोचती थी कि मुझे इस विचित्र और अनोखी स्थिति का सामना क्यों करना पडा, किन्तु अब मुझे लगता है कि कदाचित ईश्वर मुझे दिखा रहे थे कि तुम्हारे घर को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने में क्या कम पड रहा है । मुझे यह भी लगता है कि ईश्वर मुझे मृत्यु के पश्चात के जीवन की एक झलक दिखा रहे थे; तथा यह भी दिखा रहे थे कि जब हम पृथ्वी पर रहते हुए अपने विचारों, दृष्टिकोणों, भावनाओं और कृतियोंको नहीं सुधारते हैं, तब क्या होता है । यह इस बात की एक झलक थी कि ऐसे लोगों की क्या स्थिति होती है, जो साधना नहीं करते हैं और दोषों में वृद्धि करते हैं । कदाचित अब मैं यह मूल्यांकन कर सकती हूं कि वास्तव में क्या काम करता है, अर्थात प्रतिदिन दृढता से की जानेवाली साधना एवं आध्यात्मिक उपचार । कहने की आवश्यकता नहीं कि मेरा घर अब भूतबाधित नहीं रहा । अब मेरा घर ठीक है । मुझे अब ऐसा नहीं लगता कि मैं मानसिक कष्ट में हूं । मैं ईश्वर के प्रति बहुत कृतज्ञ हूं; क्योंकि मेरे घर में अब वास्तव में किसी पवित्र स्थान के समान आध्यात्मिक रूपसे शुद्धता (सात्त्विकता) अनुभव होती है; इसके लिए दत्तात्रेय देवता, भगवान श्रीकृष्ण, परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी और मेरे आध्यात्मिक शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता । मुझे तीव्र कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए ईश्वरके प्रति कृतज्ञता । मेरे जीवन का वह अन्धकारमय समय पूर्ण रूप से समाप्त हो गया है, यह आश्चर्य की बात है ।
१४. निष्कर्ष कथन
हाल ही २०२१ में, संयुक्त राज्य भरमें मेरे मूल परिवारके सम्बन्धियोंने रविवारको ‘जूम मीटिंग’पर पारिवारिक सम्मलेन करना आरम्भ किया । पहले मैं उन्हें हर कुछ वर्षों में देखती थी । इससे पूर्व मैं इस स्तर पर उनके साथ नियमित रूपसे कभी नहीं जुडी थी । मेरा पहला विचार था, क्यों ? मुझे परिवार के सदस्यों की पुरानी श्वेत-श्याम छायाचित्र दिखाई देने लगे, जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं देखा अथवा सुना था । मेरी मां को कुछ मृत्युलेख भी मिले , जिन्हें भी मैंने पहले कभी नहीं देखा था । मेरा एक चचेरा भाई है, बीजे, जो ‘काउंटी रिकॉर्ड’में कार्य करता है जिसने शोध किया और वह वास्तविक कब्रिस्तानोंमें गया । मेरे चचेरे भाईने कहा कि वह नहीं जानता कि वह पीढी दर पीढी पीछे जाकर वंशावलीका वंश-क्रम शोध करने हेतु प्रेरित और प्रोत्साहित क्यों है । ये सब बातें अब क्यों सामने आ रही हैं ? मुझे लगता है कि मुझे इसका कारण ज्ञात है: पूर्वज तीव्रतासे अपना स्मरण कराना और अपने लिए सहायता चाहते हैं और यही कारण है कि वे संयुक्त राज्य के प्रत्येक कोनेसे हम सभीको एक साथ ला रहे हैं । मेरा मानना है कि पूर्वज चाहते हैं कि मैं अपने पारिवारिक सम्बन्धियों को उनके लिए तर्पण करने और दत्त देवता के नाम का जप करने के बारे में बताऊं ।
यहां मेरी कहानीकी शिक्षा सरल है: साधना करो ताकि जब आपकी मृत्यु हो, तो आपको इन लोगों के समान भूलोकपर किसी को कष्ट न देना पडें ! सदैव स्मरण रखें कि जब आप नरक में होते हैं, तो स्वर्गीय वस्तुओंके विषयमें विचार करना कठिन होता है, इसलिए आज ही साधना करें, जब तक आप जीवित हैं ।
संपादककी टिप्पणी: कार्लिन के अनुभव वास्तवमें प्रेरणादायक है । मानसिक अशांति का लंबे समय तक सामना करनेसे, सूक्ष्म जगतके आक्रमण अनुभव करने और कई वर्षों तक समाधान खोजने में असमर्थ होनेके बाद भी, उसने हार नहीं मानी । अपने जीवन में जो कुछ घटित हो रहा था, उसका मूल कारण जानने की उसकी तीव्र इच्छा और जिज्ञासा के कारण तथा उस स्थिति का सामना करनेका साहस होने तथा सहायता प्राप्त करने हेतु सीखने की प्रवृत्तिके कारण, कार्लिन को दैवीय रूप से SSRF वेबसाइट पर जाने का मार्गदर्शन मिला । यहां, उसे जिस सहायता की आवश्यकता थी, वह उसे प्राप्त करने में सक्षम थी । स्वयं में सूक्ष्म क्षमता होनेके कारण, कार्लिन SSRF से न केवल बौद्धिक स्तर पर ज्ञान प्राप्त करनेमें सक्षम थी, अपितु वह इसकी आध्यात्मिक सत्यता अनुभव करने में भी सक्षम थी । परिणामस्वरूप, वह परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के मार्गदर्शन में SSRF जालस्थल पर संकलित ज्ञान के महत्व और मूल्य को बेहतर ढंग से समझने में सक्षम हुई । एक बार जब उसकी समस्या का समाधान हो गया, तो वह वहीं नहीं रुकी, अपितु उसने साधना के महत्व के बारे में अपने विश्वास को बढाने हेतु अपने अनुभव का उपयोग किया । तब से, उसने सक्रिय रूप से अपनी साधना में वृद्धि की है ।