Case Studies
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साधना की परिभाषा
साधना की परिभाषा SSRF के अनुसार, पूरी निष्ठा और लगन के साथ स्वयं में दैवी गुणों को विकसित करने एवं शाश्वत आनंद की प्राप्ति हेतु प्रतिदिन नियमितरूप से किए जानेवाले प्रयास ही साधना है । दूसरे अर्थों में, साधना, अपने भीतर की ओर जानेवाली वह व्यक्तिगत यात्रा है, जिसमें पंचज्ञानेंद्रियों, मन एवं बुद्धि से परे … साधना की परिभाषा को पढ़ना जारी रखें
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कालानुसार उचित साधना करना
काल के अनुसार उचित साधना करने से ही आध्यात्मिक उन्नति शीघ्र हो सकती है । वर्तमान युग अर्थात कलियुग में मानवजाति का औसत स्तर घट कर मात्र २० प्रतिशत रह गया है इसलिए अब पहले के युगों के अनुरूप साधना कर पाने की क्षमता नहीं रही । प्रस्तुत लेख काल के अनुसार उचित साधना करने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है ।
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तीव्र आध्यात्मिक उन्नति हेतु साधना के मूलभूत सिद्धांत
इस लेख में शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति हेतु साधना के छःह मूलभूत सिद्धांत बताए गए हैं ।
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आध्यात्मिक स्तर अथवा आध्यात्मिक क्षमता के अनुसार
इस लेख में यह बताया गया है कि साधना हमारी आध्यात्मिक क्षमता अथवा आध्यात्मिक स्तर के अनुसार क्यों होनी चाहिए ।
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प्रतिदिन साधना करें
३.२ प्रतिदिन साधना करें यदि हम जीवन में किसी प्रयास के प्रति गंभीर हैं, तो उसके लिए हमें दृढ निश्चयी तथा नियमित होना चाहिए । उदाहरणस्वरूप, यदि हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो हमें नियमित रूप से व्यायाम करना पडेगा । उसी प्रकार यदि हमें चिरकालीन आनंद प्राप्त करना है तो हमें प्रतिदिन अविरत … प्रतिदिन साधना करें को पढ़ना जारी रखें
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अपनी आध्यात्मिक शक्ति को व्यर्थ न गवांए
साधना की शक्ति का उपयोग सांसारिक लाभ हेतु प्रार्थना के रूप में करते हैं, तब यह आध्यात्मिक शक्ति व्यर्थ हो जाती है ।
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साधना में स्वेच्छा, परेच्छा एवं ईश्वर इच्छा
१. परिभाषाएं संस्कृत में इच्छा शब्द का अर्थ है अभिलाषा । इसके अनुसार : स्वेच्छा : स्व का अर्थ है ‘मैं’ अथवा ‘मेरा’ । स्वेच्छा से व्यवहार करना अर्थात सबकुछ अपनी इच्छानुसार करना परेच्छा : पर का अर्थ है अन्यों का । परेच्छा से व्यवहार अर्थात सबकुछ अन्यों की इच्छानुसार करना । ईश्वरेच्छा : ईश्वरेच्छा … साधना में स्वेच्छा, परेच्छा एवं ईश्वर इच्छा को पढ़ना जारी रखें
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सकाम और निष्काम साधना
1. परिभाषाएं : सकाम साधना : इस प्रकार की साधना सांसारिक लाभ प्राप्ति की अपेक्षा से की जाती है । उदाहरण के लिए : प्रार्थना करना, प्रसाद अर्पण करना, उपवास अथवा कोई अन्य विधि करना – धनप्राप्ति के लिए नौकरी हेतु खोई वस्तु प्राप्त करने के लिए गर्भाधारण हेतु बीमारी दूर करना प्रियजनों की सुरक्षा … सकाम और निष्काम साधना को पढ़ना जारी रखें
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साधना की मात्रा नियमित रूप से बढाते रहना
अध्यात्म की सामान्य धारणाएं साधना की मात्रा नियमित रूप से बढाते रहना जैसे हम अपना शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने हेतु निरंतर व्यायाम की मात्रा बढाते रहते हैं, साधना में भी यह लागू होता है । यदि हम वर्षोंतक एक ही चरण की साधना करेंगे तो वह एक गतिहीनता ला देगा । आध्यात्मिक प्रगति में इस … साधना की मात्रा नियमित रूप से बढाते रहना को पढ़ना जारी रखें
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अपनी कुशलता तथा क्षमता के अनुसार ईश्वर को अर्पित करना
अपनी कुशलता तथा क्षमता के अनुसार ईश्वर को अर्पित करना ईश्वर ने हम सभी के अधिकार में कुछ प्रकार के साधन दिए हैं । साधना का मूलभूत सिद्धांत यही है कि हम इन्हीं साधनों का उपयोग करते हुए तथा इस प्रयास को अपनी साधना मानकर ईश्वर की सेवा करें । फलस्वरूप हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती … अपनी कुशलता तथा क्षमता के अनुसार ईश्वर को अर्पित करना को पढ़ना जारी रखें
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अनेक से एक में जाना
जब हम अपने प्रयासोंको अनेक की अपेक्षा एक पर केंद्रित करते हैं, तब उनका प्रभाव अत्यधिक शक्तिशाली हो जाता है । इनमें से अधिक प्रभावकारी क्या है ? जलप्राप्ति के उद्देश्य से १० मीटर गहरा एक हीगड्ढा खोदना अथवा १ मीटर गहरे १० गड्ढे खोदना विभिन्न हवाई कंपनियों से अलग-अलग उडानें भर कर यात्रा करना … अनेक से एक में जाना को पढ़ना जारी रखें
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समष्टि साधना तथा व्यष्टि साधना क्या है ?
१. परिचय सामान्य रूप से साधना के दो प्रकार होते हैं – १. व्यष्टि साधना : जब हम व्यष्टि साधना की बात करते हैं तब उसका तात्पर्य व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति को गति प्रदान करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों से होता है । देवता का नामजप करना, आध्यात्मिक ग्रंथ पढना, व्यष्टि साधना के अंग हैं … समष्टि साधना तथा व्यष्टि साधना क्या है ? को पढ़ना जारी रखें
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साधना से अनुभूति होना
अध्यात्म में बौद्धिक ज्ञान का महत्त्व केवल २% है और उस ज्ञान को अनुभव करने का महत्त्व ९८ % है । ये अनुभव अनुभूति कहलाते हैं और अध्यात्म शास्त्र में हमारे विश्वास को दृढ करते हैं । अनुभूतियां कई प्रकार की हो सकती हैं । पंचज्ञानेंद्रिय को कुछ ऐसी भी अनुभूतियां होती है जो किसी … साधना से अनुभूति होना को पढ़ना जारी रखें
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अध्यात्म से सम्बन्धित सामान्य तथ्य
अध्यात्म के अधिकारी व्यक्ति की बात मानना सीखना जब हमारा दूरदर्शन संच (टी.वी. सेट) काम नहीं करता, तब हम टी. वी. मेकनिक के पास ले जाते हैं । जब हम अस्वस्थ होते हैं, तब हम चिकित्सक के पास जाते हैं । अध्यात्म के संदर्भ में भी यही उचित है । साधना करने के लिए हमें … अध्यात्म से सम्बन्धित सामान्य तथ्य को पढ़ना जारी रखें
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स्थूल से सूक्ष्म की ओर प्रगति
इस सिद्धांत के अनुसार केवल शारीरिक क्रिया करने की अपेक्षा सूक्ष्म स्तर की क्रिया द्वारा हमें अपनी साधना में सुधार करना चाहिए । स्थूल स्तर की साधना की अपेक्षा सूक्ष्म स्तर की साधना अधिक प्रभावकारी रहती है । उदाहरणार्थ, जब दो व्यक्ति जो वास्तव में एक-दूसरे को पसंद नहीं करते; परंतु मित्रता दर्शाने हेतु हाथ … स्थूल से सूक्ष्म की ओर प्रगति को पढ़ना जारी रखें
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अध्यात्म अनुभूति का शास्त्र है
अध्यात्म के सामान्य सिद्धान्त अध्यात्म अनुभूति का शास्त्र है अध्यात्म में शब्दों का महत्त्व मात्र २% है, जबकि अनुभव का महत्त्व ९८% है । इस चित्र में हमें दो पर्वतों के बीच एक खाई दिखाई दे रही है । कोई पूर्णतया बौद्धिक ज्ञान के एक शिखर से, उसी ज्ञान की अनुभूति के दूसरे शिखर तक … अध्यात्म अनुभूति का शास्त्र है को पढ़ना जारी रखें
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जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग हैं
अध्यात्म के मूलभूत सिद्धांत जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग हैं । अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के लिए ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग भिन्न होता है । जब हम साधना करते हैं, तब यह बात ध्यान में रखना महत्त्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति भिन्न होता है । इसीलिए आवश्यक नहीं है कि … जितने व्यक्ति हैं, उतने ही ईश्वर तक पहुंचने के मार्ग हैं को पढ़ना जारी रखें