१. भूतावेश का हिंसक प्रकटीकरण – प्रस्तावना
भूतावेश के हिंसक प्रकटीकण में अनिष्ट शक्ति की चेतना आविष्ट व्यक्ति की चेतना पर नियंत्रण कर लेती है तथा हिंसक ढंग से गतिविधियां करती है । उस समय हो रहे प्रकटीकरण के परिणाम इस प्रकार हो सकते हैं :
- मूल स्वभावगत विशेषता पर बल देनेवाला व्यवहार । उदाहरण के लिए, एक उग्र व्यक्ति का और अधिक उग्र हो जाना ।
- व्यक्ति के व्यक्तित्व से अथवा परिस्थिति से विपरीत व्यवहार करना । उदाहरण के लिए, एक शांत तथा भीरु व्यक्ति द्वारा उग्र व्यवहार किया जाना ।
- हिंसक होने पर व्यक्ति द्वारा विशेष मानवीय बल का प्रदर्शन करना । हमने ऐसे प्रसंग देखे हैं जिनमें व्यक्ति के अत्यधिक दुर्बल होने पर भी उसे नियंत्रित करने के लिए अनेक व्यक्ति की आवश्यकता पडी ।
२. भूतावेश के हिंसक प्रकटीकरण का वीडियो
आगे दिए गए वीडियो भूतावेश के हिंसक प्रकटीकरण के दो उदाहरण दर्शाते हैं । दोनों वीडियो का स्पष्टीकरण आगे दिया गया है ।
२.१ एक अनिष्ट शक्ति के हिंसक प्रकटीकरण के कारण दम घुटने तथा पीडा से छटपटानेवाली गतिविधि
- इस घटना के समय, इस वीडियो में दिख रही स्त्री SSRF के मार्गदर्शन में पिछले ४-५ वर्षों से अध्यात्म के मूलभूत छः सिद्धांतों के अनुसार साधना कर रही है ।
- यह स्त्री अनेक वर्षों से एक अनिष्ट शक्ति से आविष्ट है । जब उसने पर्याप्त मात्रा में साधना की तब भूतावेश का प्रभाव अल्प हुआ । क्योंकि उसे आविष्ट करनेवाली अनिष्ट शक्ति उसकी नियमित साधना के कारण निर्मित सात्विकता को सहन नहीं कर पा रही थी । इसके पूर्व तक वह अनिष्ट शक्ति गोपनीय ढंग से उसके जीवन में विविध समस्याएं उत्पन्न कर रही थी ।
- यह वीडियो का अंश के भारत के गोवा स्थित SSRF के आश्रम में आध्यात्मिक उपचार के नियमित सत्र के समय लिया गया था । जब अनिष्ट शक्ति उसके भीतर छिपने में असमर्थ हो गई, तब उसने उसका दम घोंटने तथा उसे चारों ओर खींचकर-धकेलकर उसे तथा आध्यात्मिक उपचारक को डराने का प्रयास किया ।
२.२ छठवें पाताल की एक अनिष्ट शक्ति का हिंसक प्रकटीकरण
इस प्रकटीकरण के वीडियो में रही स्त्री SSRF के मार्गदर्शन में पिछले ६ वर्षों से अध्यात्म के मूलभूत छः सिद्धांतों के अनुसार साधना कर रही है ।
- यह स्त्री छठवें पाताल के एक शक्तिशाली सूक्ष्म-स्तरीय मांत्रिक द्वारा अनेक वर्षों से आविष्ट थी । (विविध प्रकार की अनिष्ट शक्तियों की तुलनात्मक शक्ति की सारणी का संदर्भ लें ।)
- इस घटना में अनिष्ट शक्ति परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी की उपस्थिति मात्र से प्रकट हो गई ।
- एक सूक्ष्म-युद्ध आरंभ हुआ जिसमें अनिष्ट शक्ति ने परम पूजनीय डॉ.आठवलेजी पर आक्रमण करने का प्रयास किया । सूक्ष्म-युद्ध की भीषणता का मापन हमें दिखनेवाले पैमानों से नहीं किया जा सकता । परम पूज्य डॉ.आठवलेजी द्वारा युद्ध करने की पद्धति थी ध्यानावस्था में जाकर सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक की काली शक्ति से लडना ।
- जब सूक्ष्म स्तरीय मांत्रिक युद्ध में पराजित होने लगा, उसने परम पूज्य डॉ.आठवलेजी की ध्यानावस्था को भंग करने के लिए शारीरिक स्तर से हानि का मार्ग अपनाया ।
- अंत में युद्ध के एक घंटे के उपरांत अनिष्ट शक्ति की काली शक्ति क्षीण हो गई और वह पराजित हो गया ।